I Hate You I Love You - 3 in Hindi Love Stories by Swati books and stories PDF | I Hate You I Love You - 3

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I Hate You I Love You - 3

3

किस तरह किड्स को टारगेट ऑडियंस बनाकर एनिमेटेड फिल्म बनाई जाएगी । इसके बारे में विस्तार से बात होने लगी। जब मीटिंग अपने अंतिम चरण पर पहुँची तो आदित्य ने मीटिंग रूम में प्रवेश किया । सबको ज़्यादा हैरानी नहीं हुई । मगर सभी इंटर्न्स उसे देखकर चौंक गए । काव्या का तो मुँह खुला का खुला रह गया । जिस आदित्य को उसने डिजिटल प्लेटफार्म पर देखा था, आज वो उसके सामने है । गठीला शरीर, लम्बा कद, गेहुँआ रंग, भूरी आंखें, नाक, कान हर चीज नाप तौल कर बनाई गई हैं । काले रंग के बिज़नेस सूट में वह और हैंडसम लग रहा है । यार ! यह सचमुच क़यामत है । इसे तो हीरो होना चाहिए, वो भी हॉलीवुड की फिल्मों का । सिया ने सुना तो उसे कोनी मारी । सिद्धार्थ ने सभी इंटर्न्स का उससे परिचय करवाया ।आदित्य ने सबको देखा तो एक स्माइल दी । सिया पर से उसकी नज़रे हट नहीं रही है । Oh ! My Gosh, What the hell she is doing here । अपने गुस्से को कंट्रोल करने के लिए उसने पेपरवैट हाथ में लेकर घुमाना शुरू कर दिया ।

आदी ने उसे पहचान लिया ? उसे पता तो है, मैं कुणाल और मुस्कान की दोस्त हूँ । कुणाल ने बताया था, आदी बहुत प्रोफेशनल है । वह काम में कभी कुछ पर्सनल नहीं आने देता । सिया ने यही सोच नज़रे झुका ली और आदित्य ने भी अब उसकी ओर से मुँह फेर लिया। फ़िर बाकी लोगों को देखते हुए बोला, "Hope, You People Understand Our New प्रोजेक्ट । इस प्रोजेक्ट की सक्सेस का रिवॉर्ड आपको ज़रूर दिया जायेगा । Anyway Meeting is Over. ALL THE BEST। यह कहकर वह मीटिंग रूम से निकल गया । जाते हुए उसने सिद्धार्थ को उससे मिलने के लिए कहा।

आदित्य :: सिया यहाँ क्या कर रही है ? ( चिढ़ते हुए )

सिद्धार्थ: कुणाल से पूछ। उसने और मुस्कान दोनों ने मुझे कहा तो क्या मैं मना कर देता । ( आराम से कुर्सी पर बैठते हुए बोला )

आदित्य :: सी.वी. दिखा मुझे ? ( पेपरवैट टेबल पर घुमाते हुए )

सिद्धार्थ : सी.वी. देखकर क्या करेगा। मैं बता देता हूँ; स्कूलिंग गवर्नमेंट स्कूल से है, कॉलेज डिस्टेंस लर्निंग से किया है। एक साल क्रिएटिव राइटिंग और एनीमेशन का कोर्स किया है, वो भी किसी गवर्नमेंट इंस्टिट्यूट से । और कुछ ?

आदित्य ::: तभी सी.वी. शॉर्टलिस्ट नहीं हुआ होगा । पर Yes! She Knows how to make a Way..( गुस्से में )

सिद्धार्थ ::: मुझे कुणाल ने पोर्ट फोलियो मेल किया था, काम अच्छा है, उसका ।

आदित्य ::: He is an Emotional fool....... (मुँह बनाते हुए )

सिद्धार्थ ::: सुन यार ! सरकारी स्कूल और कॉलेज इम्पोर्टेन्ट नहीं है । टैलेंट किसी में भी हो सकता है । एप्रोच रास्ता बन सकती है । मगर मंजिल पर इंसान को खुद ही पहुँचना होता है । Everyone not born with silver spoon । तू खुद इतनी चैरिटी करता है । इसलिए तुझे ज़्यादा समझाने की ज़रूरत नहीं है ।

आदित्य :: कोई और होती तो May be पर सिया? I Hate Her ... and you know that .. (चेहरे के हाव -भाव बदल गए )

सिद्धार्थ::::: May be She is lucky ।

आदित्य :: One Mistake She will be Out.... (पेपरवैट दूर झटकाते हुए )

सिद्धार्थ ::: Okay ! अब तुझे महविश को लेने नहीं जाना? मुझे जॉनसन एंड ग्रुप के साथ मीटिंग करनी है । ( कुर्सी से उठते हुए )

आदित्य :::: उनके साथ कोई कॉन्ट्रैक्ट मत कर लियो । अभी मैं उनकी कंपनी को फ़िल्टर कर रहा हूँ ।

सिद्धार्थ ::: तेरे फ़िल्टर बड़े खतरनाक होते है । (हँसते हुए कैबिन से बाहर निकल गया )

आदित्य ने पानी का घूँट पिया। अपनी पी.ए. मृणाल को बुलाकर कुछ ज़रूरी नोट्स दिए । फ़िर ऑफिस से बाहर निकल गया । आज सभी का पहला दिन है, इसलिए टीम लीडर विवेक ने इंटर्न्स को जल्दी छोड़ दिया। सिया तेज कदमों से बस स्टॉप की तरफ़ चलने लगी । तभी माँ का फ़ोन आया कि कनु को चोट लग गई है और उनके पास केमिस्ट को देने के लिए पैसे कम पड़ रहे है । सिया ने उसी समय केमिस्ट का नंबर लेकर पैसे ट्रांसफर किए । आज तो बहुत खर्चा हो गया । टूयशन के अलावा फ्रीलान्स करके पैसे कमाती हूँ । फ़िर भी महीना ख़त्म होने से पहले ही सब ख़त्म हो जाता है । अब ऑटो का किराया नहीं भर सकती । यहीं सोचते हुए वह अपने रूट की बस देखने लगी । तभी आदित्य अपनी रोल्स रॉयस फैंटम (Rolls-Royce Phantom) गाड़ी में ड्राइवर के साथ वहाँ से गुज़रा तो सिगनल पर उसकी गाड़ी रुक गई । ड्राइवर की नज़र बस स्टॉप पर पड़ी तो उसने आदित्य की तरफ देखते हुए कहा, " सर, सिया दीदी खड़ी है । आप कहे तो उन्हें कहीं छोड़ दें ।"

सिया दीदी ! (Oh Gosh!) तुम जानते हूँ इसे । कुणाल बाबा के साथ देखा है, वह अक्सर मुझे कहकर इन्हें घर छुड़वाते थें । दीदी बहुत अच्छी है । ड्राइवर ने खुश होते हुए कहा । कोई मुझसे पूछे, यह कितनी अच्छी है । उसने मन ही मन सोचा । कोई ज़रूरत नहीं है । एयरपोर्ट टाइम से पहुँचना है । ड्राइवर यह सुनकर चुप हो गया । आदित्य ने आधी खुली खिड़की से बाहर देखा तो सिया हर आने जाने वाली बस को गौर से देख रही है । भीड़ भरी बस को देखकर उसका मुँह उतर जाता । आदित्य ने अब मुँह फेर लिया । इन मिडिल क्लॉस लड़कियो के पास टैलेंट तो होता ही है । इनके इसी टैलेंट की वजह से किसी की जान जाते-जाते बची है । पता नहीं, आज रेडलाइट इतनी लम्बी क्यों हो गई। आदित्य के चेहरे पर गुस्से के हाव भाव आ गए । तभी ग्रीन लाइट हुई तो ड्राइवर ने फ़िर कहा, "सर, बारिश शरू हो गई है । बेचारी भीग रही है। तुमने उससे राखी बंधवा रखी है क्या,जो अपनी सिया दीदी पर इतनी दया आ रही है । बुला लो उसे, मगर अपने साथ ही बिठाना ।" वह चिल्लाते हुए बोला। ड्राइवर ने फुर्ती से गाड़ी सिया के पास रोक दी । और उसे अंदर आने के लिए कहा । पहले सिया हिचकिचाई, मगर मौसम की नज़ाकत को देखकर अंदर आ गई। थैंक्यू भैया ! मुझे किसी मेट्रो स्टेशन के पास छोड़ दीजिए।

सिया ने शीशे से देखा तो आदित्य फ़ोन पर है । बताए भैया कैसे है ? ठीक हूँ, दीदी । अब तो आप हमारे ऑफिस में ही काम कर रही है तो मुलाकात होती रहेगी । ड्राइवर ने खुश होकर कहा । ये बातें बाद में भी हो जाएगी । पहले स्पीड बढ़ाओ । आदित्य ने फ़ोन बंद करते हुए कहा।