Hudson tat ka aira gaira - 23 in Hindi Fiction Stories by Prabodh Kumar Govil books and stories PDF | हडसन तट का ऐरा गैरा - 23

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हडसन तट का ऐरा गैरा - 23

अगली सुबह जब ये परिंदों का कारवां वहां से फिर उड़ा तो खामोश उदास पेड़ स्तब्ध से खड़े रह गए। बीट, विष्ठा, मल - मूत्र, टूटे बीमार पंख, खाए- कुतरे फल - फूल और न जाने क्या - क्या वहां छितरा गया। लेकिन वीराने के उन पेड़ों ने एक ही रात में जैसे ज़िंदगी देख ली।
ये कारवां अब एक घने जंगल के ऊपर से गुज़र रहा था। आसमान साफ़ था। सब अपनी- अपनी मंजिल की कल्पनाओं में खोए उड़े चले जा रहे थे।
तभी अचानक खलबली सी मची। कोई सनसनाता हुआ तीर उल्का सा गुज़र गया। इसके साथ ही एक परिंदे का चीत्कार हवा में तैर गया। जब तक साथी लोग ये समझ पाते कि हुआ क्या, तब तक तो परिंदा फड़फड़ाता- लड़खड़ाता हुआ तेज़ी से नीचे गिरने लगा। शायद किसी बहेलिए का तीर उसके सीने में लगा था। साथियों से शोक के दो पल भी उसे मयस्सर न हुए क्योंकि सबको अपनी- अपनी जान की चिंता थी।
ऐश का दिल दहल गया। हे भगवान, क्या ऐसी बाधाएं भी आती हैं सफ़र में? ऐश के दिल में फिर से एक बार अपनी मां की याद कौंध गई जो हज़ारों मील दूर उड़ कर उसे जन्म देने हडसन के किनारे आई थी।
उड़ते हुए ही ऐश ने एक नज़र नीचे ज़मीन की ओर डाली जहां अब वो शिकारी दौड़ कर अपने घायल शिकार को पकड़ने के लिए ढूंढता फिर रहा था।
ऐश की आंखों में आंसू आ गए। उसे सहसा अपना भाई भी याद आया जिसे एक दिन एक बूढ़ा मछुआरा मछलियों के साथ अपनी डलिया में डाल ले गया था।
ओह, क्या हम सब की यही नियति है!
ये सब देखने- सोचने में ऐश अपने दल से कुछ पीछे रह गई थी। उसने तेज़ी से अपने पंखों को झटका दिया और रफ़्तार बढ़ा कर समूह में जा मिली।
जंगल काफ़ी घना था। फिर भी पक्षियों में एक छोटी सी सुगबुगाहट के बाद विवाद छिड़ गया। कुछ लोग चाहते थे कि हम लोग एकबार नीचे तो उतरें। कम से कम ये जानने की कोशिश तो करें कि हमारा साथी अब कहां और किस हालत में है। हो सकता है वो शिकारी के हमले के बाद भी जान से न गया हो। वहीं कहीं घायल अवस्था में पड़ा तड़प रहा हो। ऐसे में हमारा वहां पहुंचना उसके लिए संजीवनी बूटी की तरह हो जायेगा। हो सकता है कि उसके प्राण बच जाएं!
- नहीं नहीं, ये बेहद जोखिम भरा है। देखते नहीं कि जंगल कितना घना है। हो सकता है कि शिकारी केवल एक न हो बल्कि कई हों। ऐसे में हम में से और किसी की भी जान पर बन आ सकती है। न जाने कौन कहां से घात लगाकर हमला कर दे!
- फिर जब शिकारी ने तीर चला कर हमारे एक साथी को मार गिरा ही लिया था तो उसे अब तक जीवित थोड़े ही छोड़ा होगा। वह मरा न हो तो भी उसका गला दबा कर दुष्ट इंसान ने उसका वध कर ही लिया होगा। हो सकता है कि अब तक तो किसी अलाव में उसे भूनने के लिए लटका भी दिया हो। इन्हें हमारी जान भट्टी में झौंकने में देर थोड़े ही लगती है!
सब अलग- अलग अपने- अपने विचार और शंकाएं व्यक्त कर रहे थे।
- अच्छा चलो, यदि वह किसी शिकारी को न मिला हो और घायल होकर पड़ा ही हो तो भी हम वहां पहुंच कर कर क्या लेंगे?
- कम से कम अपने साथी को अलविदा तो कह सकेंगे। एक नन्हे मासूम से पंछी ने कहा जो अभी - अभी बचपन छोड़ कर युवा हुआ था और अपने जीवन की पहली ही यात्रा पर निकला था।
तभी दल के प्रमुख की हैसियत से आगे- आगे उड़ रहे एक प्रौढ़ से पक्षी ने कहा - तुम सभी की ऐसी ही भावना है तो थोड़ा धैर्य रखो, वो देखो कुछ दूरी पर एक पर्वत नज़र आ रहा है। हम कुछ देर के लिए विश्राम हेतु वहां रुक भी लेंगे और आगे के सफ़र के लिए सुरक्षा की रणनीति भी बना लेंगे!
- क्या मतलब? सुरक्षा के लिए हम कर ही क्या सकते हैं? ऐश ने पूछा।
वह बोला - सबसे पहले तो हम कुछ देर मौन रह कर अपने दिवंगत साथी को याद करेंगे फिर ये तय करेंगे कि बारी - बारी से हम में से कोई दो लोग आगे- आगे चल कर ज़मीन से आने वाले खतरों पर निगाह रखें ताकि किसी को इस तरह अकस्मात जान न गंवानी पड़े।
ऐश धीरे से बुदबुदाई - खतरे केवल ज़मीन से ही नहीं आते।
उसकी इस बात पर सभी चौंक गए। दलप्रमुख ने कहा आसमान से आने वाले खतरे तो हमें समय रहते दिख ही जाते हैं - कब बारिश होगी, कब अंधेरा हो जायेगा।
ऐश मन ही मन मुस्कुरा कर रह गई।
- अरे लेकिन मरा कौन है? किसे श्रद्धांजलि देने के लिए मौन रखेंगे हम? एक युवा पंछी ने कहा।
और तभी ऐश ने चारों ओर नज़र घुमा कर देखा - बूढ़ा चाचा कहीं नज़र नहीं आ रहा था!
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