Tadap Ishq ki - 3 in Hindi Love Stories by Miss Thinker books and stories PDF | तड़प इश्क की - 3

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तड़प इश्क की - 3

उस वीरान से रास्ते पर एकांक्षी के सेंडेल की आवाज गूंज रही थी..... तभी उसका फोन बजता है जिसमें एक अलनाउन नम्बर शो हो रहा था....

एकांक्षी काॅल रिसीव करके हेलो ही कहती हैं कि दूसरी तरफ से आई आवाज सुनकर घबरा जाती है....

अब आगे...............

एकांक्षी महसूस करती है जिस म्यूजिक को वो ढूंढ रही थी आज अचानक उस म्यूजिक को उसे फोन पर सुनने को मिलेगा....

एकांक्षी एक्साइटेड होकर पूछती है......" कौन हो तुम...?.. जबाव दो ,,, ये म्यूजिक......

दूसरी तरफ से सिर्फ म्यूजिक की आवाज ही गूंज रही थी जिसे एकांक्षी ध्यान से उस म्यूजिक की धुन को सुन रही थी...उस म्यूजिक ने उसे मदहोश सा कर दिया जिससे बेखबर एकांक्षी बीच रास्ते में किसी स्टेच्यू की तरह खड़ी हो जाती है तभी एक कार तेजी से उसकी तरफ बढ़ती है,,, अधिराज तुरंत अपनी इंसानी रुप में आता है और एकांक्षी को एक तरफ खींचते हुए कहता है....." ध्यान कहां है तुम्हारा.... मरने का इरादा है क्या...?..."

एकांक्षी के हाथ से फोन गिर जाता है जिससे गुस्से में उसे अपने से दूर करती हुई कहती हैं,,, " तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे पास आने की...."

अधिराज उसकी बातों को सुनकर जैसे नजरअंदाज करते हुए उसके पास आकर कहता है...." हिम्मत है जभी तुम्हें बचाने आ गया .... वरना

एकांक्षी : ठीक ठीक है... थैंक्यू....."

एकांक्षी थैंक्यू कहकर अपने फोन को दोबारा उसी नम्बर पर डायल करके उस धुन को सुनने के लिए बेसब्री से इंतज़ार करती हुई चलने लगती है तभी अधिराज पीछे से कहता है....." उस म्यूजिक का वेट कर रही हो..."

एकांक्षी हैरानी से पीछे मुड़ती है...अधिराज दोबारा से अपनी बात को दोहराता है....." वहीं म्यूजिक सुनना चाहती हो तुम ..."

एकांक्षी उसकी बात से काफी हैरान नजर आ रही थी इसलिए दोबारा उसके पास जाकर पूछती है....." तुम्हें कैसे पता की मुझे कोई म्यूजिक सुनना है या मैं सुनना चाहती हूं... "

अधिराज उसके पास आकर कहता है...." मुझे पता है तुम्हें किसी म्यूजिक की तलाश है शायद वो तुम्हें मिल जाए...."

एकांक्षी उसको देखते हुए कहती हैं....." पहले तो तुम ये बताओ तुम हो कौन अपना फेस से ये मास्क हटाओ...."

अधिराज उसी एटीट्यूड में कहता है......." ये मास्क तो मैं नहीं हटा सकता लेकिन बहुत जल्द तुम्हें तुम्हारे म्यूजिक के बारे जरूर बता सकता हूं बोलो जानना चाहती हो...."

एकांक्षी इतने सालों से जिस म्यूजिक को ढूंढ रही थी आखिर उसके बारे में उसे पता चलने वाला था इसी खुशी में वो हां में सिर हिलाते हुए कहती हैं....." मुझे उस म्यूजिक क्रिएटर से मिलना है बोलो मिलवा सकते हो...."

अधिराज वहां से जाते हुए कहता है...." अभी सही समय नहीं आया है वैदेही...."

वैदेही नाम सुनते ही एकांक्षी उसे रोकने के लिए आगे बढ़ती है लेकिन अचानक वो कहीं ओझल हो जाता है जिससे एकांक्षी चिल्लाने लगती है...." कौन हो तुम...?.... सामने आओ इस तरह क्यूं मुझे उलझन में डालकर गायब हो गए..."

काफी देर ढूंढ़ने के बाद जब कोई रिप्लाई नहीं आता तब एकांक्षी घर के लिए चली जाती हैं....

इधर अधिराज अपनी पूरानी यादों में खो चुका था....

" अधिराज.... अधिराज कहां हो तुम....?..." वैदेही सब जगह अधिराज को ढूंढ ढूंढ कर थक के वहीं झरने के किनारे बैठ गई थी तभी उसे एहसास होता है किसी ने उसकी आंखों को बंद किया है,,, उसके हाथों को अपने हाथों से छूते हुए वैदेही कहती...." अधिराज तुम आ गए...."

अधिराज अपने हाथों को हटाते हुए कहता है...." तुम हमें बहुत जल्दी ही जान लेती हो ...हमें जरा भी हंसी नहीं करनी देती..."

वैदेही उठकर अधिराज के सामने आते हुए कहती हैं..." हम तो आपको अच्छे से जानते हैं,,,आप इस तरह हमे परेशान करते हैं ,हमे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता..."

अधिराज अपने कानों को पकड़ते हुए कहता है..." हमें क्षमा कर दीजिए आगे से हम बिल्कुल देर से नहीं आएंगे..."

वैदेही रूठती हुई कहती हैं..." हम अच्छे से जानते हैं आपके इस वचन को जो कई बार टूट चुका है...."

अधिराज मुस्कुराते हुए कहता है....." इसका अर्थ है आप हमसे रूष्ट है ठीक है फिर हम भी आपको सैर पर ले जाएंगे..."

वैदेही डर के पीछे मुड़कर मना करती ही है उससे पहले ही अधिराज अपने पक्षी रुप में आकर उसे उठा ले जाता है,,, वैदेही डर से चिल्लाती है..." अधिराज हमें सैर पर नहीं जाना,,,हमें नीचे उतार दीजिए...."

अधिराज बस वैदेही को ही निहार रहा था उसे उसकी बात से कोई फर्क नहीं पड़ रहा था,,, लेकिन वैदेही डर से अधिराज को कसकर पकड़े हुए थी उसकी सांसें अपने सीने पर महसूस करके अधिराज को बहुत सुकून मिल रहा था लेकिन वैदेही की बैचेनी को थोड़ी दूर जाने के बाद अधिराज वापस नीचे आता है और उसे वहीं पास रखे पत्थर पर बैठाते हुए कहता है....." अब तुम हमसे रूष्ट नहीं होंगी न..."

वैदेही हां में सिर हिलाती है लेकिन उसके शरीर और गुलाबी होंठों जो की इतनी ऊंचाई के डर से कांप रहे थे उन्हें शांत करने के लिए अधिराज उसे अपने सीने से लगा लेता है,, वैदेही उसके सीने से लगने काफी सुकून महसूस करती है... अधिराज उससे कहता है..." तुम्हें हम डराना नहीं चाहते थे किन्तु तुम्हारा ये साथ‌ हमें बहुत सुकून देता है वैदेही...." अधिराज धीरे धीरे उसके गुलाबी होठों की तरफ बढ़ता है.... लेकिन तभी वैदेही को बुलाने की आवाज आती है जिससे वैदेही अपने को अधिराज से दूर करती हुई कहती हैं....." अधिराज हमें जाना होगा,,, मां बुला रही हैं..."

अधिराज मायुस सा हो जाता है......" हम जब भी तुम्हारे नजदीक आने की कोशिश करते तभी कोई न कोई बहाना आप बना ही देती है...."

वैदेही अधिराज को नाराज़ होते देख उसके गाल पर किस करके कहती हैं..."अधिराज हम कल जरूर औषधि लेने आएंगे पंचमढ़ी आप समय से पहुंच जाना...." वैदेही वहां से चली जाती हैं और अधिराज जाते हुए वैदेही को देखते हुए अपने गाल पर हाथ रखते हुए कहता है....." तुमसे मिलने हम अवश्य आएंगे तुमने ही तो हमें अपने ह्रदय में कैद कर लिया है...."

अधिराज इतना सोचते हुए वापस अपने ख्यालों से बाहर आता हुआ बैचेनी से बस एकांक्षी से मिलने के लिए उसके घर की तरफ जाता है.....

.......…...........to be continued...........




अधिराज एकांक्षी से मिल पाएगा.....?

जानने के लिए जुड़े रहिए