….Now on ….….
तक्ष : (मन में) ओह मैं तो भूल गया इसे होश में लाना ...इसे तो मैं ही होश में ला सकता हूं ...इसे बाहर भेजना पड़ेगा..... आदित्य.. आप जाकर पानी ले आओ क्या पता ये उठ जाए ...!
आदित्य : हां ..बबिता...!
तक्ष : वो बाहर कुछ काम कर रही हैं... आप ले आओ....!
आदित्य : हां ...(आदित्य चला जाता है....)
तक्ष अदिति के माथे पर हाथ फेरकर कुछ बोलता है... और दूर हट जाता है.... इतने में आदित्य पानी लेकर आता है...
तक्ष : पानी की छिंटे मारिए इनपर ...!
आदित्य : हां (पानी कि छिंटे मारता है..अदिति थोड़ा सा हिलती है फिर धीरे धीरे आंखें खोल लेती है..)...चल तू उठ तो गई...!
अदिति : मैं room में कैसे आई....?
आदित्य : क्या बोल रही हैं , तू अपने room में नहीं होगी तो कहां होगी...!
अदिति : नही भैय्या
आदित्य : तू अब drama मत कर जल्दी उठ late हो रहा है.. जाने के लिए...जल्दी बाहर आ fresh होकर...!
अदिति : भैय्या... मैं drama नही कर रही हूं... कल रात को मैं balcony में थी और अचानक धुआं धुआं हुआ फिर पता नही क्या हुआ.. क्योंकि मुझे चक्कर आ गया था...!
आदित्य : मेरी प्यारी बहना तू अभी नींद में है... जा नहा ले ठीक हो जाएगी....!
अदिति : भैय्या ...तक्ष तुम भी तो थे.. (आदित्य बिना सुने चला जाता है....)..!
तक्ष : हां ....मैं चला गया था जल्दी...!
अदिति question mark सी रह जाती हैं....
आदित्य : अदि.. जल्दी आ बाहर ....!
…….in dinning table …..
आदित्य : अदि.. इतना मत सोच ...जल्दी breakfast खत्म कर ...!
अदिति : हां खा रही हूं... आप मुझ-पर believe क्यूं नहीं तो रहे हैं.....!
आदित्य कुछ नहीं बोलता चुपचाप अपने खाने में लगा था..
आदित्य : तक्ष ...तुम्हें यहां कोई दिक्कत तो नही है न..!
तक्ष : नही.. आप लोग इतना ध्यान रख रहे हो मेरा... (तभी अदिति का phone ring. होता है)..!
आदित्य : अदि.. कहां खोई हुई है देख phone ring हो रहा है..
अदिति : हां.. (मन में.).. विवेक हां.. याद आया मैं कल रात विवेक से बात कर रही थी..तभी अचानक मुझे चक्कर आ गया था... क्या करु भैय्या... को मेरी बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा है....
आदित्य : किसका phone था अदि....!
अदिति : हां.. भैय्या वो
आदित्य : अदि.. क्या हो गया तुझे..?
अदिति : कुछ नहीं भैय्या.... चलो अब ...!
आदित्य : तबीयत ठीक नही है तो आराम कर ले...!
अदिति : नही भैय्या मैं ठीक हूं....!
आदित्य : तक्ष वैसे कल क्या हो गया था तुम्हें... तोड़ फोड़ क्यूं कर दी थी....?
तक्ष : वो मुझे उस अमोघनाथ से डर लग गया था...!
आदित्य : अच्छा... तुम्हें डरने कि जरुरत नहीं है ...अब तुम यहां बिल्कुल safe हो...चल अदि...!
दोनो चले जाते है....
.....in college.....
आदित्य : जा ध्यान रखिओ अपना... मुझे late हो सकता है. आने में खाना खाकर सो जाना....!
अदिति : ठीक है....!
आदित्य चला जाता है
श्रुति : hye ... अदिति...!
अदिति : hye...!
श्रुति : I you ok ...aditi ...?
अदिति : fine ...!
In canteen.....
श्रुति : hello दोस्तों....!
कंचन : hey ! अदिति कहां खो गई...!
अदिति : कही नही... विवेक ...?
विवेक : guys मैं अदिति से बात करना चाहता हूं... तुम आज की class में बहाना कर देना...!
अदिति : विवेक... (होठो पर उंगली रख देता है....)..
विवेक : चुप रहो ...!
कंचन : हां.. क्यूं नहीं जा अदिति.... अदिति तेरे हाथ में चोट कैसे लगी....?
अदिति : बस ऐसे ही...!
विवेक : चलो अदिति.... अगर अब मना किया तो
अदिति : नही मना कर रही हूं... चलो....!
विवेक : चलो फिर... बैठो ......!
अदिति : हां....!
………..in river side………
अदिति : विवेक... कल के लिए sorry...!
विवेक : कोई बात नही....तुम यहां बैठो...!
अदिति : तुम (चुप कर देता है....)
विवेक : शांत रहो ...आज तुम नही मैं बोलूंगा....वैसे देखो....ये नदी का किनारा ...शांत लहरें , सुहाना मौसम.. और तुम्हारा साथ बात ही कुछ और है....!
अदिति : अच्छा...!
विवेक : आज तो मेरा दिल बस यही गा रहा है.... मिले हो तुम हमको बड़े नसीबो से... (अदिति हंस जाती हैं....) चलो मेरी sweet heart के चेहरे पर smile तो आई....!
अदिति : विवेक ...
विवेक : हां.. बोलो अदिति.... (अदिति के हाथो को पकड़ता है.. )..ये चोट कैसे लगी , कल तक तो बिल्कुल ठीक थी..
अदिति : अरे ये तो तक्ष कि वजह से लगी थी....!
विवेक : अब ये तक्ष कौन है...?
अदिति : तक्ष पापा के दोस्त का बेटा है....
विवेक : वो क्यूं आया है तुम्हारे साथ.....?
अदिति : ये तो बहुत लम्बी कहानी है...
विवेक : तो फिर बाद में बताना... अभी तो मैं किसी कहानी को सुनने के मूड में नहीं हूं.... अभी तो सिर्फ मुझे मेरी अदिति चाहिए बस और कुछ नहीं.....!
अदिति : तुम मुझसे इतना प्यार क्यूं करते हो , अगर मुझे कुछ हो गया तो ....!
विवेक : तुम्हें कुछ नहीं होने दूंगा... तुम हरेक मोड़ पर विवेक को अपने साथ ही पाओगी ....अदिति मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता... तुम्हें पाने के लिए मुझे कुछ भी करना पड़े मैं करुंगा....!
अदिति : मैं भी तुम्हें नही खोना चाहती विवेक... (गले लग जाती हैं....)
. (अदिति कुछ और बोलती कि जोरो से बारिश होने लगती है...)...
विवेक : wow ! What a moment....!
विवेक अदिति को बारिश में ले जाता है....
अदिति : विवेक ....मैं गीली हो जाऊंगी...!
विवेक : तो क्या हुआ.... चलो...!
अदिति : तुम नही मानोगे.....!
विवेक : बिल्कुल नही..
अब दोनों ही बारिश के पलो में खो चुके थे... विवेक अदिति को अपने करीब लाता है ...विवेक के सीने से लगने के कारण अदिति shyly feel करती है....अपने से दूर करके भागने लगती है....
विवेक : अदिति
अदिति : पकड़ो....!
विवेक भी कौन सा हार मानने वाला था... छट से अदिति को पकड़कर अपनी बाहो में भर लेता है.... अदिति अब उसकी कैद से आजाद होने के लिए कोई जोर नही लगा पाई ...वो भी मदहोश सी उसकी आंखों में खो गई....कब विवेक ने उसके माथे पर चुम लिया... उसे पता भी न चला....!
अदिति : विवेक ...वो देखो....!
विवेक : क्या अदिति (बेमन से)..!
अदिति : roasted corn ....इस बारिश के मौसम में कितना अच्छा लगता है ये.....!
विवेक : ठीक है....पर एक शर्त है....!
अदिति : क्या....?
विवेक : give me a one kiss ....!
अदिति : विवेक....
विवेक : अच्छा जी उस corn को kiss दे सकती हो और मुझे नही....!
अदिति हंसते हुए विवेक के गाल पर किस कर देती है...
अदिति : now happy....!
विवेक : yes my sweet heart....!
After enjoying roasted corn........
अदिति : विवेक अब घर चले ....!
विवेक : हां....
………to be continued ………