Pyar ke liye - 5 - last part in Hindi Love Stories by Ashish Kumar Trivedi books and stories PDF | प्यार के लिए - 5 - अंतिम भाग

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प्यार के लिए - 5 - अंतिम भाग

(5)

सुज़ैन की आँख खुली तो साइड टेबल पर रखी एड्रियन की तस्वीर पर नज़र गई। तस्वीर में उसकी खूबसूरत मुस्कुराहट दिखाई पड़ रही थी‌। उसकी आँखों में चमक दिखाई पड़ रही थी। ऐसा लग रहा था कि जैसे यह चमक अंदर की जिजीविषा की है। सुज़ैन लेटे हुए उस तस्वीर को निहारने लगी। उस तस्वीर को निहारते हुए बोली,

"ग्रेस आंटी का कहना है कि तुम इस तरह हॉस्पिटल के बेड पर पड़े ज़िंदगी जीना नहीं चाहते हो। डॉ. प्रवेश दबस का कहना है कि कोई उम्मीद नहीं है। पर मुझे लगता है कि तुम किसी भी हालत में हार मानने वालों में नहीं हो। हो सकता है कि एक दिन उस बेहोशी से बाहर आ जाओ। जब उनके हिसाब से सोचती हूँ तो लगता है कि इस तरह तुम्हें जीवित रखकर तुम पर ज्यादिती कर रही हूँ। जब उनकी बात मानने का विचार करती हूँ तो मन में एक अपराधबोध आता है। लेकिन अब सही निर्णय लेना ज़रूरी है। अब तुम ही कोई इशारा दो।"

यह कहकर उसने तस्वीर उठाई और उसे चूम लिया।

सुज़ैन तैयार होकर ब्रेकफास्ट करने जा रही थी तभी डोरबेल बजी। उसने दरवाज़ा खोला तो सामने खड़े शख्स को पहचानने में कुछ क्षण लगे। उसे पहचान कर उसने कहा,

"श्रेयस नटराजन...."

आगंतुक ने कहा,

"हाँ.... तुम्हारी और एड्रियन की शादी के बाद आज मिल रहे हैं। एड्रियन के बारे में सुना तो चला आया।"

सुज़ैन ने श्रेयस को अंदर बुलाया। उसे बैठाकर कहा,

"बहुत दिनों से एड्रियन हॉस्पिटल में भर्ती है। कोमा में है। लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर। डॉक्टर का कहना है कि कोई उम्मीद नहीं है। लेकिन मैं निराश नहीं होना चाहती हूँ।"

"दरअसल यहाँ आने से ‌पहले मैं हॉस्पिटल ही गया था। मैं डॉ. प्रवेश दबस से मिलकर आ रहा हूँ। उन्होंने ‌मुझे एड्रियन की हालत के बारे में सबकुछ बता दिया।"

सुज़ैन कुछ देर सोचने के बाद बोली,

"डॉ. प्रवेश दबस का कहना है कि एड्रियन को इस तरह लाइफ सपोर्ट सिस्टम ‌पर रखने का कोई लाभ नहीं है। उन्होंने मुझसे निर्णय लेने को कहा था। पर मुझे नहीं लगा कि उम्मीद छोड़ देनी चाहिए। इसलिए मैंने निर्णय लिया है कि एड्रियन को इसी तरह रखा जाए और उसके ठीक होने की राह देखी जाए।"

"डॉ. प्रवेश दबस ने तुम्हारे निर्णय के बारे में बताया था।"

सुज़ैन ने अपना तर्क रखते हुए कहा,

"श्रेयस तुम तो एड्रियन के दोस्त हो। उसे अच्छी तरह जानते हो। क्या तुम्हें लगता ‌है कि मेरा निर्णय ठीक नहीं है।"

श्रेयस ने सुज़ैन को देखकर कहा,

"जानता हूँ कि एड्रियन बहुत ही खुश मिजाज़ और उत्साह से भरा हुआ इंसान था। ज़िंदगी के हर पल को वह भरपूर जीना चाहता था। लेकिन अब बात अलग है।"

"क्या अलंग है श्रेयस ? एड्रियन अभी भी है। मुझे पूरा यकीन है कि वह ‌पहले की तरह जीना चाहता है। बस इस समय ज़िंदगी उसका इम्तिहान ले रही है। वह इसमें ज़रूर पास हो जाएगा।"

"सुज़ैन एड्रियन है लेकिन उन मशीनों की वजह से जिन्होंने ‌उसकी सांसें थाम रखी हैं। वह अपनी तरफ से कुछ नहीं कर सकता है। इस समय तो वह एक बेहोशी में है। उसे तो यह भी नहीं पता होगा कि उसके आसपास क्या घट रहा है।"

सुज़ैन ने अपना तर्क दिया,

"अगर वह कोमा में ना होता। उसे गंभीर चोट लगी होती और कुछ करने की स्थिति में ना होता। तो क्या जबरन उसकी सांसें बंद करा दी जातीं।"

"बिल्कुल नहीं.... लेकिन तब वह मशीनों पर निर्भर ना होता। अपने दम पर सांसें ले रहा होता। उसके अंदर सही होने की ललक होती। इस समय वह सिर्फ मशीन से सांस ले रहा है। उसके अंदर कोई भावना नहीं है। अगर कोई उम्मीद होती तो इस तरह जीना ठीक होता। पर अगर तुम सोच रही हो कि एड्रियन इस स्थिति से बाहर निकल कर पुरानी ज़िंदगी जिएगा तो यह नहीं हो सकता है।"

सुज़ैन को श्रेयस की बात सही लगी थी लेकिन अभी भी उसका मन तैयार नहीं था। उसने कहा,

"मैं एड्रियन के लिए इंतज़ार करूँगी। मुझे विश्वास है कि वह भी यही चाहता है।"

श्रेयस उसकी बात सुनकर कुछ देर चुप रहा। वह सुज़ैन की बात से सहमत नहीं था। कुछ देर के बाद बोला,

"मेरी बात कड़वी लगेगी। पर सच यह है कि तुमने जो फैसला लिया है वह एड्रियन के लिए नहीं अपने लिए लिया है। मैंने पहले भी कहा कि एड्रियन इस स्थिति में नहीं है कि अपने आसपास होने वाली चीज़ों को महसूस कर सके। तुमने जो निर्णय लिया है वह अपराधबोध के कारण। तुमको लगता है कि अगर तुम लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाने का फैसला लोगी तो उससे एड्रियन को दुख पहुँचेगा।"

सुज़ैन उसकी बात सुनकर आवाक थी। जो श्रेयस ने कहा था वह उसे सही लग रहा था। श्रेयस ने कहा,

"अपने मन से ‌यह निकाल दो कि तुम्हें एड्रियन के लिए फैसला लेना है। तुम्हें अपने आने वाले जीवन को ध्यान में रखकर फैसला लेना है। तुमने जो उम्मीद लगाई है वह बहुत समय तक बरकरार नहीं रहेगी। तब तक तुम टूट चुकी होगी।"

श्रेयस कुछ रुककर बोला,

"मैं तो यही कहूँगा कि समय पर सही फैसला ले लो।"

श्रेयस उठकर खड़ा हो गया। उसने कहा,

"डॉ. प्रवेश दबस से ‌मिलने के बाद ‌मुझे लगा कि तुमसे इस विषय में बात करनी चाहिए। इसलिए आया था। मैंने तुम्हें समझाने की कोशिश की है। लेकिन निर्णय तुमको लेना है और अपने लिए लेना है। उम्मीद है कि तुम सही निर्णय लोगी।"

श्रेयस चला गया। सुज़ैन बैठी उन बातों पर विचार कर रही थी जो श्रेयस ने कही थीं। बहुत देर तक वह उसी तरह बैठी रही।

सुज़ैन एड्रियन के पास बैठी थी। इस समय उसका मन शांत था। उसने बहुत सोच विचार के बाद अपना निर्णय ले लिया था। उसने एड्रियन से कहा,

"एड्रियन यह फैसला लेना मेरे लिए बहुत कठिन था। मैंने अपने आप से बहुत लड़ाई लड़ी तब जाकर फैसला कर पाई कि तुम्हें इन मशीनों से मुक्त करवा दूँ। तुम्हें शांति से उस दूसरी दुनिया में जाने दूँ। मैं नहीं जानती कि मैं तुमसे जो कुछ कहती हूँ तुम तक पहुँचता है कि नहीं। फिर भी अपनी तसल्ली के लिए तुमसे बातें करती रहती थी। आज भी तुम्हें अलविदा कहने से पहले तुम्हारे साथ कुछ बातें करना चाहती हूँ।"

सुज़ैन रुकी। अपनी भावनाओं को नियंत्रित किया। फिर बोली,

"याद है कि तुम कहते थे कि एक दिन हम बूढ़े हो जाएंगे। हमारे बच्चे अपनी ज़िंदगी में मस्त होंगे तब मैं और तुम एक दूसरे का साथ देंगे। गोवा वाले अपने ड्रीम हाउस में जाकर रहेंगे। मस्त होकर जिएंगे। तब किसी चीज़ की कोई फिक्र नहीं होगी। ज़िंदगी ने तुम्हारे साथ जीने के लिए बहुत समय तो नहीं दिया। लेकिन जितना भी समय तुम्हारे साथ गुज़ारा वह मरते दम तक मन में एक खूबसूरत एहसास की तरह रहेगा।"

सुज़ैन रुकी और एड्रियन का पसंदीदा गीत याद करने लगी। कुछ देर ‌बाद वह वही गीत गा रही थी। गीत समाप्त करके वह बोली,

"जब भी मैं गाती थी तब तुम कहते थे कि बहुत बुरा गाती हूँ। आज भी गाया तो मैंने वैसा ही बुरा है। पर आज इसे मेरे अंतिम तोहफे के तौर पर स्वीकार कर लेना।"

कहते हुए वह रोने लगी। उसने उठकर एड्रियन का माथा चूमकर कहा,

"गुड बाय एड्रियन। रेस्ट इन पीस...."

वह कमरे से बाहर निकल गई। उसके बाहर जाते ही डॉ. प्रवेश दबस भीतर जाकर अपना काम करने लगे।

बाहर वेटिंग लॉन्ज में सुज़ैन ग्रेस के कंधे पर सर रखकर रो रही थी। ग्रेस उसके सर पर हाथ फेरकर उसे तसल्ली दे रही थीं।

लाइफ सपोर्ट सिस्टम से अलग होने के कुछ देर बाद एड्रियन दुनिया से चला गया।

एड्रियन को ‌गए छह महीने से अधिक समय बीत चुका था। सुज़ैन अभी तक उस दर्द से उबर नहीं पाई थी। अक्सर रात में उठकर रोने लगती थी। उसकी तकलीफ़ को समझ कर ग्रेस ने कहा था कि कुछ समय के लिए वह उनके साथ रहे। सुज़ैन को भी किसी की ज़रूरत थी। इसलिए वह फ्लैट छोड़कर उनके साथ रहने लगी थी।

संडे को दोनों एक साथ चर्च गई थीं। जब वहाँ से लौटकर आईं तो कुछ लोगों को इंतज़ार करते पाया। एक औरत, मर्द और उनका जवान बेटा था। औरत ने सुज़ैन से कहा,

"हम आपका शुक्रिया अदा करने आए थे।"

सुज़ैन समझ नहीं पाई कि वह किस चीज़ का शुक्रिया अदा करना चाहती है। उसकी दुविधा समझ कर आदमी ने कहा,

"आपकी वजह से हमारे बेटे आदिल की जान बच पाई। नहीं तो हमें बीस साल के जवान बेटे की मौत का दुख झेलना पड़ता।"

आदिल ने कहा,

"मैं मरना नहीं चाहता था। बहुत कुछ करना है मुझे। आपने अपने शौहर के अंग दान करके मुझे एक नई ज़िंदगी दी है। मैं उनकी किडनी पाकर ज़िंदा हूँ। इसके लिए ज़िंदगी भर आपका एहसानमंद रहूँगा।"

आदिल जब यह बात कर रहा था तब सुज़ैन को महसूस हो रहा था जैसे कि एड्रियन उसके पीछे खड़ा मुस्कुरा रहा है।

आदिल और उसके माता पिता कुछ देर रुककर चले गए। सुज़ैन को बहुत अच्छा लग रहा था। उसने ग्रेस से कहा,

"आंटी मैंने अपने प्यार के लिए सही निर्णय लिया था। एड्रियन को मशीनों से मुक्त कर एक दूसरी ज़िंदगी दी है। अब मेरा ज़िंदादिल एड्रियन आदिल और उसके जैसे बाकी लोगों के अंदर ज़िंदा रहेगा।"

ग्रेस ने उसे गले से लगा लिया।

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Ashish Kumar Trivedi

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