दामिनी अपने अतीत को लेकर अपने ऑफिस मे बैठे बैठे सोच रही है ....
इरफान नाम के युवक ने ईसु नाम बताकर दामिनी से निकाह कर लिया ..दामिनी हिंदु परिवार मे पली बढी .. उसे नॉनवेज बनाने के लिए कहा गया ..दामिनी के मायके मे नॉनवेज खाना तो दूर कोई नाम भी नही लेता था ..
उसे नॉनवेज बनाने के लिए कहा गया उसने इंकार कर दिया ---
मुझे नही आता मै नही बना सकती ..
तब इरफान का प्यार से कहना...अरे सानिया बेगम... कुछ दिन मे आदत बन जायेगी ..आप रसोई मे जो कर सकती हो वह तो करो ..मैने कहा कि मैं वहां खड़ी भी नही हो सकती आप बनाने की बात करते हो ..वह हंसने लगा तो..
मुझे पछतावा होने लगा .. पापा की कही बात याद आने लगी ..पापा ने कहा था बेटा ! इस संसार मे माता पिता कभी भी अपनी संतान का बुरा नही सोचते वे हर ख्वाईश को पूरा करते हैं । मुझे खुदसे घृणा होने लगी.. मुझे टीचर की उक्ति याद आई -
बिना बिचारे जो करे , सो पाछे पछताय ।
काम बिगारे आपनो जग मे होत हंसाय ।।
मैने प्रश्न किया .. इरफान ! तुम यह बताओ तुम्हारे कितनी बीबी है ..? अरे नही मोहतरमा तुम्ह ही हो और तुम ही रहोगी .. कुछ दिन बाद रोजे आ गये ..मुझसे कहा गया एक महिने रोजे रखने है ..मैने मना कर दिया ..मै एक दिन का रख सकती हूँ एक महिने का नहीं..मुझे भूख बर्दाश्त नही होती .. इरफान की अमी ने कहा कोई बात नही एक दिन का तो रखो फिर अच्छा लगने लगेगा .. बेटा यह मुसलमान पर फर्ज है ..मतलब ..जरूरी है .. अब मेरा प्यार वार सब फुर्र हो गया था ..मै सोचने लगी अब मेरे सामने एक तरफ कुआ है एक तरफ खाई ..मै न तो अपने घर जा सकती हूँ न मै यहां रह सकती हूँ .. मेरा मन खुदकुशी का होने लगा था ..
तब मैने हिम्मत करके अपनी दीदी से बात की ..मै फूट फूटकर रोई ..मेरी दीदी ने मुझे डाटा नही बल्कि ढांढस बंधाया.. उसने पापा से बात करवाई ..पापा बोले ..बेटा जो होना था वह हो गया .. जो जग हंसाई होनी थी..वह हो गयी ..अब तुम पापा से क्या चाहती हो ? ..मेरी दबी हुई आवाज.. सूखता हलक...उसमे मदद की गुहार .. पापा ने तब भी मेरे दिल की सुनी मुझे सहारा दिया ..पापा ने कहा.. बेटा तुम उसे तलाक दे दो ..यह कह फोन पर पापा की सिसकियां बंद हो गयी ..मैने कोई जबाब नही दिया तो.. फिर पापा ने कहा ..मैं तुम्हारे साथ हूँ .. थैंक्यू पापा ..कह मैने फोन कट कर दिया ..
मैने अपना सिर दोनों हाथो से पकड़ लिया ..सोचने लगी अब कैसे निकलूं इस जंजाल से..पुलिस की मदद लूं ..या मीडिया मे चली जाऊं ..कुछ समझ मे नही आ रहा था .. आखिर मैने तय कर लिया कि अब मुझे इरफान से दूरी बनाने है .. मैने यहीं से शुरूआत की ..एक दो दिन तो इरफान सहज रहा ..फिर मुझ पर बिफर पड़ा .. तुम मेरी बीबी हो ..मुझसे दूर नही रह सकती ..तुम अपना फर्ज भूल रही हो .. याद रखो तुम अब मुसलमान हो.. तुमने कलमा पढ लिया है.. अल्लाह के खौफ से डरो ..
मैने उसे कह दिया ..मै मुसलमान नहीं हूँ हिंदू ही हूँ .. तुमने मुझे धोखा दिया है ..अपनी असलियत छुपाकर .. यदि तुम मुझे सच बताकर शादी करते तो मुझे दुख नही होता ..इतना बड़ा फरेब मेरे साथ .. तुम अल्लाह के खौफ से डरा रहे हो ..तुम्हें डरना चाहिए.. अब मै तुम्हारे साथ नहीं रह सकती .. सानिया तुम बड़ी गलती कर रही हो .. तुम्हारी जिंदगी जहन्नुम बन जायेगी ..
झल्लाकर इरफान बाहर चला गया मैने पापा को मेसेज किया ..पापा मुझे इस नर्क से निकालो ..
मेरी सारी रात रोते हुए ही निकली ..जब मै बाहर आई तो घर मे सब लोग जमा थे ..मौलवी भी बैठा हुआ था ..