"देखिए। मुझे इस तरह के लुक मत दीजिए। मैं सब समझती हूं। आप मुझे इस तरह से ब्लैकमेल नही कर सकते। आपने मुझे खरीदा नही है जो आप मुझे इस तरह से ऑर्डर देते रहते हैं।" अमायरा बड़बड़ाए जा रही थी और कबीर ने अचानक उसे सीने से लगा लिया। अमायरा तोह स्तब्ध रह गई।
"आई एम सॉरी अमायरा। सुबह से तुम्हे इस तरह ब्लैकमेल करने के लिए और फोर्स करने के लिए।" कबीर ने सीधे होते हुए कहा। "और हां मैने तुम्हे खरीदा नही है। मैं तुमसे प्यार करता हूं, इसलिए थोड़ा लालची हो जाता हूं।"
"मैं जानता हूं की मैने तुम्हे बेवजह ही फोर्स किया। मुझे यह नहीं करना चाहिए था। मैने तुमसे यह चांस इसलिए मांगा था की यह साबित कर सकूं की मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं ना की तुम्हे यह मजबूर करूं मुझे एक्सेप्ट करने के लिए। मैं वादा करता हूं की मैं दुबारा कभी ऐसा नहीं करूंगा।" कबीर ने गंभीर रूप से कहा और अमायरा को समझ नही आया की क्या कहे।
"अगर मेरी हरकत से मैने तुम्हे डरा दिया, तुमसे किस मांग कर, यह मेरा इंटेंशन नही था। मुझसे दूर रहने के लिए तुम्हे अपने ही कमरे से दूर रहने की जरूरत नहीं है।"
"मैं.....वोह.....आप.....आप सच....सच कह रहे हैं?" अमायरा ने असमंजस में पूछा।
"क्या, किस के बारे में? हां। मैने गलत किया। शायद मैं कुछ ज्यादा ही आगे बढ़ गया। पर तुम तोह जानती ही हो मैं तुमसे कितना प्यार करता हूं। मानती हो ना?" कबीर ने ज़ोर देकर पूछा।
"तोह...तोह आप मुझसे इतना गुस्सा क्यों थे?" अमायरा ने डायरेक्ट पूछ दिया।
"वोह....वोह अलग बात है अमायरा। तुम्हे अभी भी समझ नही आया की मैं तुमसे नाराज़ क्यों था?"
"मुझे पता चल गया। आप मुझसे इसलिए नाराज़ थे ना क्योंकि आपको लगता है की मैं हमारे रिश्ते को इस्तेमाल कर रही हूं। जबकि मैं तोह यह सोचती हूं की आप मेरे हैं, और मुझे हक है आपकी मदद लेने का, आपसे पूछ कर या आपसे पूछे बिना। क्या मैं गलत हूं?" अमायरा ने अपनी आंखों में आंसू भर कर पूछा और कबीर ने एक गहरी सांस ली।
"मैं तुम्हारा ही हूं अमायरा। इस से ज्यादा मेरे लिए खुशी की बात क्या हो सकती है की तुम मुझ पर अपना पूरा हक समझती हो। पर यह मेरी बात नही है। यह बात है हमारी फैमिली की।"
"आप मुझसे कैसे उम्मीद कर सकते हैं की मैं उन लोगों के साथ खुश रहूं, जबकि मैं जानती हूं की उन्होंने मेरे साथ को किया वोह जानबूझ कर किया?"
"ओके बैठो यहां। हम बात करते हैं इस बारे में।" कबीर ने उसे सोफे पर बिठाया और आगे बात करने लगा।
"उन्हे ताना मार कर नीचा दिखा कर, तुम्हे क्या लगता है की तुमने क्या हासिल कर लिया?"
"मुझे नही पता। मुझे बहुत गुस्सा आता है जब भी मैं दी को देखती हूं, मॉम को देखती हूं। आप इतने शांत कैसे रह सकते हैं? आपको गुस्सा क्यों नही आता उन पर?"
"वोह इसलिए क्योंकि मैं उनसे इतना कनेक्टेड नही हूं जितना तुम हो। वोह अब हमारी फैमिली का हिस्सा हैं लेकिन मेरा उनसे कोई स्पेशल लगाव नहीं रहा है। पहले मैं भी उनसे नाराज़ था, पर बाद में सोचने पर मुझे लगता है की उन्होंने यह कदम अपनी फैमिली के लिए उठाया है। बिलकुल मेरी तरह। मैं आसानी से गुस्सा हो सकता हूं और माफ कर सकता हूं क्योंकि वोह मेरे लिए इतनी इंपोर्टेंट नही है। पर तुम्हारे लिए, वोह हैं। इसलिए यह बहुत जरूरी है तुम्हारे लिए की तुम उन्हे माफ करदो, यह एक्सेप्ट कर लो की हां उन्होंने गलती की है लेकिन पास्ट में।"
"पर दी का क्या?"
"मुझे एक बात बताओ की कभी इशिता ने तुम्हारे साथ बुरा बरताव या किसी तरह का पक्षपात किया है?"
"नही। जहां तक मुझे याद है, उन्होंने हमेशा मेरा सपोर्ट किया है। बल्कि कितनी बार मॉम से भी मेरे लिए लड़ी हैं जब उन्हे लगता था की मॉम मेरा साइड लेने के बजाय उनका साइड ले रहीं हैं। वोह हमेशा मेरा ध्यान रखती थी, एक मां की तरह थी, मेरे लिए बहुत सारी शॉपिंग करती थी, और कभी मुझे पैसों की जरूरत होती थी तोह वोह मुझे पैसे दे देती थी। वोह अक्सर ऑफिशियल ट्रिप के लिए विदेश जाति थी, और वहां से हमेशा मेरे लिए कुछ ना कुछ गिफ्ट्स जरूर लाती थी। मुझे कभी नही लगा की वोह मेरी अपनी बहन नही है, लेकिन शादी से पहले तक। यही पहली बार मुझे लगा की वोह सेलफिश हैं, पर बाद में जब मैने सोचा, तोह उन्होंने मुझे कभी फोर्स नही किया था शादी के लिए, बल्कि उन्होंने तोह मुझे कहा था की मैं शादी के लिए मना कर दूं। यह तोह मैं थी जो उन्हें दुखी नहीं देख सकती थी इसलिए मैंने ही शादी के लिए हां की थी। इसलिए नही, वोह हमेशा ही मेरे लिए अच्छी बहन ही बन कर रहीं हैं, हमेशा से। शायद उन्हे लगता होगा की हम एक दूसरे के लिए सही हैं। उन्हे मुझसे उम्मीद होगी की मैं खुश रहूंगी हमेशा, इसलिए आप पर भरोसा किया हो, इसलिए शायद इस शादी के खिलाफ नही गए हों। वोह मेरे लिए जरूर लड़ती अगर उन्हे लगता की मैं खुश नही रहूंगी। वोह हमेशा मेरे लिए लड़ती हैं।" अमायरा ने कहा, वोह अपने पास्ट में खो गई थी।
"इसका मतलब, अगर हम शादी की बात अलग रख दें तोह, जिसे हम कह सकते हैं की उसने इसलिए अपोज नही किया होगा क्योंकि वोह इशान से बहुत प्यार करती है और वोह उस वक्त कमज़ोर पढ़ गई होगी, पर उसके अलावा और कोई वजह नही है तुम्हारे पास उस से नाराज़ होने के लिए। राइट?" कबीर ने पूछा और अमायरा ने इंकार में गर्दन हिला दी।
"उन्होंने मेरी मॉम का प्यार मुझसे छीन लिया, क्या यह वजह काफी नही हुई?"
"जो की उसने जानबूझ कर नही किया। तुमने अभी कहा की वोह अक्सर तुम्हारे लिए मॉम से लड़ जाति थी। शायद उसे लगा हो जैसे बहुत से पेरेंट्स करते हैं, तुम्हारी मॉम उसकी साइड लेती हैं, इसलिए वोह तुम्हारे लिए लड़ जाति होगी। मेरे हिसाब से वोह कहीं से भी इसमें दोषी नहीं है। मेरी मॉम भी हमेशा से ही मुझे इशान और साहिल से ज्यादा प्यार करती हैं। पर इसका मतलब यह नहीं की वोह उन दोनो से प्यार ही नही करती या मैं जिमेदार हूं उनके बरताव के लिए। कभी कभी ऐसा होता है की पेरेंट्स अपने बच्चों में से अपन एक फेवरेट बच्चा चुन लेते हैं, पर इसके लिए हम कुछ भी नही कर सकते।"
"शायद, शायद आप सही हैं। गुनहगार तोह मॉम हैं। उन्होंने ही सब जान बूझ कर किया है।"
"न ना... तुम मुझे गलत समझ रही हो। मेरे कहने का यह मतलब नहीं था।"
"तोह फिर आप क्या कहना चाहते हैं? मैं एक उन्हे ऐसे ही माफ कर दूं? जैसे आपने कर दिया?" अमायरा ने चिल्लाते हुए कहा और कबीर ने उसे सीने से लगा लिया उसे सांत्वना देने के लिए।
"देखो अमायरा। अगर तुम मुझे देखोगी तोह मैं एक बाहर वाला हूं। मेरा उनसे नफरत करने से या माफ करने से ना ही मेरी जिंदगी में कुछ बदलेगा और ना ही उनकी जिंदगी में। फर्क पड़ता है तोह परिवार को। तुम उनसे प्यार करती हो, और उनसे नफरत करने से, उन्हे दोषी ठहराने से तुम्हे ही तकलीफ होगी और कुछ नही। तुम्हारे अपने मन की शांति के लिए, तुम्हे एक बार ठंडे दिमाग से सोचना चाहिए।"
"पर वोह मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती हैं? वोह मेरी मॉम है ना। क्या उन्हे नही पता होना चाहिए था की उनके बच्चे को क्या चाहिए?" अमायरा रो पड़ी।
"वोह भी एक इंसान है अमायरा। शायद हम भूल जाते हैं की हमारे मां बाप भी इंसान है और उनसे भी गलतियां हो सकती हैं। उन्होंने भी एक गलती की, लेकिन वोह अभी भी तुमसे बहुत प्यार करती हैं। और तुम भी उनसे करती हो। क्या उनकी गलती के लिए तुम उन्हे माफ नही कर सकती और अपना पास्ट भूल नहीं सकती!" कबीर ने प्यार से पूछा।
"क्या यह इतना आसान है?" अमायरा उसकी बाहों में ही रो पड़ी।
"नही। यह इतना आसान नहीं है भूलना। कभी कभी मुझे भी मुश्किल होती है किसी को माफ करने में, पर अगर वोह मेरे लिए इंपोर्टेंट हैं तो मैं कोशिश तोह कर ही सकता हूं। तुम्हे जितना वक्त लेना है लो, पर जिंदगी भर के लिए अपने ऊपर बोझ मत पालो।"
"मुझे यह समझ ही नही आता की ऐसा क्या हुआ की आप मेरी जिंदगी में आ गए?" अमायरा ने कहा और कबीर सरप्राइज्ड हो गया अचानक अमायरा का बातों का रुख बदलने से।
"क्या? क्यों?"
"मैं तोह कहीं खो ही जाती अगर आप से ना मिलती। थैंक यू मेरे साथ रहने के लिए।" अमायरा ने कबीर को देख कर कहा
और फिर प्यार से उसका हाथ चूम लिया।
"एनीथिंग फॉर यू। तुम अगर सच में थैंक फुल हो तो मुझसे एक वादा करो की तुम इस तरह से मुझसे कभी नही छुपोगी जैसे तुम आज कर रही थी। तुम जानती हो की मैं तुम्हारे बिना नहीं सो सकता।" कबीर ने कहा और अमायरा हँसने लगी।
"मैं छुप नही रही थी। दी और सुहाना चाहते थे की हम तीनो साथ में रात गुजारे और खूब बातें करें। मैं बस उन्हे ना नही कर पाई।" अमायरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
"वैल, अब तुम वापिस आ गई हो, और जानती ही हो की वापिस जाने का अब कोई रास्ता नही है।"
"पर मैं उनसे यह कह कर आई हूं की मैं साड़ी चेंज करके वापिस आ रही हूं।" अमायरा ने क्यूट सा चेहरा बना कर कहा और कबीर ने मुंह फेर लिया।
"नही। मेरे साथ यह हरकत करने की कोई जरूरत नही है। तुम कुछ भी कर लो मैं तुम्हे जाने नही दूंगा।" कबीर ने सोफे पर से खड़े होते हुए कहा।
"प्लीज़।" अमायरा ने कबीर के पीछे पीछे आते हुए कहा।
"नही।"
"प्लीज़ज़ज़ज़ज़।"
"यह तुम गलत कर रही हो अमायरा। मैं तुम्हारे बिन कैसे सोऊंगा?"
"सिर्फ आज रात की तोह बात है।"
"तोह क्या हुआ? तुम उन्हे ना भी तोह कर सकती थी।"
"पर वोह पहले से ही प्लान बना चुके हैं, और अब मना करने में ऑकवार्ड लगेगा। प्लीज़।" अमायरा ने प्यार से कबीर का चेहरा थाम लिया।
"तुम्हे मेरा जवाब पता है।" कबीर ने उसकी कमर पकड़ उसे अपने करीब खींच लिया।
"ठीक है, मुझे कुछ समय के लिए जाने दीजिए। हम बातें करेंगे और जब सब का सोने का प्लान होगा तोह मैं वापिस आ जाऊंगी। यह कैसा रहे?" अमायरा ने इंसिस्ट किया और कबीर को हां करना ही पड़ा।
"ठीक है, पर याद रखना यह दुबारा नही होना चाहिए।
"कभी नही।" अमायरा ने तुरंत जवाब दिया। उसने वादा नही किया क्योंकि वोह जानती थी की उन दोनो के साथ दुबारा भी ऐसा प्लान बन सकता है और तब कबीर वोह वादा यूज कर सकता था।
"जाओ फिर। किसका इंतजार कर रही हो?" कबीर ने उसे अभी भी अपने बाहों के घेरे से आज़ाद नहीं किया था।
"उह्ह्.....आपके बर्थडे का।"
"मेरे बर्थडे का क्या? इट्स ऑलरेडी ओवर। पौने बारह बज गए हैं।"
"सो इट्स नॉट ओवर येट।"
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