The Author ब्राह्मण सुधांशु Sudh Follow Current Read बरसात की रात By ब्राह्मण सुधांशु Sudh Hindi Short Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books राजा और दो पुत्रियाँ 1. बाल कहानी - अनोखा सिक्काएक राजा के दो पुत्रियाँ थीं । दोन... डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 76 अब आगे,राजवीर ने अपनी बात कही ही थी कि अब राजवीर के पी ए दीप... उजाले की ओर –संस्मरण नमस्कार स्नेही मित्रो आशा है दीपावली का त्योहार सबके लिए रोश... नफ़रत-ए-इश्क - 6 अग्निहोत्री इंडस्ट्रीजआसमान को छू ती हुई एक बड़ी सी इमारत के... My Wife is Student ? - 23 स्वाति क्लास में आकर जल्दी से हिमांशु सर के नोट्स लिखने लगती... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share बरसात की रात (2) 1.6k 4.1k सभी पाठकों से अनुरोध है यह कहानी मेरी कल्पना पर आधारित है इसका किसी भी व्यक्ति विशेष से कोई भी संबंध नहीं हैं अतः इसे अन्यथा ना ले और कहानी द्वारा खुद का मनोरंजन होने दें!अमोल जो कि इसी वर्ष अपनी हाई स्कूल की परीक्षा जैसे तैसे पास करता है! रिश्तेदारों के ताने सुन कर तनाव मे आता है और फैसला लेता है कि इंटरमीडिएट मे प्रथम श्रेणी से पास होगा! अमोल अपने माता पिता को मनाता है और उनसे बरेली शहर मे जा कर अच्छे स्कूल मे पढ़ने की अनुमति लेता है! अमोल बरेली के एकता नगर मे आ कर किराए के रूम मे शिफ्ट होता है! एक दम नया शहर, नए लोग नयी भाषा नयी तरह की जीवनशैली इन सभी मे वो खुद को धीरे धीरे ढालता है! बरेली के नामी अंग्रेजी मीडियम के स्कूल मे एडमिशन लेता है,गांव का आया हुआ लड़का शहर के वातावरण को समझने की काफी कोशिशें करता है लेकिन वो उसमे ढल नहीं पाता है! स्कूल के विद्यार्थियों का सामान्य मज़ाक भी उसके दिल पर लगता है वजह थी उसका खुद को उन सभी से कमजोर समझनाधीरे धीरे अमोल चुप सा होने लगा, बरेली मे तो कोई मित्र बना नहीं था लेकिन वो अपने परिवार से भी फोन पर बात नहीं करता था!स्कूल से रूम आता और पूरे दिन रूम मे रहताउसकी हालत कुएं के उस मेढक जैसी हो गयी थी जैसे कुआं ही मेढक की दुनिया है वैसे ही रूम ही उसकी दुनिया है!फिर एक दिन उसके मामा जी उससे मिलने आए,मामा जी अमोल को देख कर ही समझ चुके थे कि अमोल को शहर का वातावरण नुकसान कर रहा है!मामा जी समझाते है कि बेटा हम जैसा मान लेते हैं वैसा ही हम बन जाते है तुम खुद को कमजोर मत समझोकोई तुम्हारा दोस्त हो या ना होभोलेनाथ तुम्हारे दोस्त हमेशा रहेंगे तुम उनको अपना सच्चा दोस्त मानो,हो सकता है मामा जी ने यह बात यूँही की हो लेकिन अमोल मामा जी की बातो को दिल से लगा बैठा था!अमोल रोज शाम को बरेली के अलखनाथ मंदिर जाने लगा,घंटो मंदिर मे बैठता और मन ही मन भोलेनाथ से बात करताउसके साथ दिन भर मे जो भी होता वो भोलेनाथ को बता देता!अमोल को मानो एक ऎसा दोस्त मिल गया था जिससे वह अपना हर दुख बिना किसी डर के बांट लेता था एक ऎसा दोस्त जो उससे कभी किसी चीज़ की डिमांड नहीं करता! धीरे धीरे अमोल सामान्य होने लगा एक अलग ही आत्मविश्वास उसके अंदर आ गया था,एक दिन स्कूल मे कुछ लड़के एक लडकी को छेड़ते है और अमोल बिना बात जाने उन लोगो से भिड़ जाता है अगले दिन अमोल स्कूल की लाइब्रेरी में बैठा पढ रहा होता है तभी वो लड़की आती है और अमोल को थैंक बोलती है, और दोस्ती का हाँथ आगे बढ़ाती है! अमोल के साथ बरेली मे ऎसा पहली बार हो रहा था जब कोई सामने से उससे दोस्ती करने के लिए बोल रहा होअमोल ने बिना किसी देरी के हाँथ मिलायाऔर लड़की ने अपना नाम रिया बताया! अमोल अपना नाम बताने ही वाला था इतने मे रिया बोली और आप हैं अमोल सिंह यादवहरदोई से आए हैं, यूपी बोर्ड से हाई स्कूल पास किया है 35 प्रतिशत अंक के साथ? अमोल भौचक्की निगाहों से रिया की तरफ देखता है और पूछता है आप मेरे बारे में इतना कैसे जानती हैं! रिया हंसते हुए बोलती है, रिया दोस्ती सब कुछ जान लेने के बाद ही करती है बचपन से जासूसी का शौक पाल रखा है उसी का नतीजा है! रिया उसकी सीनियर थी और दोस्त भीअक्सर रिया अमोल के असाइनमेंट बनाने मे उसके नोट्स पूरे करने मे उसकी मदद करती रहती थी!धीरे धीरे अमोल का लगाव रिया को ले कर बढ़ता जा रहा थाअमोल रिया को पसंद करने लगा था, रिया अगर अमोल के अलावा स्कूल मे किसी से बात भी कर ले तो अमोल को खराब लगता था!अमोल ने कई बार हिम्मत जुटा कर रिया से दिल की बात कहना चाही लेकिन वो उसके सामने आ कर बोल ही नहीं पाता!वजह थी खोने का डर उसे डर था कि कहीं रिया उसकी भावनाओं को ना समझ कर उसकी दोस्ती भी ना खत्म कर दे! इधर रिया के इंटरमीडिएट के एक्जाम आने वाले थेउसके कुछ ही दिन बचे थे स्कूलिंग के, कहीं ना कहीं रिया भी अमोल को पसंद करती थी लेकिन शायद अमोल की तरह उसे भी कुछ खोने का डर था! दिन बीतते जाते है रिया और अमोल की दोस्ती भी गहरी होती जाती है! एक दिन रोज की तरह अमोल अलखनाथ मंदिर जाता है और वहां महादेव की शिवलिंग के पास बैठ कर मन ही मन महादेव से बाते करता है!मित्र कल स्कूल मे फेयरवैल है कुछ दिन बाद रिया का इंटरमीडिएट पूरा हो जाएगावो मुझसे दूर चली जाएगीकुछ भी करो कैसे भी करोमुझे उससे दूर मत करो मैं फिर से कुएं वाला मेढक नहीं बनना चाहताअगले दिन स्कूल की फेयरवैल मे दोनों मिलते हैं दोनों बाते करते हैं:-रिया :- शक्तिमान आज आखिरी दिन है यार स्कूल का जब स्कूल मे थी तब कभी कद्र नहीं की अब जब स्कूल छूट रहा है तब पता नहीं क्यूँ रोने का मन कर रहा हैं!अमोल ;- तो मत दो ना एक्जाम इस साल अभी मैं भी एक साल और हूं इस स्कूल मे दोनों इंटरमीडिएट के एक्जाम देंगे साथ मे!रिया:- चल बे मज़ाक कर रही थी बहुत मेहनत की है इस स्कूल से निकलने के लिए अब बस जल्दी जल्दी एक्जाम हो और मेरा स्कूल छूटे! अमोल :- अच्छा जी इतना परेशान थी स्कूल से आपरिया :- स्कूल से भी और सारे दोस्तो से भीअमोल :- मुझसे भी (धीमी आवाज में) रिया :- अरे हाँ मेरे चाचा तुझसे भी अब आज़ादी मिल जाएगी मुझे इस लाइफ से कॉलेज लाइफ की बात ही कुछ और है! अमोल :- ठीक है ऑल द बेस्ट फॉर योर एक्जामरिया :- सेंटी ना हो यार मज़ाक कर रही थी आखिरी दिन है हंस ले थोड़ा, आज के दिन और झेल ले मुझे फिर नहीं करूंगी परेशान तुझेअमोल :- मै तो चाहता हूं सारी जिंदगी तू परेशान करे मुझे रिया :- मतलबअमोल :- मतलब कुछ नहीं(हंसते हुए) रिया;- चल ना कहीं घूम कर आते हैं आज की पार्टी मेरी तरफ सेअमोल :- नहीं यार मूड नहीं है आज सावन का पहला सोमवार है और बारिश का मौसम भी है तो मुझे जल्दी जाना होगा भोलेनाथ के पासरिया:- टेंशन मत ले थोड़ा घूमेंगे मूवी देखेंगे फिर साथ चलेंगे तेरे भोलेनाथ के पासअमोल :- तू कब से भोलेनाथ के पास जाने लगी रिया :- आज से जाना शुरू करूंगीअमोल :- अच्छा चल फिर कहाँ चले पहलेरिया :- पहले मूवी देखने चलते हैं बागी 2, तुझे पता है अपने स्कूल की हेड गर्ल दिशा पाटनी ने एक्टिंग की है उसमेअमोल:- अरे हाँ वो दिशा पाटनी बरेली की हैं ना रिया :- हाँ चल शो शुरू होने वाला है 6 बजे का अमोल :- ठीक हैदोनों मूवी देखने जाते हैं फिर लौट कर भोलेनाथ के पास अलखनाथ मंदिर जाते हैं! दोनों घंटो वहां बैठते हैं बाते करते हैं और समय कहाँ बीत जाता है पता ही नहीं चलता! रिया :- चल अब घर चले 10 बज गएअमोल :- थोड़ी देर और( मन ही मन भोलेनाथ कुछ करो मत परेशान करो अपने दोस्त को, हिम्मत दो मुझे और ना मत सुनवा देना आज प्लीज़) इतने मे रिया का फोन बजता है, फोन घर से होता हैरिया:- हां पापा आ रही हूँ बस मंदिर आई हूँरिया :- चल अमोल पापा बुला रहे हैं मुझे अब जाना पड़ेगा अच्छा लगा आज तेरे साथ! रिया स्कूटी चालू ही करती है इतने मे बारिश शुरू होने लगती है! अमोल ;-( ख़ुश हो कर) क्या यार बारिश को भी अभी आना था( अंदर ही अंदर थैंक यू भोलेनाथ)रात के 10:15 बजे सावन की बारिश हल्की हल्की छन छन की बैकग्राउंड में आवाज और इतने मे घंटे की टन की आवाज़ जैसे ही अमोल को सुनायी दी वो समझ गया कि भोलेनाथ साथ है यही मौका है!अमोल:- रिया कुछ कहना थारिया :- कहिए प्रभुअमोल :- यार सिरियस बात है मज़ाक मत कर प्लीज़रिया :- अच्छा ठीक है बोलअमोल :- यार कैसे कहूं समझ नहीं आ रहा हैरिया:- एक काम कर मुझे बता पहले कि क्या कहना है फिर मै बता दूंगी कि कैसे कहना है तुझेअमोल;- यार तूने फिर मज़ाक कियारिया :- तो बोल ना मै कोई भूत हूं जो डर रहा हैअमोल :- याररिया :- हे भोलेनाथ आप ही आ जाओ इसकी तरफ से बोलने के लिएअमोल :- यार मै तुझे खोना नहीं चाहतारिया :- साफ साफ बोलने का कष्ट करेंगे आपअमोल:- मै तुझे हमेशा अपने साथ रखना चाहता हूं जिंदगी भरमुझे नहीं पता ये क्या है तेरे लिए बस जो भी है दिल से है और सच्चा है!रिया :- डरपोक अभी भी नहीं बोल रहा है कि प्यार करता है मुझसे अमोल :- तू समझ जा नारिया :- समझ तो बहुत दिन पहले ही गई थी लेकिन इंतज़ार कर रही थी तेरे इज़हार ए मोहब्बत काअमोल:- तुझे पता था कि मै तुझसे प्यार करता हूंरिया:- हां बुद्धू और अगर तू नहीं बोलता तो थोड़ी देर बाद मैं ही बोलने वाली थी तुझे कि मै भी तुझसे प्यार करने लगी हूं! बरसात की वो रात रिया और अमोल के जीवन की सबसे यादगार रात थीसमाप्ति ✍️#ब्राह्मणसुधांशु #sudh Download Our App