Narbali - 1 in Hindi Thriller by Shweta Soni books and stories PDF | नरबलि - आतंक की शुरुआत - 1

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नरबलि - आतंक की शुरुआत - 1

ग्राम कुशालपुर के एक घर में चार किशोर बैठे हैं हरीश नारद, मुरली और गजा | हरीश तेज दिमाग का साहसी किशोर हैं कैसी भी परिस्थिति हो सब का हल है उसके पास लेकिन एक बुराई भी है उसमे बुराई कहो या शरारत , हरीश बदमाशी करने में भी अव्वल है | नारद ! जैसा नाम वैसा उसका काम इधर की बात उधर करना और तिल का ताड़ बनाना यही उसका काम है |

इन सबसे अलग है मुरली , मुरली एक मस्त मौला किशोर है खराब परिस्थिति में भी मस्खरी करना उसकी आदत है लेकिन डरपोक इतना की अगर भूल से भी किसी सांप के दर्शन हो जाये तो बेचारा बेहोश ही हो जाता हैं |

और सबसे आखिर में गजा , गजा अपने नाम के अनुरूप ही पहलवान जैसा दिखाई देता हैं ,हष्ट - पुष्ट और बलवान एक बार में दो - चार को तो पटकनी दे दे | ये चारों एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते इनकी दोस्ती स्कूल , घर और मौहल्ले में प्रसिद्ध है | सब इनकी दोस्ती की दाद देते |

इन चारों की बारहवीं की परीक्षा समाप्त होकर इनकी गर्मियों की छुट्टियाँ शुरू हो चुकी हैं | लेकिन इन लोगों की बदकिस्मती की दोपहर 12 बजे से संध्या 4 बजे तक और शाम के 6 बजे के बाद घर से निकलना मना हैं | करे भी तो क्या करे बेचारे अभी कुछ महीनों से कुशालपुर और उसके आस- पास के गांवो में डर का माहौल हैं |


पिछले हफ्ते की तो बात है ,अनसूईया काकी का 12 वर्ष का बेटा बबलू घर के सामने से गायब हो गया | वहीं घर के बाहर ही तो था , जब उसकी माँ खाना खाने के लिए बुलाने बाहर आई तो देखा बबलू वहां नहीं था | पहले सोचा की घर में अंदर चला गया होगा | अनसूईया काकी ने पूरा घर देख लिया लेकिन बबलू का कुछ पता नहीं चला | बबलू के पिताजी भी गांव के कुछ लोगों के साथ मिलकर पूरी गाँव छानमारा लेकिन बबलू का कहीं कुछ पता नहीं चला |

बेचारी अनसूईया काकी तो बावरी हो गयी है , रो - रो कर बुरा हाल हो गया है उनका ! ना खाने का होश ना पहनने का , बबलू उनकी एकलौती संतान थी |


मुरली , नारद , गजा सब हरीश के घर उसके कमरे में बैठकर यही बाते कर रहे हैं | तभी पेट के बल लेटे हुए मुरली ने हरीश से पूछा ! तुम्हें क्या लगता है , बबलू के गायब होने के पीछे क्या कारण हो सकता है | हरीश कुछ कहता उससे पहले ही गजा ने बोलना शुरू किया ! मुझे तो लगता हैं कि ये काम जरूर फुसहा का हैं | जो बच्चों को उठा कर ले जाता हैं |

ये फुसहा कौन है और दीखता कैसे होगा ? मुरली ने फिर पूछा ! और हरीश की ओर देखने लगा | फुसहा किसी व्यक्ति विशेष का नाम ना होकर एक ऐसे गिरोह का नाम है जो बच्चों को ऊठा ले जाते हैं , इनकी संख्या एक से ज्यादा की होती हैं उसे ही फुसहा कहा जाता है और रही बात की वो कैसा दिखता है.... तो वो शायद हम लोगों की तरह ही कोई आम इंसान है |

जो अपनी मनचाही इच्छा पूर्ति के लिए तंत्र क्रिया कर रहा हो और बच्चों की बलि चढ़ा रहा हो ! ये बोलकर हरीश चुप हो जाता हैं | इतनी देर से चुप बैठा नारद बोल पड़ा ! तुझे इतना सब कैसे पता बे !

हरीश ने थोड़ा इतराते हुए कहा - क्योंकि तुम सब में मैं ज्यादा समझदार हूं इसीलिए पता है मुझे 😎|

अच्छा ऐसा क्या ! गजा ने कहा और सब हंसने लगे | तभी कौई बहुत जोर - जोर से हरीश के घर का दरवाजा पीटने लगता है | ओ हरी की मां जल्दी दरवाजा खोलो ! दरवाजा पीटने वाला और कोई नहीं हरीश के पिताजी थे | हरीश की मां ने देर ना करते हुए दरवाजा खोल देती हैं |

हरीश के पिताजी भुवनेश्वर जी ने घर में घुसते हुए पूछा - हरी की मां हरी कहां है ! तब तक दरवाजा पीटने की आवाज़ सुनकर हरीश और उसके दोस्त बाहर आगंन में आ जाते हैं जहां हरीश के पिताजी हैं | हरीश को देखकर उनके पिताजी की जान में जान आई |

हरी की मां अपने पति को पानी का ग्लास देते हुए कहा! आप तो पुलिस स्टेशन गये थे ना जी अनसुईया के बेटे के बारे में पता करने! कुछ पता चला ? वहीं से आ रहा हूं भागवान ! पुलिस अपने काम में लगी हुई हैं , कह तो रहे हैं की जल्दी ही पता चल जायेगा | ये इस गांव घटी तीसरी घटना है पता नहीं आगे क्या होगा | हे ईश्वर बबलू की रक्षा करना हरी की मां हाथ जोड़ कर कह रही थी |


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उधर जंगल में एक हवन कुंड जल रही हैं उसके पास में ही लंबे बालों वाला एक व्यक्ति उस हवन कुंड के सम्मुख बैठकर कुछ मंत्र पढ़ रहा है और साथ में उस कुंड में कुछ डाल भी रहा है | उस व्यक्ति के सामने एक भयानक मूर्ति हैं और उस मूर्ति के नीचे जमीन पर एक 16 वर्षीय बालक बेहोशी की हालत में पड़ा है | कुछ देर मंत्र पढ़ने के पश्चात वो व्यक्ति चुप हो जाता हैं और उस मूर्ति के सामने जाकर उसे प्रणाम करता है और पास में रखी हुई पुजा की सामग्री एक - एक करके पहले उस मूर्ति में चढ़ाता हैं उसके पश्चात उस बालक के ऊपर डालता हैं |


उस व्यक्ति ने पास में रखी हुई एक धारदार तलवार अपने हाथों में लेकर उस मूर्ति की तरफ देखते हुए कहता है ! हे शुद्र देव मेरी दी हुई बलि स्वीकार कर और मुझ पर अपनी क्रिपा बनाये रख | जय शुद्र देव ! तेज आवाज के साथ उस व्यक्ति ने तलवार ऊपर किया और खचच .....एक झटके में उस 16 वर्षीय बालक का सिर धड़ से अलग हो गया |

कुछ देर तड़पने के बाद उस बालक का धड़ शांत हो गया | उस व्यक्ति ने बालक के सर को लेकर उस मूर्ति के सामने रखकर हाथ जोड़कर खड़ा हो जाता हैं |



क्रमशः