Sapne - 18 in Hindi Fiction Stories by सीमा बी. books and stories PDF | सपने - (भाग-18)

Featured Books
  • అరె ఏమైందీ? - 24

    అరె ఏమైందీ? హాట్ హాట్ రొమాంటిక్ థ్రిల్లర్ కొట్ర శివ రామ కృష్...

  • నిరుపమ - 10

    నిరుపమ (కొన్నిరహస్యాలు ఎప్పటికీ రహస్యాలుగానే ఉండిపోతే మంచిది...

  • మనసిచ్చి చూడు - 9

                         మనసిచ్చి చూడు - 09 సమీరా ఉలిక్కిపడి చూస...

  • అరె ఏమైందీ? - 23

    అరె ఏమైందీ? హాట్ హాట్ రొమాంటిక్ థ్రిల్లర్ కొట్ర శివ రామ కృష్...

  • నిరుపమ - 9

    నిరుపమ (కొన్నిరహస్యాలు ఎప్పటికీ రహస్యాలుగానే ఉండిపోతే మంచిది...

Categories
Share

सपने - (भाग-18)

सपने......(भाग-18)

नवीन के गानों ने बर्थडे पार्टी को यादगार बना दिया था मिस्टर एंड मिसेज रेड्डी के लिए और उनके दोस्तों के लिए भी....सब धीरे धीरे डिनर करने के लिए जा रहे थे......सबसे बड़े प्यार से मिसेज रेड्डी राजशेखर को सब लोगो से मिलवा रहीं थी "हमारा बेटा" कह कर.....! सब राजशेखर और उसके दोस्तों की तारीफ कर रहे थे.......फिर बारी आयी मिस्टर रेड्डी के लिए कुछ न कुछ कहने के लिए....सब दोस्त कोई न कोई स्पेशल बात या कोई शरारत जिससे मिस्टर रेड्डी जुडे हुए थे.....वो बता रहे थे। फिर बारी आयी राजशेखर की....उसे तो कुछ समझ ही नहीं आया कि वो क्या कहे....बस इतना ही बोल पाया," My Father is best father in this world, infact my mother makes our life so colour full...... Thanks Appa and thanks a lot Maya Amma"! वो माइक किसी को पकड़ा कर अपने अप्पा और मैमके गले लग गया या ये कहूँ कि उसने अपनी मैम को अम्मां एक्सेप्ट कर ही लिया था.....शायद इसी खुशी में राजशेखर के पैरेंटस की आँखों में आँसू थे.......सब मेहमान खूब जोरो शोरो से तालियाँ बजा रहे थे........आदित्य और आस्था एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा दिए। नीलांजना को राजशेखर ने अपने सभी दोस्तों से मिलवाया और खाना खाते खाते सब बातें भी कर रहे थे.....धीरे धीरे सब मेहमान जा रहे थे। राजशेखर के पैरेंटस थक गए थे तो वो लोग पहले चले गए थे.......!
राजशेखर ने बोल दिया कि वो नीलांजना को घर छोड़ कर आएगा......खाना खाने के बाद वो नीलाजंना को छोड़ने चला गया और एक कार और ड्राइवर वो आदित्य और बाकी लोगो को होटल छोड़ने के लिए रोक कर गया थ.....! राजशेखर स्कूल से ही नीलांजना को बहुत पसंद करता था, पर नीलांजना बहुत ही मिलनसार और इंटेलीजेंट लड़की थी तो कभी वो उसे कह नहीं पाया था.....राजशेखर भी कम होशियार नहीं था, बस थोड़ा इंटरोवर्ट था, जिसकी वजह से उसकी बेस्ट फ्रैंड किसी और को पसंद करने लगी.......पता लगने के बाद भी राजशेखर ने उससे दोस्ती तो नहीं तोड़ी पर एक दूरी जरूर बना ली थी.......बाद में राजशेखर को पता चला कि वो सब नीलू का नाटक था वो भी उसे पसंद करती थी....!
दोनो कॉलेज खत्म होने तक फिर करीब आ गए....पर नीलू चैन्नई चली गयी मास्टर्स और P.H.D करने और राजशेखर ने उसी कॉलेज से मास्टर्स करने के बाद जॉब के लिए मुबंई चला गया....नीलू कहती थी कि वो भी मास्टर्स करने के लिए उसके साथ चले, पर राजशेखर ने मना कर दिया.......जिसकी वजह से नीलू ने उससे बात करना ही छोड़ दिया तो धीरे धीरे राजशेखर ने भी उसका ख्याल दिमाग से निकाल दिया, पर अचानक नीलू को देख कर वो खुश तो हो गया था, पर उसके दिल में प्यार को कोई भाव नहीं आया। राजशेखर यही सब सोचता हुऐ कार चला रहा था.....नीलांजना उसको चुप देख कर बोली," Raju I still love you..... I missed you so much". ये कहते हुए नीलू ने अपना हाथ उसके हाथ पर रख दिया। राजशेखर उसकी बात सुन कर मुस्कुराया और बोला, " अब तीन साल बाद तुम्हें फिर मैं कैसे याद आ गया, अब तक तुमने कभी कॉल नहीं किया और अभी तो तुम्हारा M.phill बाकी है उसके बाद P.H.D....मैं अभी भी चैन्नई नहीं आने वाला......."And one more thing i want to clear you.....I Don't love you"! राजशेखर की बात सुन कर नीलू उसकी तरफ देखने लग गयी, " तुम्हारी लाइफ में कोई और आ गयी है क्या"?
नहीं, ऐसा कुछ नहीं....बस बहुत सोचा तो समझ आया कि ये हमारा "Infectuation" ही था बस...."Out of sight, Out of mind के जैसा"! राजशेखर की बात सुन कर नीलांजना के पास कुछ कहने को नहीं बचा। "ओ.के. राजू".....बस इतना ही कह पायी...
पर राजशेखर ने तो जैसा सुना ही नहीं या फिर अपना पुराना गुस्सा निकालना चाह रहा था, जो उसने अपने क्लॉसमेटस और नीलांजना की बेस्ट फ्रैंड जानकी से उसके बारे में जाना था, "नीलू तुम्हारा और तुम्हारे प्रोफेसर के बीच क्या चल रहा था वो सब मैं जानता हूँ और ये भी पता है कि तुम्हें वो कॉलेज छोड़ना पड़ा, इसलिए मुझसे झूठा दावा मत करो प्यार का....तुम बहुत बुरी दोस्त और लड़की साबित हुई हो....पर तुम्हें देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा, पर तुम्हारे मुँह से प्यार की बात सुन कर कंट्रोल नही कर पाया......प्लीज मुझसे और मेरी लाइफ से तुम दूर रहो".....! नीलांजना उसकी तरफ देख ही नहीं पा रही थी....और राजशेखर ने भी उसकी तरफ बिना देखे गाड़ी रोक कर उसकी तरफ का दरवाजा खोल कर बोला, "उतरो, तुम्हारा घर आ गया".....! नीलाजंना को छोड़ कर घर की तरफ चल दिया, उसका दिल जैसे हल्का हो गया था.....सो अपने घर में मुस्कुराता हुआ पहुँचा.....उसकी माया अम्माँ उसका इंतजार कर रही थीं...."राजू बेटा अपने दोस्तो को कल यहीं बुला लेना...होटल से चेकआउट कर लेंगे और एक दिन हमारे साथ रहो मंडे मार्निंग तो तुम लोग चले ही जाओगे"!...."ओ के अम्मां बोल देता हूँ।आप भी आराम करो, सुबह बात करते हैं"....! कह कर वो अपने कमरे में चला गया......माया जी भी उसे "गुडनाइट" बोल कर अपने कमरे में चली गयीं, वो आज बहुत खुश थी कि उन्हें बेटा मिल गया.......। उसने कमरे में आ कर चेंज किया और आदित्य को फोन मिलाया, उसे पता था कि वो लोग अभी सोए नहीं होंगे.....आदित्य ने दूसरी घंटी में ही फोन उठा लिया, "क्या यार राजू दोस्त दोस्त न रहा, गर्लफ्रैंड के आते ही हमें वहीं छोड़ उसके साथ चला गया, ये तूने बहुत गलत किया"! राजशेखर बोला, "वो मेरी गर्लफ्रैंड नही है, वो अकेली आ गयी थी तो छोड़ने गया था.....तुम लोग क्या कर रहे हो सब"? पीछे से श्रीकांत की आवाज आयी, "दारू पार्टी कर रहे हैं, तुम भी आ जाओ"!! राजशेखर उसकी बात को अनसुना करके बोला, "तुम लोग टाइम से सो जाओ...12 बजे से पहले वहाँ से चेकआउट करना है, मैं लेने आउँगा....अम्माँ अप्पा बोल रहे हैं कि एक दिन तुम हमारे घर में रूको"! राजशेखर की बात सुन कर नवीन बोला," ठीक है दोस्त हम तैयार रहेंगे, तुम आ जाना 11 बजे तक"। कुछ देर मस्ती करके सब सो गए और सोने से पहले श्रीकांत ने सोफिया को फोन करके सुबह का प्रोग्राम बता दिया......!
क्रमश: