Tere Ishq me Pagal - 6 in Hindi Love Stories by Sabreen FA books and stories PDF | तेरे इश्क़ में पागल - 6

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तेरे इश्क़ में पागल - 6

दोनो हॉल में पहोंचे तो अली ने उन्हें देखते हुए अपना हाथ हिलाया। यह देख कर अहमद हस्ते हुए ज़ैन से बोला:"यार ज़ैनु नैना भी तुझे देख कर ऐसे ही हाथ हिलाती थी ना।"

ज़ैन ने घूर अहमद की तरफ देखा और फिर अली के गले लग गया।

"और सुनाओ तुम लोग सही से तो पहोंचे हो ना?" अली ने कहा।

"नही, पहले ट्रैफिक में फसे थे फिर पहोंचे है।" अहमद ने कहा।
उसकी बात सुनकर दोनो हँसने लगे।

"यार अहमद तू कभी सीधा जवाब नही दे सकता क्या?"
अली ने हस्ते हुए कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैन हस्ते हुए बोला: "उल्टा है तो उल्टा ही जवाब देगा ना।"

"तू सही कह रहा है, मैं ने एक बार इसे उल्लुओं की तरह रात को पेड़ पर लटकते देखा था।" अली ने कहा और फिर दोनों हँसने लगे।

अहमद उन दोनों से चिढ़ते हुए बोला: "जो खुद वही काम करते है वही आज दूसरों पर हस रहे है।"

या अल्लाह मेरी ज़िंदगी मे एक गधा कम था जो आपने एक और भेज दिया।

फिर अहमद उन दोनों को हस्ता हुआ छोड़ कर स्टेज की तरफ चला गया।

ज़ैन भी उसके पीछे पीछे आ गया और अली मेहमानों का वेलकम करने के लिए गेट पर चला गया।

अंदर पहूंचते ही ज़ैन की नज़रे ज़ैनब को जबकि अहमद की नज़रे सानिया को ढूंढ रही थी।

अहमद हैरान हो कर खुद को कोसते हुए मन ही मन बोला: "मैं उस बत्तमीज़ को क्यों ढूंढ रहा हु।"

तभी उन दोनों की नज़र दुल्हन के पास खड़ी ज़ैनब और सानिया पर पड़ी और उन दोनों की नज़रे वही ठहर गयी।

अहमद ने खुद को कंट्रोल करते हुए अपनी मुश्किल से अपनी नज़रे हटाई लेकिन ज़ैन की नज़रे अब भी ज़ैनब पर टिकी थी। अहमद ने ज़ैन की नज़रों का पीछा किया और उसको केहनी मरते हुए बोला: "ओह आइस क्रीम वाली।"

ज़ैनने मुश्किल से अपनी नज़रे ज़ैनब से हटाई और मुस्कुराते हुए अहमद से बोला: "कश्मीर जाएंगे और आइस क्रीम खाएंगे।"

अहमद उसकी बातों का मतलब समझते हुए उसे अंख मारी तो ज़ैन ने उसकी कमर पर एक मुक्का मारा।

तभी बारात के आने का शोर हुआ सब लडकिया बारात का वेलकम करने के लिए बाहर चली गयी।

.........

निकाह हो गया था दूल्हे और दुल्हन को अब स्टेज पर साथ बिठा दिया गया था। सब लडकिया जूता चोराई की रस्म कर रही थी। दुल्हन की तरफ सानिया और ज़ैनब बैठी थी। सानिया दूल्हे से जूता चोराई के पैसे मांग रही थी जब कि ज़ैनब मुस्कुराते हुए उसे देख रही थी।

ज़ैन सामने बैठ ज़ैनब की पिक निकाल रहा था यह देख कर अहमद बोला:"बस कर मेरे भाई फोन की मेमोरी फुल हो जाएगी।"

उसकी बात सुनकर ज़ैन मुस्कुरा दिया।

रस्म पूरी होने के बाद सब लडकिया दूल्हे से बात कर रही थी जबकि सानिया और ज़ैनब अपनी पिक निकाल रही थी। तभी सानिया की उसकी माँ के पुकारने की आवाज़ आयी। वोह स्टेज से उतर कर वहां से उनके पास चली गयी।

उसके जाने के बाद ज़ैनब खुद की पिक निकालने लगी। तभी उसकी नज़र ज़ैन पर पड़ी जो उसे घूर रहा था। यह देख कर ज़ैनब ने शर्मिन्दगी से अपना सिर नीचे कर लिया।

ज़ैन इसकी इस हरकत पर मुस्कुरा दिया।

सानिया अपनी माँ की बात सुनकर ज़ैनब के पास जा ही रही थी कि तभी अहमद उसके पास आ कर बोला: "कैसी हो चुड़ैल?"

सानिया उसके चुड़ैल कहने पर गुस्से से बोली: "खुद होंगे जिन, भूत और बंदर।"

अहमद हस्ते हुए बोला:"नकल चोर सेम कलर क्यों पहनी हो।"

"तौबा....... तौबा तुम होंगे नकल चोर।" वोह कानो पर हाथ रखते हुए बोली तो अहमद को फिर से हसी आ गयी।

तभी ज़ैन ने अहमद को आवाज़ दी अहमद आगे बढ़ते हुए सानिया से बोला:"फिर मिलेंगे छिपकली।" और ज़ैन के पास चला गया।

सानिया खूंखार नज़रों से उसे घूरती हुई ज़ैनब के पास आ गयी।

"क्या हुआ सनी?" ज़ैनब ने उसका खराब मूड देख कर पूछा।

सानिया ने उसे सारि स्टोरी बता दी। उसकी बात सुनने के बाद ज़ैनब ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी।

"हस ले तू भी, बत्तमीज़ लडक़ी।" सानिया गुस्से से बोली।

तो ज़ैनब आपनी हसी कंट्रोल करते हुए बोली:"सॉरी,सॉरी"

देखते ही देखते बिदाई का वक़्त हो गया सब तरफ उदासी छा गयी। आयेशा की बिदाई के बाद ज़ैनब अपने घर आ गयी। अब उसे मेहनत करनी थी क्योंकि उसके पेपर्स स्टार्ट होने वाले थे।

कुछ ही दिनों में वोह अपने रोज़ के रूटीन पर आ गयी थी।

आज सानिया कॉलेज नही आई थी क्योंकि उसकी तबियत खराब थी, इसीलिए आज ज़ैनब को कॉलेज में बिल्कुल भी अच्छा नही लग रहा था।वोह कैंटीन में बैठी हुई थी कि तभी कुछ लड़के उसके पास आ कर खड़े हो गए।

अचानक से ज़ैनब का धयान उन लड़कों की तरफ गया जो उसकी बगल में खड़े उसे घूर रहे थे। वोह हैरानी से उन्हें देखने लगी लेकिन कुछ कहा नही। उसकी क्लासेज खत्म हो गयी थी इसीलिए वोह कैंटीन से निकल कर घर जाने के लिये बसटोप पर चली गयी। वोह लड़के अब भी उसका पीछा कर रहे थे। उसके बस में चढ़ने के बाद उन्होंने किसी को फोन किया फ़ोन उठते ही वोह बोला:"वोह लड़की अपने घर के लिए निकल गयी है?"

इतना कहते ही उसने फ़ोन रख दिया।

......

आज अहमद ज़ैन के घर आया था। जौसे ही उसने ज़ैन को यह खुशखबरी सुनाई की इमरान जिन लड़कियों की स्मगलिंग करने वाला था उनके आदमियो ने उन्हें बचा लिया है और उन लड़कियों को उनके घर भेज दिया है।
ज़ैन यह सुनकर बहोत खुस हुआ वह खुद पर फखर करने लगा था क्योंकी उसका कभी ना हारने के गुरूर आज भी नही टूटा।

"अहमद मेरी जाम आज मैं बहोत खुश हूं, आज फिर से हमारी जीत हुई है। इमरान आज तड़प रहा होगा, काश मैं उसे तड़पते हुए देख पाता।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।

"फिक्र ना कर ज़ैनु वोह और तड़पेगा क्योंकि जीत हमारी ही होगी।" अहमद ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।

"ज़ैन यार कुछ खिला दे।" अहमद ने पेट पर हाथ रख कर कहा तो ज़ैन ने नौकर से कह कर कुछ खाने के लिए मंगवाया।

.........

सेठ जी आप पैसे निकालिये ज़ैनब आज रात के लिए आप की हो गयी। "ज़ैनब की भाभी ने टेबल पर रखे पैसे की गड्डियों को देखते हुए कहा।

सेठ अपनी हवस भारी निगाहों से ज़ैनब की फ़ोटो को देखते हुए बोला:"आज नही कल मुझे यह लड़की चाहिए।"

"ठीक है सेठ जी आप फिक्र मत करे।" फुरकान ने पैसे की गड्डियों को अपनी तरफ खींचते हुए कहा।

"ठीक है मैं ने अपने आदमियो को उसके पीछे लगा दिया है तुम्हे अब उसकी फिक्र करने की ज़रूरत नही है।" सेठ ने उन्हें देखते हुए कहा।

"ठीक है आज से वोह आपकी ही अमानत है आप जो चाहे उसके साथ कर सकते है।" फुरकान ने मुस्कुराते हुए कहा।

सेठ मुस्कुराते हुए उठ कर खड़ा हो गया।"ठीक है अब मैं चलता हूं।"

...........

खाने के बाद अहमद अपना फ़ोन यूज़ कर रहा था और ज़ैन अपने फ़ोन में ज़ैनब की फोटोज देख कर मुस्कुरा रहा था। अहमद ने जब उसे मुस्कुराते हुए देखा तो शरारती अंदाज़ में बोला:"क्या हुआ ज़ैनु तो इतना मुस्कुरा क्यों रहा है?"

"अहमद मुझे यह चाहिए।" ज़ैन ने अपने फ़ोन में देखते हुए अहमद से कहा।

"कौन चाहिए।" अहमद ना समझी से बोला और उठ कर उसके पास चला गया।

"यह चाहिए।" ज़ैन अपना फ़ोन अहमद के आगे कर दिया। उसके फ़ोन में देखते हुए अहमद शोकड हो गया।

"ज़ैन यह बहोत मासूम लड़की है तू इससे दूर रह समझा।" अहमद ने सीरियस हो कर कहा।

"अहमद यह बहोत खूबसूरत है।" ज़ैन ने स्क्रीन पर अपनी उंगलियों को फेरते हुए कहा।

"ज़ैन तुझे लड़की ही चाहिए ना रात गुज़र ने के लिए तो लडकिया तेरे लिए मर रही है तू उन में से किसी के साथ रात गुज़र ले। लेकिन तू इस लड़की से दूर रह।" अहमद ने अपने दिल पर पत्थर रख कर यह बात ज़ैन से कहि जबकि वोह हमेशा ज़ैन को इन सब चीज़ों से दूर रखने की पूरी कोशिश करता था।

"नही, मुझे इसके साथ रात नही गुज़ारनी है बल्कि इससे शादी करनी है।"

ज़ैन की बात सुनकर अहमद को झटका लगा। ज़ैन और शादी। वो तो बस यही सोचता था यह वक़्ती लगाओ है। लेकिन वोह नही जनता था कि ज़ैन इतना सीरियस है।

"भाई तुझे पता भी है तू क्या कह रहा है। तू होश में तो है अगर नही है तो आ जा जानी।" अहमद में उसे समझाया।

"नही मुझे यह चाहिए हर हाल में हर कीमत पर मुझे वोह चाहिए।" ज़ैन ज़िद करते हुए बोला।

"यह कोई चीज़ नही जो तू ज़िद कर रहा है।" इस बार अहमद गुस्से से बोला।

ज़ैन अहमद का हाथ पकड़ कर बोला:"अहमद मेरे भीई मेरा दिल इस के लिए तड़प रहा है। मुझे इससे मोहब्बत नही इश्क़ हो गया है।"

इश्क़ नाम सुनकर ही अहमद सुन्न पड़ गया।

ज़ैन इश्क़ भी कर सकता है जो सिर्फ लड़कियों के साथ वक़्त गुज़रता था।

"ज़ैन मेरे भीई मेरी बात सुन यह स वक़्ती लगाओ है तू बस इसे अपने सिर पर सवार किये बैठा है।" अहमद ने उसे समझाने की कोशिश की।

अहमद मुझे यह चाहिए इसके बगैर तेरा भाई मर जायेगा।" ज़ैन ने लाल आंखों से कहा।

अहमद ज़ैन को इस तरह देख कर तड़प उठा। वोह तो ज़ैन के लिए अपनी जान भी दे सकता था फिर वोह तो एक लड़की ही मांग रहा था। लेकिन जैसी ही अहमद के दिमाग मे ज़ैनब की मासूम शक्ल दिखाई देती वोह बेबस हो जाता।

अहमद ज़ैन को अच्छे से जनता था अगर उसने शादी का फैसला किया है तो ज़रूर उसके दिल मे कुछ था।

"ठीक है।" हम उसके घर तेरा रिश्ता ले कर जाएंगे।

उसकी बात सुनकर ज़ैन ने उसे गले लगा लिया।


कहानी जारी है.....

©"साबरीन"