ziddi ishq - 6 in Hindi Anything by Sabreen FA books and stories PDF | ज़िद्दी इश्क़ - 6

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ज़िद्दी इश्क़ - 6

"सिस्सो मैं ने तुम्हारे लिए एक शायरी लिखी है।"

ज़ाहिद ने शरारत से मुस्कुराते हुए कहा।

"सुनाओ।" सोफ़िया ने जल्दी से कहा।

उसकी बात सुनकर माहेरा उसे घूरने लगी क्योंकि वोह जानती थी उस शायरी में इसकी बेइज़्ज़ती के इलावा कुछ भी नही होगा। क्योंकि पिछले दो साल से ज़ाहिद ऐसा ही कर रहा था और अब उसे उसकी शायरी की आदत हो गयी थी।

"सबसे अलग सबसे प्यारे हो आप।"

"वाह ज़ाहिद इस बात तुम में इम्प्रोवमेंट हुई है।" सोफीया ने मुस्कुराते हुए कहा।

"यार सोफी आगे तो सुनो।" उसके बीच मे टोकने पर ज़ाहिद मुंह फुला कर बोला।

"अच्छा सुनाओ।" सोफ़िया ने एक्ससिटेड हो कर कहा।

"तारीफ पुरी ना हो इतने प्यारे हो आप" ज़ाहिद ने माहेरा को मुस्कुराते देख शाहिद को आंख मार कर कहा।

"आज पता चला ये ज़माना क्यों जलता आपसे क्योंकि बहेना तो आखिर हमारी हो आप।"

लास्ट की लाइन सुनते ही माहेरा ने उन दोनों को घूर कर देखा, जबकि उनकी बात सुनकर सोफ़िया भी हँसने लगी।

"हर बार बस खुद की तारीफ करना।" माहेरा ने चिढ़ कर कहा और गुस्से से फ़ोन काट दिया।

"उफ्फ! महेरु वोह दोनो तो बस मज़ाक़ कर रहे थे।" सोफ़िया ने उसका फुला हुआ मुंह देख कर कहा।

"तुम चुप रहो।" माहेरा ने उसे घूरते हुए कहा।

माज़ और रामिश चुप चाप बैठे उनकी बातें सुन रहे थे।

आधे घंटे बाद रामिश ने गाड़ी माहेरा के फ्लैट के पास रोकी।

"इस बार जो बेवकूफी की है तो ऐसा मत करना, हम बार बार तुम्हे बचाने नही आएंगे और मिस माहेरा गधे में भी तुमसे ज़्याद अक्ल होती है।"

माज़ ने पहले दोनों से फिर आखिरी बात खास तौर पर माहेरा से कही और अपना हिसाब बराबर कर लिया।

माहेरा और सोफ़िया जो दरवाज़ा खोल कर बाहर निकलने ही वाली थी उसकी बात सुनकर रुक गयी।

जबकि माहेरा खुद को गधे से कम अक्ल कहे जाने पर उसे करारा जवाब देने ही वाली थी कि सोफ़िया उसके हाथ पर हाथ रख कर जल्दी से बोली।

"हम धेयान रखेंगे, आपका शुक्रिया की आप ने हमें इतनी बड़ी मुसीबत से बचा लिया।"

इस दौरान रामिश फ्रंट मिरर से बार बार सोफ़िया को देख रहा था।

सोफ़िया को पता था कि वोह उसे देख रहा है लेकिन उसकी नज़रे उठा कर देखने की हिम्मत ही नही हुई।

माहेरा सोफ़िया का हाथ झटक कर गुस्से से कार से नीचे उतरी और माज़ को घूरने लगी जबकि उसके घूरने से भी माज़ को की फ़र्क़ नही पड़ रहा था।

माहेरा ने सोफ़िया का हाथ पकड़ा और उसका हाथ लिफ्ट में ही जा कर छोड़ा।

जबकि वोह पीछे माज़ और रामिश कि नज़रे खुद पर महसूस कर सकती थी।

फ्लैट के अंदर पहोंच कर दोनो ने सुकून की सांस ली और टीवी लॉन्च में जा कर सोफे पर धड़ाम से लेट गयी।

"मेरा तो दिल कर रहा था एक मुक्का मैं उस सर को जड़ दु मगर हाये रे किस्मत तुम ने मुझे रोक लिया।"

माहेरा ने उठ कर पानी पीते हुए कहा और एक ग्लास पानी सोफ़िया को भी दिया।

"उन लोगो ने हमारी जान बचाई थी और तुम उन्हें मुक्का मरना चाहती थी।"

सोफ़िया ने पानी पी कर मुंह बनाते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर माहेरा ने तकिया उठा कर उसके सिर पर मारा और कहा।

"मैं बहोत बहादुर हु और मैं ने थोड़ी न उसकी मदद मांगी थी।"

माहेरा ने चिढ़ कर कहा।

"हाहाहा, अगर तुमने उनके सामने यह बात बोली होती तो अब तक वोह लोग तुम्हारा कीमा बना देते, अच्छा यह सब छोड़ो आओ कोई मूवी देखते है।"

सोफ़िया ने माहेरा को देखते हुए कहा जो उसकी बात सुनकर बुरे बुरे मुंह बना रही थी।

"ठीक है पर मूवी नही बल्कि एक ड्रामा लगाओ।"

माहेरा ने उसके पास बैठते हुए कहा।

"कौनसा?" सोफ़िया ने उसकी तरफ देखते हुए कहा।

"प्यार लफ़्ज़ों में कहा।"

माहेरा ने उसे देख कर मुस्कुराते हुए कहा।

"ओके।"

सोफ़िया अपना फ़ोन टीवी से कनेक्ट करते हुए बोली।

.........

"मैं चाहता हु की तुम उन दोनों लड़कियों पर नज़र रखो, मैं नही चाहता कि कोई हमारी वाजह से उन पर हमला करे।"

माज़ ने मेंशन में एंटर होते ही रामिश से कहा।

"मैं भी यही सोच रहा था मैं जॉन से कह देते हु वोह किसी की नज़रों में आये बगैर ही अपन काम कर देगा और सलमान का फ़ोन आया था वोह अभी दो महीनो तक वापस नही आना चाहता है।"

रामिश ने सिगरेट सुलगते हुए कहा।

"ठीक है और जैक की कुछ खबर मिली?"

माज़ ने अपनी सिगरेट सुलगते हुए उससे पूछा।

"ह्म्म्म आज कल उसकी तरफ से काफी शांति है जब से हमने उसकी दोनो शिपमेंट अपने कब्जे में की है तब से उसने हम पर कोई हमला नही किया। मुझे लगता है वोह हम पर अचानक हमला करना चाहता है।"

रामिश ने कुछ सोचते हुए कहा।

"बिल्कुल ठीक कह रहे हो मैं भी यही सोच रहा था, इसीलिए मैं चाहता हु हमारे आदमी अलर्ट रहे
और अगर किसी ने अचानक हमला किया तो उससे हमे कोई प्रॉब्लम ना हो।"

माज़ ने अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए कहा।

"तुम फिक्र मत को मैं ने कीच आदमियों को माल की हिफाज़त के लिए भेज दिया है।"

रामिश ने सिगरेट का आखिरी कश ले कर कहा।

"ठीक है फिर बाकी बातें सुबह करेंगे मैं कुछ देर आराम करना चाहता हु।"

माज़ ने कहा और फिर दोनों अपने अपने कमरे की तरफ चले गए।

कमरे में पहोंच कर माज़ अब भी माहेरा के बारे में सोच रहा था, उसे पहले माहेरा समझदार लगी थी लेकिन उसकी आज की हरकत के बाद उसे पता चल गया था वोह लड़की दिमाग से पैदल है।

"मैं उस पागल के बारे में क्यों सोच रहा हु।" माज़ अपना सिर झटकते हुए बड़बड़ाया।

रामिश शावर ले कर आया और सोफ़िया के बारे में सोचने लगा।

"वोह लड़की कितनी मासूम है।" रामिश खुद से बोला।

"लेकिन हर मासूम दिखने वाली लड़की मासूम तो नही होती ना।" उसके दिमाग ने फौरन उसे जवाब दिया।

उसने माज़ के कहने पर सोफ़िया का बैकग्राउंड चेक करवाया था।

उसे सिर्फ इतना ही पता चला था कि वोह तीन साल पहले इटली आयी थी।उसने सोफ़िया के पास्ट के बारे ।में जानने के लिए अपने आदमियों को भेजा था लेकिन उन्हें भी कुछ पता नही चला।

वोह सोफ़िया पर बिल्कुल भी भरोसा नही करना चाहता था और ना ही दोबारा उससे मिलना चाहता था क्यूंकि उसे देखने के बाद उसका दिल बागी बन जाता था।

मगर हाये रे किस्मत जो बार बार उन्हें एक दूसरे से मिला रही थी।

...................

अगली सुबह माहेरा और सोफ़िया क्लासेस करके एक साथ ही कॉलेज से बाहर निकली अजर कैंटीन में चली गई।

माहेरा को सुबह से ऐसा लग रहा था जैसे कोई उन पर नज़र रख रहा है।

मगर जब उसने अपने आस पास देखा तो उसे कोई नज़र नही आया।

"महेरु मुझे ऐसा लग रहा है कोई हमारा पीछा कर रहा है।"

सोफ़िया ने अपने आस पास देखते हुए कहा।उसे भी सुबह से यही लग रहा थ जैसे कोई उनका पीछा कर रहा है।

सोफ़िया को कुछ भी समझ नही आ रहा था पर अब उसे डर लग रहा था।

"बहोत जल्दी जाग गयी, मुझे तो सुबह से ही लग रहा है कोई हमारा पीछा कर रहा है।"

माहेरा ने जूस पीते हुए धीरी आवाज़ म कहा।

.......

जॉन जो सुबह से उनकी नज़रो में आये बिना ही उन पर नज़र रख रहा था उसे भी लग रहा था उसके इलावा कोई और भी उन दोनों का पीछा कर रहा था।

जॉन ने अपने आस पास देखा लेकिन कोई भी उसे नज़र नही आया।

वोह बस सही वक़्त का इंतेज़ार कर रहा था कि कब वोह दोन के यूनिवर्सिटी के बाहर निकले और वोह उस आदमी का पता लगाएं जो उनपर नज़र रख रहा है।

माहेरा और सोफ़िया यूनिवर्सिटी से निकल कर घर जाने के लिए बस का इंतेज़ार कर रही थी।

उन दोनों के बस में बैठने के बाद जॉन भी लास्ट सिट पर बैठ गया ताकि उन दोनों पर नज़र रखने वाले आदमी को पकड़ सके।

वो बस में बैठे सभी लोगो पर नज़र रख रहा था तभी उसकी नज़र उन दोनों के पीछे बैठ लड़के पर पड़ी।

जॉन ने उस लड़के को कैंटीन मे भी उन दोनों को घूरते हुए देख रहा था फिर उसे लगा शायद वोह किसी और को देख रहा था। उसे उस लड़के पर शक हो रहा था और अब वोह माहेरा और सोफ़िया के बस से उतरने का इंतेज़ार कर रहा था ताकि देख सके वोह लड़का उसके पीछे जाता है या नही।

बस स्टॉप पर बस रुकते ही माहेरा और सोफ़िया तेज़ी से भागने वाले अंदाज़ में चलती हु अपने फ्लैट की तरफ चलने लगी।

जैसे ही वोह दोनो अंदर गयी जॉन ने उस लड़के पर पीछे से हमला किया।

"किसने भेज है तुम्हे? जल्दी बोलो वरना ज़िंदा नही छोडूंगा।"

जॉन ने उसके मुंह पर मुक्का मरते हुए कहा।

"मुझे जैक ने भेजा था एक लड़की पर नज़र रखने के लिए की वोह पूरा दिन क्या करती है। कहा जाती है और किस के साथ रहती है।"

वोह लड़का दर्द से कार्रहते हुए बोला और अपनी जेब से एक फोटो निकाल कर जॉन को दी।

जॉन ने उस लड़के को खड़ा करते हुए कहा:"चुप चाप मेरे साथ चलो, अगर भागने की कोशिश की तो यही मार कर फेंक दूंगा।"

मुझे.......मुझे जाने दो। मुझे जो पता था में तुम्हे पहले ही बता चुका हूं।

उस लकड़े ने लगातार दर्द से कार्रहते हुए कहा।

जॉन उसे घसीटते हुए बिल्डिंग से दूर खड़ी अपनी कार के पास लाया और उसकी गर्दन की नस दबा कर उसे बेहोश कर दिया और उसे ले कर मेंशन की तरफ निकल गया।

.........

माज़ अपने पालतू डॉग जैकी के पास बैठा हुआ था और उसकी गर्दन को हल्का हल्का सहला रहा था।
तभी रामिश अपने बालों में हाथ फेरते हुए माज़ के पास आया। माज़ जानता था रामिश बालों में हाथ तभी फेरता है जब उससे कोई गलती हुई हो और वोह नर्व्स हो रहा हो।

"माज़ एक गलती हो गयी है जैक ने अपने एक आदमी को हमारी जासूसी करने के लिए भेजा था, उसने जैक को हमारे क्लब से बाहर निकलने की कुछ फ़ोटो भेजी है।"

रामिश ने उसके सामने फ़ोटो दिखाते हुए कहा।

"कहा मर रहे थे सब के जब उस आदमी ने हमारी फ़ोटो ली और यह फोटो तुम्हे कहा से मिली?"

माज़ ने अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए कोल्ड आवाज़ में रामिश से पूछा।

वोह उन फ़ोटो को देख कर गुस्से से पागल हो गया था। वोह फ़ोटो माहेरा और माज़ कि थी जब वोह उसका हाथ पकड़ कर क्लब से बाहर निकल रहा था।

वोह फ़ोटो कुछ इस तरह ली गयी थी कि जिसमे सिर्फ वोह दोनो ही नज़र आ रहे थे।

वोह जानता था उसकी एक गलती की वाजह से अब माहेरा की जान खतरे में थी। वोह फ़ोटो जैक ने सभी गैंग वालों के पास भेज दी थी जो अब उससे बदला लेने के लिए महेरा को अपना निशाना बनाने वाले थे।

"मैं जानता हूं हमारे आदमियों से गलती हुई है लेकिन तुम भी जानते हो उस दिन क्लब के अंदर बाहर कितना रश था।"

"एक बात और आज सुबह ही जॉन ने माहेरा के फ्लैट के सामने एक लड़के को पकड़ा है जो उसे फॉलो कर रहा था। जॉन के उसकी धुलाई करने के बाद उसने बात की जैक ने उसे माहेरा को फॉलो करने के लिए कहा था। वोह क्या करती है, कहा जाती है और किसके साफह रहती है उसकी सारी डिटेल्स अब जैक के पास है।"

रामिश ने उसे डिटेल में बताया।

"जॉन कह है? माहेरा के घर के बाहर ही है ना? हम अभी उसके फ्लैट पर जा रहे है मुझे पूरा यकीन है एजं रात उस पर हमला होगा।"

माज़ ने रामिश से कहा और माहेरा के फ्लैट पर जाने के लिए बाहर निकल गया।

रामिश भी उसके पीछे ही चला गया।

"हाँ जॉन और दो आदमी उस पर नज़र रखे हुए है तुम फिक्र मत करो।"

रामिश ने माज़ को देखते हुए कहा जो खुद को बिल्कुल रेल्स शो कर रहा था जब कि वोह अंदर से महेरा के लिए परेशान था।

रामिश जानता था वोह अभी तक अपनी माँ को न बचा पाने का ज़िम्मेदार खुद को ही समझता था।

रामिश ने उसकी बात सुनकर सिर हिलाया और ड्राइविंग सीट पर बैठ गया और माज़ उसकी बगल वाली सीट पर बैठ गया।

................

वोह लगातार भाग रही थी जबकि कुछ लोग उसका पीछा कर रहे थे और उस पर गोलियां चला रहे थे। एक गोली उसके बाज़ू पर लगी और ज़ोर से चिल्ला उठी जब कि एक आदमी उसे बालो से पकड़ते हुए सड़क पर घसीटने लगा।

"प्लीज बचाओ कोई बचाओ मुझे।"

सोफ़िया.........सोफ़िया उठो देखो कोई तुम्हे कुछ नही करेगा, तुम मेरे साथ मेरे घर पर हो। वोह बस एक सपना था।

सोफ़िया ने उसे होश की दुनिया मे लाते हुए कहा जो आज फिर वही सपना देख रही थी।

पिछले तीन साल से ऐसा एक भी दिन नही गुज़र था जब उसे यह सपना ना आया हो।

वोह उनिवीसीटी से आ कर बस थोड़ी ही देर के लिए सोई थी जबकि वोह यह बात भूल गयी थी वोह जब ज़्यादा परेशान होती थी तब उसे यह सपना ज़रूर आता था।

सोफ़िया जब पूरी तरह से होश में आई तो उसने खुद को माहेरा की बाहों में पाया जो उसे शांत करने की कोशिश कर रही थी।

"मैं ठीक हु महेरु.........."

सोफ़िया अभी उसे आगे कुछ बोलने ही वाली थी कि तभी उसे बाहर से कुछ गिरने की आवाज़ आयी।

"सोफ़िया लगता है घर मे कोई है तुम खोमश रहना आवाज़ मत करना। मैं धीरे से जा कर दरवाज़ा लॉक करती हूं तब तक तुम लैंप बंद कर देना।"

माहेरा ने कहा और धीरे से बगैर आवाज़ किये ही उठ कर दरवाज़ा बंद किया और सोफ़िया को भी इशारे से लैंप बंद करने के लिए कहा।

उसका ईशर मिलते ही सोफ़िया बीएड से उठ गई और लैंप बंद कर दिया।

उसके बाद माहेरा ने उसका हाथ पकड़ा और वाशरूम की लाइट ऑन करके अपनी चाभी निकाल कर दरवाज़ा बाहर से लॉक कर दिया।

माहेरा सोफ़िया को ले कर कबर्ड की तरफ गयी और उसको अंदर बिठा दिया और ड्रावर से पेपर स्प्रे निकाल कर सोफ़िया को दिया।

"मैं बाहर जा कर दिखती हु।" माहेरा ने धीरी आवाज़ में सोफ़िया से कहा।

"नही माहेरा, मुझे डर लग रहा है तुम प्लीज मेरे साथ रहो।"

सोफ़िया ने माहेरा का हाथ पकड़ कर डरते हुए कहा।

उसे डरा हुआ देख कर माहेरा भी उसके साथ अंदर चुप गयी।

जैसे ही उसने कबर्ड का दरवाज़ा बंद किया तभी कोई उनके रूम का दरवाजा तोड़ कर अंदर आया और वाशरूम की तरफ गया जहाँ लाइट जल रही। यह देख कर की दरवाज़ा लॉक है वोह दरवाज़ा तोड़ने लगा। तभी उस आदमी को बाहर से गोलियां चलने की आवाज़ आने लगी।

गोली चलने की आवाज़ सुनकर सोफ़िया बेहोश हो गयी जब कि माहेरा उसकी हालत देख कर परेशान हो गयी।

.......

माज़ और रामिश जब माहेरा के फ्लैट के बाहर पहोंचे तो जॉन और उसके आदमियों को वहां ना पा कर उन्हें कुछ गड़बड़ होने का अहसास हुआ।उनका शक यकीन में तब बदला जब उन्हें माहेरा के घर का दरवाज़ा खुला हुआ मिला।

माज़ ने धीरे से दरवाज़ा खोल कर देखा तो उसे अंदर दो आदमी दिखाई दिए जबकि रामिश स पास की जगहों को देखने लगा कि वह कोई छुपा तो नही है।

रामिश को फ्लैट के पास जॉन और उसके आदमी पड़े हुए मिले। उसने उन्हें चेक किया तो उनकी सांसे चल रही थी और वोह बेहोश थे।

रामिश ने उन्हें बेहोश छोड़ कर अस पास की जगह को चेक किया और माज़ के पास जा कर बोला।

"जॉन और उसके आदमी पीछे सीढ़ियों के पास बेहोश पड़े है और बाकी का पूरा एरिया साफ है।"

"अंदर दो आदमी है और वोह दोनों कहि दिख नही रही है लगता है कहि चुप गयी है। इसीलिए अब हम डायरेक्ट उन पर हमला करेंगे, अगर उनका कोई साथी उन दोनों को ढूंढ रहा होगा तो गोली की आवाज़ सुनकर बाहर ज़रूर आयेग।"

माज़ पहले अंदर गया और सोफे के पास खड़े आदमी पर गोली चलाई। वोह आदमी वही ढेर हो गई।

उसके पीछे रामिश अंदर आया और ओपन किचन में खड़े आदमी के हाथ पर गोली चलाई जो माज़ को निशाना बना रहा था, उसने बिना देर किए ही उस आदमी के सिर में गोली माज़ दी।

तभी रूम मे से एक आदमी ने बाहर आते हुए रामिश पर गोली चलाई, वोह फौरन वहां से हट गया और माज़ ने उसके टाग में गोली मारी जिससे वोह ज़मीन पर गिर गया, उसके नीचे गिरते ही माज़ ने उस आदमी के दिल मे गोली मार दी और वोह आदमी वही ढेर हो गया।

"माज़ वोह उस कमरे में होंगी बाकी के कमरे बिखरे हुए है और उनमें कोई नही है।"

रामिश ने बाकी के कमरे चेक करके आखिरी कमरे की तरफ इशारा करते हुए कहा झा से वोह आदमी बाहर आया था।

माज़ भागते हुए कमरे में गया और उसके पीचे रामिश भी गया।

तब तक माहेरा ने सोफ़िया को बाहर निकाल कर बेड पर लेटा दिया था और उसे होश में लाने की कोशिश कर रही थी।

"माहेरा।" माज़ ने अंदर आते हुए माहेरा को आवाज़ दी।

उसकी आवाज़ सुनकर माहेरा ने खूंखार नज़रो से घूर कर उसे देखा।

"अब क्या नज़रो से कत्ल करने का इरादा है और अपने पैरों को भी हिलाओ या फिर जब तुम्हारी बारात आएगी तब जाओगी।"

माज़ ने उसे अपनी तरफ खूंखार नज़रो से देखते पा कर ताना मारते हुए कहा।

"हाँ, बिल्कुल मैं इंतेज़ार कर रही हु कोई शाही बग्गी आये और मैं उसमे बैठ कर जाऊं।""और तुम लोग मेरे फ्लैट में क्या कर रहे थे और वो आदमी कौन थे?"

माहेरा ने माज़ को जवाब दे कर उससे सवाल किया।

"तुम्हे तो शुक्र मनाना चाहिए कि हम लोगो ने तुम्हारी जान बचा ली अगर हम ना आते तो तुम ज़मीन के अंदर कीड़ो को गिन रही होती और तुम्हरा क्या पता उन कीड़ो को कहा भी जाति, वैसे देखने में एक नंबर की भुक्खड़ लगती हो।"

"हमरा एक आदमी यहां रहता है, उसने किसी को तुम्हारे घर का तला तोड़ते देखा तो हमें बताया दिया और हम तुम्हे बचाने आ गए।"

माज़ ने पहले उसे अपनी अहमियत का अहसास दिलाया और फिर उसकी बातों का जवाब दिया।

उसकी बात सुनकर माहेरा ने खूंखार नज़रो से उसे देखा।

कहानी जारी है...........