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सुज़ैन अपने पापा के घर जा रही थी। उसके मन में बहुत सी बातें चल रही थीं। उसका पहली बार एड्रियन से मिलना। उनके बीच प्यार होना। उसके पापा का नाराज़ होना सबकुछ जैसे दोबारा उसके सामने घटित हो रहा था।
चर्च की तरफ से एक चैरिटी कॉन्सर्ट आयोजित किया गया था। सुज़ैन अपने पापा फिलिप गोम्ज़ के साथ कॉन्सर्ट सुनने गई थी। चर्चा थी कि एक नया उभरता हुआ सिंगर कॉन्सर्ट में गाने वाला है। सुज़ैन इस नए सिंगर को सुनने के लिए उत्सुक थी। कॉन्सर्ट शुरू हुआ तो एक खूबसूरत लंबा नौजवान स्टेज पर आया। अपने लंबे बालों को उसने पोनीटेल में बांध रखा था। उसके गले में गिटार था। माइक हाथ में लेकर उसने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा,
"गुड ईवनिंग लेडीज़ एंड जेंटिलमेन....मेरा नाम एड्रियन माइकल है। आज की शाम मैं आपको एक से बढ़कर एक गाने सुनाऊँगा।"
सबने ज़ोरदार तालियां बजाकर उसका स्वागत किया। जिस आत्मविश्वास से एड्रियन ने अपना परिचय दिया था वह सुज़ैन को बहुत अच्छा लगा। उसके बाद तो उसने वादे के अनुसार एक से बढ़कर एक गाने सुनाकर सबको दीवाना बना दिया। लेकिन सुज़ैन तो जैसे उसी समय से उसके प्यार में पड़ गई थी।
कॉन्सर्ट खत्म हुआ तो फिलिप को घर जाने की जल्दी थी। इसलिए सुज़ैन एड्रियन से चाहकर भी नहीं मिल पाई। उस दिन रात भर वह सिर्फ एड्रियन के बारे में सोचती रही। उसका मगन होकर गाना, गिटार बजाना, बीच बीच में श्रोताओं से बात करना सबकुछ सुज़ैन के दिल में अंकित हो गया था। उसने तय कर लिया था कि जैसे भी संभव होगा एड्रियन का पता मालूम कर उससे मिलेगी।
एक हफ्ते बाद वह एड्रियन के फ्लैट पर थी। एड्रियन के फ्लैटमेट ने बताया कि इस समय वह बाहर गया है। दो दिनों के बाद लौटेगा। सुज़ैन ने यह कहकर कि वह एड्रियन की बहुत बड़ी फैन है उसका नंबर लेना चाहा। लेकिन एड्रियन के फ्लैटमेट ने देने से इंकार कर दिया। सुज़ैन यह पूछकर वापस चली गई कि दो दिनों के बाद वह कब लौटेगा।
आखिरकार सुज़ैन की मुलाकात एड्रियन से उसके फ्लैट पर हो ही गई। उस पहली मुलाकात में सुज़ैन ने बहुत सारी बातें कीं। बार बार यह कहती रही कि पहली बार उसे सुनने के बाद से ही वह एड्रियन की फैन बन गई है। उस पहली मुलाकात के बाद मुलाकातों का सिलसिला चल निकला। इस तरह छह महीने बीत गए। दोनों अब ना सिर्फ आमने सामने मिलते थे बल्कि फोन पर भी खूब बातें होती थीं।
सुज़ैन को पूरा यकीन हो गया था कि वह एड्रियन को दिलोजान से चाहने लगी है। उसे इंतज़ार था कि एड्रियन उसके प्यार को समझ कर अपने दिल की बात कहे। इसके लिए वह सीधे तो कुछ नहीं कहती थी पर घुमा फिरा कर अपना प्यार जताने की कोशिश करती थी। एड्रियन उसकी कोशिशों को समझ रहा था। एक दिन उसने भी अपने मन की बात कह दी,
"सूज़ी मैं तुम्हारे प्यार को समझ रहा हूँ। तुम भी जानती हो कि मेरे दिल में भी तुम्हारे लिए प्यार है। लेकिन एक बात का डर है।"
"किस बात का ?"
"मैं एक अनाथ हूँ। एक सिंगर के तौर पर संघर्ष कर रहा हूंँ। मेरी अभी कोई हैसियत नहीं है। जबकी तुम्हारे पापा की बेकरी की चेन है। तुम आराम में पली हो। इस समय तो मैं तुम्हें कुछ भी देने की स्थिति में नहीं हूँ। ऐसे में हमारी शादी बेमेल होगी। तुम्हारे पापा भी मुझे स्वीकार नहीं करेंगे।"
"एड्रियन तुम ये कैसी बातें कर रहे हो। मैं तुम्हें बहुत चाहती हूँ। मुझे सिर्फ तुम्हारा प्यार चाहिए। मुझे पूरी उम्मीद है कि एक दिन तुम स्टार बनोगे और मुझे सबकुछ दोगे।"
"तुम्हें इतना यकीन है मुझपर...."
"बिल्कुल....रही पापा की बात तो उन्होंने आज तक मेरी हर बात मानी है।"
सुज़ैन ने जब अपने पापा को सारी बात बताई तो उनकी प्रतिक्रिया उसकी सोच के विपरीत थी। उसने अपने पापा को बहुत समझाया। लेकिन वह मानने को तैयार नहीं थे। सुज़ैन भी अड़ी हुई थी। उन्होंने अपना अंतिम फैसला सुना दिया,
"मैं कभी भी उस लड़के के साथ तुम्हारी शादी के लिए तैयार नहीं होऊँगा। उसकी कोई हैसियत नहीं है। उससे शादी करके तुम पछताओगी। लेकिन फिर भी अगर तुम्हारी ज़िद है तो जो मन में आए करो। लेकिन फिर मुझसे कोई संबंध मत रखना।"
सुज़ैन और एड्रियन ने शादी कर ली। एड्रियन का काम अच्छा चलने लगा था। आठ महीने पहले ही दोनों उस बड़े फ्लैट में शिफ्ट हुए थे। लेकिन सुज़ैन ने अपने पापा से कोई संपर्क नहीं किया था।
अपने पापा के घर के सामने खड़ी सुज़ैन के मन में अभी भी असमंजस था। उसके मन में आया था कि गेट के अंदर जाने की जगह यहीं से लौट जाए। उसे डर था कि कहीं पापा यह ना समझ लें कि ज़रूरत पड़ी तो मदद मांगने आ गई। संकोच में कुछ देर वह बाहर ही खड़ी रही।
वह अनिर्णय में खड़ी थी तभी एक कार गेट पर आकर रुकी। ड्राइवर ने हॉर्न दिया। उसने देखा कि कार उसके पापा की ही है। वह फौरन एक तरफ होकर खड़ी हो गई। मुंह दूसरी तरफ घुमा लिया। कुछ देर बाद ड्राइवर ने आकर कहा,
"मैडम....सर आपको बुला रहे हैं।"
सुज़ैन अपने पापा की कार के पास गई। फिलिप ने दरवाज़ा खोलकर बैठने को कहा। सकुचाती हुई सुज़ैन कार में बैठ गई। कार घर के अंदर पोर्टिको में जाकर खड़ी हो गई। फिलिप कार से उतर गए। अपने ही घर के अंदर जाने में सुज़ैन को संकोच हो रहा था। वह भी कार से उतर गई। फिलिप ने उसे साथ आने को कहा। सुज़ैन उनके साथ हॉल में चली गई। उसे बैठने को कहकर फिलिम अपने कमरे में चले गए।
सुज़ैन सोच रही थी कि ना जाने उसके पापा का क्या रिएक्शन हो। उसे एड्रियन की बात याद आई कि जब तुम अपने पापा से मिलोगी तो वह भले ही शुरू में नाराज़गी दिखाएं। लेकिन बाद में सबकुछ भूलकर तुम्हें गले लगा लेंगे। सुज़ैन को लग रहा था कि शायद उसके पापा अपना गुस्सा ठंडा करने ही अंदर गए हों। कुछ देर में आकर उसे गले लगा लेंगे। वह उस पल के लिए उतावली हो रही थी जब उसके पापा गले लगाकर कहेंगे पगली बाप की बात का कोई इतना बुरा मानता है।
कुछ ही देर में फिलिप लौटकर आए। उन्होंने कहा,
"मुझे पता था कि तुम आने वाली होगी। मैंने कहा था ना कि उस मामूली आदमी से शादी करके पछताओगी। वह तो अस्पताल के बिस्तर पर पड़ा है। पैसों की कमी होगी। इसलिए तुम यहाँ आ गईं।"
जो कुछ फिलिप ने कहा सुनकर सुज़ैन को बहुत दुख हुआ। उसके पापा को उसकी मुसीबत के बारे में पता था। ऐसे में वह उसे हौसला देने आने की जगह इस बात की राह देख रहे थे कि वह आए तो उसे बेइज्ज़त करें। वह हतप्रभ सी खड़ी थी। फिलिप ने चेक देते हुए कहा,
"मैं तो चैरिटी करता रहता हूँ। रख लो तुम्हारी ज़रूरत से ज़्यादा का चेक है।"
सुज़ैन ने नफरत भरी निगाहों से अपने पापा को देखा और वहाँ से चली गई।
अपने पापा से मिलने के बाद उसका मन और खराब हो गया था। वह कुछ देर के लिए हॉस्पिटल गई फिर उसके बाद अपने घर चली गई।
अपने बेडरूम में लेटी सुज़ैन अपने पापा के बर्ताव को याद कर रही थी। उसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि उसके पापा ने उसके साथ ऐसा किया। उनकी नाराज़गी वह समझती है। लेकिन उसकी तकलीफ को जानने के बाद भी उनका बर्ताव उसे दुख दे रहा था। वह पहले ही एड्रियन की दशा के बारे में जानकर दुखी थी। कुछ समझ नहीं पा रही थी। इसलिए उसने सोचा था कि अपने पापा से सलाह लेगी। उनसे बात करके मन हल्का करेगी। लेकिन उसके पापा ने तो उसके दिल को बुरी तरह दुखा दिया था।
इस समय उसे किसी के साथ की बहुत ज़रूरत थी। कोई ऐसा जो उसके दर्द को समझ सके। उसे सही निर्णय लेने में मदद कर सके। जो निर्णय उसे लेना था वह बहुत कठिन था। डॉ. प्रवेश दबस के अनुसार एड्रियन सिर्फ लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर ही ज़िंदा था। उसकी स्थिति में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं थी। लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर वह बस बेड पर पड़े हुए सांस ही ले सकता था।
उसके मन में सवाल उठा कि जब सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है तो आखिर कब तक उसे इस तरह ज़िंदा रखा जाए ? क्यों ना एड्रियन को शांति से जाने दिया जाए ?
यह बात मन में आते ही उसके मन में गहरी टीस उठी। अचानक अपराधबोध ने उसे घेर लिया। उसे लगा कि जैसे वह स्वार्थी होकर सिर्फ अपने बारे में सोच रही है। उसने एड्रियन का हर हाल में साथ देने का वादा किया था। अब उस वादे से मुकर रही है।
डॉक्टर ने भले ही कहा हो कि सुधार की गुंजाइश नहीं है। लेकिन डॉक्टर भी सौ फीसद सही नहीं हो सकते हैं। हो सकता है कि कोई चमत्कार हो जाए। एड्रियन कुछ समय के बाद सही हो जाए।
सुज़ैन बेड से उठी। अपना लैपटॉप उठाकर उन लोगों के बारे में सर्च करने लगी जो कोमा की स्थिति से बाहर निकल कर आए थे। उसे इंटरनेट पर कुछ लोगों की कहानियां मिलीं जो लंबे समय तक कोमा में रहने के बाद ठीक हो गए थे।
उसे ग्रेस की याद आई। ग्रेस ने कहा था कि कोई भी निर्णय लेते समय यह सोचना कि एड्रियन इस स्थिति में क्या सोचता। सुज़ैन एड्रियन के बारे में सोचने लगी। ज़िंदगी उस पर जितनी सख्त रही थी उसके मन में ज़िंदगी के लिए उतना ही प्यार था। उसके मन में ज़िंदगी को लेकर कई सारे सपने थे। वह उन सपनों को पूरा करना चाहता था। ज़िंदगी का भरपूर मज़ा लेना चाहता था।
सुज़ैन ने सोचा कि जिंदगी भले ही एड्रियन के साथ सख्त रही हो। लेकिन वह सख्त नहीं होगी। एड्रियन को समय देगी ताकि वह सही होकर अपना हर सपना पूरा कर सके।