Me and My Feelings - 61 in Hindi Poems by Darshita Babubhai Shah books and stories PDF | में और मेरे अहसास - 61

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में और मेरे अहसास - 61

दिल की बात छिपाये काले अक्षर l
प्यारे रिसते निभाये काले अक्षर ll

जूठा वादा, जूठा दिलासा व् आश l
दिनमे तारे दिखाये काले अक्षर ll

मुहब्बत की वादियों में सहलाने l
मीठे प्यारे गीत गाये काले अक्षर ll
१-८-२०२२

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दोस्तों के साथ बिताये पल याद है l
बीते लम्हे याद करके दिल शाद है ll

यारो से मिलों की दूरी होते हुए भी l
दिल की दुनिया आज भी आबाद है ll

बचपन की प्यारी तस्वीरों देखकर l
सालो से मिरे दिन रात आल्हाद है ll

अ लल्ड मस्ती के ख़ज़ाने संजोये है l
गम से आज़ाद थे और आज़ाद है ll

जिंदगी की साँझ मे साँस चलाने l
यही तो अब जीने के लिए पाद है ll
३-८-२०२२

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खुशी का एक पल काफी है जीवन जीने के लिए l
बहुत होंसला चाहिए गम के अश्क पीने के लिए ll

जीवन कैसे जीए क़ायनात तो भरा पड़ा है दुःखों से l
शांत और लहराता सागर चाहिए सफ़ीने के लिए ll

साजन के लिए लिखा एक तराना है l
रूठे हुए यार को प्यार से मनाना है ll

जिंदगी भागदौड़ मे बीती बाकी का l
जीवन चैन औेर सुकूं से बिताना  है ll

मौत को गले लगाने से पहले सखी l
उलझे हुए रिस्तों को सुलझाना है ll

जिंदगी मे मिला है हमसफ़र तो l
दिलरुबा के लिए गाया अफ़साना  है ll

पूरी जिंदगी अक्खड़ के साथ बिताए l
ये बदलाव को देख चौका ज़माना है ll
५-८-२०२२

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साँसें रुकतीं हैं पर वक़्त रुकता नहीं l
जान निकलती हैं पर वक्त थमता नहीं ll

जिगर को लोहे जैसा बना दिया है कि l
ग़मों के दरिया के आगे झुकता नहीं ll

ज़मीं हुईं बर्फ़ के नीचे सुलाना चाहो तो l
सुलादो जवां खून है बर्फ़ से जमता नहीं ll

कई तूफ़ान झेल चुके है युगों से l
दिल तेज़ सोलो से सुलगता नहीं ll

मुहब्बत मे एसे मंजर आते हैं जहा कवि l
इश्क़ की गहराई तक पहुँचता नहीं ll
६-८-२०२२

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प्यार की रोशनाई में डुबाके लिखा है l
ख़ुद को इश्क़ मे बहाके लिखा है ll

दिल के हाथो मजबूर होकर आज l
भावना ओ बढ़ा चढ़ा के लिखा है ll
७-८-२०२२

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दिनों बाद दोड़ के आया है नामाबर l
साजन का सन्देशा लाया है नामाबर ll

मिलों की दूरी से खैर ख़बर लाने से l
खुशियो का वरदान पाया है नामाबर ll

गाँव गाँव सायकिल पर जाके बड़ों को l
ख़ुद ख़त पढ़कर सुनाता है नामाबर ll
८-८-२०२२

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भाई बहन के अटूट स्नेह का पर्व रक्षाबंधन l
हर्ष और उल्लास का त्यौहार है रक्षाबंधन ll

कच्चे धागे से जुड़ा है मजबूत ये बंधन l
कितनी भी दूरी हो जुड़ा रहता है बंधन ll

खुशियो को दर्द में से ढूँढ निकालो l
हौसलों को गर्द में से ढूँढ निकालो ll

क़ायनात बेवफाओ से भरा पड़ा है l
रहनुमा बेदर्द में से ढूँढ निकालो ll

हिम सा कोहराम छाया हुआ है l
गरमाहट सर्द में से ढूँढ निकालो ll

गर बेपनाह मुहब्बत करते हो तो l
इश्क को पर्द में से ढूँढ निकालो ll

हर कही हरियाली दिखाई देती है l
एक पत्ता ज़र्द में से ढूँढ निकालो ll

रेजा रेजा हो गया है जीवन तो l
सखी हमदर्द में से ढूँढ निकालो ll
९-८-२०२२

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आज छलक रहीं हैं आंखे क़तरा-क़तरा समेट लो l
जाम पे जाम छलक रहा पीकर नशे में झूम लो ll

बहोत कम मिलते हैं एसे लम्हें जिंदगी में जीने के l
जी जान भरके आँचल में खुशियो को लपेट लो ll

अपने कहने को तो सभी मिल जाते हैं जहां में l
ढ़ूढ़ने निकले हैं तो अब अपनों को खोज लो ll

मतलबी लोगों से क़ायनात भरी हुईं हैं सुनो l
दुनिया में रहना है तो दुनियादारी सीख लो ll

मुहब्बत और मुक़द्दस से अरमान पूरा करने और l
सुकून पानेको  दुनिया नहीं दिलों को जीत लो ll
१०-८-२०२२

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वर्षा का मौसम सुहाना लगे l
भीगा मौसम खुशनुमा लगे ll

छलक जाता है मनचाहे तब l
आशिको जैसा दीवाना लगे ll

महफिल मे दोस्तों के साथ l
जाम में डूबा मतवाला लगे ll

हर किसी की प्यास बुझाता l
ख़ुदा की तरह दिलवाला लगे ll

सुन बिजली की गड़गड़ाहट l
सखी सुरीला तराना गले ll
११-८-२०२२

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प्यार में हद से गुजरना पड़ता है l
बादलों जैसे बरसाना पड़ता है ll

गर इश्क़ किया है तो रश्में निभा l
जामसा दिलसे छलकना पड़ता है ll

बात दिलकी हुश्न तक पहुचाने को l
बीजली जैसा गरजना पड़ता है ll

तितलियां जैसी हसीना होती है l
प्रेममें फूल सा महक ना पड़ता है ll

नज़रों का धोखा भी होता है सुनो l
गीर कर ख़ुद ही सभलना  पड़ता है ll
१२-८-२०२२

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जिंदगी जीने का सहारा बनाया है l
बारहा लड़खड़ाने पर संभाला है ll

सखी जुदाई की लंबी लंबी रातों में l
सितारों ने दिल को बहलाया है ll

देश के लिए कुर्बान हुए पुत्र को l
आज माँ की गोद ने सहलाया है ll

प्यास हद से बढ़ गई तब प्यार की l
बारीश ने फिझाओ को नहलाया है ll

कोशिश हर हमेशा कामयाबी देगी l
खुद और खुदा ने यकीन दिलाया है ll
१३-८-२०२२

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दिल भी वतन है जान भी वतन है l
देश प्रेमी के लिए वतन सनम है ll

हसके कुर्बान करनेवाली माँ के l
शहीदों की याद में आंख नम है ll

जान लूटा देगे इज्जत की ख़ातिर l
बुरी नज़र भी करे, किसमें दम है ll

कभी तिरंगा झुकने न देगे, सम्मान से l
हिफाज़त करेगें जो वतन का धन है ll

गुलज़ार हरा भरा छोड़ गये हैं उनको l
कोटि कोटि वंदन है जो आज अदम है l
जय हिंद  
१४-८-२०२२
अदम- परलोक

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तीज त्योहार सब दिखावे के हो गये हैं l
दिलों के फासले सताने के हो गये हैं ll

उम्रभर साथ साथ जीएगे, वो सारे l
प्यार के वादे भी भुलाने के हो गये हैं ll

हुश्न से अंधी मुहब्बत मे मिले हुए l
गम सारे गले लगाने के हो गये हैं ll
१५-८-२०२२

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इश्क करने के लिए जुनून चाहिए l
जिंदगी जीने के भी कानून चाहिए ll

जीने में लाख कठिनाईयां सही l
ज़ज्बा भीतर से मजबूत चाहिए ll

संजोग से मिली हुई चार दिन की l
खुशी के लम्हे को ममनून चाहिए ll

सितारों की गवाही में मिलन की l
सखी चाँदनी रात मगनून चाहिए ll
१६-८-२०२२

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रूह की जुबानी लिख रहीं हूँ l
यादों के साथ पिघल रहीं हूँ ll

बारिस के सुहाने मौसम में l
हवाओ संग मचल रहीं हूँ ll

आज बेइंतिहा और बेपनाह l
प्यार नशे से छलक रहीं हूँ ll

मयूर की मीठी पुकार सुनकर l
पिया मिलन को तड़प रहीं हूँ ll

हर लम्हा खुशी से जी ले l
एक नज़र को तरस रहीं हूँ ll
१७-८-२०२२

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