Volume 6
सुनीता को तो पताही था की सूरज पीछे है , उसे बात करने की बहुत इच्छा थी मगर वे भी खुद शर्मिंदा थी , उसने जो किया था उसके लिए करती भी तो क्या!
उतनी ही देर में हवाई जहाज के पायलट बताते है की सब अपने अपने सीट बेल्ट बंदकरे हवाई जहाज उतरने वाला है जेसे ही हवाई जहाज नीचे उतरा की तुरंत सूरज सीट बेल्ट खोल कर उठ खड़ा हुआ उसकी नजरें मानो किसीको ढूंढ रही हो और यह सुनीता भी उठ कर इधर उधर देखने लगी थी । जेसे ही दोनो की नजर मिली सूरज ने नजर गुमा ली और अपने जगह छोड़ कर दरवाजे की ओर जाने लगा उसके पीछे पीछे सुनीता भी जाने लगी क्युकी सूरज को ये पता नही था की सुनीता कहा जा रही है ।
सूरज बाहर निकल कर टैक्सी की ओर जाने लगता है। अब दोनो को एक ही जगह जाने की वजह से दोनो एक ही टैक्सी में बैठते है, मगर दोनो में कुछ बात नही हो रही थी बस थोड़ी थोड़ी देर में दोनो एक दूसरे को देखते रहते थे । बात करना तो दोनो चाहते थे मगर पहले कोन करेगा ? यही सब चलते एक स्टेशन पूरा हुआ और शाम होने को आ गई थी
टैक्सी ड्राइवर भी थक चुका था, रात में सफर करना भी ठीक नहीं है।
दोनो एक होटल में रुकने का तय करते है, दोनों होटल में गए ही थे की, वही उस होटल का कर्मचारी सुनीता के साथ बत्तमीजी करता है ये देख कर सूरज चुप नहीं रह पाता और उस कर्मचारी को डांटने लगता है
ये सब हो रहा था और सुनीता बस सूरज की तरफ ही देख रही थी। पता नही उसके दिमाग मे क्या चल रहा था। दोनो अलग अलग टेबल पर खाने बैठते है, मगर दोनो का ध्यान एक दूसरे पर ही था ।
दोनो अलग अलग कमरे लेकर सोने की तैयारी कर रहे थे, दोनो में से किसी को भी नींद नहीं आ रही थी । एक तो सूरज की माता का ये स्वर्गवास करना ओर तो ओर सुनीता का बिना बुलाए यहां आना, सूरज को अंदर ही अंदर खाए रहा था। करवटें बदलते हुए पूरी रात निकली जब सुबह हुई तो दोनो तैयार हो कर वापस निकल पड़े। टैक्सी चल रही थी मगर इनमे बात नही! सुनीता थोड़ी हिम्मत जुटा कर बोलती है। आपका खूब खूब आभार ।।
ये सुन कर सूरज कुछ बोल नहीं पाता सिर्फ सिर हिलाता है। अब जब पहल सुनीतने कर ही दी थी! तो सूरज धीरेसे पूछता है, की कैसी हो तुम ? एक तो टैक्सी की आवाज और इतना धिरे से बोलने की वजह से सुनीता वापस पूछती है ! की क्या पूछा आपने? सूरज कुछ बोलता नही ,कुछ नहीं कहकर बात टाल देता है।
वापस दोनो मौन हो जाते है फिर सुनीता थोड़ी हिम्मत जुटाकर बोलती है, की में आपके साथ ही आ रही हू। ये सुनकर सूरज बोल पड़ता है की क्यों क्या नाता है तुम्हारा ? सुनीता कुछ न कह कर चुप रहती है, कुछ समय बाद जब घर पहुंचे तो वहां का माहोल कुछ अलग था। लोग तरह तरह की बाते बनाते थे की इतने सालों कभी घर की ओर देखा भी नहीं, अब आया है देखो तो के से नाटक कर रहा है, कोई शर्म हया बाकी नही लगती इसमें , ऐसे ही पूरा दिन निकल जाता है। बहुत गहरी रात भी हो चुकी थी। दोनो इतने थक चुके थे की ध्यान ही नही रहा की दोनो अलग अलग कमरे में सोए है।
लेकिन गांव में ये बहुत बड़ा अविष्कार होता है। बाते करने के लिए की दोनो में ऐसा क्या हुआ है जो दोनो अलग अलग रह रहे है ? ऐसी तो क्या वजह है ? ये सब सवाल गांव वालों के मनने तो थे ही, मगर सूरज के पिता जी को भी परेशान कर रहे थे। वह उस दिन सूरज को पूछते है मगर सूरज ये कहकर बात टाल देता है कि कुछ नहीं थोड़े थके हुए थे तो जहा जगह मिली वही सो गए। इतना कहकर वह वापस काम में लगजाता है। इस दिन भी सब थके हुए थे, मगर सुनीता सबके सोने के बाद सोती थी, वह रात को सूरज के कमरे में जाकर जमीन पर सो जाती है। रात ज्यादा होने की वजह से सूरज भी सोया हुआ था, लेकिन जब उठता है तो सुनीता को अपने कमरे में पाकर बहुत अचंभित होता है। इसके बाद दोनो एक ही कमरे में अलग अलग सोते थे। दोनो में प्यार था मगर दोनो को एक दूसरे के प्रति ऐसा लगता था की वो मुझे नही चाहती। ये सब पूरा होते होते दस दिन बीत चुके थे दोनो ने जानेकी तैयारी शुरू कर दी थी। अगले दिन उनको जाना था। दोनो ने तैयारी भी कर दी थी। आखरी बार का खाना साथ खा रहे थे। तब सूरज के पिता जी सूरज को बताते है ! बेटा अब मेभी कुछ ही समय का महमान हूं। और पता नही कब चला जाऊंगा। चाहता हु की मेरे जाने से पहले तुम दोनो यहा आकर बस जाओ, ये सुनकर सूरज सोच में चला जाता है और पिता जी को कुछ कह नहीं पता है और नाही सुनीता को। खाने के बाद जब दोनो अपने कमरेमे जाते है, दोनो के अलग होने के बाद से अब इतना वार्ता लाप हुआ।
सुनीता सूरज को बताती है। मेरी बहुत बड़ी गलती थी, मुझे माफ करदो, मुझे पता है की तुम ऐसा नहीं चाहते, मगर उस वक्त मुझे जो सही लगा, मेने वही किया और करती भी क्या जब मुझे तुम्हारी जरूरत थी तभी तुम मेरे पास नहीं थे। और उससे वह कमी पूरी होगी ऐसा लगता था। मगर नही। ये तो उसके पास जाने के बाद पता चला की मुझे तुम्हारी जरूरत है, वो पूरी नही कर सकता। मेने कही बार तुम्हारे पास आना चाहा मगर क्या करती, मेने एक के बाद एक गलतियां की थी वो माफी के लायक नहीं थी। और तो और में खुद इतनी शर्मिंदा थी की किस मुंह से तुम्हारे पास आऊ। मुझे लगता था की तुम मुझे भूल चुके हो, मगर में गलत थी और रोने लगती है। सूरज कहता है की अब क्या अब सब खत्म हो गया है में चाहु भी तो तुम्हे वापस नहीं ला सकता, तुम्हारी एक बेटी भी है और वो भी तुम्हे यहां आने नही देगा।
क्या सुनिता वापस आयेगी? डेनिम उसे आने देगा? क्या होगा आगे? देखते है। थोड़ा सब्र कीजिए।।
प्लीज मुझे आपकी समहती प्रदान करे।