सपने.......(भाग-19)
सुबह सब टाइम पर तैयार हो गए....और मैनेजर को चेक आउट के लिए रिसेप्शन पर बता दिया.......राजशेखर बिल्कुल ठीक टाइम पर आ गया था......बिल क्लियर करने के बाद सब राजशेखर के घर पहुँच गए.....!
आदित्य ने जो घड़ी मिस्टर रेड्डी को दी थी, वो उन्होंने पहन रखी थी। मि.रेड्डी ने आदित्य को इतनी सुंदर घड़ी गिफ्ट करने के लिए थैंक्यू बोला......SWATCH कंपनी की घड़ी थी तो मँहगी होनी ही थी........ खाना खाने के बाद वो सब लोग बाहर घूमने चले गए ये सोच कर की घर बैठे रहेंगे तो नींद आ जाएगी और सोना वो चाहते नहीं थे.......शाम को मौसम भी अच्छा हो गया था तो राजशेखर उन्हें एक गार्डन में ले गया......बहुत सुंदर सुंदर फूल लगे हुए थे.....काफी कपल्स बैठे हुए थे....।
सोफिया और श्रीकांत दोनो गार्डन देखने के बहाने एक कोना सबसे अलग बैठने का ढूँढने लगे......बाकी सब बैठे हुए बातें कर रहे थे, "तभी 2-3 लड़के आस्था को देख कर , क्या मैडम 3 लड़को के साथ अकेली मजा कर रही हो, कम हैं तो हम भी आ जाएँ".....! उन की बात सुन कर राजशेखर से रहा नहीं गया और उसने उस लड़के का कॉलर पकड़ लिया।
आदित्य उसको रोकता रह गया पर तब तक उसने 2-3 घूँसे उसे मार ही दिए....बाकी 2 बदमाश भी बीच में आ गए....तो नवीन भी उनसे भिड़ गया और आस्था वो तो गुस्से और शर्म से तमतमा रही थी और खींच कर उस लड़के को एक थप्पड़ लगा दिया....जब आदित्य ने देखा कि कोई नहीं रूक रहा तो उसने उन लड़को को वहाँ से भागने को कहा।आसपास और लोगो की भीड़ इकट्ठा होते देख वो लड़के भाग गए......और आदित्य ने भी सब को कार में बैठने को कहा। आस्था को आदित्य का इतना ठंडा रिएकिशन पसंद नहीं आया और गाड़ी में वो राजशेखर को उन लंफगों की पिटाई के लिए थैंक्यू बोल रही थी...! नवीन और श्रीकांत भी उसकी तारीफ कर रहे थे.......पर आदित्य कुछ नहीं बोला तो श्रीकांत ने आदित्य से पूछा, " क्या हुआ आदित्य तुम क्यों चुप हो? अरे ये तो राजशेखर को भी रोक रहा था कि मत मारो....श्रीकांत की बात सुन कर आस्था ने जवाब दिया......आस्था की आवाज में तंज का एहसास सब को हुआ......."हाँ रोक रहा था, क्योंकि हम यहाँ के नहीं हैं.....क्या पता वो किसी गैंग के हो या पुलिस के साथ उनकी सैटिंग हो तो सोचो क्या होता? हम सब का करियर अभी शुरू हुआ है, किसी केस में फंसा देते तो लेने के देने पड़ जाते..........ऐसा कुछ होता तो हम लड़को को इतना फर्क शायद नहीं पड़ता पर तुम दोनो लड़कियाँ घर पर जा कर क्या कहती अगर सिचुएशन हमारे हाथ से निकल जाती? ये तो सोचा नहीं तुम लोगो ने? जब सब गुस्से मे हो तो एक को कूल रहना चाहिए....वरना पीटना तो मुझे भी आता है, और राजशेखर वैसे तो तू इतना शांत रहता है, आज तुझे क्या हो गया था"? आदित्य की बात सुन कर कोई कुछ नहीं बोला.... "चाहे कुछ भी हो राजशेखर ने जो किया सही किया"! आस्था की बात सुन कर राजशेखर मुस्कुरा दिया......"वो आस्था की इंसल्ट कर रहे थे तो मुझे गुस्सा आ गया, पर आदित्य जो कह रहा है, वो भी गलत नही है"।
अच्छा जो नहीं हुआ, उसको मत सोचो और सब भूल जाओ......चलो आज यहाँ की नाइट लाइफ एंजाय करते हैं, मैं घर पर डिनर के लिए मना कर देते हैं.......राजशेखर ने कहा तो सोफिया ने मना कर दिया, "नहीं, मुझे लगता है कि कल सुबह हमें 3बजे के आसपास घर से निकलना है तो हम हल्का फुल्का घर पर खा कर रेस्ट करेंगे"। आस्था और नवीन ने भी सोफिया की बात को ही ठीक कहा तो वो सीधा घर चले गए ......!
सिंपल खाना खा कर सब सोने चले गए...
किसी को भी रात को ठीक से नींद नहीं आयी। सुबह लेट न हो जाए के चक्कर में अधजगे से ही रहे..... 3:30 बजे तक सब तैयार हो गए......मिसेज रेड्डी ने काफी सारे स्नैक्स, मिठाई और नाश्ता भी बना कर दिया, जिससे वहाँ पहुँच कर सब लोग खा कर अपने काम पर जा सके........!! सब फिर जल्दी मिलने का वादा करके एयरपोर्ट की तरफ चल दिए.......!! आदित्य और राजशेखर तो मुंबई एयरपोर्ट पर उतर कर कपडे बदल सीधा ऑफिस के लिए निकल गए.....आस्था श्रीकांत, नवीन और सोफिया उनके भी सामान को लेकर अपने फ्लैट पर पहुँच गए.......सविता ताई को पता था कि वो लोग मंडे सुबह आ जाएँगे तो वो संडे शाम को ही आ गयी थी......आवाज सुन कर दरवाजा सविता ताई ने खोला......घर की सफाई हो चुकी थी....। जल्दी से उसने चाय बनाई और आस्था ने राजशेखर की अम्मां का दिया नाश्ता गरम करने को कह दिया......सबने नाश्ता किया और श्रीकांत अपने काम पर चला गया और सोफिया अपने घर......रह गए नवीन और आस्था.....! दोनो थके हुए थे तो अपने अपने कमरे में जा कर सो गए......सविता ताई दोपहर के खाने की तैयारी में लग गयी.......! आस्था और देर तक सोती अगर घर से माँ को फोन ना आता...! मम्मी ने फिर वहीं पूछा, "आस्थू कब आ रही है"? "मम्मी नचिकेत सर से बात हो गयी है, मैं इसी हफ्ते ही आ रही हूँ, टिकट करवा कर आपको शाम तक बताती हूँ। शाम को डिनर पर सब मिले तो उसने बताया, "मुझे घर जाने के लिए टिकट बुक करनी है...पर पहले मैंने कभी करवायी नहीं है, आदित्य तुम बताओ कैसे करूँ"? तुम कब जाने का सोच रही हो? श्रीकांत ने पूछा, " मैं 1-2 दिन में निकल जाती हूँ सोच रही हूँ, अगर टिकट मिल जाए तो"! आदित्य बोला ठीक है, "अभी कर देते हैं बुक और तुम भी देखो कैसे करते हैं? ये सब आना चाहिए"! आदित्य ने कहा तो आस्था बोली, "ठीक है बाद में सीख लूँगी तुमने खाना खा लिया है तो कर दो बुक फिर मुझे घर पर बताना भी है....मम्मी इंतजार कर रही होंगी"।आदित्य ने अपना लैपटॉप बैग में से निकालने लगा तब तक राजशेखर जो उन दोनो की बाते सुन रहा था और अपना लैपटॉप भी खोल कर बैठा था, उसने आदित्य को बोला, "रहने दो आदित्य.....मैंने टिकट बुक कर दी है"......! आदित्य को राजशेखर की ये बात कुछ खास पसंद नहीं आयी क्योंकि आस्था से उसकी दोस्ती दिल्ली से है तो वो अपने आप को आस्था के ज्यादा क्लोज समझता है, पर वो गुड बोल कर कमरे में चला गया.......राजशेखर आस्था को बता रहा था," गुरूवार की टिकट है एयर इंडिया की दोपहर 2:10 की तो 11 बजे घर से निकलना है.....उस टाइम जाम भी रहता है"! आस्था बोली, "यार ट्रैन की करवानी थी टिकेट....... मैं अभी ज्यादा पैसा खर्च नहीं कर सकती हूँ, अभी तो आदित्य को भी देने है टिकेट्स और होटल का".......श्रीकांत उसकी बात सुन कर बोला....."तुम चिंता मत करो, मैं और आदित्य देख लेंगे"!......"मैं भी देख लूँगा", राजशेखर ने कहा...."तुम लेग मेरे अप्पा के बर्थडे पर आए थे तो ये सब मुझे खर्च करना चाहिए....और तुम्हारी टिकट रिटर्न गिफ्ट समझो मेरी तरफ से अप्पा के जन्मदिन का और थैंक्यू मुझे मैम से अम्मां तक की जर्नी को पूरा कराने के लिए.....शायद कुछ सिंपल बाते खुद को पता होते हुए भी हम नहीं समझ पाते और कोई दूसरा तुम्हें बताता है और हम मान भी लेते हैं"। आदित्य भी सबकी बातें सुन कर बाहर आ गया। तुम्हे क्यों लगा कि हम तुम्हें 2 दिन ट्रेन में बिताने देंगे? मैं करवाता तो मैं भी एयर की करवाता......और सब इतने इमोशनल क्यों हो यार? सब चिल करो.......हम सब दोस्त हैं...हमारी दोस्ती बस यूँ ही बनी रहनी चाहिए......। सब अपने अपने कमरे में चले गए.......राजशेखर की आँखे उनींदी थी, पर फिर भी रह रह कर उसे आस्था का चेहरा अपनी आँखो के सामने दिख रहा था....कुछ दिन से वो महसूस कर रहा था कि वो आस्था को पसंद करने लगा है.......आस्था वापिस आएगी तो उसे मौका देख कर अपने दिल की बात जरूर कहूँगा......आस्था के बारे में सोचता सोचता कब सो गया उसे पता नहीं चला......!
क्रमश: