Talaash - 2 in Hindi Thriller by Sarvesh Saxena books and stories PDF | तलाश - 2

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तलाश - 2

भाग – 2

रात के करीब डेढ़ बजे दामिनी के कमरे में कुछ खटपट हुई, जिससे दामिनी की आंख खुल गई, उसने नजर उठाकर देखा तो खिड़की के बाहर कोई खड़ा था जिसे देख वो बिल्कुल थर्रा गई और बोली, “ कौन है वहां? कौन है”?

डर लगने के बावजूद भी वो खिड़की के पास चली गई, जैसे उसे कोई अपनी ओर खींच रहा हो |

उसने खिड़की के पास जाकर देखा तो वह गुमशुदा लड़का उसकी खिड़की के बाहर खड़ा उसी की ओर देख रहा था, दामिनी ने जल्दी से खिड़की खोली और कहा, “ तुम.... तुम यहां कैसे? तुमने तो आज मुझे मरवा ही दिया था, तुम्हें पता है मुझे घर में कितनी डांट पड़ी है” |

उस लड़के ने मुस्कुराते हुए कहा, “ मुझे माफ करना दीदी लेकिन मैं क्या करूं, मुझे आपसे डर लगा था इसलिए मैं भाग गया था” |

उसने खिड़की खोल कर उस लड़के से कमरे के अंदर आने को कहा और वह लड़का कमरे के अंदर आ गया | उस लड़के के हाथों पर कुछ निशान थे, जैसे किसी ने उसके हाथ पैर रस्सी से बांध रखे हों |

दामिनी उस लड़के से खाने के लिए पूछा तो उसने मना कर दिया|

“ तुम मेरे घर तक कैसे आ गये और अगर तुम मेरे घर आ सकते हो तो अपने घर क्युं नही गये, तुम्हारे मां बाप कितने परेशान हो रहे होंगे” | दामिनी ने लड़के से कहा |

लड़का एकदम खामोश हो गया और कुछ सोचते हुए बोला,

“ नहीं वह कभी परेशान नहीं होते” |

दामिनी दामिनी लड़के की बात सुनकर हैरान रह गई |

उसने उससे कहा, “ तुम अभी बच्चे हो तुम्हे कुछ समझ नही है वर्ना ऐसा कैसे हो सकता है, अरे उन्हें तो रात रात भर नींद नहीं आती होगी, लड़का अभी भी एक टक खिड़की की ओर देख रहा था |

दामिनी ने थोड़ा जोर से पूछा, “ बताओ ना..... आखिर कहां रहते हो तुम, देखो.... मैं कुछ नहीं जानती, मैं कल सुबह तुम्हारे माता-पिता के पास तुम्हे छोड़ आऊंगी, और कल मैं अपने घर में भी सबको दिखाऊंगी कि देखो, मैं कोई पागल नहीं और ना ही मेरा वहम था ये, तुम सो जाओ.....” |

यह कहकर दामिनी ने उस लड़के का कस के हाथ पकड़ लिया लेकिन तभी बाहर से आवाज आई, “ दामिनी..... क्या हुआ? किस से बातें कर रही है?”

मां की आवाज सुनकर दामिनी घबरा गई और बोली, “ कुछ नहीं मां... कुछ नहीं... मैं बस मोबाइल चला रही थी” |

मां ने दोबारा कुछ नहीं कहा लेकिन जब दामिनी ने पलट कर देखा तो लड़का गायब हो चुका था | उसने जल्दी से खिड़की की ओर देखा तो खिड़की का शीशा खुला हुआ था |

वो तुरंत ही खिड़की से बाहर भाग आई और यहां वहां बच्चे को बिना आवाज दिये ढूंढ़ने लगी, लेकिन वो कहीं नही दिखा |

उसने मन ही मन कहा, “ अजीब बच्चा था, घर जाने की बजाय यहां वहां घूम रहा है, मुझे कुछ करना होगा” |

यही सोचते-सोचते वो फिर कमरे में आ गई और सो गई |

अगले दिन सुबह उसके पिताजी ने उसे एक अच्छे साइकेट्रिस्ट के पास ले जाने के लिए कहा | बहुत दबाव के बाद दामिनी जाने के लिये तैयार हुई | साइकेट्रिस्ट ने दामिनी  से पूछा, “ क्या आपको कोई परेशानी, कोई दुख, परिवार का कोई दबाव है”?

दामिनी ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “ ऐसा कुछ भी नहीं है” |

डॉक्टर ने भी उसको हिप्नोटाइज करके कहा, “ दामिनी...... अब तुम एक काले अंधेरे कमरे में हो, तुम्हें और कुछ भी याद नहीं सिवाय इसके कि तुम एक काले अंधेरे कमरे में हो, अब तुम धीरे धीरे दूर जो तुम्हें रोशनी की किरण दिखाई दे रही है, उसके पास चलती चली आओ और मुझे बताओ कि तुम्हें क्या दिख रहा है” |

दामिनी ने कोई जवाब नहीं दिया |

डॉक्टर ने दोबारा कहा, “ दामिनी चलती आओ..... धीरे-धीरे उस रोशनी की तरफ चलती रहो और बताओ कि तुम्हें अपने आसपास क्या दिख रहा है” |

दामिनी ने फिर से कुछ नहीं कहा लेकिन कुछ देर बाद वह चीख पड़ी, “ नहीं...... नहीं..... मैं और आगे नहीं जाऊंगी..... मैं और आगे नही जाऊंगी.........” |

डॉक्टर ने रहस्यमय तरीके से पूछा, “ क्युं दामिनी? आखिर ऐसा क्या है वहां जो तुम आगे जाना नही चाहती”? तुम्हे जाना होगा... तुम्हे जाना होगा....” |

दामिनी फिर खामोश हो जाती है, ऐसा लगता है कि वो उस रोशनी की किरण के आगे बढ़ती जा रही हो |

“ तु.....तुम लोग, तुम लोग तो कई सालों से खो चुके हो, तुम...... तुम सब लोगों को मैंने देखा है........ तो तुम लोग गुमशुदा नहीं हो...... और दुनिया तुम्हे बेकार में तलाश रही है, क.... क.... किसने बन्द किया तुम लोगों को.......यहां......” |

दामिने के पूछ्ने पर भी उन लोगों ने कोई जवाब नही दिया लेकिन जब उसने उन लोगों को और पास से देखा तो और ज्यादा घबरा गई और बोली, “ ये .... ये तुम लोगों को आखिर हुआ क्या है? तुम लोगों को देख कर तो लगता है तुम लोग मर चुके हो” |

डॉक्टर ने फिर कहा, “ कौन मर चुका है दामिनी? मुझे बताओ किन लोगों को तुम देख रही हो”?

दामिनी ने कहा, “ दुनिया से गायब होने वाले लोग....... यह सब वह लोग हैं या तो मर चुके हैं या तो गुमशुदा हो चुके हैं” |

इतना कहते ही दामिनी बड़ी जोर से चीखकर छ्टपटाने लगी और चिल्लाने लगी, “ छोड़ दो....... छोड़ दो मुझे.... जाने दो, मुझे अपने घर जाने दो, मैं तुममे से नही हूं, प्लीज मुझे जाने दो, मुझे इस अन्धेरे में मत खीचो...... मुझे अंधेरे में नहीं जाना, मुझे अंधेरे में नहीं जाना” | दामिनी यह कहकर जोर जोर से चिल्लाने और तड़पने लगी उसका शरीर पसीने से डूब गया |

दामिनी की हालत देखकर डॉक्टर भी परेशान हो गये, वो समझ गए कि दामिनी को अब नींद से जगाना बेहद जरूरी है, उन्होंने फिर भी दामिनी से पूछा, “ कौन हैं वो, देख कर मुझे बताओ, कौन है वह जो तुम्हारे हाथ खींच रहा है? कौन है”?

दामिनी एकाएक बड़ी भारी आवाज में बोल पड़ी, “ आप............ आप हैं डॉक्टर साहब...... आप......” |

यह सुनकर डॉक्टर साहब के पसीना आ गया और तभी दामिनी अपनी नींद से जाग गई और अपनी हालत देखकर बोली, “ क्या हुआ था डॉक्टर साहब”?

उन्होंने घबराते हुये कहा, “ क.....क.....कुछ नहीं, तुम अब जा सकती हो” |

डॉक्टर साहब ने अपने माथे का पसीना पोछते हुए एक पेपर पर लिखना शुरू कर दिया और बाहर आते ही दामिनी के पिता जी से कहा, “ देखिए..... मुझे लगता है कि आपकी बेटी डिप्रेशन का शिकार है, उसको हिप्नोटाइज करने पर भी उसे अजीबो गरीब लोग दिख रहे हैं, यह वह लोग हैं जो या तो गुमशुदा हो चुके हैं या फिर जिन के मरने की खबर वह पढ़ती रहती है, उन सब खबरों का इसके दिमाग पर गहरा असर हुआ है, अगर आप यह सब बंद करवाएंगे और कोशिश करें कि यह ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ रहे, अच्छी किताबें पढ़ें, फिल्में देखें और खुश रहे, बाकी मैंने यह दवाइयां लिख दी हैं आप इसे बाहर से ला सकते हैं और पन्द्रह दिन बाद फिर आकर चेक अप करवा सकती हैं |

डॉक्टर के कहे अनुसार दामिनी के पापा ने बिल्कुल वैसा ही किया लेकिन दामिनी इन सब चीजों से बहुत नाखुश थी |

लेकिन अब वह कभी तो कॉमेडी फिल्में देखने लगती तो कभी मोटीवेशन वाली किताबें और कहानियां पढ़ने लगती |

सब कुछ उसके कमरे से हटा दिया गया और दामिनी भी अपने आप को बदलने की कोशिश करने लगी |

दो दिन बाद शाम को दामिनी के पापा तेज कदमों से घर के अंदर आए और बोले, “ दामिनी..... तुम्हें पता है, जो डॉक्टर तुम्हारा इलाज कर रहे थे उनकी मौत हो गई” |

यह बात सुनकर दामिनी और उसकी मां भी दंग रह गए क्युंकि वह तो अभी अच्छे भले थे, अचानक उनकी मौत कैसे??

पापा ने बताया कि उनके अपार्टमेंट में उनकी लाश मिली वो भी बहुत ही अजीबो गरीब हालत में, जिस सोफे पर बैठ कर वह मरीज देखते थे, उनकी लाश उसी सोफे पर पाई गई..... बैठे हुए और सामने की ओर देखते हुए, ऐसा लगता था जैसे उन्होंने ऐसा कुछ देख लिया है जिससे कि उनकी आंखें फटी की फटी रह गई हों, मुंह खुला रह गया हो” |

यह सब सुनकर दामिनी और उसकी मां को बड़ा दुख हुआ, दामिनी कुछ सोचते हुए बोली, “ लेकिन पापा उन्होंने आखिर ऐसा क्या देख लिया होगा”?

“ अब यह तो मैं भी नहीं जानता बेटा, खैर कल उनका अंतिम संस्कार है मैं जाऊंगा, उनकी वजह से तुम्हारी हालत में थोड़ा सुधार हुआ था लेकिन.....” | पापा इतना कहकर रुक गये |

दामिनी ने कुछ सोचते हुए कहा, “ पापा.... मैं भी आपके साथ चलना चाहती हूं” | पापा ने ना चाहते हुए भी हां कर दी |

अगले दिन सुबह दोनों डॉक्टर के घर आ गये | दोनों जैसे ही डॉक्टर के घर में गेट के अंदर घुसे, चारों ओर भीड़ ही भीड़ थी तभी दामिनी की नजर एक लड़के पर पड़ी, सफेद कुर्ता उदास चेहरा और चेहरा भी ऐसा जो किसी के दिल में भी अपनी जगह बना ले | उस लड़के के चेहरे में ऐसी कशिश थी कि दामिनी की नजरें बार-बार उसकी ओर रही थी | दोनों जब अंदर गए तो डॉक्टर साहब को श्मशान ले जाने की तैयारी की जा रही थी लेकिन दामिनी की नजरें अब उसी लड़के को तलाश रही थीं |

यह पहली बार दामिनी के साथ हुआ था कि कोई लड़का उसे इतना पसंद आ गया था कि वह बार-बार उसे देखना चाह रही थी, उसने हॉल में चारों ओर देखा वह कहीं नहीं था |

कुछ देर बाद वो बाहर आई तो उसने देखा वो लड़का एकांत में एक पेड़ के नीचे अकेला खड़ा न जाने क्या सोच रहा था |

दामिनी उसके पास आना चाहती थी लेकिन आखिर अचानक से उसके पास जाती तो कैसे? वो यह सब सोच ही रही थी कि तभी उस लड़के ने भी उसकी ओर देखा, ऐसा लग रहा था जैसे दामिनी को देखकर वह भी उस से जुड़ गया है | दोनों की नजरें एक दूसरे को देख रही थी और दोनों धीरे धीरे पास आ गये थे |

उस लड़के ने कहा, “ बहुत बुरा हुआ ना.....” |

“ हां..... बुरा तो हुआ है” | दामिनी ने धीरे से कहा |

लड़का बोला, “ अक्सर जिंदगी में हम सोचते कुछ और हैं, देखते कुछ और हैं और होता कुछ और ही है” |

दामिनी ने धीरे से कहा, “ क्या यह तुम्हारे कोई रिश्तेदार थे”?

लड़के ने मुस्कुराकर जवाब दिया, “ नहीं..... क्या यह जरूरी है कि किसी से मिलने के लिए कोई रिश्ता होना जरूरी है” |

दामिनी ने मुस्कुराकर नजरें झुका लीं, वह समझ गई शायद डॉक्टर साहब का कोई मरीज या फिर कोई दोस्त होगा |

दोनों में थोड़ी देर तक बात होती रही और दोनों ही एक दूसरे के दिल का हाल जान गये |

“ दामिनी....... बिना बताये, कहां चली गई लड़की” ?

पापा की आवाज सुनकर दामिनी भागती हुई चली आई |

“ कहां गायब हो जाती हो बेटी, चलो अब मुझे ऑफिस की भी देर हो रही है, तुम घर जाओ और हां सीधा घर ही जाना” |

इतना कहकर वो दोनों डॉक्टर के घर से बाहर निकलने लगे लेकिन दामिनी की नजरें चारों ओर फिर उसी लड़के को देखने के लिए बेताब हो रहीं थीं लेकिन वह उसे कहीं नहीं दिखा |

उस दिन से दामिनी थोड़ा-थोड़ा खुश रहने लगी | मां भी उसके बदले व्यवहार से बहुत खुश थीं | एक दिन उन्होंने दामिनी के पापा से कहा, “ देखो जी वैसे बुरा हुआ डॉक्टर साहब चले गए लेकिन हमारी बेटी में काफी बदलाव आ गया है, जबसे उन्होंने जैसा करने को कहा था हमने वैसा किया, चलो एक काम तो अच्छा हुआ” |

दामिनी के पापा यह कहकर बिस्तर पर लेट गए |

दामिनी उस लड़के के बारे में सोचती रही, वह बार-बार यह सोच कर अपने आप को कोसती कि “ मैने भला उस लड़के का नंबर क्यों नहीं मांगा, नंबर तो दूर उसने उसका नाम तक नहीं पूछा, लेकिन भला लड़की होकर मैं यह सब पहले कैसे करती, उसने भी तो नहीं पूछा” |

यही सब सोचते सोचते दामिनी को न जाने कब नींद आ गई |