75th independens day poem in Hindi Poems by Harshit Mathur books and stories PDF | 75 वां स्वतंत्रता दिवस कविता।

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75 वां स्वतंत्रता दिवस कविता।

🇮🇳 75 वां स्वतंत्रता दिवस🇮🇳


तो सबसे पहले तो आप सभी को हर्षित (मेरी) की तरफ से 75 वां स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।

हेल्लो दोस्तों में आपका हर्षित तो कैसे है आप सभी उम्मीद करता हु की आप सभी अच्छे होंगे, आज में आप सभी लोगों के लिए 75वां स्वतंत्रता दिवस होने के उपलक्ष में मेरे द्वारा लिखी गईं 5 बेस्ट independence day कविता, उम्मीद करता हूं कि आप सभी लोगों को पसन्द आए।


कविता-1✍🇮🇳

(1) सारे जहाँ से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा,
हम बुलबुलें हैं उसकी, वो गुलसिताँ हमारा [ सारे जहाँ…..]

परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा वो पासबाँ हमारा [ सारे जहाँ…..]

गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिनके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा [ सारे जहाँ…..]

मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
हिंदी हैं हम वतन है, हिंदुस्तान हमारा [ सारे जहाँ…..]






कविता-2✍🇮🇳

लाल रक्त से धरा नहाई,
श्वेत नभ पर लालिमा छायी,
आजादी के नव उद्घोष पे,
सबने वीरो की गाथा गायी,

गाँधी ,नेहरु ,पटेल , सुभाष की,
ध्वनि चारो और है छायी,
भगत , राजगुरु और , सुखदेव की
क़ुरबानी से आँखे भर आई,

ऐ भारत माता तुझसे अनोखी
और अद्भुत माँ न हमने पाय ,
हमारे रगों में तेरे क़र्ज़ की,
एक एक बूँद समायी

माथे पर है बांधे कफ़न
और तेरी रक्षा की कसम है खायी,
सरहद पे खड़े रहकर
आजादी की रीत निभाई !




कविता-3✍🇮🇳


।। करें आजादी की रखवाली आओ निभायें अपना फर्ज ।।
शत् शत् नमन करें शहीदों को, ये बहादुर वीर ।
न्योछावर-किये प्राण अपने, लिख गये देश की तकदीर ।।

अपने बलबुतो, देशभक्ति के जज्बो से, हमे आजादी दिलाई है ।
दिलो में रहेंगे अमरशहीद सदा, लिखा जिससे वो स्लकी स्याही है ।।

वतन की खुशीयों की खातिर, अपना खून बहाये हो ।
मिलती रहेगी हमे प्ररेणा, हमारे दिलो में समाये हो ।।

दिलायी हमे आजादी, नभ में फैली है सूरज की लाली ।
प्रकृति भी गूंज उठी है, है पतन में आजादी की हरियाली ।।

है हम आजाद, देश में फैली है आजादी की खुशहाली ।
फर्ज है हमारा, मरते दम तक करें देश की रखवाली ।।

रहे देश सुरक्षित, करे प्रगति हमारा वतन ।
सुख शान्ति रहे देश में, करते रहे हम पुरे जतन ।।

होगा देश का विकास, जब निभायेगे अपने फर्ज ।
रहे तैयार देश सेवाखातिर, सुरेश करे है आपसे अर्ज ।।


कविता-4✍🇮🇳

भारत माँ के अमर सपूतो, पथ पर आगे बढ़ते जाना
पर्वत, नदिया और समन्दर, हंस कर पार सभी कर जाना

तुममे हिमगिरी की ऊँचाई सागर जैसी गहराई है
लहरों की मस्ती और सूरज जैसी तरुनाई है तुममे

भगत सिंह, राणा प्रताप का बहता रक्त तुम्हारे तन में
गौतम, गाँधी, महावीर सा रहता सत्य तुम्हारे मन में

संकट आया जब धरती पर तुमने भीषण संग्राम किया
मार भगाया दुश्मन को फिर जग में अपना नाम किया

आने वाले नए विश्व में तुम भी कुछ करके दिखाना
भारत के उन्नत ललाट को जग में ऊँचा और उठाना



कविता-5✍🇮🇳

आज़ाद माँ के सपूत, नसों में गर्क हो रहे हैं
अँधेरे में घिर चुके जो, उन्हें रौशनी दिखा दे
वतन की खातिर, ख़ुशी से जान भी दे दें
आन सलामत रहे वतन की, एहसास दिलादे

नारी मेरे वतन की, सीता भी है, झांसी भी
बस बेगानी सभ्यता से, थोडा सा बचा दे
चाँद को छूने वाला दिल, क्या नहीं कर सकता
मेरे हर भारत वासी को, नित नया हौसला दे

हम हैं हिन्दुस्तानी, हमारी शान हिन्दुस्तान
हमारी आन है तिरंगा, हर जान को सिखा दे
‘कुरालीया ‘ क़र्ज़, इस धरती का चुकाना लाजिम है
बची हर सांस अपनी, बस राह में वतन की लगा दे

वतन से प्यार का ज़ज्बा, हर दिल में जगा दे
वो शमा भगत सिंह वाली, रग रग में जला दे।


जय हिंद जय भारत।🇮🇳🇮🇳🇮🇳

✍✍ लेखक
हर्षित माथुर