यह गुफ़ा नही बल्कि पर्वत के अंदर कोई छोटा पर समृद्ध शहर के समान बनाया गया गाँव था । इसके अंदर कई पर्वतों से सफर करने वाले मुसाफ़िर रुके हुए थे । अब राका एक विशालकाय हॉल जैसे पुराने हवेली के अंदर चला गया था । रवि करण के साथ सभी लोगो को अन्य दूसरे कमरों में ले जाया गया था जहां महिलाओं के लिए अलग विशेष कमरा भी था । काफी देर बाद राका वापस आया उसके चेहरे पर खुशी झलक रही थी । उसने आते ही सबको बताया कि इस गुफ़ा में जो यहां के मुख्य रक्षक है उनके गुरुने हमे रुकने के किए हा कह दिया है और इसके आगे भी कल सुबह वह चुड़ैल के महल तक हमें रास्ता दिखाने के लिए उनके एक सन्देश वाहक को भी साथ भेजने वाले है ।
रात का खाना खाकर सब अभी नीद में थे गुफ़ा का मुख्य दरवाजा बंद हो चुका था ।और गुफ़ा के बाहर रात भर आंधिया शुरू हो गई थी । ऐसा लगता था कि मानो रात में कोई है जिसे पता है कि यहां कोई छुपा है पर वह ढूंढ नही पा रहा था इसकी झल्लाहट ही आंधी तूफान बनकर सामने थी ।
सुबह के 4 बज गए थे सभी सर्प सैनिक तैयार हो गए थे पर रवि और करण अभी भी मस्त नीद में थे अचानक उनकी आँखें खुली और अपने आसपास देखने के बाद हड़बड़ा गए कि इतनी जल्दी ये सब तैयार हो गए थे । कैसे पेट साफ किया या नही ,कब नहाए..जैसे विचार करते हुए दोनों तैयार होने लगे थे ।
जल्द सभी गुफ़ा से बाहर निकल आये और वह विशाल काय हाथी जैसे दिखने वाला पहरेदार कुत्ता अब भी छोटा दिखाई दे रहा था इस सबको प्यार से पूछ हिलाते हुए विदा कर रहा था । जैसे जैसे यह लोग उस गुफ़ा से आगे संदेश वाहक के पीछे बढ़ते गए वैसे - वैसे गुफ़ा छोटी और वह कुत्ता बड़ा दिखाई देने लगा और एक पल वह भी आया कि गुफा का दिखना बंद हो गया था । सभी लोग अब सुबह सूरज उगते समय पर्वतों की चोटी पर थे और वहां से कई मिल की ऊँचाई के ऊपर से आगे के पहाड़ो में हरे भरे जंगल ,सुंदर फूलो के बागीचों में एक चमचमाता महल देखने लगते है । इतने दूर से भी यह महल साफ और बड़ा आकर्षक ,मनमोहक दिखाई दे रहा था वहाँ खड़े सबके ही मन मे वहां जाने की तीव्र इच्छा थी सिवाय उस संदेश वाहक के ।
सूर्यनगर में अब व्यपारियो के द्वारा बताए गए लोगों में जगदीश की टीम के लोगो को सेनिको ने पकड़ लिया था उन्हें रानी के सामने हाजिर किया जा रहा था । इस समय रानी के महल के दरबार मे सैनिक जगदीश और उसके आदमी को बंधक बनाकर खड़ा किया गया था और रानी अपने सिहासन पर बैठ कर इन सबके कपड़े बोलने के अंदाज और जूते सब को गौर से देख रही थी । दरबार मे एक सैनिक ने अपने हाथों से तालिया बजाई और दूसरा चार सैनिक हाथों में जगदीश का सामान को उठाकर रानी के सामने रखकर खड़े हो गए । उसके बाद जिस सैनिक ने तालिया बजाई थी जिसने रानी को इस समान में जो लेटेस्ट हथियार थे कपड़े और कई सोने को ढूढ़ने वाले यंत्रो की तरफ इशारा कर बोलना शुरू किया ।
सैनिक
ये देखिए...इनके पास अजीब से यंत्र है और कुछ तो ऐसे चमड़े के बने है जिसे हमने आज तक नही देखा..यह लोग जरूर जादूगर है जो हमारे राज्य में घुसपैठ करने की कोशिश कर रहे थे ..।
उसकी बातों को गौर से सुनकर महारानी ने कहा ।
महारानी
हमे वो सभी यंत्र दिखाए जाए..।
महारानी के आदेश के बाद एक सैनिक आगे आया और एक एक कर बैग खोलने लगा जिसमे मशीन गन ,बन्दूक,और दूरबीन के साथ ही सेटेलाईट फोन ,सोना ढूढ़ने वाले मशीन बड़े बड़े लेटेस्ट चाकू ,लिखने के लिए पेन ,दिशा बताने वाला मैग्नेटिक घड़ी महारानी के सामने दिखाने लगा पर उसे खुद नही पता चल रहा था कि यह सब क्या काम करते है । वह मशीन गन को भी उल्टा सीधा कर पकड़ कर दिखा रहा था ।महारानी भी बड़े आश्चर्य से उन्हें देख रही थी कुछ देर बाद यू ही देखने दिखाने का सिलसिला चलता रहा और रानी ने जगदीश की तरफ देख कर पूछा।
महारानी
- तुम इनके सरदार हो तो तो तुम ही बताओ यह सब क्या है और तुम लोग कहां से आए हो इस तरह के यंत्र और सामान तो मैंने पहले कभी देखे नहीं और हमारे सैनिकों ने भी यह बताया है कि तुम और तुम्हारे यह लोग हमारे राज्य में घुसपैठ कर रहे थे।
रानी की बात सुनकर जगदीश बोलने लगा -
जगदीश
महारानी मेरा नाम जगदीश है और मैं यहां आपके राज्य में घुसपैठ करने नहीं आया । मैं 2021 से यहां पर आया हूं।
अब उसकी बात काटकर वही साइट पर खड़ा सैनिक बोल पड़ा -
सैनिक
तुम्हारा नाम तो बड़ा ही अजीब है.. ऐसे नाम कैसे रख सकते हो यह तो बहुत बड़ा पाप है.. किस देश से आए हो और किस राज्य से तुम व्यापार करते हो ..कहीं तुम हमारे विरोधियों के साथ तो नहीं । जो हम पर तुम्हें भेज कर हमारे राज्य के भेद खोलने के लिए और हम पर आक्रमण के लिए तैयारी तो नहीं कर रहे हैं ना ?अगर ऐसा है तो सावधान हो जाओ तुम में से एक भी जिंदा यहां से वापस नहीं जा पाएगा..। भलाई इसी में है कि सच सच हमें बताओ.. कि तुम किस राज्य से किस देश से और किस राजा के कहने से यहां पर आए हो। वरना अपनी जान देने के लिए तैयार हो जाओ..।
मामले की गंभीरता को देखते हुए जगदीश का दिमाग तेज चलने लगा उसने तुरंत ही पलट कर महारानी से हाथ जोड़कर नीचे झुककर कहना शुरू कर दिया ।
जगदीश
-हम पर रहम करे महारानी.. हम यहां के नहीं हैं हम भविष्य से आए हैं.. दो हजार इक्कीस वीं शताब्दी से हम यहां पर आए हैं और हम आपको कोई भी नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते हम तो आपके दोस्त बनना चाहते हैं ..हम आपके साथ मित्रता का हाथ बढ़ाना चाहते हैं ।
जब जगदीश यह सारी बातें महारानी से कर रहा था तभी वहां पर जो सैनिक जगदीश का सामान लाया था। वह सैनीक मशीन गन का ट्रिगर उसके हाथ से दब जाता है और इसके बाद मशीनगन से गोलियों की बौछार महल के दरबार की छत को छलनी कर देती है जिससे पूरे महल में अफरा तफरी का माहौल डर का माहौल बन जाता है।
महारानी के सैनिक महारानी को घेर लेते हैं और जगदीश और उसके लोगों पर अपनी तलवारे और भले उठाकर उन्हें मारने के लिए आगे बढ़ने लगते हैं । सभी सैनिक हमले की पोजीशन पर आ जाते हैं और जगदीश के लोगों पर हमला कर देते हैं इस मौके पर जगदीश अपनी जान बचाने के लिए अपने सामान के अंदर पड़ी मशीन गन तथा गन पर को उठा लेता है तथा अपने हाथ में गन लेकर आगे आने वाले दो , तीन सैनिकों के ऊपर लगातार फायर कर देता है बंदूक से निकली गोली के बाद कूदकर आने वाले तीनों सैनी घायल होकर अपनी जगह पर गिर जाते हैं । थोड़ी देर के बाद उनकी मौत हो जाती है जिसे देखकर सभी सैनिक अपनी जगह पर रुक जाते हैं उन्हें लगता है कि यह कोई जादू या चमत्कार है जिससे किसी चीज को किसी के सामने लहराते ही उसके अंदर से आग का गोला निकला और सैनिकों की मौत हो गई क्योंकि सैनिकों को अभी तक मशीन गन या बंदूक क्या होती है इसके बारे में पता ही नहीं था । इस काल में अभी तक इसका आविष्कार ही नहीं हुआ था । अब सैनिक और भी सतर्क हो गए पर इस समय जगदीश ने चालाकी की वह महारानी के सामने फिर से झुक गया और महारानी को फिर से झुक कर रहम की भीख मांगी और बार-बार ।
वहा के सैनिक आगे बढ़ते रहे थे फिर भी जगदीश महारानी से अपने दोस्ती की बात कर रहा था और जैसे ही सैनिक उसके काफी नजदीक पहुंच गए तब वह जगदीश को मारने ही वाले थे पर इसके पहले वह उन्हें मारते महारानी उन्हें रोक दिया ।
अब महारानी जगदीश के पास आकर उसे कहती है
महरानी
भले तुम भविष्य से आए हो पर हमें कैसे विश्वास करें कि तुम हमारे दोस्त बनने के लायक हो या हमसे मित्रता करने के लायक हो अगर तुम्हें अपनी सच्चाई को साबित करना है तो अपने किसी एक साथी को हमारे सामने इस यंत्र से ठीक उसी तरह से प्रहार करो जिस तरीके से अभी हमारे सैनिकों को तुमने मारा है।
जगदीश क्या करता यहां जान बचाना भी उसे जरूरी था और इस महारानी का साथ अगर मिल जाए तो जगदीश खजाने को ढूंढ सकता था यह उसे अच्छे से पता था इसलिए जगदीश ने बिना सोचे समझे अपने 2 लोगों पर गन तान दी और लगातार एक एक राउंड फायर कर दिए इन फायर के बाद जगदीश के दोनों लोग जमीन पर गिर पड़े वह बेहोश हो गए थे । पर मरे मरे नहीं थे क्योंकि जगदीश और जगदीश के सभी लोगों ने पहले ही बुलेट प्रूफ जैकेट पहन रखे थे जो अब महारानी को भी नहीं पता था और यहां पर सैनिकों को भी नहीं पता था । जगदीश की इस हरकत ने महारानी का विश्वास जगदीश पर बिठा दिया अब महारानी जगदीश के पास आई अपने सिहासन से उतर कर और जगदीश से सवाल करने लगी ।
महरानी
यह जो भी हथियार है जिसे अभी-अभी जगदीश ने चलाया है वह क्या है ?और उसे कैसे चलाया जाता है महारानी काफी जिज्ञासु थी उसने सभी यंत्र को देखते हुए जगदीश से पूछा-
.. क्या तुम यह सभी यंत्र चलाना मुझे बता सकते हो या मेरे सैनिकों को सीखा सकते हो ?..हम भी इसी प्रकार के यंत्र बनाएंगे ? और अपने दुश्मनों को घुटने पर टिका सकते हैं यह यंत्र काफी कारगर है ..और चमत्कारी भी..।
महारानी की बात सुनकर जगदीश अपने घुटने पर बैठकर महारानी को कहने लगा ।
जगदीश
बिल्कुल महारानी जी यह यंत्र मैं आपके लिए इस्तेमाल कर सकता हूं और आपको इस यंत्र के बारे में जानकारी भी दे सकता हूं ...बस मेरी एक शर्त है ।
जगदीश की शर्त वाली बात सुनकर महारानी जगदीश की तरफ देखती है और कहती है ।
महारानी
बताओ क्या शर्त है हम किसी भी भी मूल्य पर इस चमत्कारी यंत्र को पाने के लिए सभी शर्त को मंजूर करेंगे ।
जगदीश रानी को देखकर फिर से कहता है ।
जगदीश
महारानी जी मेरी सिर्फ एक शर्त है ।
महारानी जगदीश की बात सुनकर उसे कहती है
बताओ अपनी शर्त क्या है ..।
जगदीश महारानी के सामने बैठे हुए ही अपनी शर्त बताता है।
वह कहता है यहां के लाल पहाड़ों के बीच एक खजाना है जिसे देवताओं का खजाना कहा जाता है मुझे उस खजाने के रास्ते की जानकारी चाहिए ।
महारानी उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगती है और उससे कहती है ।
महारानी
- तुम्हें इस खजाने के रास्ते की जानकारी मिल जाएगी पर पहले हम तुम पर विश्वास तो पूरी तरह कर ले.. और तुम यह चमत्कारी यंत्र के बारे में हमें जानकारी दो । जब हमारी मित्रता एक दूसरे पर विश्वास करने लायक बन जाएगी उसके बाद ही हम तुम्हें स्वयं ही देवताओं के द्वारा छुपाए गए इस खजाने के रास्ते को भी दिखा देंगे..।
…….
राका अब पर्वतों के सफर को पार कर रहा था करण और रवि भी साथ मे उन्हें सर्प सैनिक लगातार सन्देशवाहक के साथ आगे ले चले जा रहे थे । सूरज अब ढलने वाला था और संदेशवाहक अब सबको जल्दी चलने का इशारा कर रहा था । यह चुड़ैल का महल के सीमा का वह हिस्सा था जहां रात ढलते ही मौत का नंगा नाच होता था । जो चलते समय यहां मानव कंकाल के साथ ही सर्प प्रजाति के नागालोग के भी आधे इंसान आधे सर्पो के कंकालों से समझ आ रहा था । भुरभुरी मिट्टी पर हल्की घासों में पड़े कई कंकाल मानो यह चुपचाप समझा रहे है कि कितनी मुश्किल और आगे इंतजार कर रही है ।
चलते हुए काफी समय हो गया था पर अब एक बडी चटान के पास पहुचकर संदेश वाहक वह व्यक्ति रुक गया । और राका के पास आकर उससे कहने लगा ।
संदेश वाहक-
सरदार अब यहां से आगे मेरा वश नही मुझे यही तक आपके साथ के लिए भेजा गया है ..मै इसके आगे नही आ सकता।आगे आपको ही स्वंय महल तक जाना होगा ।
उसकी बात सुनकर राका कहता है।
राका
ठीक है हमलोगों को यहां तक पहुँचाने के लिए शुक्रिया..बस एक और बात कहना चाहूंगा कि क्या इस चुड़ैल की कोई ऐसी कमी है जिससे हम उसको वश में कर सके ।
संदेशवाहक
हा.. जब दिन और रात मिलते है तब यह सम्भव है कि आप उसके बाल का कोई भी हिस्सा काट ले..वह अपने बालों के लिए आपके किसी भी काम के लिए तैयार हो जाएगी...पर काम होने के बाद पुनः वह चुड़ैल हमला कर मार भी सकती है ..
राका
हम्म हमने कई लोगो को खोया है इस चुड़ैल को अपने काम करने के लिए वश में करने के लिए...।
संदेशवाहक
हम्म..इस लिए पहले वचन ले लेना उसके प्रेमी के नाम से ..।
और इतना कहते हुए वह संदेशवाहक व्यक्ति अपने जगह पर ही एक छोटी मधुमक्खी बन गया और थोड़ी देर भिनभिना कर वापस आसमान में उड़ गया।
यह सब देख करण, रवि हैरान थे अब तक सब इनके साथ यही हो रहा थावे पर अब उन्हें भी आदत होने लगीं थोड़े पालो के हैरानी के बाद दोनों ने नाटा और नैनी को देखा तो वह भी राका को देखने लगी थी ।अब राका ने सबको आगे बढ़ने का ईशारा किया और फिर सर्प सैनिक आगे बढ़ने लगे ।