Single father. in Hindi Classic Stories by DEVENDRA DWIVEDI books and stories PDF | कुंवारा बाप।

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कुंवारा बाप।

नई उम्र,18से22 की अवस्था। सरिर अपने विकास पर जोर लगा रही थी। मै बालपन से बढ़ती हुई उम्र में परिवर्तित हो रहा था। नए सपने, इक हम की भावना, अटूट जोश, असमान्य तेज। जिस पर किसी की नजर पड़ते ही मोहित कर ले।

अपने काम से कम राहेना,अपने को अच्छा से अच्छा बनाने का प्रयास करना। लेकिन कौन जानता था की बढ़ती उम्र के साथ हर चीज बढ़ती है। और मै कब बड़ा हो गया।पता ही नहीं चला।


उन दिनों मै घूमने गया था। और वो घूमना,मेरा इक इतिहास के इक अध्याय का निर्माण किया।मै अपनी मस्ती में मगन था। पूरी दुनिया के साथ, ना जाने कब मै उस औरत की नजर में खटक गया और उसने अपना चरित्र में मुझे कब बसने लगी। उसकी उम्र कुछ 25से30की थी। वह इक खास रिश्ते में आती थी। उसका वो मेरा ध्यान रखना। मुझे प्रभावित करता था,लेकिन तब मै कुछ और समझ रहा था।
मुझे पता नहीं चला कि उसका ध्यान रखना कब प्यार में बदल गया।

अब छुट्टियां खत्म हो चुकी थी,मै अपने समय में वापस आ गया लेकिन साथ में उसका प्यार ले के लौट रहा था। और ऐसा वैसा प्यार नहीं था थोड़ा गिफ्ट - सिफ्ट 24 घंटे में 8घंटे फोन पे बात करना। दैनिक जीवन का इक भाग बन गया था।
तब पता नहीं चल रहा था कि क्या सही क्या गलत था और 1साल के अंदर प्यार हवस बन गया। उसने अपना पैसा खर्च कर बुलाया था। और मै निः ह संकोच गया था, जाते ही देखा कि आज मै घर की जगह होटल गया हूं। वाह घर की अपेक्षा ज्यादा की उससे ज्यादा चमक है,उस दिन सफ़ेदपोश अपराध को देख रहा था।
अब मै उसके सीकर में फस चुका था। या वो मुझमें फस चुकी थी।

(खैर मैंने उससे पूछा भी कि सादी होते हुए भी) उसने हस के बात टाल दी थी। और कुछ समय बाद हम दोनों हवस भी पूरी हो चुकी थी। मै अपने घर आ चुका था। लेकिन इस बार कुछ ग़लत लग रहा था। मुझे अब उससे घ्रणा हो रही थी,8घंटे चलेने वाली बात कुछ दिनों में मेरी तरफ से सिर्फ10मिनट हफ्तों में होने लगी और वो उतना ही परेशान होने लगी।
समयांतर

इस आधुनिक दुनिया में रह कर भी उसने हमारे प्यार को जन्म दिया। और मुझे ब्लॉक मेल करने लगी। मै थोड़ा स्वचालित व्यक्ति होने के कारण मामला कमजोर करता गया।
सम दम दंड भेद सब लगा के मामला ना कुछ कर थी। लेकिन समाज की किरकिरी मुझ में भी हो रही थी। मेरे पीछे मेरे नाम के आगे। कुंवारा बाप नमक उपाधि जोड़ थी गई थी।
जो काफी दिन तक चलता रहा। फिर धीरे धीरे सब भूलने लगे और भूल गए। मै भी अपने में खोगाया उस रास्ते पे वापस कभी नहीं गया।

करीब 30साल बाद अब मै 50का हूं मेरा परिवार है,और अपने परिवार के साथ खुश हूं,लेकिन इक दिन अचानक 4बजे इक बड़ी गाड़ी मेरे घर के सामने आ कर खड़ी होती है।
और मेरी मिलती जुलती सकल का लड़का मेरे सामने आता।
अव ना ताव मै अपनी 28की उम्र में खो जाता हूं।
कुछ समझ नहीं आता कि तुम इतने बड़े कैसे हो गए समय कितना जल्दी निकल गया। वो मेरे पास आ बैठ जाता है। और कहेता है मै सब जानता हूं। मै भैभीत होता हूं लेकिन वह ना डरने की सलाह देता है। लेकिन घर ले जाने का आग्रह करता है। और माना करने पर,सोचने को बोलता है। मै जाने को तैयार हो जाता हूं। और वह जाने के बाद देखता हूं की वो अपनी आखिरी सांस लेने की कोशिश कर रही थी,मुझेसे मिलना चाहेती थी।
और आखिरी मिलने के बाद अपनी सांस तोडती है।
मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा था। अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा।
लेकिन लड़का अब मिलता है। इक साथ बैठेते है,काफी दोस्ती है हम दोनों में। उससे मिलने के बाद मै कुछ अजीब सा हूं। उससे मिलने बाद थोड़ा खुश हूं।
WRITER: D Devendra