Sapne - 21 in Hindi Fiction Stories by सीमा बी. books and stories PDF | सपने - (भाग-21)

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सपने - (भाग-21)

सपने........(भाग-21)

आस्था की बात सुन कर बाकी सब भी और पीने के मूड में आ गए......! देर रात तक पार्टी करके सब सोने चले गए......सोफिया भी आस्था के रूम में सोने चली गयी.....कीफी देर तक दोनो नचिकेत के बारे में ही बात करती रहीं.....सोफिया को नचिकेत में आस्था का राइट मैन नजर आ रहा था, पर आस्था अपनी उसी बात पर अड़ी हुई थी कि वो नचिकेत को प्यार नहीं करती...वो उसकी दिल से इज्जत करती है.......! राजशेखर बहुत इमोशनल हो रहा था, श्रीकांत से उसकी अच्छी जमती है.....तो वो उसके ही कमरे में चला गया......"श्री यार आज मैं तेरे रूम में सो जाऊँ"? उसने श्रीकांत से पूछा तो उसने कहा ये भी कोई पूछने की बात है? आ जाओ"! राजशेखर थैंक्यू बोल कर बेड पर लेट गया......"यार श्रीकांत तूने सोफिया को कैसे प्रपोज किया था"? श्रीकांत उसकी बात
सुन कर बोला, "क्या हुआ भाई? आज मेरी लव स्टोरी में क्यों इंट्रेस्ट जाग गया है"? "यार मैं आस्था को प्रपोज करना चाहता हूँ, बहुत दिन से सोच रहा हूँ, मुझे बहुत अच्छी लगती है, बता कैसे करूँ"? श्रीकांत को अपनी बात का जवाब एक चकरा देने वाली बात से मिला। "यार लगता है तुझे चढ़ गयी है, चुप करके सो जा सुबह बात करेंगे जब तू होश में होगा"! "यार श्री मैं होश में हूँ, कल भी यही कहूँगा जो अब कह रहा हूँ। मैं आस्था से प्यार करने लगा हूँ, अब बता मैं उसे कैसे प्रपोज करूँ"? राजशेखर की सुई एक ही बात पर अटकी देख श्रीकांत ने उसे कहा, "ठीक है यार अगर ऐसी ही बात है तो जब आस्था वापिस आएगी तो अपने दिल की बात उसको बोल देना.....अगर वो भी तुझे पसंद करती होगी तो बता देगी"। राजशेखर "करेक्ट बोले तुम", कह कर सो गया.....!
सविता ताई बाहर हॉल में गद्दे पर लेटी सोच रही थी कि सबके पास कोई न कोई है, प्यार करने के लिए , दोस्ती के लिए पर मेरे पास कोई नहीॆ है? बस काम करो और पैसा कमाओ......पता नहीं मेरे दिन कब बदलेगें?
मेरा भी तो सपना है कि मेरी शादी हो, मेरा पति कमाए और मैं अपना घर संभालूँ.....पता
नहीं ये सपना कभी पूरा होगा भी या नहीं? शायद गरीबों को सपने भी नहीॆ देखने चाहिए......फिर अपना गाँव घर आई, बाबा को याद करती करती सो गयी......! नवीन इन सब बातों से दूर राजशेखर के कमरे में सो रहा था, क्योंकि राजशेखर तो श्रीकांत के कमरे में सो रहा था.....वो हमेशा की तरह अपने कामयाबी के सपने देख रहा था और शायद अपने माँ और बहन को खुशी मे सजते सवँरते देख रहा था क्योंकि सोते सोते ही वो मुस्कुरा रहा था.......!! आदित्य हमेशा की तरह अपने कमरे को ठीक से बंद करके और कपडे बदल कर बेड में लेटा था.....वो वैसे भी इतना नहीं पीता था कि होशोहवास खो दे.....!
आदित्य ने कभी नहीं सोचा था कि उसे भविष्य में क्या करना है? उसके पापा ने बिजनेस बना रखा है, उसे संभालना है और कुछ भी ऐसा नहीं था कि जो वो चाहे और वो पा न सके........पर उसे अपने दोस्तों को खुश देखना अच्छा लगता है......!! दिल्ली वाली गर्लफ्रैंड सोनिका आजकल वो किसी और को डेट कर रही है ये आदित्य को उसके एक दोस्त ने बताया तो वो बड़े रिलैक्स मूड में बोला, "सो वॉट यार.....मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता"! आदित्य के ऑफिस में उसकी सारी कलीग्स उसको बहुत पसंद करती हैं यहाँ तक की उसकी बॉस भी......कुछ दिनों से बॉस उसको डिनर पर चलने के लिए कह रही थी या फिर वीकैंड पर कहीं लाँग ड्राइव पर....!
ऐसा नहीं की बॉस सुंदर नहीं थी, वो ब्यूटीफूल तो है ही उसकी ड्रैसिंग सेंस भी बहुत अच्छी है.......अनमैरिड भी है.......पर आदित्य ठहरा बिजनेसमैन का बेटा, जो अपने डैड के साथ कभी ऑफिस भले ही न गया हो, पर अपने खानदान का खून असर दिखाता ही है, वो अपनी पर्सनल लाइफ को ऑफिस से दूर ही रखना पसंद करता है....!
वो मजाक सबसे करता है पर किसी फिमेल का फायदा उठाना नही सीखा......पर उसकी बॉस आदित्य की इस आदत से काफी परेशान है....क्योंकि अब तक जो भी उसे पसंद आया था उनको अपना शिकार बना चुकी थी.....जी सही पढ रहे हैं आप सब....सिर्फ मर्द ही अपने साथ करने वाली महिलाओं का शोषण नहीं करते.....औरतों भी कम नहीं होती......पुरूषों का शारीरिक शोषण करने से गुरेज नहीं करती.....पहले तो ये सुनने में भी सबको अटपटा लगता था और जब आदित्य ने अपने फ्लैट मैटस को ये बात बतायी तो सबने इसे मजाक में ही लिया था।
फिर जब आदित्य ने सबको डाँटा और कहा कि वो मजाक नहीं कर रहा तो सब उसकी बात पर विश्वास कर पाए......।
सुबह सबसे लेट आस्था ही उठी......नवीन उसके उठने का इंतजार कर रहा था....! सविता किसी काम से मार्किट गयी हुई थी।
आस्था फ्रेश हो कर आयी तो नवीन ने उसके लिए चाय बना दी....."आस्था आज भी कहीं जाना है शॉपिंग के लिए या तुम्हारी शॉपिग हो गयी"....? "नहीं यार आज कहीं नहीं जाना सब हो गया, अब शाम को पैकिंग कर लूँगी"। आस्था का जवाब सुनकर नवीन ने कहा, "ठीक है, तुम आराम करो......मैं बोर हो रहा हूँ, थोड़ा नीचे यूँ ही घूम कर आता हूँ, कुछ लाना है तो बता दो"...... "थैंक्स यार, कुछ याद आएगा तो फोन कर दूँगी"! नवीन जाने लगा तो आस्था ने पूछा," तुम ब्रेकफास्ट कर चुके हो"? हाँ, मैंने कर लिया है, तुम्हारे लिए सविता ताई बना कर रख गयी है, वो मार्किट गयी है, थोड़ी देर में आ जाएगी.....इसलिए तुम्हारे उठने का इंतजार कर रहा था".....! आस्था ने नाश्ता तो कर लिया पर उसके दिमाग में नचिकेत की बात ही घूम रही थी और सोच रही थी कि आज नहीं तो कल उसको एक फाइनल जवाब तो देना ही पड़ेगा!
फिर उसे याद आया कि आदित्य को नचिकेत से क्या प्रॉब्लम है, जो रात को उसे नचिकेत की बात सुन कर इतना गुस्सा आ गया, आज शाम को जब आदित्य आएगा तो उससे पूछूँगीं......काफी देर तक उसके दिमाग में वही सब घूमता रहा......सविता के आने के बाद वो नहाने चली गयी.....बाहर निकली तो उसका फोन बज रहा था.......घर से फोन था। काफी देर तक मम्मी से बात करने के बाद आस्था का मूड़ अच्छा हो गया......कल इस वक्त मैं घर पर सबके साथ बातें कर रही होऊँगी सोच कर ही उसका चेहरा खिल उठा। शाम को उसने अपना सारा सामान पैक कर लिया, जो नहीं ले जाना था वो भी एक साइड में पैक करके रख दिया.......!!
क्रमश: