बाल कहानी-क्रोध (ग़ुस्सा)
आज ज में ब ऋतु स्कूल जा रही थी तब वह बहुत उदास थी,स्कूल में पहुँचने के बाद भी उसका किसी काम में मन नहीं लग रहा था ।
स्कूल में कक्षा अध्यापिका ने उपस्थिति के समय देखा कि ऋतु का नाम बोले जाने पर भी ,उपस्थिति के लिए उसने हाथ नहींउठाया,किसी गहरे सोच में वह बैठी है ।
सभी बच्चों की उपस्थिति लेने के बाद अध्यापिका ने रजिस्टर यथा स्थान रखा और ऋतु को अपने पास बुलाया।
उन्होंने उसके उदास होने का कारण पूछा—
पहले ऋतु चुप रही लेकिन जब अध्यापिका ने उसे प्यार से गोद में बैठाया तो ऋतु ज़ोर से रोने लगी , अध्यापिका ने प्यार से ऋतु केसाथ बात की और खेल में लगा कर उसे चुप कराया ।जब ऋतु सामान्य हो गई तब अध्यापिका ने उदास होने और रोने का कारण पूछा ।
ऋतु ने अपनी अध्यापिका दीदी से पूछा— “दीदी ग़ुस्सा क्यों आता है, आज मेरे भाई ने मेरी गलती न होने पर भी मुझ पर ग़ुस्सा कियाऔर मेरी दोनों चोटी बहुत ज़ोर से खींच कर मुझे नीचे गिरा दिया ।”
“ओह! , ऋतु तुम यह जानकारी चाहती हो कि ग़ुस्सा क्यों आता है ।” अध्यापिका ने कहा—“आज में तुम्हें एक कहानीसुनाऊँगी,जिससे ग़ुस्सा क्यों आता है और बिना कारण के जाने किसी पर ग़ुस्सा करना कितना नुक़सानदेह साबित होता है ।”
कहानी
एक बहुत ही प्यारी पॉंच वर्ष की बच्ची थी,घर में उसे सभी प्यार करते थे , वह भी अपने मम्मी-पापा , दादी-दादा जी , भाई-बहनसभी से बहुत प्यार करती थी । वह परिवार में सबसे छोटी और लाड़ली थी । उसका नाम था चाँदनी, नाम के अनुरूप वह बहुत सुंदर थी ।
अब वह स्कूल जाने लगी थी, अपनी कक्षा में वह होशियार बालिकाओं में जानी जाती थी,अध्यापिका जो एक बार कक्षा में बतातीं वहसब उसे कंठस्थ हो जाता था। वह लिखना भी सीख रही थी, इसलिए जब मन करता कापी पर लिखने लगती धीरे-धीरे बहुत से शब्दलिखने का प्रयास कर रही थी ।
चॉंदनी के पापा नई कार लेकर आये तो घर में सभी ख़ुश थे, कार आने के बाद मंदिर में पूजा अर्चना करने सभी लोग गये । प्रसादमिठाई वितरण की और सभी कार में बैठकर बहुत खुश थे।
चाँदनी के पापा रोज़ ऑफिस जाते और अपनी कार को प्रतिदिन साफ़ किया करते थे ।
एक दिन उन्होंने देखा कि चाँदनी कार पर चौक से कुछ लिख रही है, चाँदनी ने स्कूल में कुछ शब्द लिखने सीख लिए थे रंगीन चौक सेवह कुछ लिख रही थी ।
पापा ने जैसे ही देखा उन्हें बहुत ग़ुस्सा आया और दौड़ कर चॉंदनी के गाल पर बहुत ज़ोर से एक थप्पड़ मारा , नन्ही चॉंदनी थप्पड़ सहननहीं कर सकी और वह गिर गई। वह अचानक गिरते हुए दीवार से टकराई और बेहोश हो गई ।
उसके पापा ने देखा चॉंदनी के माथे से रक्त निकल रहा है ।
वह उसी कार में चॉंदनी को अस्पताल ले गए, वहाँ पर डाक्टर ने कहा बहुत खून निकल गया है, खून चढ़ाने के लिए तैयारी करनी होगी ।माथे पर खून रोकने का उपचार किया और टाँके लगा दिए गये ।
घर के सभी सदस्य अस्पताल पहुँच गए । सबने पापा से कहा- अब आप घर जाइए हम देख भाल कर रहे हैं । पापा भारी मन से कारमें बैठने को गये तो देखा कि कार पर
“ I love you pa…” लिखा था । उसे देख कर वह रोने लगे और दोबारा चॉंदनी के पास जाकर उसे प्यार से गले लगा कर रोने लगे ।
आज वह बहुत पछता रहे थे कि —“मैंने देखा भी नहीं कि वह क्या लिख रही है, उस नन्ही चॉंदनी को बिना सोचे समझे इतनी ज़ोर सेमारा कि वह बेहोश होकर ज़मीन पर गिर गई।”
मेरी प्यारी फूल सी बच्ची के चोट के बाद बहुत रक्त बह गया ।
कुछ दिनों बाद चॉंदनी अस्पताल से घर आ गई और वह चोट का निशान उसके माथे पर सदा के लिए रह गया । पापा ज़ब्ती उसेदेखते पछताते थे कि मुझे इतना ग़ुस्सा क्यों आया ।
चॉंदनी पापा से कहती “I love you papa”
इस तरह कहानी सुना कर अध्यापिका ने ऋतु को बताया कि कभी-कभी हम बेवजह ग़ुस्सा करते हैं और बाद में पछताने के अलावा कुछनहीं मिलता ।
चॉंदनी के पापा पहले यदि देख लेते कि उसने क्या लिखा है तो उन्हें इतना ग़ुस्सा नहीं आता और उसके चोट भी नहीं लगती ।
लोग तो स्टिकर लगाते हैं, वह तो नन्हे हाथों ने प्यार से लिखा था ।
ग़ुस्सा तो सभी को आता है,कुछ लोग उसपर कंट्रोल कर लेते हैं , कुछ नहीं कर पाते ।
ऋतु को अब समझ आ गया क्रोध कितना नुक़सानदायक होता है ।
आशा सारस्वत ✍️