Talaash - 3 in Hindi Thriller by Sarvesh Saxena books and stories PDF | तलाश - 3

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तलाश - 3

भाग – 3

अगले दिन दामिनी सुबह उठकर नहा धोकर तैयार हो गई मां ने पूछा, “ अभी तो सुबह के 10:00 बजे हैं, कहां जा रही है तू”?

उसने कहा, “ नहीं.... कुछ नहीं मां, मैं बस कोमल के यहां जा रही हूं, शादी की तैयारियां करानी हैं ना” |

“ अरे हां..... ठीक है बेटी, जा जा... यह तो बहुत अच्छी बात है” |

दामिनी घर से निकल गई और सीधा डॉक्टर के घर के बाहर आकर खड़ी हो गई, आज भी वहां काफी भीड़ थी, उसे खड़े खड़े उसे दो से तीन घंटे हो गए लेकिन उस लड़के की एक झलक तक उससे नहीं दिखी | वह आखिर पूछती भी तो किसी से क्या पूछती, उसे तो उसका नाम तक नहीं मालूम था | निराश होकर वह घर चली आई और फिर यह सिलसिला चार-पांच दिनों तक चलता रहा |

इसी बीच एक दिन कोमल उसके घर आई और बोली, “ वाह वाह... सहेली हो तो तेरे जैसी, सच में.... तेरी शादी होगी ना तो उसी दिन आऊंगी जिस दिन बारात आएगी, तुझे जरा भी मेरी फिक्र नहीं है कि सहेली की शादी है चार-पांच दिन पहले से घर में रुकने आ जाये, रुकने न सही तो कुछ देर के लिये आकर उसका हाथ ही बटा दे” |

कोमल की बात सुनकर मां कुछ परेशान सी हो गईं और बोली,

“ लेकिन बेटी यह तो तुम्हारे घर रोज जाती है” |

उनकी बात सुनकर दामिनी परेशान हो गई और अपना झूठ छुपाने के लिए बोली, “ वो....... ऐसा नहीं है मां......” |

दामिनी की बहाने बाजी सुनकर मां और कोमल दोनों ही परेशान हो गये | मां ने तेज आवाज में कहा, “ सच सच बता कहीं तू फिर से यहां वहां मारी मारी तो नहीं घूमती” |

दामिनी ने कहा, “ मैं सिर्फ लाइब्रेरी जाती हूं और वहां जाकर अपनी मन चाही किताबें, खबरें पढ़ती हूं, अब तुम पढ़ने तो दोगी नहीं तो मैंने सोचा बाहर जाकर पढ़ लूं” |

दामिनी की बात सुनकर मां का गुस्सा शांत हुआ, बात आगे ना बढ़े इसलिए दामिनी कोमल को लेकर अपने कमरे में चली गई |

लेकिन कोमल दामिनी की मुस्कुराहट और हाव भाव देखकर समझ गई कि कोई तो बात है |

“ क्या बात है दामिनी? तेरे चेहरे की चमक देखकर तो यह लग रहा है कि तू लाइब्रेरी झांकने भी नहीं जाती, किससे मिलकर आती है रोज?, देख छुपा नही.... बता जल्दी से” |

दामिनी ने नजर झुका मुस्कुरा कर जवाब दिया, “ क्या बताऊं यार.... जबसे एक लड़के को देखा है तबसे........ पहली बार मुझे कोई लड़का पसंद आया लेकिन मैं इतनी बेवकूफ हूं कि मैंने उसका नाम और मोबाइल नंबर भी नहीं पूछा, अबकी बार जब दिखेगा तो मैं सबसे पहले यही काम करूंगी” |

कोमल यह जानकर बहुत खुशी हुई और बोली, “ सच में.... तू पागल की पागल ही रहेगी, यह काम तुझे पहले ही कर लेना चाहिए था, चल ठीक है, वह सब छोड़ अब, आज तेरे होने वाले जीजा जी ने मुझे कॉफी शॉप पर बुलाया है, घर से झूठ बोलकर आई हूं, जल्दी से तैयार हो जा और चल मेरे साथ” |

दोनों सहेलियां कॉफी शॉप के लिये निकल गईं, वो रिक्शे पर जा ही रही थी कि एक कार में दामिनी को उसी लड़के की झलक दिखी, उसने कोमल से कहा कि वह उस लड़के से मिलने जा रही है और वो जल्दी से भाग कर बीच सड़क पर उस कार का पीछा करने लगी लेकिन जैसे ही सिग्नल तक पहुंची रेड लाइट हो गई और उसकी कार सिग्नल के उस पार चली गई |

वह कारों के बीच में फंसी रह गई | हार कर वापस वह सड़क के किनारे खड़ी हो गई |

“ इससे अच्छा तो मैं कोमल के साथ ही चली जाती” | दामिनी अपने मन को समझाती घर चली गई |

ऐसे ही धीरे-धीरे दिन गुजरने लगे और दामिनी का प्यार और तड़प और बढ़ती रही फिर एक दिन टीवी में न्युज देखते समय |

“ आज सुबह शहर के जाने-माने कारोबारी मिस्टर एम एल शर्मा की सड़क हादसे में मौत हो गई है, कल देर रात यह घटना हुई जिसके बाद उनको अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें अमृत करार दिया गया | आज उनकी अंतिम संस्कार होगा | आइये हम दिखाते हैं उनकी अंतिम विदाई की एक झलक |

न्यूज सुनकर दामिनी दुखी सी हो गई तभी कमरे में मां आ गईं और बोलीं, “ क्या करती है ये लड़की? हम लोग तुझे इन सब चीजों से दूर रखने की कोशिश कर रहे हैं और तू फिर भी यह जाने क्या बेकार की न्यूज़ देखती रहती है” |

इतना कहकर मां ने रिमोट से टी. वी. का चैनल बदलना चाहा कि तभी दामिनी जोर से चिल्ला पड़ी, “ रुको मां.....” |

वो भागकर आई और टीवी की स्क्रीन को पास से देखने लगी क्योंकि उसमें वही लड़का था जो उसको मिला था | उसको इस कदर टीवी में ध्यान से देखते हुए मां बोली, “ क्या बात है दामिनी? तो इतने ध्यान से टी.वी. क्यों देख रही है”?

मां की आवाज से दामिनी अपने होश में आई और बोली, “ नहीं... कुछ नहीं, मैं... बस... कुछ नहीं” और यह कहते हुए वह अपने कमरे में चली गई | वह कुर्सी पर बैठ कर हिलने लगी, उसके माथे पर पसीना था, उसके अंदर एक तड़पती जाग रही थी, उसकी आंखों के सामने बार-बार उस लड़के का चेहरा आ रहा था, वह जल्दी से उठी और अपना बैग उठाकर मां से बोली, “ मां.... मैं जरा बाहर जा रही हूं, थोड़ी देर में आ जाऊंगी” |

“ नहीं...तू कहीं नही जायेगी, जब भी घर से बाहर जाती है, कोई न कोई नाटक कर लाती है, चुपचाप जा अपने कमरे में” | मां ने डांटकर कहा |

“ मां.... मैं नही रुक सकती बहुत जरूरी काम है, मैं एक घंटे में आ जाऊंगी” |

इतना कहकर वो घर से बाहर चली गई और मां उसे देखती रह गई |

दामिनी ने ऑटो वाले से कहा, “ एम. एल. शर्मा जी के यहां चलो, जिनकी मौत हो गई थी कल” |

कुछ ही देर बाद वो शर्मा जी के यहां आ गई | वह भीड़ में इधर-उधर सबको देखने लगी | उसे ऐसा लग रहा था जैसे सारे लोग उसको घूर रहे हों, सारे लोग सफेद कपड़ों में थे सिवाय उसके, वह हर किसी का चेहरा देखती और फिर आगे बढ़ जाती |

बड़ी देर तक हर जगह ढूंढने के बाद उसे वह लड़का नहीं मिला तो वह निराश हो गई कि तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रखा और कहा, “ मुझे ढूंढ रही हो...” |

दामिनी ने पीछे मुड़कर देखा तो वह खुशी से झूम उठी, उसने उसे अपने गले से लगा लिया और बोली, “ कहां चले गए थे तुम? तुम्हें पता भी है कि मैं तुम्हें कितना ढूंढ रही थी”?

लड़के ने मुस्कुराकर कहा, “ अच्छा.... लेकिन तुम मुझे ढूंढ क्यों रही थी” ?

इस बात पर दामिनी शरमा गई और बोली, “ सबसे पहले तो तुम मुझे यह बताओ कि तुम्हारा नाम क्या है”?

“ आवेश नाम है मेरा” | लड़के ने कहा |

दामिनी बोली, “ तो तुम मुझे अपना एड्रेस और अपना मोबाइल नंबर दो, वरना मैं ऐसे पागलों की तरह तुम्हें यहां वहां ढूंढती रहूंगी” |

दामिनी की बात सुनकर लड़के ने मुस्कुरा कर कहा, “ देखो दामिनी..... मुझे पता है तुम मुझे बहुत प्यार करती हो और मुझे भी तुम पसंद हो लेकिन हम दोनों के बीच प्यार नहीं हो सकता” |

उसकी यह बात सुनकर दामिनी को एक झटका सा महसूस हुआ “ लेकिन तुम ऐसे क्यों बोल रहे हो? क्या कारण है? तुम्हारे मां-बाप नहीं मानेंगे या मेरे”?

आवेश ने फिर मुस्कुराते हुए कहा, “ वह सब कुछ नहीं है, दरअसल मैं एक खुफिया एजेंट हूं और यहां एक सीक्रेट मिशन पर आया हूं, मैं एक ऐसी संस्था के लिए काम करता हूं जिसमें यह सब करना पॉसिबल नहीं है और सबसे बड़ी बात तो यह है ना ही मैं तुम्हें अपना पता बता सकता हूं और ना ही अपना नंबर दे सकता हूं क्योंकि मैं मोबाइल नहीं रखता और अगर कभी जरूरत पड़ने पर रखता भी हूं तो उस पर सिर्फ उन्हीं लोगों के फोन आते हैं, यहां तक कि मेरे घर वालों के भी नहीं” |

आवेश की बातें सुनकर दामिनी को कुछ संतोष हुआ और वह बोली, “ बस.... इतनी सी बात, अगर यह तुम्हारे काम के कारण ऐसा बोल रहे हो तो तुम्हें ऐसा बोलने की जरूरत नहीं क्योंकि मैं कभी तुम्हारे काम के बीच में नहीं आऊंगी लेकिन तुम मुझसे वादा करो कभी कबार तो मिलने आ जाया करोगे और यह तुम्हारा मिशन कब तक चलेगा”?

आवेश ने कहा, “ देखो..... जब तक मिशन पूरा नहीं हो जाता तब तक काम चलता रहेगा और मिशन कब पूरा हो, यह मैं नहीं कह सकता इसलिए अच्छा होगा कि तुम अपना समय मत खराब करो, कहीं ऐसा न हो कि बाद में तुम्हें बहुत दुख और पछतावा हो” |

दामिनी ने उसका हाथ पकड़ा और कहा, “ मैं तुमसे वादा करती हूं, कभी तुम्हारे काम के बीच में नही आऊंगी और न मैं तुम्हें शिकायत का मौका दूंगी, मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगी, खैर छोड़ो यह बताओ तुम शर्मा जी के अंतिम संस्कार में क्यों आए हो? क्या यह भी तुम्हारे रिश्तेदार हैं”?

आवेश उसकी बात सुनकर मुस्कुराया और फिर उसने एक पल के लिए दूर दूर खड़े सारे लोगों पर नजर डाली और कहा, “ नहीं यह मेरे कोई नहीं थे लेकिन ये सब मेरे मिशन का हिस्सा है इसलिये मुझे आना पड़ता है” |

दामिनी ने अपना सिर खुजलाते हुए कहा, “ ओहो.... तुम्हारी यह गोलमोल बातें मुझे तो समझ नहीं आने वाली, फिलहाल यहां से चलो, मुझे तुम्हारे साथ कॉफी पीनी है” |

आवेश ने मुस्कुराते हुए कहा, “ ठीक है...... दोनों कॉफी शॉप में चले गए और कॉफी पीने लगे |

आवेश बड़े प्यार से दामिनी को देख रहा था, दोनों में बड़ी देर तक बातें होती रहीं  |

तभी दामिनी का फोन बजा, फोन उठाते ही कोमल बोली, “ हां.... मैडम जी कहां घूम रहीं हैं, कॉफी पी जा रही है” |

दामिनी समझ गई कि कोमल यहीं कहीं है, उसने कहा, “ अरे, अगर तूं यहीं हैं तो तू भी आजा” |

कोमल बोली, “ जरूर आती लेकिन अभी मैं इनके साथ हूं और वैसे भी बहुत देर हो चुकी है, तू एंजॉय कर” |

ये कहकर कोमल ने फोन काट दिया |

दामिनी मुस्काने लगी, तभी वेटर दामिनी के पास आकर बोला,

“ मैम..... कुछ और लाऊं.....” |

दामिनी ने मना कर दिया |

वेटर ने बिल देते हुये कहा, “ मैम यह बिल पे कर दीजिए” |

दामिनी ने पैसे दे दिये तो वेटर ने फिर कहा, “ मैम ये कप भी ले जाऊं” |

“ हां.... ले जाओ..... पता नही ये आवेश भी कहां चला गया, कितनी देर हो गई, मुझे लगा वाशरूम जा रहा है, ये भी ना” |

दामिनी कॉफी शॉप से बाहर आ गयी और बड़ी देर तक खड़ी इंतज़ार करती लेकिन आवेश नही आया तो वो अपने घर वापस आ गई |

वो समझ गई थी कि आवेश का मिशन ही ऐसा है इसलिये उसे जाना पड़ा होगा |

उसके घर आते ही मां ने गुस्से में कहा, “ आ गई तू..... कब से तेरा फोन लगा रही हूं, फोन क्यों नहीं उठाती? चल छोड़...... अब यह तस्वीरें हैं कुछ लड़कों की पसंद करके बता दे, वरना ऐसे ही कंवारी रह जायेगी और उमर निकल जायेगी फिर लोग आते जाते भी टोकने लगेंगे कि आखिर इसकी शादी क्यों नहीं हो रही है” |

दामिनी ने बिना तस्वीरें देखे कहा, “ मां..... मुझे किसी से शादी नहीं करनी” |

दामिनी अक्सर यही जवाब मां को देती थी इसलिए मां को कोई आश्चर्य नही हुआ |

“ तू चाहती क्या है आखिर? हमें बता दे.... या फिर हम मर जाएं, तू सुखी रहे” | ये कहते हुये मां रोने लगीं |

उसने मां को प्यार से अपने पास बिठाया और कहा, “ मां.... ऐसे क्युं बोलती हो, मैं अब किसी को प्यार करती हूं” |

यह सुनकर मां खुश हो गईं और बोली, “ क्या?? लेकिन कौन है वह? कब से ये चल रहा है”?

उसने सारी बात मां को बता दी | मां इस बात से खुश थी कि आखिरकार उसे कोई लड़का पसंद तो आया लेकिन इस बात से परेशान भी थी कि आखिर वो लड़का ठीक है या नही, और वो किस तरह के मिशन पर काम कर रहा है |