Secret Admirer - 61 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 61

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Secret Admirer - Part 61

कबीर लंबे शावर लेने के बाद बाथरूम से बाहर निकला। और अपने सामने का नज़ारा देख कर एकदम से चौंक गया।
अमायरा उसके सामने प्लेन काली साड़ी में खड़ी थी जिसे कंधे पर अच्छे से प्लीट बना कर पहनी हुई थी। कोई ज्वैलरी नही बस ईयरिंग जो कुछ महीनों पहले कबीर ने उसे दिए थे। और उसका मंगलसूत्र जो उसने शादी की रात के बाद से कभी नहीं पहना था। कबीर ने अपनी एक भौंह को उच्च का कर अमायरा को देखा जैसे उसके लुक्स को पढ़ने की कोशिश कर रहा हो।

क्या ये मुझसे माफ़ी मांगने की कोशिश कर रही है ऐसे ड्रेस अप हो कर? क्योंकि यह जानती है की मुझे इसे साड़ी में देखना कितना पसंद है? यह जानती है की ब्लैक मेरा फेवरेट कलर है, पर इसने यह ईयरिंग क्यों पहनी जब इसने इसे पहले कभी नही पहना? और यह मंगुलसूत्र, यह कहने के लिए की यह सच में मुझे अपना पति मानती है?
नाइस ट्राय। पर इतना काफी नही है।

कबीर ने खुद से कहा और शीशे की तरफ अपना मुंह मोड़ लिया। अमायरा ने लगभग कबीर का इरादा भांप लिया और उसकी तरफ कदम बढ़ा दिया। कबीर अपने बालों की स्टाइलिंग कर रहा था, तभी अमायरा ने पीछे से आ कर कबीर को गले लगा लिया। अमायरा ने उसे पीछे से बाहों में लेकर उसके सीने पर हाथ रख दिए और कबीर एकदम बर्फ बन गया।

"आई एम सॉरी, मिस्टर मैहरा। मैं जानती हूं की आप मुझसे बहुत गुस्सा हैं और इसके लिए मैं आपसे माफ़ी भी मांगती हूं, जो भी मैने आप से कह दिया। प्लीज मुझसे ऐसे बरताव मत कीजिए। आप जानते हैं ना की मेरे पास सिर्फ आप ही हैं।" अमायरा ने धीरे से प्यार से कहा और कबीर एकदम चुप रहा।

"तुम सच में सॉरी फील कर रही हो?" कबीर ने अपने सीने से उसका हाथ हटा दिया और उसकी तरफ पलट कर खड़ा हो गया। "तभी यह, यह साड़ी, ज्वैलरी, हुंह?"

"मैं जानती हूं की आप मुझसे बहुत गुस्सा हैं क्योंकि मैने हमारे रिश्ते का दिखावा किया था सबके सामने, जबकि मैने अभी तक आप के सामने हमारे रिश्ते को एक्सेप्ट नही किया है। आप को लगता है की मैने हमारे रिश्ते का अनादर किया है। लेकिन यह सच नहीं है।"

"क्या सच में नही है? क्या तुमने ऐसा नहीं किया? तुम पहले तो मुझे अपना पति मान नही रही थी, और अब जब तुम्हे इशिता को नीचा दिखाना था, तोह मुझे आसानी से पति मान लिया। वाउ अमायरा। क्या मैं तुम्हारे लिए यही हूं? एक खिलौना जिसकी जब जरूरत हो इस्तेमाल कर लो? इसलिए तुमने मुझे बीच में अटका कर रखा है क्योंकि तुम डरती हो कहीं तुम्हारा दिल ना टूट जाए और साथ ही हमारे रिश्ते को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल भी करती हो।"

"यह सच नहीं है। मैं मानती हूं की मैने दिल से हमारे रिश्ते को नही अपनाया है, पर इसका मतलब यह नहीं है की मैं आपकी रिस्पेक्ट नही करती। की मैं आपको अपना पति नही मानती।"

"तुम मानती हो? यह तोह मेरे लिए बहुत बड़ी खबर है। मुझे तो कभी पता ही नही था की मैं पति की पोस्ट पर ग्रेजुएट हो गया हूं। जहां तक मुझे पता है, तुम मुझे अपना सिर्फ दोस्त मानती हो जो अपना दिमाग खो चुका है और तुम्हारे साथ रोमांटिक होने लगा है और जो तुम्हे धोखा दे रहा है।"

"आप मुझे गलत समझ रहें हैं। मैने इस रिश्ते के लिए पूरी तरीके से हां नही कहा है लेकिन आपको अपना पति मैं मानती हूं। और मुझे गर्व है आपकी पत्नी होने पर।" अमायरा ने कहा। उसकी आंखों से आंसू बहने लगे थे। उसे समझ नही आ रहा था की क्या रिएक्ट करे।

"तुम्हे यह सब कहने की जरूरत नहीं है वोह भी इसलिए की मैं यह सुनना चाहता हूं। तुम पर कोई दबाव नही है। मैने तुम्हे पहले भी कहा है, की मैं सारी जिंदगी तुम्हारा इंतजार करने को तैयार हूं, मैं इंतजार कर सकता हूं जब तुम मुझे एक्सेप्ट कर लो। और यह मैं सच कह रहा हूं। सो प्लीज तुम ऐसा कुछ मत कहो जो तुम वाकई में नही मानती या, कहना नही चाहती।"

"मैं इस वजह से यह सब नही कह रही हूं। आई रियली मीन इट। नही तोह मैं आपके साथ इतने दिन के लिए साथ रहने के लिए क्यों मानती? मुझे आपके साथ वोह लास्ट वीकेंड पर बहुत अच्छा लगा था। मैं तोह आज भी सोच रही थी क्योंकि आज सैटरडे है पर हमे आज फैमिली के साथ रहना चाहिए। तोह मैं किसी और दिन अनाथ आश्रम से छुट्टी ले लूंगी तोह हम फिर चलेंगे जब भी आप कहें, आपके पास टाइम हो। क्या कहते हैं आप?" अमायरा हर मुमकिन कोशिश कर रही थी कबीर को यह यकीन दिलाने में की वोह अपनी जिंदगी में उनकी बहुत वैल्यू करती है और कभी शो ऑफ करने के लिए यूज नही करती।

"रियली?" कबीर ने अपने हाथ सीने पर बांधते हुए कहा। उसके चेहरे पर कोई भाव नज़र नही आ रहे थे।

"यस। इन फैक्ट, मैं आपके लिए कोई गिफ्ट नही ला पाई और सोच रही थी की आप के साथ बाहर जा कर कोई गिफ्ट ले आऊं। मैं आपको बता नही सकती की कितना गिल्टी मैं महसूस कर रही हूं आप के साथ कल लड़ाई कर के जबकि सारा कसूर मेरा था। और इस लड़ाई की वजह से मैं आज की डेट भी भूल गई।"

"तुम सच में मुझे अपना पति मानती हो?"

"हां।"

"और तुम्हे गिल्टी भी फील हो रहा है की मेरा बर्थडे भूल गई?"

"हां। बहुत। मैने आपके लिए आज रात बहुत अच्छी पार्टी अरेंज की है। कम से कम मैने आपके बर्थडे के लिए कुछ किया तोह सही। ऐसा नहीं है की गिफ्ट लाने की मेरी कोई इंटेंशन नही है। जैसे ही मुझे मौका मिलेगा मैं जल्द ही ला दूंगी।" अमायरा खुशी से बड़बड़ाए जा रही थी इसलिए की कबीर का गुस्सा थोड़ा कम होने लगा था।

"तुम्हे गिल्टी महसूस करने की कोई जरूरत नही है। अगर तुम सच में चाहती हो की मैं इस बात पर विश्वास कर लूं की तुम मुझे अपना पति मानती हो तोह प्रूफ कर के दिखाओ।"

"कैसे?"

"तुम तैयार हो प्रूफ करने के लिए?"

"हां। बताइए मुझे क्या करना है?" अमायरा ने कॉन्फिडेंटली जवाब दिया।

"किस मी।" कबीर ने एहंकार से मांग की।

"क्य......क्या?" अमायरा अवाक रह गई।

"हां। तुमने अभी कहा की तुम मुझे अपना पति मानती हो। तोह पत्नियां हमेशा अपने पति को किस करती रहती हैं। कम ऑन चलो करो और अपने आप को प्रूव करो। और मैं इसे ही अपना बर्थडे गिफ्ट समझ लूंगा।" कबीर ने अमायरा को परखने के लिए कहा।

"मैं..... उह्ह्ह्ह..... मैं।"

"कम ऑन अमायरा। इट्स जस्ट अ किस। अब तुम मुझे यह मत कहना की अचानक से डर की वजह से तुम्हारे हाथ पांव ठंडे हो गए हैं और अब पीछे हटना चाहती हो।"

"मैं......एक्चुअली.....मैं....ओके।" अमायरा ने कुछ पल सोच कर कहा और कबीर हैरान हो गया। एक हल्की सी मुस्कुराहट कबीर एक होंठों पर छा गई और वोह एक्साइटेड हो गया। जबकि वोह जनता था की आगे क्या होने वाला है।

"कूल। कम ऑन देन। मैं यहीं खड़ा हूं।"

अमायरा ने थूक गटका और असमर्थ की स्तिथि में कुछ कदम आगे बढ़ा दिए। दोनो के बीच फासले को खतम करते हुए उसने अपने हाथ कबीर के कंधे पर रख दिए। कबीर ने भी अपने हाथ, साड़ी की वजह से, उसकी खुली कमर पर रख कर उसे करीब खींच लिया। अब उनके बीच एक इंच का भी फासला नही था। कबीर की इस हरकत पर अमायरा की सांसे तेज़ हो गई। कबीर अमायरा की असहजता एंजॉय कर रहा था।

"मैं इंतजार कर रहा हूं अमायरा।"

अमायरा थोड़ा झुकी और कबीर के गाल पर किस कर के पीछे हट गई। कबीर ने अमायरा का चहरा देखा जो पूरा लाल हो चुका था और उसकी आंखे बंद थी। इस वक्त वोह बहुत ही ज्यादा घबराई हुई लग रही थी। कबीर उसकी हालत देख कर मुस्कुरा रहा था पर फिर भी उसे इतनी आसानी से जाने नही देना चाहता था।

"कम ऑन अमायरा। और कितना समय चाहिए तुम्हे?"

"क्या? मैने अभी तोह किस किया। और क्या चाहिए आपको?" अमायरा ने कन्फ्यूज्ड होते हुए पूछा।

"रियली, तुम इसे किस कहती हो? ओह प्लीज़ अमायरा, यह तोह बच्चों की तरह किस किया तुमने। तुम सच में इसे किस समझती हो? यह तोह हल्का सा टच था, इससे कुछ प्रूफ नही हो सकता और यह गिफ्ट तोह बिलकुल भी नही है। यह तोह ऐसा है जो मैं हर वक्त तुम्हारे साथ कर सकता हूं, जैसे की अभी।" इतना बोलते ही कबीर ने जल्दी से आवाज़ के साथ उसके दोनो गाल चूम लिए। उसने अमायरा को रिएक्ट करने का भी समय नहीं दिया।

"तोह, अब जल्दी करो। तुम्हे पार्टी भी अरेंज करनी है। और मॉम तुम्हे किसी भी वक्त ढूंढते हुए यहां आ जायेंगी। इसलिए उनके आने से पहले अपना काम खतम करो और फिर जो करना है वोह करो।"

"पर मैं..... कैसे..... मैं...."

"ओह तुम्हारा मतलब है की तुम्हे एक्सेक्टल नही पता की करना क्या है। वैल, लैट मी क्लियरिफाई इट टू यू। किस मी, लाइक अ वाइफ किस्सेस हर हसबैंड, अ वूमेन किस्सेस हर मैन।" कबीर ने झुक कर उसके कान में धीरे धीरे फुसफुसाते हुए कहा। और फिर अपने होठों से उसके कान पर रगड़ दिया। अमायरा तुरंत ही समझ गई कबीर उसे क्या करने को कह रहा है। अमायरा की आंखें फैल गई, उसका गला सूखने लगा, उसकी सांसे ऊपर नीचे होने लगी। कबीर के हाथ उसकी खुली कमर पर फिसल ने लगे जिस से वोह और बेचैन हो रही थी। वोह जानती थी की बच कर निकलने का अब कोई रास्ता नहीं है। अमायरा श्योर थी की अब उसकी जान ही नकलने वाली है की तभी उसने अपनी सासू मॉम की आवाज़ सुनी जो उसे ही पुकारते हुए आगे बढ़ रही थी।

"मॉम!.........वोह यहां आ रही है।" अमायरा ने धीरे से कहा।

"तोह?"

"तोह मुझे छोड़िए। अगर उन्होंने हमे इस तरह से देख लिया तोह वोह क्या सोचेंगे?"

"अगर उन्होंने देख भी लिया तोह वोह बहुत खुश होंगी। तुम्हे याद नही की उन्होंने कहा था की वोह हमारे बच्चे देखना चाहते है। बेचारी मॉम!, उन्हे तोह यह भी पता नहीं की उनकी बड़ी बहू को ट्यूशन की जरूरत है की किस कैसे होता है।"

"छोड़िए मुझे, वोह इधर ही आ रहीं है।" अमायरा ने रिक्वेस्ट करते हुए कहा, उसने सुना था की सुमित्रा मॉम की आवाज़ अब तेज़ हो गई थी जैसे वोह ऊपर ही आ रही हैं।

"तोह तुम मुझे मेरा गिफ्ट कब दोगी?" कबीर को मज़ा आ रहा था।

"बाद में, प्लीज।"

"पक्का?"

"येस।" उसने जल्दी से जवाब दिया, वोह जानती थी अभी कबीर से बहस करने का कोई फायदा नही है।

"ठीक है। मैं मेरे गिफ्ट का इंतजार करूंगा। और यह मत समझना की मैं इतनी आसानी से भूल जाऊंगा।" कबीर ने कहते ही अमायरा को छोड़ दिया और कदम पीछे ले लिए। और उसी वक्त सुमित्रा जी ने कमरे का दरवाज़ा खोल दिया।

"अमायरा। मैं कबसे तुम्हारा इंतजार कर रही थी। चलो हम नाश्ता करते करते डिसाइड करते हैं की आज की पार्टी के लिए किन किन चीजों की जरूरत पड़ेगी। एंड लुक एट यू। यू आर लुकिंग सो प्रिटी, इन दिस साड़ी, है ना कबीर?" सुमित्रा जी ने पूछा।

"येस मॉम। शी लुक्स ब्यूटीफुल। इन फैक्ट, मैं इसे हमेशा ही कहता हूं की कभी कभी साड़ी पहना करे। मुझे बहुत पसंद है मेरी वाइफ को साड़ी में देखना।" कबीर ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

अमायरा अपनी सास सुमित्रा जी के साथ कमरे से बाहर चली गई और छोड़ गई कमरे में अकेले शरारत से मुस्कुराते हुए कबीर को। जब कबीर नाश्ते के लिए नीचे आया तोह उसके चेहरे पर एहंकारी मुस्कुराहट थी। और अमायरा उसके पीछे वजह अच्छी तरह से जानती थी।





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कहानी अभी जारी है...