Indian couple - 3 in Hindi Love Stories by PARIKH MAULIK books and stories PDF | इंडियन कपल - 3

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इंडियन कपल - 3

Volume 3



अब उनके साथ पार्क मे जो हुआ वह तो आप जानते ही हैं वह सब कुछ गवाह बेठे थे। अब देखते हैं आगे सूरज बताता है।

उन लोगों के जाने के बाद मेंने खुद को सम्भाला और हिम्मत करके खड़ा हो गया और अपनी पत्नी को भी खड़ी किया हम दोनों पार्क से बाहिर निकल कर, वहा के लोगों से मदद मांगने लगते हुए सबसे कहते थे, कि हमारे साथ कुछ लोगों ने ये हाल किया है। मगर कोई हमको समज ही नहीं पाता था, ब्लकि हमको धकेल कर आगे भेज देते हैं। तभी वहा दो पुलिस अधिकारी आ पहुचते है। नसीब हमारा की उन मे से एक पुलिस अधिकारी को हिन्दी समज आती थी, तो हम ने उनको सब बताया और वो हमारी बातों को सुन कर एक रिपोर्ट तैय्यार कर के उस रिपोर्ट को आगे भेज दिया, हमको हमारे हाल पर छोड़ कर जाने लगे, तभी हम वह से चलते हुए होटल तक पहुँचे पर होटल की चाबी भी नहीं होने की वज़ह से, हमको गार्ड वहा से निकाल ने लगे, हम अपना समय वहीं पर पड़े बेंच पर पूरी रात निकालते हैं। सुबह होने पर मेंने आसपास की दुकानों में खाना मांगने लगा पर वहा हमको कोई खाना नहीं देता। सब धकेल देते थे। थोड़ी दूर एक कॉफी शॉप पर गया, उस दुकान का मालिक एक बुढ़ा इंसान था। वह हमको थोड़ी देर रुकने का कह कर ग्राहक को सम्भाल ने लगा, यह सब देख कर मेंने उनकी थोड़ी मदद करने के बहाने एक ग्राहक को एक सैंडविच बना कर दिया। और तभी वह बुढ़ा दुकानदार मुजे पाउ और चाय खाने को देता है तो मेंने बाहिर खड़ी अपनी पत्नी को जाकर दिया और दोनों साथ मे खा रहे थे, कि तभी वह ग्राहक एक ओर सैंडविच की मांग करता है। दुकानदार उसे सैंडविच बना कर देते हैं। ग्राहक उसे जेसे ही मुंह में रखता है। की तुरंत वह ग्राहक वापस आता है ओर कहता है, कि अभी इससे पहले दिया था, बिल्कुल उस जेसा दो ये सुनकर वह कहता है कि ये वहीं है। पर ग्राहक ये मानने को तैय्यार नहीं था, और वह दुकानदार को बताता है कि तुमने नहीं दिया था। यहा कोई और था। उसने दिया था। यह सुनकर दुकानदार सोचने लगता है, कि मेरे अलावा तो यहा कोई नहीं है तो फिर इसको सैंडविच किसने दिया? यही उस ग्राहक की नजर मुझपर आती है। और वह दुकानदार को बताता है, उस आदमी ने बनाकर दिया था। ये सुनकर उस दुकानदार के मनमें कई प्रश्न उत्पन होने लगे। कि ये कोन है? और यहा केसे है? इसे इतना अच्छा सैंडविच केसे बनाना आता है? ये सब सोच रहा था, तभी वह बाहिर बेठे मुझको बुलाता है। मेंने आकार उस ग्राहक को सैंडविच बनाकर दिया और थोड़ी देर बाद जब वह पैसे देने के लिए आया तो मेंने दुकानदार से पूछा कि कितना पैसा हुआ तब वह मुजे साठ डॉलर बताता है, मगर मे उस ग्राहक को नब्बे डॉलर बताया। ये सुन कर वह ग्राहक दुकानदार से कहता है, ये कुछ ज्यादा है। तब मेंने उसे कहा कि यह इस शॉप की स्पेशियल चीज़ है। ये सुनकर दुकानदार भी कुछ नहीं कहा और हा मे सिर हिलाता है। ग्राहक पैसे दे कर चले जाता है। पर दुकानदार मुजे पूछता है, ये केसे बनाया? और उसमे क्या डाला था तुमने! जो उसे इतना पसंद आया था? तब मेंने उसे बताया कि मेंने एसा कुछ नहीं मिलाया। यहा पर रखा है! वहीं इस्तमाल किया है, ये सुनकर वह अपने और मेरे के बनाए दोनों सैंडविच का टेस्ट करता है। उस बूढे दुकानदार को सैंडविच इतना पसंद आया कि वह मुजे काम करने के लिए रखने की बात करने लगा और पूछा कि कि तुम कोन हो ? और यहा केसे पहुचे? तब मेंने उसे अपने बारे में बताते हुए कहा कि मे इन्डिया का रहने वाला हू, मेरी इन्डिया मे बेकरी की शॉप है, इसलिए मुजे बेकरी का सब कुछ काम आता है,मेरी नयी शादी हुई है और हम यहा गुम ने के लिए आए थे।

परसों शाम को हम नदी किनारे पार्क में बेठे हुए थे, वहा कुछ आवारा लोग आ पहुचे, उन्होंने हमारे पर्स और हमारी सारी चीजे ले ली है और तब से लेकर अब तक हम रोड पर लाचार हो कर सब से मदद मांगते फिर रहे हैं। ये सब सुन कर वह सोच कर दुकानदार उनसे कहता है तुमने पुलिस को खबर दी है? तब मेंने बोला हाँ।

यहा दुकानदार को जरूरत होने की वज़ह से मुजे वहा रुकने का कहा वहीं काम करने की वज़ह से मुजे और मेरी पत्नी को दो वक़्त का खाना तो मिलाता था! पर पासपोर्ट नहीं होने की वज़ह से हम वापस नहीं आ सकते थे। एसे ही कुछ दिन गुजरने पर हमारा समय खत्म हो चुका था, तकरीबन एक महीना बीत चुका था और हमारे वापस जाने की तारीख आ चुकी थी। अब तक पासपोर्ट ना मिलने के कारण हम वापस पुलिस को खबर करते हैं , एसे ही कुछ दिन बीत जाने के बाद पुलिस हमको ढूंढती हुई वहा पहुंचीं और हमको हमारे पासपोर्ट और कुछ सामन दिया मगर टिकिट की तारीख खत्म हो जाने की वज़ह से हम वापस नहीं जा सकता था। और हमारे पास उतने पैसे भी नहीं थे कि हम दुसरी टिकिट खरीद सकते थे। अपनी परिस्थितियों का वर्णन करते हुए दुकानदार से मदद मांगी पर इतने दिन काम करने की वज़ह से उसे ये लगने लगा कि हमारे जाने पर उनकी दुकान बंद हो सकती है, इस लिए वह हमको यहा रोकना चाहता था। वह मुझको को बताता है कि तुम यही रुक जाओ अब मे कुछ कर भी नहीं सकता था।


और ये सब सुन रही उसकी दोस्त जेनी कहती है कि तुम्हारी पत्नी का नाम क्या है? और तुम्हारी पत्नी कहा है? वह दिखाई नहीं दे रही है?
ये सुन कर वह कुछ बोल नहीं पता चुप हो जाता है थोड़ी देर के लिए पूरे रूम मे शांति ही शांति हो जाती है।
और तभी जेनी गेस्ट करते हुए कहती हैं, कि तो फिर तबसे तुम यहा रह गए और उस दुकानदार की शॉप को अपना बना कर रहने लगे हैं ना?

की तुरंत उसने कहा कि नहीं एसा बिल्कुल भी नहीं हुआ था, ब्लकि उससे विपरित ही हुआ था।

अब क्या हुआ था, ये मे अगले भाग मे वर्णन करूंगा। तब तक आप सोचिए कि क्या हुआ होगा? उससे विपरीत क्या हो सकता है?