Secret Admirer - 62 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 62

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Secret Admirer - Part 62

अमायरा अपनी सास सुमित्रा जी के साथ कमरे से बाहर चली गई और छोड़ गई कमरे में अकेले शरारत से मुस्कुराते हुए कबीर को। जब कबीर नाश्ते के लिए नीचे आया तोह उसके चेहरे पर एहंकारी मुस्कुराहट थी। और अमायरा उसके पीछे वजह अच्छी तरह से जानती थी। आज पूरा दिन अमायरा सुमित्रा जी के साथ बिज़ी रही, उसे कबीर के साथ अकेले बहुत कम वक्त मिला था वरना सब घर वाले आज इर्द गिर्द ही घूम रहें थे जो की अमायरा के लिए थोड़ा सहूलियत की बात थी। लेकिन कबीर की नज़रे कभी भी अमायरा का पीछा नहीं छोड़ती थीं। वोह शर्मा जाति जब भी वोह उसकी डायरेक्शन में देखती। कबीर की आंखों में उसे पैशन दिखने लगा था, वोह अब घबराने लगी थी। सिर्फ एक चीज़ जो उसका ध्यान भटका सकती थी कुछ वक्त के लिए वोह था काम। इसलिए उसने अपने आप को व्यस्त रखा हुआ था।
इशिता और सुहाना उसकी बहुत मदद कर रहीं थी आज की पार्टी के लिए। और अमायरा बहुत खुश थी की सुहाना भी उसके साथ है क्योंकि अगर वोह ना होती तोह अकेले इशिता के साथ उसे नॉर्मल बिहेव करने में मुश्किल होती। क्योंकि शुरवात ने जब इशिता ने उस से कुछ पूछा था तोह वोह उस से आरग्यू करने लगी थी, और जैसे ही उसने कबीर के डायरेक्शन में देखा तोह कबीर ने इशारे से उसे मना कर दिया। कबीर से ही उसे थोड़ी हिम्मत मिली थी तभी तोह वोह सब काम अच्छे से और शांति से कर रही थी, वोह भी इशिता के साथ। जब पार्टी की सभी तैयारियां हो गई तोह सुमित्रा जी ने अपनी तीनों बहुओं को अपने कमरे में बुलाया। और उन्हे अपने लिए एक एक ज्वैलरी सिलेक्ट करने को कहा, आने वाली शादी के लिए। यह सब काम करते करते ऑलमोस्ट आधा दिन गुजर गया था और अब शाम हो चुकी थी। अब सभी अपने अपने कमरे में चले गए थे पार्टी के लिए तैयार होने।
अमायरा ने जा कर फिर से एक साड़ी पहन ली पर इस बार ब्राइट पिंक कलर की। बिल्कुल प्लेन साड़ी उस पर कोई वर्क नही और उसके साथ स्लीवलेस ब्लाउज वोह भी उसी कलर का। और उसके साथ कोई ज्वैलरी नही, सुबह की तरह। उसके मंगलसूत्र के काले मोती उसके पिंक साड़ी के साथ जच रहे थे और एक बार फिर कबीर उसके देखते ही दंग रह गया। बल्कि अगर कहें की वोह पजेसिव होने लगा था तो गलत नही कहेंगे क्योंकि अमायरा के गले ने बांधे काले मोती को देख कर कबीर को गर्व महसूस होने लगा था की वोह उसकी है सिर्फ उसकी। एक्चुअली उसे उस से नाराज़ होना चाहिए था इसलिए उसने सुबह भी उसकी खुल कर तारीफ नही की थी और अब कबीर खुद पर गुस्सा होने लगा था की उसने अभी तक अपनी खूबसूरत पत्नी की खुल कर अच्छे से तारीफ नही कर पा रहा है।

पर कौन कहता है की मैं उसके साथ फ्लर्ट नही कर सकता। और उसे शरामने पर मजबूर नही कर सकता। और मेरा पेंडिंग बर्थडे गिफ्ट भी तोह है।

कबीर अपने आप में मुस्कुराया और उस तरफ बढ़ चला। अमायरा अपना जुड़ा बनाने में बिज़ी थी। वोह अपने आप में इतना खोई हुई थी की कबीर का नजदीक आना जान ही नही पाई। जब उसका जुड़ा बनाने का काम पूरा हो गया तोह उसने शीशे में कबीर का प्रतिबिंब देखा और पाया की कबीर की नज़रे अमायरा के स्ट्रैपी ब्लाउज की वजह से उसकी खुली पीठ की तरफ थी। अमायरा मुस्कुरा गई यह जानते हुए की वोह उस पर असर कर रही है, जबकि कबीर उसके सामने ऐसा दिखा रहा था की वोह अभी भी नाराज़ है। कबीर ने अमायरा का मुस्कुराता चेहरा शीशे से देखा और उसने मुंह बना लिया। कबीर ने उसे झटके से खींच कर पलटा और उसकी कमर पर बाहें कस दी।

"तुम हंस क्यूं रही हो?" कबीर ने पूछा।

"आप क्या कर रहे थे, मिस्टर खड़ूस?" अमायरा ने चुलबुलाहट से पूछा।

"ओह तोह तुम इस बात का फायदा उठाना चाहती हो की मैं तुम पर अट्रैक्ट हो रहा हूं। वैल, उसमे कोई नई बात नही है। मैं तुमसे आकर्षित हूं। बहुत ही ज्यादा। जब भी तुम मेरे आस पास रहती हो तोह न जाने मुझे क्या हो जाता है और मैं तुम्हे छुए बिना नहीं रह पाता। और इस वक्त, मैं कुछ और नही सोच पा रहा बस इसके की तुम्हे मुझे अभी एक किस देना है।" कबीर ने कर्कश भरी आवाज़ में कहा और अमायरा एक दम चुप हो गई। अचानक ही अमायरा के चेहरे से मुस्कुराहट गायब हो गई और उसकी सांसे ही अटक गई। कबीर का एक हाथ उसकी कमर पर था जिससे उसने उसे और करीब कर लिया और दूसरा हाथ अमायरा के गर्दन पर उस धुंधले से निशान पर था जो खुद कबीर ने कुछ दिन पहले उसे दिया था। उस दिन वोह कितना डरा हुआ था की उसके किस के बाद अमायरा का रिएक्शन क्या होगा पर उसी रात को जब उसने वोह मार्क देखा था तोह उसे बहुत खुशी हुई थी लेकिन अमायरा की हालात की वजह से वोह अपनी खुशी उस से जाहिर नही कर पाया था।

"क्या हुआ? मुंह पर ताला क्यों लग गया वाईफी? मैने पहले ही कहा था मैं अपने इरादे से पलटूंगा नही। भूल कर भी मत सोचना की मुझे मेरा गिफ्ट दिए बिना तुम आसानी ने मुझसे बच कर निकल जाओगी।" कबीर ने कहते हुए उसकी कमर पर अपना हाथ और कस दिया और उसका दूसरा हाथ अमायरा की खुली पीठ पर इनविजिबल पैटर्न बना रहा था। अमायरा कुछ नही कर सकती थी बस अब तक उसके पूरे शरीर पर रोंगटे खड़े हो चुके थे।

"सब हमारा इंतजार कर रहें हैं। हम जल्दी से नीचे जाना चाहिए।" अमायरा ने किसी तरह अपनी बात कही।

"बिलकुल सही कहा। हमे जल्दी से नीचे जाना चाहिए और जल्दी जल्दी पार्टी रैप अप कर के वापिस आ जाना चाहिए। फिर होगी हमारे पास पूरी रात।" कबीर ने मुस्कुराते हुए कहा और अपनी उंगलियों को उसकी पीठ से सरकाते हुए उसके बांह पर फिसलाने लगा। कबीर ने उसे छोड़ दिया और मुस्कुराते हुए अलमीरा की तरफ बढ़ गया। अपनी बची कुची सांसों को समेटते हुए अमायरा तुरंत कमरे से बाहर निकल गई।

I gotta feeling , That tonight's gonna be a good night.

That tonight's gonna be a good night,

That tonight's gonna be a good night.

That tonight's gonna be a good good night.

कबीर गुनगुनाते हुए कपड़े बदल रहा था। उसने महसूस किया कई सालों बाद आज वोह खुद से गुनगुना रहा था। और उसे बहुत अच्छा लग रहा था। और उसको याद कर के भी बहुत खुश हो रहा था जिसकी वजह से उसमें और उसकी जिंदगी में यह बदलाव आया था।

********

रात के दस बज चुके थे। घर में ही छोटी सी पार्टी करने के बाद अब बड़ों ने अपने कमरे का रुख कर लिया था यह कह कर की वोह लोग थक गए हैं इस से ज्यादा नही जग सकते, अब बच्चों तुम लोग एंजॉय करो। लेकिन घर के छीटों ने भी मिल कर यह डिसाइड कर लिया था की वोह भी अब अपने अपने कमरे में जा कर सोएंगे क्योंकि वोह सभी सुबह जल्दी उठ गए थे। तीनो भाई अपने अपने कमरे में चले गए थे और इशिता और अमायरा, सुहाना को लेकर गेस्ट रूम में चली गईं थी क्योंकि आज रात सुहाना वहीं मैहरा हाउस में ही रुक रही थी। कमरे में पहुँच कर तीनो बातें करने में लग गईं। थोड़ी ही देर में इशिता और सुहाना ने मिलकर आज रात गर्ल्स नाइट आउट करने का प्लान बना लिया। और अमायरा तोह अपने कमरे में जाने से ही डर रही थी इसलिए उसने भी तुरंत हां कर दिया। इशिता पहले अपने कमरे में गई इशान को इनफॉर्म करने की वोह और बाकी गर्ल्स आज रात एक साथ रुक रहें हैं और फिर अपना साइट सूट पहन कर जल्दी वापिस आ गई। जब अमायरा को कहा गया की वोह चेंज कर के आ जाए तोह उसने मना कर दिया की वोह साड़ी में कंफर्टेबल है और अब तक कबीर भी सो चुके होंगे तोह उन्हे भी डिस्टर्ब करना ठीक नहीं है। जल्द ही तीनो इधर उधर की बातों और अपनी इमेजिनेशन में खो गईं। पर अमायरा को बहुत डर लग रहा था अपने कमरे में जाने में और अगर वोह नही गई तोह कबीर निराश हो जायेगा। वोह खुद ही श्योर नही थी की वोह खुद क्या चाहती है पर यह बात पक्की थी की वोह इस वक्त घबरा रही थी।

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कबीर अपने कमरे में पिछले बीस मिनट से इंतजार कर रहा था। और जैसे जैसे समय बीत रहा था उसका गुस्सा बढ़ रहा था। वोह जनता था की उसने कुछ ज्यादा ही डिमांड कर दी थी अमायरा से कर इसका मतलब यह नहीं की वोह अपने ही कमरे से इस तरह गायब हो जायेगी। कबीर अमायरा को ढूंढने के लिए बाहर आया। बाहर सब जगह शांति देख कर उसे अजीब लगा तभी इशान की आवाज़ उसे सुनाई पड़ी।

"भाई!"

"हां।" कबीर ने बिना उस पर ध्यान देते हुए जवाब दिया।

"चलो न हम मिलकर मैच देखते हैं।"

"क्या? मैच? मैच क्यों?" कबीर ने पूछा। वोह अभी भी अमायरा के खयालों में ही था।

"इंडिया—पाकिस्तान T—20 भाई। टेस्ट सीरीज। आज फाइनल मैच है। मैं तोह अभी से ही एक्साइटेड होए जा रहा हूं। आज के मैच से ही फैसल होगा।" इशान अपनी बात कहे जा रहा था बिना इस बात पर ध्यान दिए की उसका भाई इस वक्त उसकी बात सुन भी रहा है या नही।

"मैच? इस वक्त? मुझे बहुत नींद आ रही है। और तुमने एक बार नही कहा था की इशिता को मैच बिलकुल भी पसंद नही है?"

"हां। तभी तो गोल्डन चांस है मेरे लिए। तीनो लड़कियां अपनी नाइट आउट में बिज़ी हैं। चलिए ना साहिल को भी बुला लेते हैं और मैच देखते हैं।" इशान ने उसे वोह जरूरी बात बता दी थी जो असल में कबीर जानना चाहता था। कबीर समझ गया था की अमायरा का आज रात उस से दूर रहने का प्लान है।

"नो थैंक्स इशान। तुम और साहिल देखो मैच। वैसे भी मुझे बहुत नींद आ रही थी। गुड नाईट।" कबीर बिना इशान का जवाब सुन तुरंत अपने कमरे की तरफ बढ़ गया।

वोह जनता था की अमायरा अभी इस रिश्ते को पूरी तरह से अपनाने को तैयार नहीं है। वोह बहुत ही धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी, लेकिन कम से कम प्रोग्रेस तो थी। अब जब अमायरा ने एक्सेप्ट कर लिया था की वोह कबीर को अपना पति मानती है तो, कबीर खुश था, पर वोह चाहता था की अमायरा अपने कंफर्ट जोन से बाहर आ जाए। कबीर के लिए यह बहुत जरूरी था अमायरा को अनकंफर्टेबल महसूस कराना तभी तोह उसमे में हिम्मत आएगी की वोह अपनी फीलिंग्स को एक्सेप्ट कर ले, अगर कोई है तोह। कबीर के फिजिकल टच से अमायरा ने कोई ऐतराज नहीं जताया था लेकिन अपनी तरफ से कोई पहल भी तोह नही की थी। और अब कबीर जानना चाहता था की अमायरा सच में यह सब चाहती है या फिर वोह उस वक्त इतनी अवाक रह जाती है की रिएक्ट ही नही कर पाती। उसने आज उस से किस करने के लिए कहा था, मेनली इसलिए क्योंकि अमायरा यह स्टेप खुद ले अगर वोह चाहती है तोह। वोह यह बात अच्छी तरह से जानता था की अगर उसने यह स्टेप लिया तोह शायद वोह अपने आप को रोक नहीं पाएगा। इसलिए उसके लिए पहले यह जानना जरूरी था की अमायरा क्या चाहती है। और अब यह साफ चुका था और कबीर को अब अफसोस हो रहा था की उसने कुछ ज्यादा हो जल्दबाजी दिखा दी।

मायूस मत हो कबीर। अभी महीना खतम नही हुआ है।

हां। पर आधा महीने पहले ही बीत चुका है। अब सिर्फ तेरह दिन ही रह गए हैं। क्या होगा अगर उसके बाद भी अमायरा ने हां नही किया?

तुम्हे नही लगता इस तरह से उसे फोर्स करना गलत है? तभी तो वोह डर गई है और अपने ही कमरे में नही आ रही है?

हां। मुझे ऐसा नही करना चाहिए था। शायद मुझे उस से बात करनी चाहिए। हां। मैं उस से बात करूंगा।

कबीर— "कहां हो तुम?" अमायरा डर गई अपने फोन में कबीर का मैसेज देख कर।

अमायरा— दी और सुहाना बातें करना चाहते थे। इसलिए मैं इन दोनो के साथ ही सो रही हूं।

कबीर— अभी इसी वक्त अपने कमरे में वापिस आओ।

अमायरा— मैं नही आ सकती। वोह दोनो क्या सोचेंगे।

कबीर— मैं जानता हूं की तुम क्या कर रही हो अमायरा।

अमायरा— मैं नही जानती की आप किस बारे में बात कर रहे हैं।

कबीर— अभी तुरंत अपने कमरे में वापिस आओ नही तो मैं आ रहा हूं तुम्हे लेने।

अमायरा— आप नही आ सकते।

कबीर— मुझे अजमाओगी।

तीन मिनट बाद कबीर को अमायरा अपने कमरे में आती दिखी। अमायरा ने दरवाज़ा अंदर से बंद किया और कबीर के पास आई। वोह गुस्से से बढ़ रही थी और कबीर खुश हो रहा था उसे ऐसे देख कर।

"आप अपने आप को समझते क्या हैं?" अमायरा ने गुस्से में पूछा।

"मैं क्या समझूंगा? मैं तोह तुम्हारा बेचारा पति हूं।" कबीर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

"देखिए। मुझे इस तरह के लुक मत दीजिए। मैं सब समझती हूं। आप मुझे इस तरह से ब्लैकमेल नही कर सकते। आपने मुझे खरीदा नही है जो आप मुझे इस तरह से ऑर्डर देते रहते हैं।" अमायरा बड़बड़ाए जा रही थी और कबीर ने अचानक उसे सीने से लगा लिया। अमायरा तोह स्तब्ध रह गई।







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कहानी अभी जारी है...