Cursed Treasure - 9 in Hindi Fiction Stories by Deepak Pawar books and stories PDF | शापित खज़ाना - 9

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शापित खज़ाना - 9

सूर्यनगर की सरहद पर अब रात के अंधेरे में यहां फैले मैदानों की अंधेरी चादर को रोशनी से सराबोर करते सेनिको के हाथों की वह मशाले यह साफ संकेत दे रही थी कि यहां सूर्यनगर के महा योद्धा हाजिर थे जो अपनी ताकतवार सेना के साथ अंधेरे रात में अपने अपने तंबुओं में चर्चा में मग्शुल थे ।इसी मैदान में लगे कई सौ तंबुओं के बीच एक के अंदर सूर्यनगर का दूसरा प्रमुख सेनापति भी अपने अन्य योद्धाओं के साथ बैठकर अन्न ग्रहण करते हुए (खाना खाते हुए)उनसे चर्चा में मग्शुल था । कि तभी अचानक ही एक जंगली हिरण के सिंग से बने वाद्य यंत्र(आवाज निकलने वाला सींग) की तीखी और अजीब आवाज उनके कानों में गूँजने लगी । सभी अपना खाना छोड़ कर हाथ धोने के बाद बाहर की तरफ भाग कर निकले थे सामने महारानी का दूत था जिसने अपने शरीर पर बारह सिंघे हिरण के सर से पूछ तक का चमड़ा ओढ़ रखा था ,गले मे सुंदर लोमड़ी के मुलायम पूछ के द्वारा बनाया गया गमछा जैसी चीज लगाए हुए वह घोड़े पर सवार था ,उसके एक हाथ मे त्रिशूल जिसपर डमरू के साथ ही कई प्रकार के हीरे लगे थे ,वह अकेला नही था उसके साथ लगभग दस लोग उसी वेश भूषा में थे जिनके पास आग लगी मशाले थी पर त्रिशूल सिर्फ उसके ही हाथ मे था । सिर्फ उस आवाज करने वाले सींग की आवाज पर यह एक तंबू के अंदर यह हाल नही हुआ था बल्कि यह इस जगह जो कई सौ की संख्या में थे तम्बू उनके अंदर के लोग भी बाहर निकल कर खड़े हो गए थे । अब जहां यह बिगुल बजाया जा रहा था वह तम्बू दूसरे नबर के सेनापति अंधनत देव का था और उसके साथ सामुर,तथा आमूर देव नामके दो और योद्धा भी जो खाना खा रहे थे वह भी अब बाहर आ कर बिगुल के बंद होने का इंतजार कर रहे थे । थोड़ी ही देर में बिगुल बंद हो गया और वह बारह सिंघे त्रिशूल पकड़ा घुडवर ने सबको देखते हुए लगभग चिल्लाकर एलान ही कर दिया ।

सुनो...सूर्यनगर के महान योद्धाओं ...महारानी का संदेश है...सुनो...जिसपर अगर कोई भी योद्धा आदेश का उलंघन करे तो….उसकी सजा सिर्फ जीवन भर की आधी मौत है...।

इस वाक्य को कहने के बाद जैसे जादू ही हो गया वहां तम्बू से बाहर निकलने वाला हर एक व्यक्ति अपने घुटनों पर बैठ गया था संदेश सुनने के लिए ।

सुनो...आदेश है कि अब इंतजार खत्म हुआ...देवो के नगर पर हमले का जल्द आदेश है...भविष्य के मानव सूर्यनगर की महारानी के साथ है...महारानी की शक्ति के आगे सब नतमस्तक है….जल्द ही वर्षो पुराना बदला पूरा कर लिया जाएगा और आप सबको ..महारानी के आदेश बाद मुक्ति मिलेगी….। जल्द ही काल के भैरवी मंदिर से हमारे सेनापती महाबलशाली काल भैरव नाथ देव के साथ उनके 5 वीर की मुक्ति होने वाली है...महारानी का संदेश है समय शीघ्र आएगा मुक्ति के लिए लड़ना होगा ...और अमरता प्राप्त होगी ….।


दूसरी तरफ जगदीश अब सूर्यनगर के एक महल में था जहां महारानी से हाथ मिलाने के बदले उसे और उसके साथियों को अछि खासी सेवा मिल रही थी ।जगदीश अपने एक कमरे की खिड़की के पास जा खड़ा हो गया वह विचार में था कि पीछे से उसका एक आदमी जिसका नाम जॉन था वह आया और जगदीश से सवाल कर बैठा ।


जॉन

बॉस ..क्या आपको अभी भी लगता है कि यहां से हम खजाना वापस ले जा सकते है ?

उसकी बात सुनकर जगदीश उसे कहता है ।


जगदीश

हम्म...सिर्फ खजाना नही जॉन..यहां देखो इस जगह कितनी एंटीक चीजे है ...यह सब ले जाएंगे ...रानी को बोतल में उतार लिया है मेने पर...उसकी हकीकत क्या है यह में समझ ही नही पा रहा हु..। प्रोफेसर ने जो इतिहास हमको बताया उसमे राजा कृष्ण देव,सूर्य देव,और देवताओ का जिक्र था इस महारानी का कोई इतिहास नही था ...बस यह समझने दो मुझको की आखिर हमारे समय मे 21 वी सदी में कही इतिहास को देखने मे कोई भुल तो नही हो गई कि इस महारानी का नाम और जिक्र भी कही नही आया ।..

पर यह यहां है जो राज कर रही है पर इतिहास के अनुसार देखा जाए तो यहां सूर्य देव नामके एक राजकुमार का शासन होना चाहिए था ...पर ऐसा कुछ भी नही है ।


अब जगदीश की बात सुनकर जॉन जो अनपढ़ था पर वह शार्प शूटर था वह सर खुजलाता है और कहता है ।

जॉन

बोस मुझे यह नही पता..पर आप बोलो तो महारानी ओर उसके लोगो को हम 10 मिलकत 10 मिनट में इन मशीनगनों से स्वर्ग में भेज सकते है ...।

अब जगदीश पलटा और जॉन के कंधे पर हाथ रख कर वहां सारे अपने लोगो को देखते हुए कहने लगा ।

जगदीश

ह्म्म्म...बात सही है जॉन ..पर अभी समय का इंतजार करो शायद कोई बेमिसाल चीज मिल जाए या हम इतिहास ही बदलकर रख दे ..।

तभी महल में एक सैनिक आता है जिसे देख जगदीश चुप हो जाता है सैनिक अपने पीछे आई कुछ महल की औरतों को इशारे कर समान रखने कहता है ।

यहां जगदीश और उसके लोगों का खना लाया गया था ।

…..

पहाड़ो से नीचे राका और उसकी दोनो बेटियों के साथ करण, रवि और सर्प सैनिक अब नीचे की महल की दिशा में जल्द जाना चाहते थे कि अचानक तेज हवाएं उनकी मुसीबतों को बढ़ाने लगी थी ।मानो कोई अदृशय ताकत उन्हें रोकने की भरपूर कोशिश कर रही थी कि तभी आसमान से फिर एक बार वही विशालकाय गरुड़ उड़ते हुए दिखाई देने लगा इस बार करण, रवि भी उसे देख पा रहे थे लगभग 20 फुट से भी बड़ा था उसका शरीर और 50 फुट से लंबे उसके पंख साक्षात मौत था वह गरुड़ । अब सबकी धड़कने तेज थी क्यो की इस जगह छिपने छुपाने जैसी कोई जगह ही नही थी जहां सब थे वह मैदान का हिस्सा था जहां बड़ी चट्टान के पास से संदेशवाहक कुछ देर पहले ही मधुमखियों का रूप ले कर उड़ गया था मुश्किल से वहां से अभी एक मिल के सफर को तय कर पाए थे पर जगह यह थी कि यहां छुपने का कोई सही सलामत छत या गुफ़ा तो थी नही बल्कि जो पेड़ थे वह भी सूखे दरख़्त ही थे जहां छुपना काफी मुश्किल हो गया था । अब हालात यह थे कि इन सर्पो की प्रजाति का सबसे बड़ा दुःमन ही सर पर तेजी से हवा में था और इसका कोई इलाज भी नही था । इस स्थिति को देखकर अब राका आहे आया और सबको लगभग चिल्लाते हुए कहने लगा ।

राका

भले हवाये तेज हो...मंजिल सामने हो...मौत सरपर नाचेगी ...तब हमारी परीक्षा होगी…मानवो के भविष्यकाल के अंश से ही सबकी मुक्ति होगी...आगे बढ़ते रहो ।…

जैसे ही राका ने यह कहा वैसे ही जो सर्प सैनिक डर गए थे उनमें एक साहस भरने लगा नाता और नैनी भी अब उसी बात को जोर जोर से दोहराने लगे और लगातार बढ़ते हवाओ के सामने आगे बढ़ने लगे थे इस तरह अब सब लोग सिर्फ करण और रवि को छोड़ कर सभी बार बार राका ने बोली हुई लाईन को दोहराते हुए आगे बढ़ने लगे ।

सब

भले हवाये तेज हो...मंजिल सामने हो...मौत सरपर नाचेगी ...तब हमारी परीक्षा होगी…मानवो के भविष्यकाल के अंश से ही सबकी मुक्ति होगी...आगे बढ़ते रहो...मुक्ति जरूर मिलेगी ।

इनको देख करण और रवि भी अब इनके साथ तेज हवाओं से ऊपर गरुड़ को बिना डरे हुए आगे बढ़ने लगे ।

आसमान में गरुड़ ने हलचल सुन ली थी पर वह नीचे देखता तभी वहां हवाओ के तेज होने से धूल का माहौल ऊपर से दिखाई दे रहा था ।पर गरुड़ को शक हो गया था कि कुछ तो अजीब है या वहां हो रहा है । गरुड़ आसमान में था इस लिए उसे महल से यहां तक तेज हवाओं के बस झोंके दिखाई दे रहे थे उनके अंदर राका ,नैनी, नाता,करण और रवि के साथ सर्प सैनिक दिखाई नही दे रहे थे ।इस लिए अब गरुड़ आसमान से जमीन की तरफ आने को तैयार हो गया था और तेजी से नीचे की तरफ बढ़ने लगा था ।