कासिम के जाने के बाद दामिनी अपनी चेयर पर पीछे की तरफ झुक कर छत की तरफ देखती हुई कुछ सोच रही थी ..उसकी आंखों से गर्म गर्म आंसू पलकों के बीच से ढुरकने ही वाले थे कि उसने अपने बायें हाथ की अंगुली के नाखून से आंसुओं के बिन्दुओ को लेकर उन्हें छिटक दिया .. दामिनी ने अपने आपको संभाला ..लंबी गहरी श्वास ली.. टेबिल पर रखी फाईल देखने लगी ।
मन मे अंतर्द्वंद शुरू हो गया ..अपने आपसे बाते करने लगी ..क्या नसीब भी होता है ..? शायद होता है .. मेरे नसीब में दाम्पत्य सुख शायद है ही नही ..
केतकी से मैं दो साल बड़ी हूँ .. उसे पहली बार में अच्छा रिश्ता मिल गया ।
उसे कितना अच्छा जीवन साथी मिल गया.. एक मै हूँ ..सपना मेरा था फौजी मेरा जीवन साथी बने ..उस समय मेरे लिए रिश्ते तो बहुत आये पर फौजी का नही आया ..
जो सोचा नही था वह हो गया, शायद यही नसीब है ।
मेरी भी शादी हुई पर एक मैकेनिक से .. वह भी एक मुस्लिम से.. घर वाले अपनी बिरादरी मे करना चाहते थे..मैने एक भी नही सुनी.. मेरा तर्क था जिंदगी तो मुझे गुजारनी है ..तो मै ही चुनुंगी,मेरा जीवन साथी । आज समझ मे आया कि माता पिता अपनी संतान के मिजाज को अच्छे से जानते हैं ..इस लिए बड़ी जांच पड़ताल करते हैं ।
हमारी गृहस्थी ने 15 दिन मे ही दम तोड़ दिया छ महिने मे ही तलाक हो गया..यह बदनसीबी नही तो ओर क्या है..?
इरफान का मेरे जीवन मे आना ..वह भी
हिन्दु बनकर.. हाथ मे कलावा.. ईशु नाम माथे पर तिलक मंदिर के आसपास दिखाई देना ..मेरे साथ मंदिर भी जाना...कोई सोच भी नही सकता कि यह हिंदु नहीं होगा...मैंने संकोच बस उसकी जाति नही पूछी.. संकोच था कि यह बुरा मान जायेगा । उसकी दूसरों की मदद करना .. गरीबों की सेवा करना..उनको खाना खिलाना..पेड़ लगाना .. टीचरों की रिस्पेक्ट करना ..टीचर का भी उसकी तारीफ करते रहना यह सब देख मुझे वह अच्छा लगने लगा
कॉलेज मे गरीब छात्रो की मदद करना.. चुनाव में मेरा सपोट करना ..जबकि वह कॉलेज मे पढता भी नहीं था .. मेरे बर्थ डे को सेलीब्रेट करना.. मुझे दोस्तो में मान सम्मान देना ..
मैं भी पागल थी उसकी गठीली बॉडी उसके ईत्र की महक मे खो गयी ..मुझे क्या पता था कि वह नहाता नही है सप्ताह में शुक्रवार को नहाता है .. बॉडी की दुर्गध छिपाने के लिए परफ्यूम या ईत्र लगाता है । मेरी सबसे बड़ी भूल तो तब हो गयी जब उसने वैलेंटाइन डे पर मुझे गुलाब का फूल व उसका ईत्र दिया ..उसने मुझे प्रपोज किया ..मैने एक्सेप्ट कर लिया.. उसका रोज मुझसे मिलना जुलना..मेरे साथ उसका घूमना फिरना.. उससे मिलने की तलब होना फिर..
एक दिन वह भूल कर देना जिसे सुधारा नही जा सकता था... घर वालो की मर्जी के खिलाफ उसके साथ भागकर चली जाना .. उसका फिर मौलवी से मिलवाना .. मुझे सच का पता लगना ..ईशु तुम मुसलमान हो..? तुमने बताया नही.. मोतरमा प्यार धर्म देखकर नही होता.. तब मैने कहा था कि मै ही अपना धर्म क्यों बदलू तुम भी तो बदल सकते हो । उसका यह कहकर इंकार करना कि इस्लाम मे इजाजत नही है...उसका फार्म भरवाना.. लिखवाना कि मैं इरफान से निकाह करना चाहती हूँ, इस लिए मैं अपनी मर्जी से इस्लाम धर्म कबूल कर रही हूँ ..मेरा नाम दामिनी की जगह सानिया रहेगा , ईशु पर भरोसा कर मैने खुद से कहा कोई बात नही मैने प्यार किया है .. मैं इसके साथ जहन्नुम मे भी रहलूंगी । मुझे मेरी रजामंदी से कलमा पढाया गया ..ला इलाहा इल्ल ला मुुहम्मद रसूूल इल्लल ला.. फिर मेेेेेरा निकाह हुआ.. निकाह मे चार पांच लोग शरीक हुए..उसके प्यार मे मैने अपना धर्म बदला परिवार की रुसवाई सही ..मुझे यह सब अच्छा लग रहा था .. घर जाने के बाद मुझे बुर्के मे रहने के लिए बाध्य किया गया.. न चाहते हुए मन को मारकर मैने बुर्का पहनना..मैने वहां मुर्गो को हलाल होते देखा.. मुझे मितली भी हुई .. मैने मीट बनाने से इंकार कर दिया तो विवाद हो गया... मैने कहा -
क्रमशः -