ziddi ishq - 3 in Hindi Anything by Sabreen FA books and stories PDF | ज़िद्दी इश्क़ - 3

Featured Books
Categories
Share

ज़िद्दी इश्क़ - 3

माज़ और रामिश इस वक़्त अल्बर्टो के मेंशन में थे। उन लोगो ने एक घण्टे पहले ही उस पर हमला किया था क्योंकि अल्बर्टो का कमरा साउंडप्रूफ था और उन लोगों ने इस तरह हमला किया था कि अपबर्टो के आदमियों को अभी इस हमले की कुछ खबर ही नही थी।

माज़ सोफे पर बैठा था और उसके साथ मे रामिश खड़ा था और उस के बिल्कुल सामने अल्बर्टो खड़ा दर्द से कार्रह रह था। उसके मुंह से खून निकल रहा था, उसका होंठ फटा हुआ था, और उसने अपने बाज़ुओं को पकड़ा हुआ था जिस से खून बह रहा था।

माज़ ने अपनी आस्तीन के कफ से एक छोटा सा चाकू निकाला और अपनी उंगली पर आहिस्ता आहिस्ता फेरते हुए अल्बर्टो से बोला।

"मैं सिर्फ एक ही बार पूछुंगा तुम्हे हमारे खिलाफ किसने खबर दी।"

"म,,,,,,मुझे,,,,,,,,,,,,नही,,,,,,,,पता बस एक पार्सल आया था उसमें सारे सबूत थे।"

अल्बर्टो ने अटकते हुए अपनी बात पूरी की।

"ह्म्म्म, वोह पार्सल कहा है?" माज़ ने कुछ सोचते हुए कहा।

अल्बर्टो ने जल्दी से अपनी अलमारी में से एक रेड परसल निकाला और उसकी तरफ बढ़ाया जो आगे बढ़ कर रामिश ने उससे पकड़ा।

"ठाह।"

जैसे ही रामिश ने लिफाफा पकड़ा उसके नीचे से मौजूद गन निकाल कर अल्बर्टो ने माज़ पर निशाना लगाया, लेकिन रामिश से पड़ने वाली किक से उसका निशा सीधा सामने की दीवार पर जा लगा और गन उसके हाथ से छूट कर दूर जा कर गिर गयी।

"ठाह।"

माज़ ने उसके पैर पर गोली चलाई तो वोह सीधा ज़मीन पर गिर गया।

माज़ उसके करीब कर अपने चाकू से धीरे धीरे उसके चेहरे पर कट लगाने लगा, उसके बाद उसने जहाँ गोली मारी थी उस जगह पर चाकू की नोक धँसा दी और उसे गोल गोल घुमाने लगा, उसकी इस हरकत पर अल्बर्टो दर्द से बिलबिला उठा।

फिर माज़ ने खड़े हो कर उसकी टांग के जख्म पर अपनी बूट की नोक को रख कर ज़ोर से दबाया।.........पूरा कमरा उसकी चीखों से गूंज उठा।

"तुम ने मेरी माँ को निशाना बना कर अच्छा नही किया।" कहते साथ ही उसने अल्बर्टो की गले की नस काट दी और रामिश से पार्सल उठा कर चलने के लिए कहा।

वोह अपने तमाम आदमियों के साथ मेंशन में बम फिट करके चला गया, कुछ दूर जा कर उन्हें बम के फटने की आवाज़ आयी।

...........

माहेरा को अपनी फैमिली के साथ इटली आये हुए दो हफ्ते हो गए थे और आज उनकी वापसी की फ्लाइट थी।
वोह लोग आज एक रेस्टुरेंट में खाना खाने आये थे, अभी वोह खाना खा ही रहे थे कि उनके सामने से एक जैसी आठ से दस गाड़िया गुज़री, माहेरा और बाकी सब जो खाना खा रहे थे उन सबकी नाज़र खुद बखुद ही उन गाड़ियों पर चली गयी।

उनको बाहर की तरफ देखेते हुए देख कर वेटर बोली:"यह सब यहां की माफिया गैंग्स की कार है, वोह जो रोज़ और गन का गाड़ी पर निशान है ना..............

उसने आखिरी गाड़ी जो अभी गुज़र रही थी उसकी तरफ इशारा करते हुए कहा।

"दी ब्लैक कुरूस गैंग की है, वोह यहां की सबसे ताकतवर गैंग है।"

"ह्म्म्म, अच्छा है अब आप हमारा आर्डर ले।" ज़ाकिर साहब ने वेटर की बात पूरी होने के बाद कहा।

"माहेरा अगर तुमने ऐसी किसी गैंग के आदमी को देखा तो उससे दूर ही रहना।"

वेटर के जाने के बाद ज़ाकिर साहब ने माहेरा से कहा।

"यस पापा मैं ऐसे लोगो से दूर रहूंगी और अपना ख्याल रखूँगी।"

माहेरा ने उन्हें यकीन दिलाते हुए कहा।

................

दो साल बाद:

इटली, रोम:

माहेरा जो अपने टेडी बेयर को पकड़े मज़े से सो रही थी, अचानक उसके फ़ोन की बेल बजने लगी।

वोह नीद में ही अपनी बेड की राइट तरफ हाथ मार कर अपना फ़ोन ढूंढने लगी, लेकिन उसे फ़ोन नही मिल रहा था। मोबाईल बार बार रिंग कर रहा था, जिसकी वजह से वोह चिढ़ कर उठ कर बैठ गयी और आंखे खोल कर अपना मोबाईल ढूंढने लगी जो उसे अपने नीचे दबा मिला।

उसने जल्दी से स्क्रीन पर नाम देखा तो सूफिया की कॉल आ रही थी।

उसने टाइम देखा तो उसकी नींद भक से उड़ गई, वोह अपने काम के लिए पूरा एक घंटा लेट हो चुकी थी।............

उसने जल्दी से कॉल उठायी।

"माहेरा तुम अभी तक आयी नही, तुम्हारी तबियत तो ठीक है ना और मैं कब से कॉल कर रही थी तुम उठा क्यों नही रही थी, अब बोलो भी खामोश क्यों हो!"

सोफिया ने जल्दी जल्दी अपनी बात पूरी को और उसके जवाब ने देने के बारे में पूछा।

"सूफिया मैं पंद्रह मिनट में आ रही हु तब तक तुम संभाल लेना।".....…......माहेरा ने अपने बेड से उठते हुए कहा और जल्दी से फ्रेश होने के लिए चली गयी।

वोह पूरी रात दी नाइन टेल्ड ड्रामा नेटफ्लिक्स पर देखती रही और सुबह सातब बजे सोई इसीलिए सुबह उसकी आंख वक़्त पर नही खुली।

इन दो सालों में महेरा और भी खूबसूरत हो गयी थी और उसके कंधे तक आते बाल अब कमर तक आने लगे थे।

इन दो सालों में माहेरा एक बार भी घर नही जा सकी थी, इसकी वजह ज़ाकिर साहब थे जिन्होंने एक बार भी उसे घर वापस आने की परमिशन नही दी थी।

जबकि शाहिद और ज़ाहिद को ज़ाकिर साहब ने उसी साल पढ़ने के लिए अमेरिका अपने एक दोस्त के पास भेज दिया था।

माहेरा इसके लिए बिल्कुल भी तैयार नही थी, क्योंकि वोह जानती थी उनके जाने के बाद ज़ाकिर साहब और आरज़ू बेगम अकेली रह जाएंगी।

उसे लगा था उसकी मॉम उन्हें जाने नही देंगी लेकिन उसके लिए हैरानी की बात यह थी कि उसकी मॉम ने खुद उन्हें अमेरिका भेजने की राये दी थी।

अब वोह जब जब घर पर बात करती थी तो ज़ाकिर साहब और आरज़ू बेगम उसे परेशान ही नज़र आते थे, और जब वोह खुद उनके पास जाने की बात की वोह यह कह कर टाल देते की अगर तुम वापस आ गयी तो हमारे लिए तुम्हे वापस भेजना मुश्किल हो जाएगा।

उसकी यहां कोई खास दोस्त नही थी सिवाए सोफ़िया के...........सोफ़िया बचपन से ही अपने पापा के साथ इटली में रहती थी और माहेरा के साथ ही पढ़ती थी। वोह दोनो एक केफे में पार्ट टाइम जॉब करती थी।

लेकिन सोफिया के भी कुछ राज़ थे जिनके बारे में किसी को भी नही पता था।

सोफिया का रंग गोरा, ब्राउन बाल, काली आंखे जिन पर घनी पलके, तीखी नाक, बारीक होंठ और मीडियम हिघट थी।

माहेरा जल्दी से फ्रेश हो कर बाहर निकली, अपने शूज़ पहेन कर उसने कोट पहनी अपना मोबाइल और कुछ पैसे लिए, अपना मफलर गले मे बांध कर वोह जल्दी से केफ के लिए निकल गयी। केफ उसके घर से पांच मिनट की दूरी पर था।

...........

वोह जल्दी से केफ में एंटर हुई, उसने अपना कोट और मफलर निकाला और एप्रन पहेन कर सोफिया से बोली।

"हाये सोफ़िया।"

सोफ़िया ज़बरदस्ती मुस्कुरा कर बोली:"हाये माहेरा।"

"अच्छा हुआ तुम आ गयी मुझे तो बहोत डर लग रहा था और आज जो भी कस्टमर आ रहा वोह कार्नर वाली टेबल देख रही हो, उस पर बैठे लोगों को देख कर अपना आर्डर ले कर चला जाता है।"

सोफ़िया ने मासूम सी शक्ल बना कर कहा।

"हम्म तुम फिक्र मत करो अब मैं आ गयी हु ना तुम अकेली नही हो।"

माहेरा ने उसे तस्सली देते हुए कहा।

वहां कार्नर के टेबल पर चार लोगों सूट बूट पहेन आपस में बातें कर रहे थे और एक लड़का बार बार सोफिया को देख रहा था।

"सोफ़िया उस लड़के को बाद में देख लेना यह बताओ तुमने टेबल साफ किया या नही।"

सोफ़िया जो बार बार एक लड़के को घूर रही थी, माहेरा ने उसे अपनी तरफ करते हुए पूछा।

"माहेरा मैं नही जब से वोह आया है मुझे ही देख रहा है....और तुम्हे पता है मैं ऐसे की आते जाते किसी अवारह लड़के को नही देखती.......आज तुम साफ कर दो प्लीज कल मैं कर दूंगी।"

सोफिया ने पहले अपनी आंखों को फैला कर कहा जबकि आखिरी बात पर उसने मासूम सी शक्ल बना कहा।

"हम्म, ठीक है अब अगले दो दिन तुम साफ करोगी।"

माहेरा ने अपना मुंह फुला कर कहा।

"हहहह, थैंक्स महेरु।" सोफ़िया ने उसके फुले हुए गालों को खींच कर कहा।

माहेरा ने मुस्कुराते हुए उसका हाथ अपने गाल से हटाया और टेबल साफ करने के लिए एक कपड़ा ले कर टेबल की तरफ चली गयी।

माहेरा जैसे ही टेबल साफ करने लगी उन चारों में से एक आदमी जिसने नेवी ब्लू कलर का अरमानी सूट पहना था वोह बस माहेरा को ही देख रहा था।

माहेरा एक पल के लिए डर ही गयी थी, कितनी वहशत थी उस आदमी की आंखों में और सबसे ज़्यादा डर उसे उस आदमी की आंखों से ही लग रहा था।

उसकी आंखें दो रंग की थी...जिसमे हद से ज़्यादा कोल्डनेस थी और उसकी बायीं आंख के ऊपर एक कट लगा था जो उसे और वहशतनाक बना रहा था।

वोह आदमी लगातार अपने पैर हिला रहा था और उसका चेहरा एक दम लाल हो गया था, ऐसा लग रहा था जैसे वोह अपने गुस्से को कंट्रोल करने की नाकाम कोशिश कर रहा था।

उस आदमी को अपनी तरफ देखते पा कर भी माहेरा ने अपनी नज़रे नही फेरी।

उस आदमी ने माहेरा की आंखों में देखते हुए अपने सामने बैठे आदमी के दिल मे गोली मार दी।

"ठाह।"
लम्हो का खेल था वोह आदमी ज़मीन पर गिरा और खून पूरे फर्श पर फैलने लगा।

केफे में खामोशी छा गयी।

उस खमोशी में सोफ़िया की चींख गूंजी।

और माहेरा जिसकी आंखों में देख कर उस आदमी ने गोली मारी थी वोह बिल्कुल शोकड हो कर अपनी जगह पर खड़ी थी।

"इन दोनों को अपने साथ ले कर चलो।" उस आदमी ने अपने आदमी से कहा और बाहर चला गया।

आधे घण्टे पहले:

"माज़ लुएक का राइट हैंड डेरिक दी फ्लेवर केफे में हम से मिलना चाहता है, ताकि तुमसे डील कर सके, वोह हमें डबल क्रॉस करना चाहता है। हमारी शिपमेंट उसने किसी और को देदी।"

रामिश ने माज़ को डिटेल्स में बताते हुए कहा।

"ह्म्म्म, वो डेरिक अपना दिमाग चला रहा है उसे लगता है हम किसी को पब्लिक प्लेस पर नही मार सकते है। अपने आदमियों को केफे के आस पास फैला दो और उन से कह दो जितने भी डेरिक के आदमी दिखे उन सबको मार देना।"

माज़ ने अपने फ़ोन में देखते हुए कहा।

दी फ्लेवर केफे:

माज़ रामिश और उसना एक साथी जैकसन उनके साथ केफे में आया और वोह तीनो डेरिक के पास जा कर बैठ गए।

"माज़ कैसे हो?" डेरिक ने उसे देख कर ताना मरते हुए कहा।

"मैं कैसा हु तुम्हे जल्द ही पता चल जाएगा।" माज़ ने मीनिंगफुल अंदाज़ में कहा और मुस्कुराते हुए उसके सामने बैठ गया।

"तुम जानते थे वोह शिपमेंट हमारी थी और जब हमारे आदमी उसे लेने गए तो तुमने उन्हें मार कर वोह शिपमेंट जैक को देदी।"

रामिश ने कोल्ड आवाज़ में कहा।

"हाहाहा, तुम लोग के आदमी तो भीगी बिल्ली बन कर भाग गए।"

डेरिक ने हस्ते हुए कहा।

माज़ जो उसकी बकवास सुन रहा था अचानक उसकी नज़र केफे के अंदर आती मुस्कुराती हुई माहेरा पर पड़ी.......उसने एक नज़र माहेरा को देखा और फिर अपनी नज़रे डेरिक पर टिका दी जो इस वक़्त हस रहा था और उसकी हसी माज़ को ज़हेर लग रही थी।

"तुम शायद भूल रहे हो इस वक़्त किसके सामने बैठे हो और न ही तुमने हमारी शिपमेंट किसी और को देने की वजह बताई है।"

रामिश ने अपना गुस्सा कंट्रोल करते हुए आराम से कहा।

और सामने काउंटर पर खड़ी सोफ़िया को देखने लगा जो इस वक़्त अपनी दोस्त से बात कर रही थी। रामिश की नज़र बार बार भटक कर सोफ़िया पर जा रही थी जो उसकी नज़रो से परेशान हो रही थी..........रामिश ने एक नज़र सोफ़िया को देख कर डेरिक की तरफ देखा जो उसके मुताबिक कोई बकवास कर रहा था।

"जैक ने हमे उस शिपमेंट के डबल पैसे दिए थे इसीलिए लिए हम ने वोह शिपमेंट जैक को दे दी, लेकिन अफसोस तुम्हरे आदमी हम से वोह शिपमेंट भी नही ला पाए।"

डेरिक ने मुस्कुराते हुए ताना मारते हुए कहा।

"तुम जानते हो हम तुम्हे अभी खत्म कर सकते है इसीलिए ज़ुबान संभाल कर बात करो।"

रामिश ने उसे धमकी दी जबकि उसकी धमकी सुनकर डेरिक के माथे पर पसीने की बूंदे साफ नजर आने लगी।

माज़ ने उसकी बात सुनकर दोबारा केफे में नज़रे घुमाई और उसकी नज़र काँच सी नीलो आंखों से टकराई।

माज़ के बार बार देखने पर भी माहेरा ने उस पर से अपनी नज़रे नही हटाई।

"जो अपनी माँ को नही बचा वोह मुझे........"

अभी वोह अपनी बात पूरी ही नही कर पाया था कि माज़ ने माहेरा की तरफ देखते हुए उसके दिल मे गोली मार दी।

वोह जो कब से अपने गुस्से को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहा था अपनी मॉम के बारे में सुनते ही वोह आपे से बाहर हो गया।

..............

माज़ के बाहर जाने के बाद उसके आदमी अंदर आये और उन दोनों को बाहर ले कर जाने लगे।

जैसे ही उन्होंने माहेरा का हाथ पकड़ा, माहेरा ने गुस्से से उनकी तरफ देखा और अगले ही पल उस आदमी का हाथ मोड़ कर उसके पेट मे एक लात मारी वोह आदमी ज़मीन पर गिर गया।

उसने वहां पड़ा वास उठाया और दूसरे आदमी के सिर पर दे मारा।

उसके बाद वोह सोफ़िया के पास गई और उसे ज़मीन से उठा ही रही थी कि किसी ने उसकी गर्दन पर वार किया और वोह बेहोश हो गयी।

कहानी जारी है..............