Series 1
Chapter 2
तीन दिन पहले
"लेट्स गो, अन। मुझे बहुत भूख लगी है।"
एक आदमी की आवाज़ ने अनिका का ध्यान भंग कर दिया।
"क्या लंच टाइम हो गया?" अनिका ने पूछा। उसकी आवाज़ कुछ मदहोश सी लग रही थी जैसे कई घंटो से उसने कुछ बोला नहीं हो। वोह आज सुबह से अपने पेशेंट की फाइलों को अपडेट करने में लगी हुई थी। ताकि दूसरा डॉक्टर उसकी जगह उसके पेशेंट अटेंड कर सके जब वोह छुट्टियों पर जायेगी तब। नाथन मुस्कुरा गया जब उसने अनिका को अपनी उंगलियां स्ट्रेच करते देखा।
"हां। दो बजने वाले हैं। और कैफेटेरिया भी बंद होने वाला है," उस आदमी ने कहा और अनिका की कुर्सी के पीछे आ खड़ा हो गया। वैसे तोह वोह कुर्सी बहुत आरामदायक थी लेकिन इससे अनिका को ज्यादा फायदा नही हो रहा था क्योंकि उसकी कमर बैठे बैठे अकड़ गई थी।
अनिका ने देखा की उसका दोस्त नाथन अब उसके कंधे दबाने लगा है।
"तुम जानती हो की तुम्हे ये टाइपिंग अवॉइड कर सकती हो, डॉक्टर पटेल। शायद तुम्हे इस अचानक छुट्टी पर जाने के बारे में एक बार और सोचना चाहिए या फिर इसे कुछ समय के लिए पोस्टपोन कर देना चाहिए।" नाथन ने उसके कंधे दबाते हुए कहा।
अनिका का कराहने लगी जैसे जैसे उसकी मसल्स हल्की होने लगी नाथन के मसाज से।
"अच्छी कोशिश है, डॉक्टर स्मिथ। मेरी मॉम की तरह बात करना बंद करो।"
"तुम जानती ही डॉक्टर पटेल सही थी। इसमें कोई थ्रिल्ड नही है की तुम अपनी सो कॉल्ड फैमिली से मिलने जा रही हो जिसने तुम्हारे बारे में कभी सोचा नहीं, तुम तक पहुंचने या बात करने की भी कोशिश नही की, तुम्हारे डैड की एक्सीडेंट में डेथ होने के बाद।"
"नाथन प्लीज। मैं यह सब ऑलरेडी मॉम से डिस्कस कर चुकीं हूं। मैं अपना मन बना चुकी हूं जाने का।"
"वैल, तुम अपना यह मन भी बना लो की कम से कम मुझे भी अपने साथ ले चलो।"
"तुम जानते हो मैं तुम्हे अपने साथ नही ले जा सकती, नाथन," अनिका ने शांति से कहा।
नाथन ने सांस भरी। "पता है।"
फिर एक अजीब सी शांति पसर गई दोनो के बीच में। वोह जानती थी की नाथन अपने प्रोपोजल के बारे में सोच रहा है, और उससे भी ज्यादा इंपोर्टेंट की उसने किस तरह उसका मन छोटा कर दिया था।
नाथन उसका बेस्ट फ्रेंड था। वोह दोनो पड़ोसी थे। एक साथ बड़े हुए। एक ही स्कूल में पढ़े, एक साथ ही कॉलेज गए। और फिर एक ही हॉस्पिटल में काम भी करने लगे।
नाथन के अलावा, अनिका के कुछ ही और कॉलेज के दोस्त थे जिनके साथ वोह कभी कभी एंजॉय के लिए बाहर जाया करती थी, एस अ डॉक्टर अपना स्ट्रेस कम करने के लिए। ऐसा नहीं था की अनिका को फ्रेंड्स बनाना पसंद नही था बल्कि वोह इतना आसानी से दोस्त बना ही नही पाती थी।
जब तक वोह बारह साल की नही हो गई थी, उसे हकलाने की समस्या थी। उसके स्कूल और घर के आस पास के बच्चे उसके हकलाने का मज़ाक उड़ाया करते थे या फिर दया दिखाया करते थे। जब उसने पूरी तरीके से इस समस्या को दूर कर लिया था तब भी उसे लोगों के सामने अकेला महसूस होता था। सिर्फ नाथन ही इकलौता लड़का था जो उसे नॉर्मली ट्रीट करता था और उसे अपना दोस्त समझता था। नाथन एक फ्लर्टी टाइप का रोमांटिक लड़का था जिसकी जिंदगी में गर्लफ्रेंड का आना जाना लगा रहता था, पर कोई भी लड़की अब तक उसका अटेंशन लंबे समय तक नही खीच पाई थी। यह बिल्कुल सरप्राइज़ वाली बात थी जब एक शाम उसने अनिका को प्रपोज कर दिया था, उसे एक रूफटॉप रेस्टोरेंट में बुला कर डिनर करने के बाद।
"आई लव यू, डॉक्टर अनिका पटेल। विल यू मैरी में?"
अनिका तोह एक दम दंग ही रह गई थी सुनकर क्योंकि उस रात से पहले कभी भी वोह दोनो डेट पर नही गए थे।
"नाथन आई... आई कांट। आई कांट मैरी यू।"
नाथन का तोह मुंह ही उतार गया था।
"आई लव यू नाथन। बट....नॉट लाइक दैट।"
नाथन ने अपना सिर हिला दिया और जबरदस्ती मुस्कुरा दिया।
"आई नो। मैने सोचा की कितना फनी होगा ना की तुम किस तरह से रिएक्ट करोगी।"
वोह दोनो ही जानते थे की यह कोई मज़ाक नहीं था। वोह कोशिश करने लगी अपनी पुरानी दोस्ती में वापसी आने की लेकिन उस रात की याद अभी भी उनके जेहन में थी। तबसे अब तक, अनिक ने यह ठान लिया था की वोह ऐसा कोई मौका नाथन को नही देगी की उसे कोई गलातफेमी हो जाए क्योंकि फिर से उसे वोह निराश नही करना चाहती थी।
"डैमइट! लेट्स गो! वोह जल्द ही कैफे बंद कर देंगे।" नाथन ने अपनी घड़ी देखते हुए जलबाज़ी करते हुए कहा।
अनिक ने अपना बैग उठाया और उसके पीछे चल पड़ी।
"तोह आज तुम क्या खाना चाहती हो?" नाथन ने अनिका से पूछा। वोह अपने हॉस्पिटल के बड़े से कैफेटेरिया में पहुंच चुके थे जो की इस वक्त ऑलमोस्ट खाली पड़ा था क्योंकि वोह बंद होने वाला था।
"सुशी काउंटर अभी भी खुला है। चलो वही खाते हैं।" वोह दोनो पेमेंट कर के अपनी चेयर पर बैठ गए थे खिड़की के पास और बाहर देखने लगे थे जहां से उन्हें बे ब्रिज दिखाई पड़ रहा था।
"ओह ग्रेट," नाथन बड़बड़ाया। वोह दोनो ने खाना शुरू कर दिया था।
"व्हाट?"
"वोह...वोह डरावना सा आदमी। वोह फिर से यहां है और तुम्हे घूर रहा है।"
"हुंह?" अनिका ने हल्का सा अपने शरीर को घुमा कर देखा। एक लंबा चौड़ा आदमी उनके पीछे बैठा था। वापिस मुड़ कर, उसने अपना सिर झटका।
"यह कोई मज़ाक नहीं है, अन्न। यह आदमी हर जगह पहुंच जाता है जहां भी हम जाते हैं। तुम्हे मुझे इससे बात करने देना चाहिए। मैं अपने तरीके से इसे देखता।"
"तुम ज्यादा सोच रहे हो इस बारे में, नाथन। यह कोई रैंडम सा आदमी है जो शायद यहां काम करता हो या फिर काफी हाउस में अपनी शिफ्ट करता हो या फिर कहीं और यहीं आस पास। बस ऐसा होगा की हम भी वहीं पहुंच जाते होंगे जहां यह पहले से ही होता हो। इसे काइंसिडेंस कहते हैं।"
नाथन फिर बड़बड़ाया। "शायद! पर वोह तुम्हे इतना घूर रहा है यह कोई काइंसिडेंस नही है।"
"तुम यह कहना चाह रहे हो की वोह आदमी मुझे घूर रहा है यह अजीब बात है? अनिका ने बनावटी गुस्से से पूछा।
नाथन मुस्कुरा दिया। "नही। वोह आदमी तुम्हे घूर रहा है और कुछ कर नही रहा है....यह अजीब है। वोह बस तुम पर नज़र रखे हुए है हर समय।"
हम्मम जब वोह मुझे जान जाएगा, तोह खुद ब खुद भाग जायेगा।
"शायद वोह थोड़ा शर्मिला हो," अनिका ने बुदबुदाते हुए कहा क्योंकि सुशी का एक पीस उसने अपने मुंह में डाल लिया था और वोह खाते खाते बोल रही थी।
"शर्मिला? अपने शरीर पर इतने सारे और अजीब से टैटू और पियर्सिंग के साथ? लग तोह नही रहा।"
"है, डोंट जज," अनिका ने कहा। एनीवे, उसे भूल जाओ। आर यू श्योर तुम मेरे साथ एयरपोर्ट चलना चाहते हो? मेरी फ्लाइट अर्ली मॉर्निंग की है। मैं कैब लेकर जा सकती हूं।"
"मैं तुम्हे लेकर चल रहा हूं ना एयरपोर्ट। अब इस बारे में कोई बात नही होगी।"
अनिक उसके चिल्लाने से हस पड़ी। "ऑल राइट।"
अपना लंच खतम करते करते वोह बहुत सारी बातें करने लगे, उन्होंने अपने काम से रिलेटेड बातें की। जब वोह वहां से जाने वाले थे तोह उसने पलट कर उस टैटू वाले आदमी की तरफ देखा, वोह अभी भी उसे घूर रहा था। अनिका उसको देख कर मुस्कुरा गई।
लेकिन उस आदमी ने पलट कर उसकी तरफ नही मुस्कुराया बल्कि वैसे ही उसे घूरता रहा।
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ऑलमोस्ट सात बज गए थे जब तक अनिका हॉस्पिटल से अपने घर पहुंची। अपने घर का दरवाज़ा खोलने के बाद उसने अपनी कार की चाभी को वहीं पास में रखे हुए एक बॉक्स में डाल दी। फिर वोह बेडरूम की तरफ चल पड़ी। वोह इतनी थकी हुई थी की औंधे मुंह बैड पर जा कर लेट गई। अभी कुछ सेकंड्स ही गुजरे थे की उसे अपनी लैंडलाइन की स्क्रीन पर लाइट ब्लिंक होती दिखी। लैंडलाइन की स्क्रीन पर लाइट तब ही बार बार फ्लैश होती थी जब कोई फोन मैसेज आता था।
कराहते हुए वोह उठ बैठी। फिर अपनी वॉर्डरोब के पास से अपना पैक किया हुआ सूटकेस साइड कर उसने वॉर्डरोब से एक नाइट सूट निकाला और अपने सेल फोन से एक नंबर डायल कर दिया। वोह बैड पर बैठ गई, फोन की घंटी बाजी जा रही थी पर कोई फोन नही उठा रहा था दूसरी साइड से।
"अनिका! कहां हो तुम? मैं सुबह से तुम्हे फोन मिला रही हूं!" दूसरी तरफ से फोन उठा लिया गया।
"हाई मॉम! मैं हॉस्पिटल में थी। राउंड पर गई थी, अपना काम खतम किया और बहुत सारी चीज़ें मुझे करनी थी कल सुबह जाने से पहले।"
उसकी मॉम ने हताशा भरी आह भरी। "मैं जानती हु, पर सीरियसली, कुक तुम दुबारा नहीं सोच सकती इस बारे में? या फिर मेरे और तुम्हारे डैड के क्रूज़ से वापिस आने तक का वेट कर लो?"
"इट्स ओके मॉम। मैं मायरा के छुट्टियों पर घर आने से पहले वापिस आ जाऊंगी।"
"फाइन।" उसकी मॉम ने अनिच्छा से कहा। "पर मुझे फोन करती रहना, या कम से कम मैसेज सेंड कर देना। मैं उसे चैक कर लूंगी जब पोर्ट पर पहुंच जाऊंगी।"
"आई विल, मॉम।"
उन दोनो ने कुछ देर और बातें की फिर उसके बाद अनिका के डैड ने अनिका मॉम से फोन ले लिया।
"कितनी सारी अच्छी अच्छी जगह है घूमने के लिए, तुम्हे उनमें से एक को चुन लेना चाहिए। वोह सुरक्षित भी है, और कम समय में तुम ज्यादा से ज्यादा एक्सप्लोर कर पाओगी।"
"हां! डैड मेरे पास काफी छुट्टियां हैं, पर मैं नही जा सकती। मुझे दो महीनो में वापिस आना ही होगा।"
"ऑल राइट, किडडो। हैव अ सेफ एंड ग्रेट जर्नी। और जब भी जरूरत पड़े हमे फोन कर देना।"
"यप! और आप दोनो भी अपनी छुट्टियां खूब एंजॉय कीजिएगा। लव यू।" अनिका ने कॉल कट करी और एक लंबी सांस भरी।
वोह बहुत बुरी तरह से थक चुकी थी क्योंकि वोह बैक टू बैक कई सारी शिफ्ट कर रही थी पिछले दो हफ्तों से। वोह बैड से उठी और बाथरूम की तरफ चली गई। उसने हॉट शावर बाथ लिया और अपनी अकड़ी हुई मसल्स रिलैक्स करने लगी।
उसकी मॉम के आखरी शब्द बार बार उसके कानों में गूंज रहे थे। "तुम क्यों जाना चाहती हो? उन्होंने कभी भी तुम्हारी और मेरी परवाह नही की तुम्हारे पापा के एक्सीडेंट में मौत के बाद।"
उसे वोह दिन याद आया जब उसे एक अनपेक्षित कॉल आया। "तुम्हारे दादाजी मर रहें हैं। उनकी आखरी इच्छा है तुमसे मिलने की। प्लीज.....उन्हे निराश मत करना।"
उसकी आंट, जो की उसके पापा की बहन है, उन्होंने उसे फोन कर इल्तज़ा की थी। आम तौर पर वोह कभी भी अपना सारा काम छोड़ कर ऐसे अपने किसी रिश्तेदार से मिलने नही जाती, जिनसे वोह कभी मिली ही नही थी। पर बाद में, वोह अपने आप को बेरहम समझने लगी। वोह उत्सुक और बेचैन होने लगी थी जबकि उसकी जिंदगी में, करियर में सब कुछ ठीक और अच्छा चल रहा था।
जबकि उसके सौतेले पिता बहुत ही अच्छे थे और उसे बिलकुल अपनी बेटी की तरह ही प्यार करते थे और उसकी सौतेली बहन, मायरा, वोह भी उसकी अपनी बहन की तरह ही थी, वोह उससे बहुत प्यार करती थी, लेकिन फिर भी अनिका को अपने अंदर एक अजीब सा खालीपन महसूस होता था। इस खालीपन की वजह से अनिका अजीब अजीब हरकते करती थी। शायद किसी दिन वोह नाथन से भी शादी करने को हां कर देती और अपनी नई जिंदगी शुरू कर देती, अपनों को महसूस करने के लिए, अपने खालीपन को दूर करने के लिए।
इसी अजीब हरकतों ने उसे उसके इंडिया के रिश्तेदारों से मिलने के लिए प्लान बनाने पर मजबूर कर दिया। उसने सोचा की अपने रिश्तेदारों से मिल कर और अपनी जड़ों के बारे में और जान कर उसे अच्छा महसूस होगा और वोह अपीस आ के फिर से अपने काम में मन लगा पाएगी।
"ऑल राइट इंडिया, मैं आ रही हूं।" अनिका ने खुद से कहा।
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कहानी अभी जारी है..
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