जो भी आज सुबह हुआ था उससे अमायरा सिहर जरूर उठी थी लेकिन स्ट्रेंजली ना ही वोह एंबारसे हुई थी और ना ही उसे बुरा लगा था। इसके विपरित उसके चेहरे पर आज दिन भर एक प्यारी सी मुस्कुराहट थी। वोह आज दिन भर सुबह की घटना याद कर कर के मुस्कुराती और शर्मा जाति। और इस वक्त वोह अपनी अलमिराह खोले खड़ी थी और डिसाइड करने की कोशिश कर रही थी की आज क्या पहने। अचानक ही अब चूज करने के लिए उसके पास काफी सारे कपड़े थे और अब उसे समझ नही आ रहा था की किसे चुने। तोह काफी वक्त इस पर बर्बाद करने के बाद फाइनली उसने दो प्लेन टॉप चुने जो अनाथ आश्रम जाने के लिए सिंपल और परफेक्ट हो सकते थे। लेकिन उसे अब भी समझ नही आ रहा था की इनमे से क्या पहने। इसलिए उसने तुरंत इन टॉप की पिक्चर क्लिक की और कबीर को भेज दी थी। और हैरत की बात तोह ये थे की कबीर से पूछने पर भी वोह शर्मा नही रही थी। जब की आज के इंसिडेंट के बाद अकेले में सोच सोच कर शर्मा रही है और कबीर से बात करने में कोई शर्म महसूस नही कर रही थी, जबकि इतनी छोटी सी बात थी फिर भी उसने कबीर से पूछा था।
कबीर ने भी जवाब दिया था लेकिन अमायरा ने उसका उल्टा पहना था। वोह तोह अपने आप में ही बहुत खुश हो रही थी यह सोच कर जो कबीर ने चुना था उसका उल्टा उसने दूसरा टॉप पहना इसलिए कबीर इरिटेट हो जायेगा।
ऐसे ही मुस्कुराते हुए वोह अपनी मॉम के कमरे की तरफ बढ़ गई। उसे एक न एक दिन तोह यह काम करना ही था, तोह आज क्यों नही, लेकिन आज बस थोड़ी सी ही बात करने गई थी। क्योंकि उसे फिर बच्चों को डांस सिखाने अनाथ आश्रम भी जाना था।
वैसे भी वोह इस वक्त एक अच्छे मूड में थी, जिस वजह से उसका एक मन हो रहा था की मॉम से बात न करे। और यही सोचते सोचते वोह अब अपनी मॉम के कमरे के बाहर खड़ी थी और हिचकिचा रही थी दरवाज़ा खटखटाने से लेकिन तभी उसे एक आवाज़ आई।
"अमायरा, क्या यह तुम हो?" उसने अपनी मॉम की आवाज़ सुनी जब वोह उनके कमरे के बाहर खड़ी थी। वोह चौंक गई थी।
नमिता जी अपने कमरे में कुर्सी पर बैठी थी और एक किताब पढ़ रही थी। उन्हे कैसे पता चला की वोह यहां है, कोई अंदाजा नहीं था।
"नही....मेरा मतलब है, हां, मैं ही हूं।"
"तोह फिर तुम वहां क्यों खड़ी हो। अंदर आ जाओ।" नमिता जी अपनी बेटी को देख कर मुस्कुरा रहीं थीं।
"आपको कैसे पता चला की मैं हूं?" अमायरा ने दरवाज़ा वापिस बंद करते हुए पूछा।
"क्योंकि मैं तुम्हारी माँ हूं।"
"तोह फिर आप मेरे बारे में सब कुछ जानती हैं?" अमायरा ने कहीं खोए हुए पूछा।
"मुझे नही पता। जब बच्चे बड़े होने लगते हैं, वोह थोड़ा दूर होने लगते हैं। शायद मैं इस वक्त तुम्हारे बारे में सब कुछ नही जानती हूं, पर मुझे उम्मीद है की तुम मुझे वोह सब कुछ बता देगी अगर ऐसा कुछ है जो मुझे पता होना चाहिए।"
"ऐसा कुछ नही है जो मैं आपको बता सकूं।"
"मैं तुमसे कुछ पूछूं अमायरा?"
"आपको परमिशन लेने की ज़रूरत नही है मॉम। आप मेरी मॉम हो, आपको पूरा हक है मुझसे कुछ भी पूछने का।"
"क्या तुम मुझसे नाराज़ हो अमायरा?"
"आप ऐसा क्यों कह रही हैं?"
"क्योंकि मेरी पुरानी अमायरा कहीं खो गई है। तुम मुझे अब कोई और नज़र आती हो, खुश तोह लगती हो, पर दूर दिखती हो। और मुझे एक बात बिलकुल समझ नही आ रही। तुम मुझसे दूर हो कर वोही प्यार और परवाह दिखाती हो जो पहले दिखाती थी। कितने दिन हो गए की तुम मेरे पास आ कर मेरे साथ नही बैठी, जबकि अब तोह हम एक ही घर में रहते हैं। कुछ हुआ है क्या, अमायरा?"
"मैं बस थोड़ा बिज़ी थी मॉम। पहले अनाथ आश्रम के बच्चे और फिर उसके बाद साहिल की शादी की तैयारियां, बस उसी में बिज़ी रह जाती हूं। और कुछ नही है।" अमायरा समझ रही थी की उसकी मॉम क्या बात करना चाह रहीं हैं इसलिए उसने बात टालने की कोशिश की।
"क्या तुम कबीर के साथ खुश हो? क्या वोह एक अच्छा हस्बैंड है?"
"वोह तोह दुनिया के बेस्ट हसबैंड हैं जो शायद किसी के पास हो। एक यही तोह अच्छी चीज़ हुई थी मेरे साथ।" अमायरा ने अपने दिल से जवाब दिया।
"अभी भी तुम मुझसे नाराज़ हो क्योंकि मैंने ही तुम्हे उस से शादी करने को कहा था।" नमिता जी ने सीधे पूछा।
"आप ऐसा क्यों कह रहीं हैं?"
"मैं तुम्हारी आंखों में देख सकती हूं। शायद अब चीज़ तुम दोनो के बीच सहीं हो गईं हो, पर शुरू में तो नही थी न। तुम ज़रूर मुझसे गुस्सा थी, बस अब मान नही रही हो।"
"मैं आपसे गुस्सा नही हूं इसलिए की आपने मुझे उनसे शादी करने के लिए कहा था। मैं झूठ नही बोल रही थी जब मैने यह कहा था की यह मेरी पूरी जिंदगी में सबसे अच्छी चीज़ हुई थी।"
"पर फिर भी तुम मुझसे गुस्सा हो। शायद इसलिए की मैने हमेशा तुमसे पहले इशिता को चुना।" नमिता जी ने सीधा उसकी आंखों में देखते हुए कहा और अमायरा बिलकुल चुप रही। वोह श्योर ही नही थी कैसे रिएक्ट करे। क्या वोह जानती थी की मैं कैसा महसूस करती थी इतने सालों से पर फिर भी वोह ऐसे के ऐसे ही रहीं? अमायरा की आंखों में अब आंसू भर गए।
"आप मुझसे अब यह सब क्यों पूछ रहीं हैं? जब अब मैं इन सब बातों की कोई परवाह नही करती।" अमायरा ने अपने इमोशंस को दबाते हुए पूछा।
"अमायरा, मैने यह रियलाइज किया है की में इतने सालों से तुम्हारे साथ अनफेयर रही हूं। पर मेरा यकीन करो मैने यह जान बूझ कर नही किया है। मैने अपना सारा प्यार इशिता को दिया, और तुमसे हमेशा समझने की उम्मीद करती रही। पर मैने कभी यह नहीं सोचा की मैं तुम्हे दूर करना चाहती हूं और मेरा यकीन करो की मैं भी हजारों बार मरती थी जब भी मैं तुम्हारे बदले उसे चूज करती थी, उसे ज्यादा अहमियत देती थी, उसे प्यार करती थी।" नमिता जी अपने हिस्से का पार्ट शेयर कर रही थी और अमायरा का यहां गुस्सा बढ़ रहा था।
"तो इसका मतलब बीते इन सालों में जब मैं आपके अटेंशन के लिए, आपके प्यार के लिए, तरसती थी तोह आप सब कुछ जानती थी और फिर भी आपने मुझे इग्नोर किया। क्यूं मॉम? क्यूं? आपने मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती हैं? कैसे?" अमायरा रो रही थी। वोह अभी भी शॉक में थी।
"आई एम सॉरी बेटा। मैने कुछ भी जान बूझ कर नही किया। मैं जानती हूं की मैं तुम्हारी मॉम बनने की ज़िमेदारी में फेल हो चुकी हूं, बस इसीलिए की मैं इशिता के साथ फेयर होना चाहती थी। और इस वजह से मुझसे मेरी अपनी बेटी इग्नोर हो गई। जब तुम कबीर से शादी करने के लिए तैयार हो गई थी, तोह मैं एक बात समझ चुकी थी की तुम मुझसे बहुत दूर जा चुकी हो। पर पहले ही बहुत देर हो चुकी थी और मुझे लगा था की तुम दोनो के बीच बाद में सब ठीक हो जायेगा। मैं चाहती थी की तुम हमेशा खुश रहो क्योंकि मैं जानती थी की तुम कभी भी अपनी जिमेदारियों से भागोगी नही।"
"कौनसी जिमेदारियो की बात कर रहीं हैं आप? अपनी गोद ली हुई बेटी को हमेशा खुश रखने की ज़िमेदारी? जो मैने नही चुनी थी। आपने खुद चुना था उन्हे पालने का। तोह मैं क्यूं इसकी भरपाई करूं? मैं क्यों उसके लिए सेक्रिफिस करूं जो जिमेदारियाँ आपने खुद चुनी थी? क्यूं मॉम?" गुस्से से वोह कांपने लगी थी।
"आई एम सॉरी अमायरा।"
"मुझे आपका सॉरी नही चाहिए। मुझे जवाब चाहिए। आपने मुझे ऐसे क्यों बड़ा किया जैसे मैं ही आपकी गोद ली हुई औलाद हूं?"
"मैं...... अमायरा.... मैं..!"
"बोलिए मॉम। मैं इंतजार कर रही हूं। मैने दस साल इंतजार किया है इस जवाब के लिए। मेरी तरफ से दी के लिए कोई बुरी फीलिंग्स नही है, क्योंकि वोह खुद भी यह सब नही जानती, पर आपके पास तोह वजह थी यह सब करने की जो भी आपने किया। आज मुझे सब जानना है।"
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कहानी अभी जारी है...