आहान डोअर बेल बजानेसे पेहले ही मेहेर आकर दरवाजा खोल देती है। मेहेर को ऐसे सामने देख कर वो जरासा चौक जाता है। जैसे ही आहान अंदर आता है वो दरवाजा बंद कर के आहान को टॉवल दे ही रही थी के वो उसके उपर गिरने लगता है। उसे ठिक से खडे होने भी नही आ रहा था ।
" आहान आपने शराब पी है " .... मेहेर
" हा... तो फिर तुमसे मतलब... अपना काम करो
समजी "... आहान
आहान लडखडाकर गिर जाता है वैसे मेहेर उसे साहारा देते हुए रुम में ले जाती है । वो नशे के हाल में बहोत कुछ बोल रहा था। मेहेर उसकी सारी बाते अनदेखी करती है और बाहर के वॉचमन को बुलाकर उसके कपडे बदलने को कहती है । वो आहान को पहनाने के लिए वही परपल कलर की शर्ट दे देती है।
उसका सर बहोत भारी हो चुका था । वो कैसे वैसे उठने की कोशीश करता है , कमरे के लाईट चालू ही थे । मेहेर उसके पैरो के पास बेठे बेठे सो गयी थी। उसे ठिक से कुछ याद नही आ रहा था वो यहा वहा नजरे घुमाता है फिर एक बार अपने ओर देखता है। बदन पर वही परपल शर्ट थी। सुबह की सारी बाते आँखो के सामने आ जाती है ।
थोडे गुस्से में ही वो मेहेर को उठाने की कोशीश करता है । उसकी आवाज सुनकर मेहेर हडबडाकर उठ जाती है ।
" आप उठ गए ? अब कैसा लग रहा है आपको? ठीक तो है ना आप? ".... मेहेर
" क्या हे ये सब ? ये शर्ट तुम्हने मुझे पहनाइ है?".... आहान
" जी... हा वो आप पुरे भीग गए थे इसलिए वॉचमन से कहकर आपके कपडे बदल दिए ".... मेहेर
" अभी मेरी दुसरी कोई टि-शर्ट ले आओ ".... आहान
" लेकीन् ".... मेहेर
" जल्दी ".... आहान
आहान जरा उँचे आवाज में बात करता है वैसे मेहेर जल्दी से जाकर आलमारी में सी उसकी टि-शर्ट ला कर दे देती है । आहान शर्ट निकालकर मेहेर की तरफ देता है । किसी ने उसका दिल निकालकर फेक दिया हो ऐसे उसे लग रहा था।
" आप जरा आराम किजिए, आपको बुखार है ".... मेहेर
" मेरी फिक्र करने की कोई जरुरत नही, मुझे अपना खयाल रखना आता है । और कुछ करना ही चाहती हो मेरे लिए तो प्लीज दफा हो जाओ यहा से । सकून से जिने दो मुझे ".... आहान
मेहेर निचे पडी हुइ शर्ट उठाती है और रोते हुए कमरे से बाहर चली जाती है ।
" अश्क से ये दामन भरा है
मेरे खुशियोंको गुलदस्ता न जाने कहा गिरा है....
गम के रास्ते खुल गए है
हसना तो अब हम भुल गए है "...
रोते हुए वो अपने किस्मत को कोस रही थी। थोडे वक्त बाद मेहेर खुद को संभाल लेती है ।
" उन्हो ने सुबह से कुछ खाया नही, बदन भी बुखार से तप रहा है । चाहे वो कुछ भी कहे मेरा तो फर्ज है के में उनका ख़याल रखु। सिर्फ बिवी हु इसलिए नही तो इन्सानियत के रिश्ते से । सामने वाला शख़्स दुविधा में हो तो उसे अकेला छोडना गलत है ".... मेहेर
आहान बेड पर लेटे लेटे सोने की कोशीश कर रहा था लेकीन नींद नही आ रही थे। सर दर्द और बदन दर्द से वो परेशान था उपरसे बुखार। खडे होने की भी उसमे ताकद नही थी।
तब तक मेहेर खाने की थाली ले कर अंदर आ जाती है ।
" कुछ खा लिजिए, सुबह से आप भुके है । तब तक डॉक्टर भी आ जाएँगे , मैने उनको जल्द ही बुलाया है".... मेहेर
" समज नही आता कोई शख़्स इतना अडीयल कैसे हो सकता है ? कितनी दफा कहु मुझे तुम्हारी कोई जरुरत नही। तुम्हे एक बार में कोई बात समज नही आती??? ".... आहान
अब मेहेर भी उँचे आवाज में बोलने लगती है।
" बस अब बहोत हो गया । में कुछ कह नही रही तो आप कुछ भी बोलेंगे क्या ? बस अब चुप चाप लेटे रहीए । इतने बीमार है फिर भी चिल्लाना नही छोडेंगे। अब ज्यादा नाटक किया तो सासु माँ जी को कॉल करुँगी ".... मेहेर
अब आहान जरा चुप हो जाता है । मेहेर उसे अपने हातो से थोडा बहोत खाना खिलाती है।
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भय्या.... क्या कर रहे हो इतने वक्त से ? जल्दी आओ ना
नव्या के आवाज से आहान गुजरी बातो से बाहर आता है । वही परपल शर्ट पहन कर आहान मेहेर के पास बेठ जाता है और उसका हात थाम लेता है ।
" मानता हु के मैने तुम्हे बहोत दर्द दिए है लेकीन उसके बदले मुझे इतना ना सताओ ".... आहान
क्रमश :
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