तुम्हारा पत्र मिला। पढ़कर खुशी हुई कि तुम कठिन परिश्रम कर रहे हो। इसी तरह hard work करते रहो। जीवन में बहुत सारी कठिनाई आती है उससे पीछे नहीं हटना, उसको face करना है। पढ़ाई एवम labour ही तुम्हे एवम् तुम्हारे परिवार को establish करेगा। तुम्हारे पैर खींचने वाले बहुत होंगे पर अपने पैरों को अंगद के पैर बनाओ। अपने ज्ञान को ठोस बनाओ, बेमतलब का इधर उधर किसी के कहने में आकर समय और पैसा बर्बाद न करना। एक ही लक्ष्य है service प्राप्त करना और वो भी Govt. Service. इसके लिए लगन होना बहुत जरूरी है । तुम्हारी Graduation की पढ़ाई कैसी चल रही है? उसे पास करना भी बहुत जरूरी है। यह वैसे ही जरूरी है जैसे एक खिलाड़ी के लिए Stadium में प्रवेश करने के लिए प्रवेश पत्र। परंतु लक्ष्य एक ही है, पदक जीतना। तुम्हारा भी एक ही लक्ष्य है Govt. Officer बनना और वो भी ईमानदार। छोटी बहन की पढ़ाई कैसी चल रही है? मां पापा स्वस्थ्य हैं कि नहीं? किसी तरह की परेशानी हो तो बेहिचक पत्र लिखना। मम्मी पापा को प्रणाम कहना।
प्रिय पाठकों, थोड़ा परिचय अब इस चिट्ठी से करा दूं। जैसा कि पढ़ने से ही जाहिर है ये मुझे लिखी हुई चिट्ठी है जो मेरे गुरु जी ने मुझे कॉलेज के दिनों में लिखकर भेजी थी।
दरअसल यह चिट्ठी मेरे गुरु जी ने मुझे तब भेजी थी जब मैं स्नातक का छात्र था। आज इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी इस चिट्ठी की प्रासंगिकता मेरे लिए तनिक भी कम प्रतीत नहीं होती।
जीवन के प्राथमिक चरण अर्थात अपनी शिक्षा–दीक्षा के दौरान जब एक बच्चा अपने पूरे जीवन के तानेबाने को बुन रहा होता है, बहुत जरूरी होता है तब उसे हिम्मत देना, उसकी पीठ थपथपाना और सबसे बड़ी बात उसे सही गलत का एहसास कराना। कारण, इस चकाचौंध से भरी दुनिया में भटकाव के कई रास्ते मौजूद हैं जिनके बीच एक छात्र के खोने का डर बना रहता है।
मेरे गुरु थे जिन्होंने मेरा मार्गदर्शन किया। पर मेरा मानना है कि कोई जरूरी नहीं कि जीवनपथ के शुरुआती दौर में आपका मार्गदर्शक आपका गुरु ही बनें। वह आपके माता पिता, बड़े या छोटे भाई–बहन, चाचा चाची, मित्र या कोई भी हो सकता है। आपकी जागृति और सकारात्मक सोच भी सफलता के मुकाम तक पहुंचने में आपका मार्गदर्शक बन सकती है। इन सबके बीच सबसे बड़ी और सबसे जरूरी बात यह है कि आप अपने जीवन से चाहते क्या हैं। अगर आपने ठान लिया कि जिंदगी में कुछ हासिल करना है और सबके लिए एक मील का पत्थर साबित होना है तो फिर आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। तभी तो ये वाली कहावत इतनी चरितार्थ है कि "मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।" इसलिए पूरी ईमानदारी से अपने जीवनपथ पर आगे बढ़ते रहें। सफलता आपके कदम चूमेगी और यह बात केवल नौकरी प्राप्त करने के लिए ही नहीं, बल्कि जीवन के हरेक क्षेत्र पर लागू होती है। आखिर ये जीवन भला किसी परीक्षा से कम थोड़े ही न है। जिंदगी अलग अलग तरीके से हम सबकी परीक्षा लेती है और खट्टी मीठी अनुभव के रूप में उसका फल भी देती है। हमसब अपनी हरेक परीक्षा में अपना सफल मार्गदर्शक बने।
आने वाले शिक्षक दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं। खास करके अध्ययन कार्य में जुटे सभी प्यारे भाई बहनों को। आखिर आपसब ही तो भविष्य में देश और दुनिया के तारणहार बनोगे। ढेर सारी सफलता आपके कदम चूमें। इन्ही शुभकामनाओं के साथ अब मैं इस अंक को विराम देना चाहूंगा। अगली बार फिर आऊंगा एक नए विषय के साथ।