Kahani Pyar ki - 23 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 23

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कहानी प्यार कि - 23

आज पार्टी के लिए संजना ने ब्लैक रंग का बहुत ही सुन्दर गाऊन पहना था और अनिरूद्ध ने भी ब्लेक सूट पहना था... अखिल जी और अनुराधा जी सभी महेमानो के स्वागत के लिए खड़े थे.. दादी भी अपनी सहेलियों के साथ बतियाने में लगी थी .. राजेश जी रागिनी जी , मोहित , किंजल , मीरा , रीमा मासी सब पहुंच चुके थे.. सौरभ पार्टी के इंतजाम मे लगा हुआ था...

सभी गेस्ट संजना और अनिरूद्ध को शादी कि बधाइयां दे रहे थे... तभी अनिरूद्ध का ध्यान दरवाजे कि और गया... और उन्हें देखकर अनिरूद्ध भागता हुआ उनके पास जाने लगा... संजना भी अनिरूद्ध के पीछे पीछे जाने लगी... दरवाजे से मनीष मल्होत्रा और उनकी पत्नी वैशाली मल्होत्रा अंदर आ रहे थे... अनिरूद्ध उनके पास गया और मनीष अंकल के पैर छूकर उनके गले लग गया...

" अरे ! अनिरूद्ध...! तुझे कितनी बार कहा मेरे पैर मत छू... मुझे एसा लगता है कि में बूढ़ा हो चुका हूं... " मनीष मल्होत्रा स्माइल करते हुए बोले..

" क्या चाचू आप भी ...! "

फिर अनिरूद्ध ने वैशाली के पैर छुए पैर वैशाली ने थोड़ा मुंह बीगाड़कर " खुश रहो " इतना कह दिया..
अनिरूद्ध को अच्छा नहीं लगा पर वो कुछ बोला नहीं .. क्योंकि अनिरूद्ध जानता था कि वैशाली उसे पहले से ही पसंद नहीं करती थी... मनीष मल्होत्रा अखिल मल्होत्रा का छोटा भाई था...उनकी अपनी कोई संतान नहीं थी... मनीष अखिल और अनिरूद्ध के पिता कार्तिक ओब्रॉय के साथ ही कंपनी चलाता था... पर मनीष कि वाइफ वैशाली लंडन में फैशन डिजाइनर थी इसीलिए मनीष को वैशाली के साथ लंडन जाना पड़ा था.. मनीष लंडन से ही कंपनी के लिए काम करता...

संजना ने भी मनीष और वैशाली के
पैर छुए.. उन दोनों ने अनिरूद्ध को आशीर्वाद दिया...

" वेरी सॉरी अनिरूद्ध और संजना ... शादी मे तो आने का बहुत मन था पर आ नहीं पाया.. तुम दोनो कि सगाई मे आया था तब भी सगाई नहीं देख पाया था... इसीलिए मे ये पार्टी तो मिस नहीं कर सकता था इसीलिए हम सुबह पांच बजे कि फ्लाइट से ही निकल गए.."
मनीष ने अनिरूद्ध और संजना से कहा..

" ये आपने बहुत अच्छा किया चाचू... अब अंदर तो चलिए... " अनिरूद्ध ने उनका बेग ले लिया..

" ये लो मेरा भी लेते जाओ .." वैशाली ने अपना बैग भी अनिरूद्ध को पकड़ाते हुए कहा..!

अनिरुद्ध ने बिना कुछ कहे ले लिया और अंदर जाने लगा.. संजना को वैशाली का बर्ताव जरा भी पसंद नहीं आया...

मनीष अनिरूद्ध के जाते ही वैशाली को गुस्से से घूरने लगा...
पर वैशाली मुंह फेरकर वहा से चली गई...
मनीष सब से मिला... सब उसको देखकर बहुत ही खुश थे...

संजना और सब पार्टी मे बाते कर रहे थे तभी संजना का ध्यान अखिल जी के एक दोस्त जतिन खन्ना पर गया जो कब से कुछ परेशान से लग रहे थे... संजना उनको परेशान देखकर उनके पास गई ..

" क्या हुआ अंकल ? कोई परेशानी है क्या ? "

" हा बेटा वो मेरी बेटी लंडन से आने वाली थी..मे कब से उसे फोन लगा रहा हूं पर फोन लग नहीं रहा है बस इसीलिए परेशान हूं "

तभी अनिरूद्ध वहा पर आ गया...
" क्या हुआ ? " अनिरूद्ध ने संजना से पूछा..

" वो अंकल कि बेटी लंडन से आने वाली थी उनका कोल नहीं लग रहा है इसीलिए अंकल परेशान है .."

" ओह... ! आपकी बेटी अंजलि है ना ? "

" हा .. "

" अंजलि ने तो एम् बी ए यही दिल्ली मे ही किया था ना ? " अनिरूद्ध ने कुछ सोचते हुए कहा..

" हा वो पहले दिल्ली युनिवर्सिटी से ही एम् बी ए कर रही थी फिर आधे से उसने छोड़ दिया था और लंडन मे जाकर एम् बी ए कंप्लीट किया..."

" ठीक है आप फिक्र मत करिए मे अभी लंडन कि फ्लाइट के बारे में पता करवाता हूं.. और अंजलि के बारे में भी ..." अनिरूद्ध ने कहा और किसी को फोन लगाया और बात करता हुआ वहा से चला गया..

" अंजलि ने दिल्ली युनिवर्सिटी से ही आगे कि डिग्री ली थी ? " संजना ने जतिन अंकल से पूछा

" हा अंजलि ने बीकॉम एमकोम वहीं से किए है और एम् बी ए भी एक साल वहीं किया था.."

" मेरे मोहित भाई भी दिल्ली युनिवर्सिटी में ही थे .." संजना खुश होती हुई बोली..

" अच्छा ये तो अच्छा है ..." जतिन जी ने कहा और फिर संजना भी वहा से चली गई..

सब पार्टी मे बिज़ी थे तभी ऑब्रॉय मेंशन के बाहर एक गाड़ी खड़ी रही.. एक आदमी गाड़ी से उतरा और अपने कदम अंदर कि और बढ़ाने लगा...

अनिरूद्ध अभी भी किसी से फोन मे बात कर रहा था तभी उस आदमी ने पीछे से कहा...

" मेनी मेनी कोंग्रेचुलेशन.. फॉर योर मैरेज मि. अनिरूद्ध ओब्रॉय..." ये आवाज सुनते ही अनिरूद्ध तुरंत पीछे मुड़ा..

सामने खड़े उस आदमी को देखकर वो चौंक गया... सौरभ भी वहा आ गया...
सब लोगो की नजर उन पर पड़ी.. किंजल भी आंखे फाड़कर उसे देख रही थी.. संजना ने पहले उस आदमी को देखा और फिर किंजल कि और देखा ...
" करन...! " किंजल आश्चर्य से बोली...



संजना ये सुनकर खुश हुई पर वो हैरान थी कि अपने दोस्त के आने कि खुशी ..अनिरूद्ध , सौरभ और किंजल के चहेरे पर क्यों नहीं दिखाई दे रही थी...
" थैंक यू करन " अनिरूद्ध ने जबरदस्ती स्माइल करते हुए कहा...

" अपने दोस्त को शादी मे भी नहीं बुलाया..? " करन ने मुस्कुराते हुए पूछा...

" वो क्या है ना हमने सिर्फ अपने करीबी को ही इन्वाइट किया था..." अनिरूद्ध भी उसकी तरफ देखता हुआ बोला...

संजना को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अनिरूद्ध एसा क्यों बोल रहा है..

" ओह ! धेट्स ग्रेट.. वैसे मे बिना इन्वाइट किए पार्टी मे आ गया .. इसीलिए सोरी.. पर क्या करता .. तुम्हारी शादी कि न्यूज़ टीवी पर देखकर खुद को रोक नहीं पाया.."

" कोई बात नहीं.. होता है ..." अनिरूद्ध अब भी मुस्कुराते हुए जवाब दे रहा था..
करन थोड़ा नजदीक आया और अनिरूद्ध को गले लगा लिया...
" वैसे संजना भाभी को वो वाली बात बताई है या नहीं...? " करन धिरे से अनिरूद्ध के कान में बोला..

" मे जानता ही था कि तुम बिना मकसद के तो यहां नहीं आ सकते.. पर सुन अगर तुम्हारा मकसद उस घटिया बात से मुझे और संजना को अलग करने का है तो तुम वापस लौट जाओ...नहीं तो अच्छा नहीं होगा.. " अनिरूद्ध भी धीरे से करन के कान में बोला..

" मतलब नहीं बताया... कोई बात नहीं.. मे आ गया हूं ना .. " करन इतना कहने के बाद अनिरूद्ध से दूर हुआ और मुस्कुराने लगा.. अनिरूद्ध यह सुनकर गुस्से से करन कि और देख रहा था..

करन अब संजना के पास आया और फिर उसे कोंग्रॅ क्चूलेशन.. कहा.. संजना ने उसे थैंक यू कहा.. करन किंजल कि और देखे बिना ही वहा से चला गया...
" अभी भी बदला नहीं अकडू कहिका .." किंजल मुंह बिगड़ती हुई बोली.. और संजना ने यह सुन लिया..
" किंजल इन दोस्तो के बीच कुछ हुआ था क्या ?" संजना का एसा पूछते ही किंजल उसकी तरफ देखने लगी ..
" नहीं तो... मतलब आई डोंट नो कि उन लोगो के बीच क्या हुआ था..." किंजल थोड़ी हकलाती हुई बोली..

" ओके... " संजना ने कहा और कुछ सोचती हुई वहा से चली गई..

करन सौरभ से कुछ बात कर रहा था.. अनिरूद्ध कोल्ड्रिंक्स पिता हुआ करन पर नजरे टिकाए हुए खड़ा था.. संजना अनिरूद्ध के पास आई..

" अनिरूद्ध तुम यहां क्यों खड़े हो ? करन के पास जाओ .."

" नहीं मे यहां ठीक हु "

" अरे ! इतने टाईम बाद तुम्हारा दोस्त आया है .. तो तुम एसे क्यों बिहेव कर रहे हो.. ? "

" एसा कुछ नहीं है संजू.. बहुत वक्त हो गया .. और वक्त के साथ दोस्त भी बदल जाते है... "

" तुम्हारी कोई लड़ाई हुई थी क्या ? " संजना ने सीधा वो सवाल कर दिया जो वो कब से सोच रही थी..

" क्या ? एसा कुछ नहीं है.. बस अब हम दोस्त नहीं है सिम्पल ..."
संजना अब भी इस जवाब से संतुष्ट नहीं थी पर अभी वो इसके बारे में अनिरूद्ध से पूछकर दोनो का मुड़ खराब नहीं करना चाहती थी इसीलिए ठीक है कहकर वो वहा से चली गई..

किंजल पार्टी का आइस्क्रीम एन्जॉय कर रही थी.. तभी रीमा मासी ने किंजल को बुलाया तो किंजल हाथ मे आइस्क्रीम का कप लेते हुए ही उनके पास जाने लगी.. तभी किसी का धक्का लगा और आइस्क्रीम सामने से आ रहे करन पर गिरी..

करन के कपड़े आइस्क्रीम गिरने से खराब हो गए . उसने गुस्से से कहा " देख कर नहीं चल सकते हो क्या ..? पूरा सूट खराब कर दिया.. "
फिर उसने सामने देखा तो किंजल को देखकर हैरान रह गया..
" तुम ? " करन शॉक्ड था किंजल को सामने देखकर ..

" हा मे तो ? "

" तुम यहां क्या कर रही हो ? "

" क्यों मे यहां नहीं आ सकती क्या ? "

" तुम हमेशा उल्टा जवाब क्यों देती हो ? "

" उल्टा जवाब कहा मैंने तो उल्टा सवाल पूछा ! "

" ओह गॉड ..! अच्छा रहने दो... " करन चिड़ता हुआ बोला..



" एक बात बताओ तुम अभी भी वैसी हो ..? " करन किंजल को घूरता हुआ बोला..

" तो तुम भी कहा बदले हो.. अकडू ..." किंजल अकडू थोड़ा धीरे से बोली..

" क्या क्या कहा तुमने ? "

" नहीं कुछ भी तो नहीं..."

फिर करन वहा से जाने लगा

" सुनो..." किंजल ने करन को रोकते हुए कहा..

करन रुक गया...

" मे नहीं जानती कि तुम यहां क्यों आए हो .. पर में नहीं चाहती की मेरी बहन संजना और अनिरूद्ध के रिश्ते मे कोई भी तकलीफ़ हो इसीलिए प्लीज़ वो बात किसी को मत बताना.. "

करन ने यह सुना तो सही पर उसका जवाब दिए बिना ही पार्टी से चला गया...
जब से करन आया था अनिरूद्ध के चहेरे कि खुशी उड़ गई थी.. पार्टी ख़तम हो चुकी थी.. अनिरूद्ध और संजना अपने कमरे में बेग पेक कर रहे थे..
" संजू मैंने कहा था ना मे तुम्हे हनीमून के लिए केनेडा ले जाऊंगा...! "

" हा... मे भी वहा जाने के लिए एक्साइटेड हूं .."

" तुम्हे वो सब जगह पर ले जाऊंगा जहां हमारे कॉलेज के दिन बीते थे.. "

" हा अनिरूद्ध मे भी जानना चाहती हूं तुम्हारे कॉलेज के दिनों के बारे में.. "

" मे जानता हूं संजू कि मैंने तुम्हे अपनी उस जिंदगी के बारे में कुछ नहीं बताया.. हालात ही कुछ एसे थे कि में तुम्हे नहीं बता पाया था.. पर इस हनीमून के बाद तुम मेरे बारे में सब कुछ जानती होगी..."

यह सुनकर संजना अनिरूद्ध की तरफ देखकर मुस्कुराने लगी...
अनिरूद्ध ने फैसला कर लिया था कि वो कैनेडा जाकर संजना को उसके अतीत के बारे में सब सच बता देगा.. वो सच जिससे अब तक वो संजना को दूर रखने कि कोशिश कर रहा था...

क्रमश: