ziddi ishq - 10 in Hindi Anything by Sabreen FA books and stories PDF | ज़िद्दी इश्क़ - 10

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ज़िद्दी इश्क़ - 10

सोफ़िया ने कुछ सोचते हुए अपनी गर्दन हाँ में हिलायी।

रामिश से दूर रहने के बारे में वोह सोच भी नही सकती थी। उसे इस बात की उम्मीद थी कि वोह अपने डैड को मना लेगी।

..............

"माहेरा उठो और मेरे साथ चलो वरना मुझे तुम्हे दोबारा घसीट कर ले जाने में मुझे कोई प्रॉब्लम नही है।"

माज़ जो सबक जाने के बाद दोबारा माहेरा से उठने का कह चुका था। मगर वो है कि उठने का नाम ही नही ले रही थी और बस एक टक ज़मीन को ही घूरे जा रही थी।

माज़ ने गुस्से से माहेरा का बाज़ू पकड़ा तो तभी माहेरा के मुंह से दर्दर से आह निकल गयी।

"आह............छोड़ो मेरा बाज़ू पहेली ही तुम्हारी वहशी पकड़ की वाजह से मेरे बाज़ू में दर्द हो रहा है और तुम देख नही सकते कि मेरे पैर में चोट लगी है। मुझे दर्द हो रहा है जाओ यहाँ से मुझे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दो।"

माहेरा दर्द से कार्रहते हुए माज़ से बोली।

उसकी बात सुनकर माज़ ने उसके पैर की तरफ देखा तो वहां से खून निकल रहा था।

उसने एक नज़र महेरा पर डाली और आगे बढ़ कर उसे अपनी बाहों में उठा लिया।

जबकि उसके इस अचानक इस तरह उठाने पर माहेरा की चीख निकलते निकलते रह गयी।

उसने जल्दी से अपना एक बाज़ू माज़ की गर्दन में डाला और दूसरे हाथ से उसकी शार्ट की कॉलर के ज़ोर से अपनी मुठियो में भीच लिया।

"तुम बहोत ही पहोंचे हुए कमीने इंसान हो, उतारो मुझे मैं खुद चल कर जाउंगी लेकिन ऐसे तो बिल्कुल नही जाउंगी।।"

माहेरा ने जैसे ही कहा माज़ ने उसे डराने के लिए अपनी पकड़ ढेली कर दी लेकिन उसके ऐसा करते ही माहेरा ने अपने बाज़ू की पकड़ उसकी गर्दन पर और टाइट कर दी।

"मुझे गला दबा कर मारने का इरादा है?"

माज़ ने अपनी गर्दन पर उसकी पकड़ मजबूत होते देख कर बोला।

"हूँ....बुराई दुनिया से जल्दी खत्म नही होती और मेरी इतनी नाज़ुक सी पकड़ से तो तुम कभी नही मरने वाले। चलो अब तुमने मुझे उठा ही लिया है तो मुझे मेरे कमरे तक भी पहोंचा दो।"

माहेरा ने मासूमियत से आंखे टिपटिपाते हुए कहा जबकि उसकी बात सुनकर माज़ का दिल किया कि उसे यही गिरा दे।

फिर उसकी मासूम सी शक्ल देखते हुए वोह उसे अपने कमरे में ले गया।

"येह वोह कमरा तो नही है जिस मे मैं पहले थी।"

माहेरा कमरा देख कर बोली जो काले और सफेद रंग से रंगा हुआ था और उस मे हर चीज़ बहोत ही तरीके से सेट की हुई थी।

"ह्म्म्म, यह मेरा कमरा है अब से तुम यहाँ रहोगी वोह भी मेरे साथ........."

माज़ जो अभी बोल ही रहा था माहेरा उसकी बात काटते हूजे चिल्ला कर बोली।

"कभी भी नही मैं तुम्हारे साथ एक कमरे में......."

अभी वोह अपनी बात पूरी भी नही कर पाई थी कि माज़ ने उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए।

जबकि उसकी इस हरकत पर माहेरा शॉक हो गयी और जल्दी से हाथ मे आते ही वोह माज़ के कंधे पर मुक्का मारने लगी।

माज़ ने उसके होंठो को जड़ करके उसे छोड़ दिया। माहेरा जो इसके लिए तैयार नही थी बेड पर गिरते ही उसके मुंह से चीख निकल गयी।

"तुम घ.....गंदे इंसान अगर तुमने दुबारा यह हरकत की तो मैं तुम्हारा मुंह नोच लुंगी।"

माहेरा जो उसे घटिया कहने ही वाली थी माज़ कि बात याद करके वोह बात बदल कर अपने होंठो को रगड़ते हुए बोली।

"अच्छा हुआ तुमने मुझे याद दिला दिया अभी मैं तुम्हारे इन प्यारे प्यारे नाखूनों को काटता हु और मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नही थी तुम्हारे इस सड़े हुए मुंह का इतना अच्छा टेस्ट होगा।"

माज़ उसकी बात सुनकर कबर्ड की तरफ जाते हुए बोला।

जबकि उसकी बात सुनकर माहेरा का चेहरा गुस्से और शर्मिंदगी से लाल होगया।

"तुम्हारा मुंह होगा सड़ा हुआ ज़ुकाम की दुकान......हून।"

माहेरा मुंह बनते हुए बोली।

जबकि खुद को ज़ुकाम बुलाने पर माज़ जो अलमारी से कुछ निकाल रहा था पीछे मुड़ कर उसे घूरने लगा और फिर अलमारी बंद करके उसके पास बैठते हुए बोला।

"अपना मुंह बंद करो और मेरी बात ध्यान से सुनो........."

जबकि माहेरा उसकी बात पर ध्यान दिए बिना ही उससे दूर होने की कोशिश कर रही थी।

माज़ ने उसे अपनी बात पर ध्यान ना देते और पीछे खिसकते देखा तो उसका हाथ पकड़ कर अपने करीब खींचते हुए बोला।

"मेरी बात ध्यान से सुनो और पीछे बाद में हटना फिलहाल मैं तुम्हारे साथ कुछ नही करने वाला हु।"

माहेरा जो उससे दूर होने की कोशिश कर रही थी उसकी बात सुनकर रुक गयी।

माज़ ने एक बिरिसलेट निकाला और उसका हाथ पकड़ कर उसे पहनाते हुए बोला।

"यह बिरिसलेट तुम कभी नही उतारोगी यह मुसीबत के वक़्त तुम्हारे काम आएगा।"

माहेरा ने उसकी बात सुनकर हाँ में अपना सिर हिलाया और बिरिसलेट देखने लगी।

वोह एक रेड कलर का बिरोस्लेट था जिसमे बड़े बड़े लाल लाल पत्थर और गोल्डन मोती जाड़े हुए थे, वोह बिरिसलेट अपने आप मे ख़ूबसूरी की एक मिसाल था।

"यह तो बहोत कीमती लग रहा है।"

माहेरा धीरे से बोली।

"नही यह ज़्यादा कीमती नही है लेकिन तुम इसे उतारोगी नही और अब से तुम्हे एक कमरे में बंद रहने की ज़रूरत नही है, तुम पूरे मेंशन में घूम फिर सकती हो।"

उसने माहेरा से बोलते हुए उसकी कलाई पर अपना होंठ रखा और माहेरा के कुछ भी समझने से पहले उठ कर वाशरूम में चला गया।

माहेरा जो अभी समझने की कोशिश कर रही थी कि क्या हुआ जब उसे समझ आया तो उसने वाशरूम की तरफ खूंखार नज़रो से देखा।

माज़ फर्स्ट एड बॉक्स ला कर माहेरा के पास बैठा ही था कि माहेरा ने खूंखार नज़रो से उसे घर कर देखा और पीछे खिसक कर बैठ गयी।

"जल्दी से अपना पैर आगे करो मुझे पट्टी करनी है मेरे पास वक़्त नही है मुझे ज़रूरी काम से जाना है।"

माज़ ने उसकी तरफ देखते हुए अपनी मुस्कुराहट छुपा कर कहा।

उसकी बात सुनने के बाद माहेरा ने मुंह बनाते हुए अपना पैर आगे कर दिया।

उसके पैर की पट्टी करने के बाद माज़ ने उसे अपना बाज़ू दिखाने के लिए कहा।

"क्यों?" माहेरा ने उसे घूरते हुए कहा।

"मतलब तुम मेरी बात कभी शराफत से मान नही सकती ना! हर बार सवाल करना ज़रूरी है।"

माज़ ने उसके सवाल पूछने पर चिढ़ कर कहा।

"मैं घटिया लोगो की बात नही मानती।"

माहेरा ने गुस्से से कहा लेकिन अपनी कहि हुई बात याद आने पर उसने डरते हुए माज़ की तरफ देखा।

उसकी बात सुनकर माज़ उसका हाथ पकड़ कर अपने करीब खींच और उसकी बाज़ू से शर्ट हटा कर देखा तो वहां उसकी उंगलियों के निशान थे।
उसने बिना कुछ सोचे समझे अपने होंठ उस निशान पर रख दिये।

जबकि माहेरा उसे ऐसा करते देख गहरी गहरी सांस लेने लगी।

वोह गुस्से से माज़ को दखते हुए बोली।

"तुम येह क्या कर रहे हो?"

"तुम्हे बता रहा हु घटिया लोग होते कैसे है।"

माज़ ने उसके हाथ पर दवाई लगाते हुए कहा।

दवाई लगाने के बाद माज़ ने फर्स्ट एड बॉक्स वापस वाशरूम में रखा और माहेरा के पास आ कर उसके माथे पर किस करके कमरे से बाहर चला गया।

...........….

निकाह के बाद रामिश सोफ़िया को एक ज़रूरी काम का कह कर कमरे से चला गया था।

रामिश जब अपना काम करके कमरे में वापस आया तो सोफ़िया को सोचो में गुम पा कर वोह उसके पास आ कर बैठ गया।

अपने साथ किसी की मौजूदगी महसूस करते हुए सोफ़िया ने अपने बगल में देखा तो उसकी चीख निकल गयी।

उसे डरता हुआ देख कर रामिश हल्का सा मुस्कुराया और उसके माथे पर अपने होंठ रखते हुए बोला।

"अब तुम मेरी हो अब भी तुम्हे किसी से डरने की ज़रूरत है।"

रामिश ने सोफ़िया का रुख मोड़ कर उसे दूसरी घुमाया और उसके बाल एक तरफ करके अपनी जेब से एक लॉकेट निकाल कर उसको पहनाया और उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिये।

अपनी गर्दन पर उसके होंठ महसूस करके सोफ़िया कांप गयी। जिसे महसूस करते हुए रामिश ने मुस्कुरा कर अपने होंठ हटा लिए।

उसकी मुस्कुराहट तो तब सिमटी जब उसने सोफ़िया की गर्दन के नीचे एक कट का निशान देखा। उसने अपनी उंगली उस कट पर फेरी तो सोफ़िया कपकपाने लगी।

"तुम्हे यह कट कैसे लगा।"

रामिश ने धीरे से पूछा।

"वो,,,,वोह त,,,,,तीन साल पहले मेरा एक्सीडेंट हुआ था तभी यह कट लगा था।"

सोफ़िया ने घबराते हुए उसे जवाब दिया।

उस की बात सुनकर रामिश ने उसे अपने सीने से लगा लिया और सोफ़िया ने भी अपनी आंखें बंद करली।

.....…............

मिलान, इटली:

सलमान एक क्लब में बैठ अपने हाथों में सिगरेट लिए स्टेज पर नाचती लड़कि को देख कर बार बार अपने पैरों को हिला रहा था। उसके डांस खत्म करके वहां से जाने के बाद ही सलमान अपनी जगह से उठ कर क्लब से बाहर आ गया।

क्लब के बाहर आ कर वोह गहरी गहरी सांस लेने लगा जैसे उसे क्लब में घुटन हो रही थी। वोह क्लब की पिछली साइड पर दीवार से टेक लगाए खड़ा था।

तभी वही लड़की क्लब से बाहर आई और अपने रास्ते चलने लगी।

सलमान ने अपनी सिगरेट का आखरी कश लिया और उसका पीछा करने लगा।

वोह लड़की आराम से अपने रास्ते जा रही थी जैसे उसे सलमान के उसके पीछे आने से कोई फर्क ही नही पड़ रहा था या फिर उसे सलमान की रोज़ उसके पीछे आने की आदत हो चुकी थी।

वोह जैसे ही अपने अपार्टमेंट में एंटर हुई सलमान भी वहां से वापस चला आया।

.....….......

रोम, इटली:

रामिश ने सोफ़िया को जैक के साथ उसके घर भेजवा दिया था। वोह उसे यह से भेजना तो नही चाहता था लेकिन सोफ़िया की ज़िद पर वोह उसकी बात मान गया था।

माज़ और रामिश आज एक डील करने जा रहे थे। रामिश गाड़ी के पास खडा माज़ का इंतेज़ार कर रहा था। उसे आते देख रामिश ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और माज़ क बैठते ही उसने गाड़ी स्टार्ट करदी।

"जैक की कुछ खबर मिली? आज कल बड़ा खामोश है जो मुझे हज़म नही हो रहा है।"

रामिश ने अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए रामिश से कहा।

"मुझे लग रहा है वोह कोई मौके की तलाश में है हम गलती कर और वोह फायेदा उठा ले। वैसे तुम फिक्र मत करो मैं ने सिक्योरिटी डबल करा दी है।"

रामिश ने ड्राइव करते हुए उससे से कहा।

"सलमान की कीच खबर है कहा है और वापस क्यों नही आ रहा है?"

माज़ ने उससे सलमान के बारे में पूछा।

"वैसे कल मेरे एक आदमी का फोन आया था उसने मुझे बताया सलमान क्लब जाता है औ दो घंटे बैठ कर वापस आ जाता है।"

रामिश ने माज़ से कहा।

"इनसे मुझे किसी लड़की का चक्कर लग रहा है नही तो उसे क्लब जाना बिल्कुल पसंद नही था।

रिष ने माज़ की बात सुनकर मुस्कुरा कर उसे देखा और बोला।

"तुमने ठीक कहा, वोह एक लड़की की वाजह से ही क्लब जाता है। वोह लड़की क्लब में डांस करती है और मुझे लगता है शायद वोह उस लड़की को पसंद करता है।"

"हम्म, वोह जो कर रहा है उसे करने दो और उस लड़की के बारे में पता करवाओ।"

माज़ ने अपनी बात पूरी की और सीट से टेक लगा कर अपने सिर को दबाने लगा।

.............

रामिश ने गाड़ी एक पुरानी बिल्डिंग के पास रोकी। वोह दोनो गाड़ी से उतर कर बिल्डिंग की तरफ चल दिये। एक कमरे में जा कर माज़ ने एक पूरी अलमीरा को खोला और सामने लगे बटन को प्रेस किया तो उनके सामने एक मशीन आ गयी। माज़ ने उसमे अपनी गैंग का कोड डाला तो अलमीरा एक साइड हो गयी और उन के सामने एक लिफ्ट आ गयी। जब लिफ्ट रुकी तो वोह दोनो कॉरिडोर से हो कर एक रूम के सामने आए जहाँ एक बॉडीगार्ड खड़ा था।
उन दोनों को पहचान कर उसने जल्दी से कमरे का दरवाज़ा खोला तो वोह दोनो अंदर चले गए।

अंदर जाने के बाद वोह जगह दिखने में एक महँगा क्लब लग रही थी। म्यूजिक चल रहा था सामने अटेग पर लडकिया डांस कर रही थी और कुछ लोग बार पर बैठे शराब पीते हुए उन्हें देख रहे थे।

यह एक ऐसा अंडरग्राउंड क्लब था जिसे बहोत से गैंग के लीडर मीटिंग के लिए यूज़ करते थे।

इस क्लब में ड्रग डीलिंग, हथियारो की स्मगलिंग और ह्यूमेन ट्रैफिकिंग की डील की जाती थी।

वोह दोनो एक टेबल की तरफ बढ़े जहाँ पहले से ही तीन लोग मौजूद थे।

रामिश माज़।ने मिल कर डील डिस्कस की और डील डन होंवे के बाद वहां से जाने लगे।

वोह यो दोनो लिफ्ट से उतरे तो समने जैक अपने एक आदमी के साथ खड़ा उनका इंतेज़ार कर रहा था।

माज़ जो रामिश से कुछ बात कर रहा था जैक को देख कर रुक गया।

"बहोत अफसोस हुआ तुम्हारे नुकसान का सुनकर वैसे तुम फिक्र मत करो वोह शिपमेंट हम ने अपने पास संभाल कर रखी है।"

माज़ ने तंज़ कसते हुए जैक से कहा।

"तुम याद रखना वोह शिपमेंट जल्द ही मेरे पास होगी।.......तुम तैयार रहो तुम्हारी गर्लफ्रैंड पर कभी भी किसी वक़्त हमला हो सकता है।"

माज़ की बात सुनकर कर जैक ने पहले हुस्से और फिर जताने वाले अंदाज़ में कहा।

जैक की बात सुनकर माज़ ने अपना गुस्सा कंट्रोल किया और फिर तंजिया मुस्कुराहट के साथ ठंडी आवाज़ में बोला।

"तुम एक बात भूल रहे हो तुम उस पर तभी तक तक हमला लर सकते हो जब तक वोह मेरी गर्लफ्रैंड है लेकिन अफसोस तुमने देर करदी अब वोह मेरी बीवी है। अगर अब तुमने उस पर हमला करने की कोशिश की तो मैं तुम्हारी पूरी गैंग को खत्म कर दूंगा और मुझे उम्मीद है तुम अभी तक अल्बर्टो का अंजाम नही भूले होगे।"

उसकी बात सुनकर जैक के मुस्कुराते हुए होंठ सिकुड़ गए। वोह कैसे गैंग के उसूलों को भूल सकता था अगर किसी ने भी लेदर की बीवी पर हमला किया तो सब गैंग मिल कर उसको खत्म कर देगी।

"ज़रूरी तो नही उसे हमला करके ही मारा जाये, उसे फ़ूड पॉइज़निंग भी हो सकती है। वोह छत से गिर कर भी मर सकती है।"

जैक ने मुस्कुराते हुए कहा जबकि उसकी बात सुनकर मज़्ज़ ने अपनी मुठिया भींच ली और फिर मुस्कुरारे हुए बोला।

"यह सब कुछ तुम्हारे साथ भी हो सकता है। तुम्हारी गाड़ी का एक्सीडेंट भी हो सकता है। तुम्हें हार्ट अटैक भी आ सकता है। या तुम्हे कोई जाहेर भी दे सकता है।"

उसकी बात सुनकर जैक ने अपने दांत पीसते हुए जसे बिना जवाब दिए लिफ्ट के अंदर चला गया।

..........

माज़ और रामिश वापस बालक रोज मेंशन जा रहे थे जब रामिश माज़ से बोला।

"मुझे लगता है हमे नौकरों को डबल चेक करवा लेना चाहिए।"

"अच्छा आईडिया है, हम पहले ही मॉम की हिफाजत नही कर सके और अब मैं नही चाहता कि मेरी वाजह से माहेरा को कुछ भी हो।"

माज़ रामिश ने बोला।

"तुम फिकर मत करो मैं खुद सब कुछ चेक करूंगा मगर माहेरा का अभी मेंशन से बाहर जाना खतरे से खाली नहीं।"

रामिश ने माज़ से कहा।

उसकी बात सुनकर माज़ ने अपना सिर हिलाया और बाकी का रास्ता खामोशी से गुजरा। माज़ लगातार अपनी मां और माहेरा के बारे में सोच रहा था। उसकी मां 2 साल पहले उससे कितना कह रही थी की शादी कर लो लेकिन वोह बार-बार उन्हें टाल देता था और आज उनके जाने के बाद उसने माहेरा से शादी कर ली थी।

अभी वोह कुछ और सोचता कि गाड़ी मेंशन में आके रुक गयी।

दोनों गाड़ी से निकलकर अपने-अपने कमरों में चले गए।

मां जैसे ही कमरे में इंटर हुआ मायरा को अपने बेड पर सोता हुआ था अजीब सा लगा। क्योंकि वह जब भी कमरे में एंटर होता था पूरा कमरा खाली होता था। उसने एक नजर लेटी हुई माहेरा की तरफ देखा और कबर्ड से कपड़े लेकर आने के लिए चला गया।

जब वोह फ्रेश हो कर वापस आया तो माहेरा के पास ही लेट गया। उसे अकेले सोने की आदत है इसीलिए वोह बार-बार करवटें बदल रहा था और आखिरकार कुछ देर बाद नींद मेहरबान हो गई।

.……….……

माज़ जब सुबह उठा तो देखा माहेरा अपना बाज़ू उसकी गर्दन में डाल कर माज़ से सो रही थी। उसने माहेरा का बाज़ू हटाया और उठ कर वाशरूम में चला गया।

जब वोह फराह हो कर आया तो माहेरा उठ कर बैठी हुई थी। उसे आते देख माहेरा बेड से उठ कर वाशरूम में चली गयी। मगर जाते हुए अपने कंधे पर उसके बाज़ू से मारना ना भूली, जबकि उसकी इस हरकत से माज़ पर कुछ असर ही नही पड़ा।

माहेरा के फराह हो कर आने से पहले ही माज़ आने बाल ड्राई कर चुका था। जैसे ही वोह फ्रेश हो कर भर निकली माज़ उसके करीब गया और अपने कंधे से उनक बाज़ू पर मारा। माहेरा जो इन सबके लिए तैयार नही थी सीधा कालीन पर जा गिरी।

"ज़ुकाम मैं तुम्हारा कंधा तोड़ दूंगी मोठे कहि के, इतनी जोर से मारा है मुझे, मेरे कंधा दर्द होने लगा है।"

माज़ जो उसे गिरा देख कर अपनी मुस्कुराहट छुपा कर जाने लगा था उसके मुंह से अपना गलत नाम सुनकर उसके करीब गया और पंजो के बल बैठ कर उसका मुंह अपने हाथों में दबोच कर उसका चेहरा अपनी तरफ किया।

माहेरा जो अपना कंधा सहलाते हुए माज़ को बिना देखे बोल रही थी उसके मुंह दबोचने पर उसकी तरफ देखा।

"अगर मैं ने दोबारा तुम्हारे मुंह से अपना गलत नाम सुना तो पहले एक दिन बिना खाने के कमरे में बंद किया था अब की बार एक हफ्ते के लिए बंद करूँगा। तुम मेरी नरमी का नाजायज़ फायेदा उठाओ यह मुझे कतई मंज़ूर नही।"

माज़ की ठंडी आवाज़ में कही हुई बात सुनकर माहेरा ने जल्दी से अपना सिर हिलाया।

उसे सिर हिलाते देख माज़ बोला।

"सिर मत हिलाओ शब्द इस्तेमाल करो।"

"स...........सॉरी माज़ अब से मैं तुम्हारा गलत नाम नही लुंगी।"

उसकी गुस्से भरी आवाज़ सुनकर माहेरा ने दांत पीसते हुए कहा।

"इस दफा माफ कर रहा हु लेकिन अगली बार सज़ा के लिए तैयार रहना।"

माज़ ने कहा और उसके गाल पर अपने दांत गढ़ा कर उठ कर वहां से चला गया।

माहेरा अपना गाल सहलाते हुए गुस्से से बुदबुदाई।

"बस एक बार मुझे यहां से निकलने दो फिर देखो मैं तुम्हारा क्या हशर करती हूं।"

कहानी जारी है......