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रिचर्ड एयरपोर्ट पर लगभग घंटा भर पहले ही पहुँच चुका था | वह बाहर खड़ा प्रतीक्षा कर रहा था | अब फ़्लाइट लैंड कर चुकी थी और उसके दिल की धड़कने बढ़ती जा रही थीं | उसने भानु और बच्चे को कितना मिस किया था जैसे वह उसका ही परिवार हो | दूसरी ओर राजेश को कोई चिंता ही नहीं थी | वही तो करता रहा था भानु को फोन्स और माँ-बाबा समझते कि राजेश के फोन्स आते रहते हैं |
फ़्लाइट समय पर थी | यात्रियों की भीड़ में भानु उसे दिखाई दे रही थी जो अपने लगेज के आने की प्रतीक्षा कर रही थी | एक ट्रौली उसके पास थी जिस पर उसने मुन्ना को बैठा रखा था | सारी फॉर्मेलीटीज़ पूरी करके भानु लगेज लेकर बाहर आई | मुन्ना उसकी गोदी में मचल रहा था | काफी लंबे समय तक वह अपनी नानी माँ, नाना और आया के साथ रहा था | अब उसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए वह कुछ बेचैन सा लग रहा था | जैसे ही भानुमति बाहर आई रिचार्ड ने एक्साइट होकर बड़े जोश से पुकारा --
"भानुमति---"
फिर एकदम से चुप हो गया | षड थोड़ा झिझक गया था |
अब दोनों एक-दूसरे के पास आ चुके थे | उसने बेटे को गोदी में लेने के लिए हाथ बढ़ाए लेकिन मुन्ने महाराज उसका चेहरा भूल चुके थे |
"अरे ! भूल गया मुझे !!"रिचार्ड ने हँसकर कहा |
"पहचान जाएगा जल्दी --" भानु ने मुस्कुराकर कहा |
"हाऊ इज़ इंडिया ? हाऊ आर योर पेरेंट्स एंड हाऊ इस डीयर पुनीत --?" उसने फिर से बच्चे की ओर हाथ बढ़ाया | लपककर पुनीत को अपनी गोदी में समेट लिया और उसका चेहरा उस ओर घुमा दिया जिधर काफी बच्चे थे | अचानक बच्चे ने उधर देखकर किलकारी भरनी शुरू कर दी | कमाल है, बच्चों का भी कुछ पता नहीं चलता ! रिचार्ड और भानु अचानक मुस्कुराने लगे |
"बताया नहीं तुमने सब कैसे हैं ? " रिचार्ड ने आगे बढ़ते हुए फिर से पूछा | कमाल था, बच्चा बिलकुल चुप हो गया था जैसे गोदी को पहचान गया हो |
"सब ठीक है रिचार्ड --और इसको तो तुम देख ही रहे हो, इतने दिनों बाद तुम्हारी गाओड़ की ख़ुशबू पहचान गया | सरप्राइज़ है ----"
"तुम कैसे हो ?" भानु ने उसकी ओर आँखे उठाकर पूछा |
"मी--गुड --मिसिंग मुन्ना ---" उसने नीची नज़रों से भानु की ओर देखा |
"तुमने मुझे कितनी हैल्प की रिचार्ड --कैसे उसका थैंक्स पे करूँगी
"गाड़ी में बैठकर और अपने एपार्ट्मेंट में पहुँचकर ---" वे गाड़ी के पास पहुँच गए थे |
"एपर्ट्मेंट ! तुमने मेरे लिए एपर्ट्मेंट भी ले लिया ?" ओह ! वह कितनी चिंता कर रही थी और यहाँ सब कुछ तैयार था उसके लिए | उसने एक लंबी साँस ली और गाड़ी में बैठ गई | सामान पहले ही रखा जा चुका था |
"सो नाइस ऑफ यू --" उसने गाड़ी में बैठकर रिचार्ड से कहा |
"माई प्लेज़र ग्रेट लेडी --" रिचार्ड ने धीरे से स्नेह से भानु का हाथ दबा दिया |
भानुमति ज़ोर से खिलखिला पड़ी | रिचार्ड की सारी हरकतें आशिकों जैसी होतीं और उसे मिलने वाला क्या था ? सोचते -सोचते वह कई बार गंभीर भी हो जाती थी |
"आज ड्राइवर नहीं लाए रिचार्ड ?" भानु ने पूछा |
" ज़रूरत है ?" उसने भानु की आँखों में आँखें डाल दीं |
भानु का दिल ज़ोर से धड़कने लगा |
"नहीं, ऐसे ही पूछ रही थी |"
"डर रही हो ?" उसने पूछा |
" तुमसे ---? क्यों ?" भानु ने पूछा |
"क्यों मैं आदमी नहीं हूँ ---मैन ---?" वह हँसा |
"कमाल है ---भेड़िया तो नहीं हो तुम --?" भानु ने कहा फिर बोली ;
" आई एम ए ग्रेट वुमेन ऑफ इंडिया --पुरुष से टक्कर लेने की ताकत है मुझमें ---"
"ओ ! वाव --यू आर ग्रेट---रीयली ! लेकिन क्यों एक आदमी से फ़ाइट नहीं कर सकीं ?क्यों?" रिचार्ड उससे कितनी ही बार कह चुका था कि वह राजेश से अपने लिए लड़े लेकिन वह हमेशा चुप रह जाती थी इसीलिए उसने आज भी उस पर रिमार्क पास कर दिया |
"क्योंकि उससे मैं किसी मर्यादा से बंधी हूँ --लिमिटेशन्स हैं मेरी --कुछ बंधन ---"
"पहले तुम्हारी बातें समझ में नहीं आती थीं, अब आती हैं --" रिचार्ड ने कहा |
भानु ने रिचार्ड की भाषा में चेंज नोट किया |
"अरे वाह ! तुम तो बहुत बढ़िया हिन्दी बोले जा रहे हो, वो भी लगातार ! चार महीनों में इतना बड़ा कमाल !"उसने मन से तारीफ़ की |
"अभी अपने एपार्ट्मेंट में चलकर देखना ---"
"मेरा एपर्ट्मेंट !वाह --ऐसा क्या है ?"
"खुद चलकर देखो ---|"
सारे रास्ते रिचार्ड भारत और उसके माँ-बा के बारे में पूछता रहा | मुन्ना सो चुका था इसलिए वे बातें भी आराम से कर पा रहे थे |उसने बाब की, माँ की और बिजनेस की स्सरी बातें ज्यों की त्यों उसे बता दी थीं |
"वाकई, तुम्हारे पेरेंट्स को तुम्हारी ज़रूरत है |" रिचार्ड ने कहा |
"हाँ, वो तो है ही लेकिन अगर मैं कोई स्टैप लेती हूँ तो माँ-बाबा को सब पता लग जाएगा |नहीं रिचार्ड, मेरी इतनी हिम्मत नहीं है --आई कांट डेयर ---नो, आई वोंट --"भानु ने रिचार्ड से अपने मन की बात कही, वैसे वह पहले से ही जनता समझता था |
"रिलैक्स, वी वील सी टू इट ---" रिचार्ड ने कहा |
गाड़ी एपर्ट्मेंट के आगे रुक गई थी |