Talaash - 5 - Last part in Hindi Thriller by Sarvesh Saxena books and stories PDF | तलाश - 5 - अंतिम भाग

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तलाश - 5 - अंतिम भाग

भाग – 5

अगले दिन मां का अंतिम संस्कार हो गया और घर में मातम छा गया |

कुछ दिन बाद कोमल दामिनी से मिलने आई तो उसे ये जानकर बड़ा दुख हुआ |

“ सच में न जाने किसकी नजर लग गई हम दोनों को” | कोमल ने दुख जताते हुये कहा |

“ हां यार सही कह रही है” | दामिनी ने जवाब दिया |

“ अच्छा.... अब इस घर को कौन संभालेगा, तू शादी कर ले जल्द ही, देख अंकल की हालत भी अब बेकार हो चुकी है” | कोमल समझाते हुये बोली |

दामिनी को उसकी बात ठीक लगी, उसने कहा, “ हां सही कह रही हो, मैं इस बारे में सोचती हूं” |

इतना कहकर कोमल जाने लगी, उसने दामिनी का हांथ पकड़ा और कहा “ अच्छा चलती हूं, मेरी जरूरत पड़े तो फोन करना, अपना ध्यान रखना” |

इतना कहकर कोमल ने कुछ ऐसा देखा कि वो घबरा गई, उसके माथे पर पसीना आ गया | वो जल्दी से वहां से जाने लगी तो उसके पैर लड़खड़ा गये और वो गिर पड़ी |

दामिनी ने उसे उठाया और कहा, “ क्या हुआ? तुम इतनी परेशान सी क्युं दिख रही हो? मैं जल्द ही आवेश के साथ शादी कर लूंगी”|

कोमल वहां से चली गई |

कुछ दिनों बाद पुलीस जो सबूत के तौर पर सामान ले गई थी उसकी रेपोर्ट आ गई लेकिन उससे भी कुछ पता नही चला |

अब दिन ब दिन दामिनी के पापा कमजोर होते जा रहे थे और अपनी पत्नी को याद कर कर के रोते रहते थे |

दामिनी ने अपने कमरे की दिवार तुड़वाकर खिड़की दुबारा खुलवा ली | अब वो खुश थी लेकिन आवेश के बारे में सोचकर दुखी हो जाती, कि आखिर कब तब वो उसका इंतज़ार करेगी |

एक दिन दामिनी के पापा ने कहा, “ बेटी..... आवेश को भूल जाओ, वो तुम्हे धोखा दे रहा है, मेरी मानो जल्दी से शादी कर लो, कहीं ऐसा न हो कि मैं भी तेरी मां के पास चला जाऊं और तू अकेली रह जाये मेरी बच्ची” |

पापा के ये शब्द सुनकर दामिनी रो पड़ी और बोली, “ आप ठीक कह रहे हैं पापा, मैं शादी कर लूंगी,लेकिन दुबारा आप मुझे छोड़कर जाने की बात मत कीजियेगा” |

पापा उसकी बात सुनकर कुछ खुश हो गये और दामिनी को गले लगा लिया |

रात को दोनों अपने कमरों में सो गये | दामिनी भी अपने कमरे में सो रही थी कि तभी उसे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी | उसने आवाज का पीछा किया तो वो पापा के कमरे से आ रही थी, वो धीरे धीरे कमरे के अन्दर घुसी, पापा आराम से सो रहे थे, पर वो रोने और सिसकने की आवाज अभी भी आये जा रही थी |

जब उसने पापा के बेड के नीचे देखा तो एक बच्चा बंधा हुआ पड़ा था, जो हिल डुल तक नही पा रहा था, दामिनी तेज से चीखी लेकिन ये क्या उसके गले से जरा भी आवाज नही निकली, उसने जल्दी से उस बच्चे को बाहर खींचा और अपने कमरे में ले आई, ये वही बच्चा था जो अक्सर उसे दिखता था |

उसने डांटते हुये पूछा कि आखिर तुम क्युं मेरे पास आते हो? अपने घर क्युं नही जाते? आज मैं तुम्हे तुम्हारे घर लेकर जाऊंगी, ये कहकर उसने फिर उस लड़के के हांथ पैर बांध दिये और यहां वहां अखबार ढूढ़ने लगी, जिसमें उसने उसकी तस्वीर और पता देखा था, वो पागलों की तरह सारा सामान उलटने पलटने लगी लेकिन वो अखबार उसे कहीं नही मिल रहा था |

गुस्साकर वो पापा के कमरे में गई तो देखा पापा कमरे के पंखे से लटके हुये थे, ये देखकर वो जोर से चीखी और अपने कमरे की ओर भागी लेकिन तभी वो किसी से टकरा गई |

“ त....तुम..... देखो ना आवेश पापा..... पापा...... मुझे छोड़कर चले गये, पापा भी चले गये” | ये कहकर दामिनी जोर जोर से रोने लगी |

आवेश ने उसे गले से लगाकर कहा, “ अब तुम्हे घबराने की कोई जरूरत नही, मैं हूं ना, मैं तुम्हारे साथ हमेशा रहूंगा” |

ये सुनकर दामिनी के चेहरे पर खुशी की लहर दौड़ गई, उसके बिखरे बाल, भीगी आंखें, और कपड़ों की हालत देखकर लग रहा था जैसे वो कोई पागल हो |

उसने बड़े प्यार से आवेश को देखा और कहा, “ सच....सच... कह रहे हो ना, तुम....तुम्हारा मिशन पूरा हो गया क्या”?

आवेश ने हमेशा की तरह मुस्कुराते हुये कहा, “ हां...पूरा हो गया, अब सिर्फ मैं और तुम, अब तुम्हे कोई परेशान नही करेगा” |

आवेश के इतना कहते ही वो खुशी से नाचने लगी, वो ऐसे नाच रही थी जैसे कि उसका बरसों का इंतज़ार खत्म हो गया हो |

इधर कोमल अपने घर में बैठी दामिनी के बारे में सोच रही थी, सोचते सोचते वो कई चीजों को याद करने लगी और एकाएक दामिनी से मिलने चल दी |

जब वो दामिनी के घर पंहुची तो रात के दस बज चुके थे | घर का गेट खुला था और घर में से गाना बजने की आवाज आ रही थी, कोमल दबे पैरों से घर में घुसी, गाने के साथ साथ अब उसे किसी के नाचने की आहट भी महसूस हो रही थी, वो अंदर ही अंदर डर रही थी और आगे बढ़ती जा रही थी, जैसे ही वो अन्दर घुसी, डर के मारे उसकी चीख निकल गई, लेकिन बड़ी फूर्ती से उसने अपने मुंह पर हांथ रख लिया लेकिन उसकी सांसे अभी भी किसी ट्रेन की तरह दौड़ रही थीं क्युंकि सामने दामिनी के पापा की लाश टंगी हुई थी |

उसका दिमाग ये सोचकर और ज्यादा चकरा गया कि घर में एक लाश टंगी हुई है और ये गाना....... आखिर कौन है ये जो नाच रहा है? और दामिनी कहां है?

उसने जल्दी से जाकर दामिनी के कमरे में झांका तो उसकी रूह कांप गई, दामिनी पागलों की तरह आवेश के गले लगकर नाच रही थी, उसका बिगड़ा चेहरा बहुत डरावना लग रहा था, उसे कुछ समझ नही आ रहा था इसीलिये वो वहां से भाग गई |

रात के ग्यारह बजे |

“ बहुत सो चुकी दामिनी, अब उठ जा और हमारे साथ चल” एक पुलीस वाले ने दामिनी को जगाते हुये कहा |

दामिनी हड़बड़ाकर उठी और बोली, “ ये.....ये क्या कह रहे हैं.....क्या हुआ”?

“ क्या हुआ? ये तू हमसे पूछ रही है, अपने बाप को मारकर लटका दिया और खुशी में नाचती रही फिर मुझसे पूछ रही है कि क्या हुआ, जब पुलीस के डंडे पड़ेंगे तो सब पता चल जायेगा” |

जब दामिनी ने पुलीस की बात सुनी तो जोर जोर से रोने लगी और बोली, “ पापा.... क्या हुआ मेरे पापा को? पापा...... कहां हो आप”?

उसने दूसरे कमरे में जाकर देखा तो उसके पापा की लाश बेड पर पड़ी हुई थी | वो चीख चीख कर रोने लगी लेकिन पुलीस ने उसकी एक ना सुनी और बोला, “ ले चलो इस लड़की को वहीं सबको ये बतायेगी कि आखिर क्युं इसने ऐसा किया”?

इतना कहकर दो पुलीस महिलायें उसे पकड़कर गाड़ी में बिठाने लगीं, वो अपने आप को छुडाने का पूरा प्रयास कर रही थी और जोर जोर से चिल्ला रही थी, आवेश.....आवेश...... मुझे बचाओ.... मुझे बचाओ.....” |

“ बोल...... तूने अपने पिता जी को क्युं मारा”? पुलीस ने दामिनी से पूछा लेकिन दामिनी बार बार यही कहे जा रही थी, “ मैने अपने पापा को नही मारा, मेरा विश्वास कीजिये” | दामिनी ने हांथ जोड़कर कहा |

“ नही....इंस्पेक्टर....इसकी किसी बात पर ध्यान मत दीजिये, अपने मां बाप को इसी ने मारा है, मुझे पक्का यकीन है, ये झूठ बोल रही है, पागल हो चुकी है ये, आपको नही पता लेकिन इसकी आये दिन लड़ाई होती थी मां पापा के साथ, और तो और वो इसकी इन पागलपने की हरकतों की वजह से तंग आ चुके थे, इसी ने मारा है उनको” | कोमल ने चिल्लाकर कहा |

“ लेकिन आप ये सब इतने यकीन से कैसे कह सकती हैं” पुलीस वाले ने पूछा |

“ देखिये मैं आपको बता चुकी हूं कि जब मैं इसके घर गई थी तो इसके पापा की लाश कमरे में लटक रही थी और ये खुशी से नाच रही थी, और मैंने इसके हांथों में वो अंगूठी देखी है जो इसकी मां पहने थीं, वो इस अंगूठी को कभी नही उतारती थीं और खून होने के बाद मैंने वो अंगूठी इसके हाथों में देखी, कैसे आई इसके पास”?

कोमल की बात सुनकर पुलीस वालों को भी दामिनी पर शक होने लगा और उन्होने उसको टॉर्चर करना शुरू कर दिया, वो हर बार यही कहती कि उसने किसी को नही मारा |

कई दिन बीत गए और पुलीस वाले भी अब परेशान हो गये कोई गवाह या सबूत न होने की वजह से आज दामिनी को छोड़ा जाना था |

दामिनी की हालत बहुत खराब हो गई थी, वो बेहोशी में आवेश....का नाम पुकार रही थी, अब पुलीस वालों को लग रहा था कि इसका पता भी लगाना पड़ेगा क्या बता उसी से ये केस सुलझ सके |

जब दामिनी होश में आई तो उसने देखा कि उसके हांथ पैर बन्धे हैं | वो छटपटाने लगी तभी अन्दर एक पुलीस वाला आया और बोला, “ दामिनी तुम्हारे लिये एक खबर है, हमने आवेश को पकड़ लिया है, और उससे कई राज जान लिये हैं अब अगर तुम हमें सच सच बता दो तो मैं तुम्हे और उसे दोनों को छोड़ दूंगा” |

आवेश का नाम सुनकर दामिनी पागलों की तरह खुश हो गई और बोली, “ क....कहां है मेरा आवेश...... कहां है मेरा आवेश.... उसे बुला दीजिये प्लीज” |

इंस्पेक्टर बोला, “ बुला देंगे लेकिन सच सुनने के बाद” |

दामिनी बिल्कुल शांत हो गई, वो एक टक सामने की दीवार को घूरने लगी और फिर मुस्कुराते हुये बोली, “ हां......मैं जानती हूं,

कि मेरे मां बाप को किसने मारा है” |

इंस्पेक्टर ने हैरान होकर पूछा, “ कौन है वो? जल्दी बताओ”?

“ आवेश ने मारा है उन दोनों को......” | ये कहकर दामिनी जोर जोर से हंसने लगी |

पुलीस वाले भी हैरान हो गये कि आखिर अपने मां बाप के कातिल को वो इतना प्यार क्युं करती है?

“ क्या तुम हमें आवेश का हुलिया बता सकती हो, हम बस ये पुष्टि करेंगे कि हिस आवेश को हमने पकड़ा है वो तुम्हारा आवेश ही है ना” | इंस्पेक्टर ने कहते हुए अपनी टीम बुलाई और दामिनी के बताये अनुसार आवेश का स्केच बनाया गया |

इसके बाद दामिनी को छोड़ दिया गया |

दामिनी अपने घर आ गई |

आवेश के स्केच को हर जगह लगा दिया गया और इंटरनेट पर डाल दिया गया | कोमल ने भी उस स्केच को देखा और उसकी खोजबीन करने लगी तीन दिन हो गये लेकिन किसी को कुछ पता नही चला |

एक रात कोमल चुपके से उस इंसपेक्टर की मदद से दामिनी के घर पंहुची और उसके पापा की अलमारी में कोई सबूत ढूंढ़ने लगी, जहां उसे एक फाइल मिली जिसमें उसे एक फोटो मिली जो बिल्कुल आवेश के स्केच से मिलती थी |

दोनों ने जल्दी से उस फाइल को अपने बैग में रखा और वहां से जाने लगी, तभी कमरे का दरवाजा बन्द हो गया | इंसपेक्टर ने जल्दी से कोमल का हांथ पकड़ा और दरवाजे की तरफ बढ़ा लेकिन तभी उसके सिर पर किसी ने जोर से कुछ मारा, इंस्पेक्टर का सिर फट गया और वो वहीं गिर गया, कोमल जोर से चीख पड़ी, उसने पीछे मुड़कर देखा तो दामिनी खड़ी थी |

“ तु....तुम .... प्लीज मुझे मत मारना, मैं तो बस सच का पता लगाकर तुम्हारी मदद करना चाहती थी, प्लीज ..... प्लीज.... मुझे मत मारना....” |

कोमल को यूं डरा सहमा देखकर वो जोर जोर से हंसने लगी और बोली, “ अब जब ये फाइल तुझे मिल ही गई है तो मैं क्या बोलूं, चल...चल तू खुद पढ़ इसे....... पढ़..... पढ़.....” | दामिनी चिल्लाते हुए बोली |

कोमल डर के मारे फाइल खोलने लगी, इंस्पेक्टर भी जमीन पर पड़ा ये सब देख सुन रहा था लेकिन दर्द और खून बहने के कारण उठ नही पाया |

कोमल फाइल पढ़ना शुरू करती है |

आज से करीब अठ्ठारह साल पहले उसके घर में एक आदमी आया, दामिनी अपने खिलौनों के साथ गार्डेन में खेल रही थी, उसने जब उस आदमी को देखा तो वो मुस्कुराने लगा, दामिनी बड़ी देर तक उसको देखती रही |

“ क्या नाम है तुम्हारा”? दामिनी के पापा ने उस अजनबी से पूछा |

“ आवेश....... आवेश नाम है मेरा, मुझे एक कमरा चाहिये किराये पर रहने के लिये” |

दोनों में कुछ देर बात होती रही और फिर आवेश चला गया | अगले दिन आवेश अपने सामान के साथ दामिनी के घर रहने आ गया लेकिन आज उसके साथ कोई और भी थी, प्यारा सा, मासूम सा जो लगभग दामिनी की उम्र का ही होगा |

आवेश ने मुस्कुराते हुये उस लड़के से कहा, “ देखो मधुर ये है दामिनी, अब तुम दोनों दोस्त बनोगे और कोई झगड़ा नही समझे” |

इतना कहकर वो अपने कमरे में जाने लगा, दामिनी और मधुर एक दूसरे को देखते रहे | मधुर आवेश का छोटा भाई था और उसके अलावा दुनिया में इन दोनों का और कोई नही था |

आवेश को दामिनी के मां बाप से बहुत लगाव हो गया था, सब बिल्कुल अपने घर की तरह रहते फिर एक दिन आवेश की नौकरी छूट गई, वो बहुत परेशान रहने लगा और उसने फैसला किया कि वो दुसरे शहर जाकर काम की तलाश करेगा और फिर एक दिन वो मधुर की जिम्मेदारी दामिनी के मां बाप को सौंपकर दुसरे शहर चला गया लेकिन वो फिर कभी लौटकर नही आया |

कुछ महीनों तक तो सब ठीक चलता रहा लेकिन फिर मधुर दामिनी के परिवार पर बोझ बन गया लेकिन दामिनी उसको बहुत प्यार करती |

एक दिन दामिनी के पापा ने अपने पड़ोसी से कहा, “ यार अब मैं इस बच्चे को पुलीस के हवाले कर दूंगा, इतनी मंहगाई में अपना बच्चा तो पालना मुश्किल, इसका भाई तो इसे हमारे सिर पे डाल कर आजादी से घूम रहा होगा, कहता था हर महीने पैसे भिजवाता रहूंगा” |

पड़ोसी बोला, “ अरे भाई साहब कहां, पुलीस के चक्कर में पड़ेंगे, इसे चलकर कहीं बेच देते हैं, बहुत दाम मिल जायेंगे” |

“ कैसी बातें कर रहे हो यार, इतने छोटे बच्चे को गलत जगह बेचने का पाप...... नहीं मुझसे ये नही होगा..” | इतना कहकर दामिनी के पापा वहां से जाने लगे |

“ सोच लो..... इसके दस लाख तक मिल सकते हैं” पड़ोसी बोला |

दस लाख की बात सुनकर पापा को विश्वास ही नही हुआ और वो उस रकम के बारे में सोचने लगे |

“ तुम सच कह रहे हो”?

“ हां...बिल्कुल....... लेकिन उसमें मेरा भी हिस्सा होगा” | पड़ोसी ने कहा |

अगले दिन उस पड़ोसी के साथ दामिनी के पापा मधुर को ले गये |

दोनों ने शहर के एक बड़े रईस कारोबारी एम एल शर्मा के हाथों दस लाख में बेच दिया जिसमे से पांच लाख पड़ोसी ने ले लिये |

शर्मा ने उस बच्चे के हांथ पैर बांधकर एक कमरे में बन्द कर दिया और अगले दिन एक डॉक्टर के यहां ले गये, कहने को तो ये डॉक्टर एक साइकेट्रिक था लेकिन अन्दर ही अन्दर बहुत काले धन्धे करता था |

मधुर दिन रात आवेश को याद करती लेकिन आवेश का कोई अता पता नही था |

इधर दामिनी भी मधुर को याद कर करके रोती, लेकिन उसकी मां उसे कहती कि वो खो गया है, जल्द ही मिल जायेगा, दोनों ने मधुर की गुमशुदी की रेपोर्ट पुलीस स्टेशन में लिखा दी ताकि किसी को शक भी न हो |

पुलीस भी मधुर की तलाश में लग गई |

मधुर अब धीरे धीरे अपनी हिम्मत हारने लगा था, उसे अब कोई उम्मीद नजर नही आ रही थी, फिर उसे एक गुमनाम जगह ले जाकर लिटा दिया गया, जहां उस डॉक्टर ने उसे एक इंजेक्शन दिया, मधुर को बेहोशी छा रही थी, वो गहरी नींद में सो गया और उस डॉक्टर ने उसके शरीर को काट काटकर सारे अंग निकाल लिये जिनकी कीमत करोड़ों में थी | इस तरह मधुर मौत की नींद सो गया और दामिनी की आंखे उसकी तलाश करती रहीं जो कभी पूरी नही हुई |

ये सब पढ़कर कोमल चुप हो गई, उसकी आंखों में आंसू थे, पुलीस वाला भी हैरान था तभी कोमल ने पूछा, “ लेकिन इन सबसे तुम्हारा और इन हत्याओं का क्या लेना देना? क्या तुमने मधुर की मौत का बदला लिया?”

दामिनी कुछ नही बोली वो अपने कमरे की खिड़की की ओर देखने लगी और बोली, “ आओ मधुर...डरो नही, अब तुम आजाद हो...... देखो इन लोगों से मिलो, ये वही लड़का था जो अक्सर दामिनी को दिखता था, वो और कोई नही मधुर ही था” |

दामिनी की ये बातें सुनकर कोमल और इंस्पेक्टर दंग रह गये क्युंकि खिड़की के बाहर कोई भी नही था |

दामिनी ऐसे बोल रही थी जैसे मधुर उसके सामने हो |

“ दामिनी होश में आओ, वहां कोई भी नही है” इंस्पेक्टर ने कहा |

दामिनी उसकी बात से नाराज हो गई और एक बड़ा सा चाकू लेकर उसके पास जाकर बोली, “ क्या कहा तूने? क्या कहा? वहां कोई नही है, तेरी आंखे किसी काम की नहीं, इन्हे मैं निकाल देती हूं” |

ये कहकर दामिनी ने इंस्पेक्टर की आंख निकालनी चाही लेकिन तब तक घर में उसकी पूरी टीम आ गई और दामिनी को पकड़ कर ले गई |

अब ये सभी जान चुके थे कि दामिनी की मानसिक स्थिति ठीक नही इसलिये उसे मानसिक रोगीयों के अस्पताल में ले जाया गया और पांच दिनों तक उसकी जांच और पूछताछ होती रही |

पांच दिन बाद कोमल और इंस्पेक्टर दोनों उस अस्पताल गये और डॉक्टर से बात की तो पता चला कि दामिनी को एक बीमारी है, ऐसी बीमारी जिसमें वो जिन घटनाओं को ज्यादा ध्यान से पढ़ लेती है वो चीजें उसे दिखने लगती हैं, खासकर किसी के चेहरे |

जहां तक आप लोगों ने पूरी बातें बताईं उससे यही बात निकल कर आती है कि दामिनी ने सालों बाद कैसे भी मधुर की गुमशुदी वाला अखबार पढ़ लिया और उससे जुड़ी सारे यादें उसके दिमाग में जिन्दा हो गईं वो उसे दिखाई देने लगा” |

“ लेकिन डॉक्टर इतने सारे खून वो कैसे कर सकती है? चलो मान लूं कि मधुर उसकी मेमोरी से निकल कर उसे दिखाई देने लगा, लेकिन ये कैसे संभव है कि उसने दामिनी को ये भी बता दिया कि उसके साथ क्या हुआ”? इंस्पेक्टर ने पूछा |

“ राइट...... इससे ये पता चलता है कि दामिनी ने वो फाइल जरूर पढ़ी थी, उसी से उसके अन्दर नफरत बढ़ी और उसने अपने पड़ोसी, शर्मा और उस डॉक्टर को मारकर अपने मां और बाप को भी मार डाला” | इतना कहकर डॉक्टर अन्दर चले गये |

अब सब कुछ साफ हो चुका था लेकिन कोमल अभी भी सोच रही थी कि कहीं दामिनी ने उसके पति को भी तो नही मारा, लेकिन उसे वो क्युं मारेगी, फिर अचानक उसे याद आया कि उस रात बारिश में उसे एक लड़की दिखी थी और अगले दिन वहीं पर उसे टूटी चूड़ी मिली थी, और जब दामिनी उसके घर आई थी तो उसने भी वही चूड़ियां पहन रखीं थी |

अब कोमल को पक्का यकीन हो गया कि दामिनी ने उसके पति का खून किया है |

वो सीधा दामिनी से मिलने पंहुच गई |

“ देखो....जो हुआ उसका मुझे भी दुख है, लेकिन इन सबमें मेरे पति की क्या गलती है? तुमने उसे क्युं मारा” |

दामिनी मुस्कुराते हुये बोले, “ वो आवेश को पंसन्द नही था, मैनें बहुत मना किया लेकिन उसने तुम्हारे पति को मार दिया क्युंकि उसने शर्मा के खून वाली रात आवेश को उसके कमरे से निकलते देख लिया था और ये सारे खून उसी ने तो किये हैं, यही उसका मिशन है....... हा....हा....हा....हा....” |

कोमल उसकी बातों से डर गई और वहां से भाग आई | अभी भी उसे कुछ समझ नही आ रहा था |

दामिनी का केस भी बन्द हो चुका था लेकिन उसे जेल की बजाये अस्पताल भेजा गया और पागल घोषित कर दिया गया |

एक सफेद कमरे में बैठी दामिनी मुस्कुराते हुये बोल रही थी, “ आवेश कहां हो तुम......??? कितने दिन से नही मिले, देखो ना.... मेरा क्या हाल हो गया है, लगता है मुझे तुमसे मिलने के लिये एक और खून करना पड़ेगा, यही तो मैं करती आ रही हूं......... क्युंकि तुम तभी मिलते हो जब कोई मर जाता है, ऐसा क्युं करते हो तुम, आजाओ ना, देखो मैं वादा करती हूं कि आज किसी को जरूर मार डालूंगी, देखो ना..... मैंने सिर्फ तुमसे मिलने के लिये कितने लोगों को मार दिया, अपनी मां पापा को भी (हंसते हुये), अब यहां भी मुझे किसी को मारना होगा, बहुत परेशान करते हो तुम.....” |

इतना कहकर दामिनी जोर जोर से हंसने लगी, तभी एक वार्ड बॉय आया और बोला, “ ए पागल ज्यादा हंस मत ले, ये खाना खा ले” |

उसके अन्दर घुसते ही दामिनी ने उसे पकड़ लिया और गला घोंट कर मार डाला |

चारों तरफ अफरा तफरी मच गई, और भीड़ लग गई, सब दामिनी को अलग करने की बात कर रहे थे, तो कोई उसे मार देने की बात कर रहा था, शोर से दामिनी के कान फटे जा रहे थे, वो अपने कमरे की दीवार से चिपकी जा रही थी तभी भीड़ मे उसे आवेश का चेहरा दिखा जो उसकी ओर आ रहा था, उसे देखकर उसने अपने दोनों हांथ फैला दिये |

आवेश ने आकर उसे गले लगा लिया, सारे लोग उसे देखकर हैरान रह गये क्युंकि वहां दामिनी के अलावा और कोई नही था |

“ अब तुम्हारी तलाश पूरी हो चुकी है दामिनी, मैं तुम्हे लेने आया हूं” | इतना कहकर आवेश ने उसे अपने सीने से लगा लिया और दामिनी ने अपनी आंखें बन्द कर लीं |

समाप्त |

सर्वेश सक्सेना |