Tere Ishq me Pagal - 4 in Hindi Love Stories by Sabreen FA books and stories PDF | तेरे इश्क़ में पागल - 4

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तेरे इश्क़ में पागल - 4

अहमद अभी भी चेयर पर बैठा सिगरेट पी रहा था। सिगरेट पीने की वजह से उसकी आंखें लाल हो गयी थी।
अशिएल टरे भर चुका था। एक तो वो इस गम में पी रहा था कि इतने सालों की की हुई इसकी मेहनत पर पनी फिर चुका था। इतने सालों से उसने ज़ैन के अंदर के उस दरिंदे को कितनी मुश्किल से सुलाया था। जो अब फिर से जाग चुका था। और दूसरा वोह ज़ैन के ऊपर हाथ उठाने की वजह से पी रहा था। उसे बहोत दुख हो रहा था ज़ैन के ऊपर हाथ उठाने पर फिर उसने सोचा अगर वोह ऐसा न करता तो ज़ैन खुद को ज़रूर नुकसान पहोंचाता।

ज़ैन को आंख खुलते ही उसने देखा कि अहमद कुर्सी पर बैठ कर सिगरेट पी रहा था। उसने अहमद को आवाज़ दी।
"मेरी जान"

ज़ैन की आवाज़ सुनकर उसने सिगरेट को अशिएल टरे में मसल दिया और उठ कर उसके पास जा कर बैठ गया।

"अब तू ठीक है??" अहमद ने पूछा।

"नही यार मेरे सिर में बहोत तेज़ दर्द हो रहा है।" ज़ैन ने अपना सिर अपने हाथों दे जकड़ते कहा।

"अहमद मैं उस इंसान को ज़िंदा नही छोडूंगा जिसने मेरे माँ बाबा को मारा है। में उसे उससे भी दर्दनाक मौत दूंगा।"

ज़ैन ने दर्द भरी आवाज़ में कहा।

"हम ऐसा ही करेंगे, लेकिन तूझे अभी के लिए अपने गुस्से पर काबू पाना होगा। अपने गुस्से की वजह से कुछ गलत मत कर देना समझा, हम सबसे पहले उससे उसकी सबसे प्यारी चीज़ छीनेंगे। तू समझ गया ना।"

अहमद उसे अच्छे से समझ रहा था क्यों उसे पता था अब ज़ैन को समझना बहोत मुश्किल है।

"में समझ गया।" एक पल की खामोशी के बाद ज़ैन ने जवाब दिया।

ज़ैन ने अचानक शीशे में अपने चेहरे को देखा उसके होंठो पर खून जमा था और वोह हल्का सूज भी गया था।

एक पल की हैरानी के बाद वो मुस्कुराते हुए बोला, "यह तेरा कारनामा है न मेरी जान।" यह कह कर उसने अहमद को गले लगा लिया।

"मुझे पता है तूने मेरा हैंडसम चेहरा क्यों खराब किया है।" ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला।

अहमद बत्तीसी दिखाते हुए बोला, "सॉरी यार।"

अहमद ने मन ही मन सोच:"चलो अच्छा है इसका इस टॉपिक से धयान तो हटा।"

अच्छा ज़ैनु तू रुक मैं खाना लाता हु।

अहमद के जने के बाद ज़ैन खुद एक बार फिर शीशे में देखने लगा।

थोड़ी देर बाद अहमद खाने की टरे लिये अंदर आया और ज़ैन से बोला:"यह ले ज़ैनु खाना खाले।"

"नही यार मेरा मूड नही है।" ज़ैन ने उसे मन कर दिया।

"देख यार ज़ैनु अब लड़कियों की तरफ नखरे मत दिख मैं ने खुद से वादा किया है में अपने हाथों दे खाना सिर्फ अपनी प्यारी बीवी को ही खिलाऊंगा। चल अब खाना खाले।"

"नही यार मेरा दिल......."
ज़ैन अभी इतना ही बोल पाया था कि तभी अहमद उसकी बात काटते हुए बोला:"चुप चाप खाना खाले नही तो तेरा थोपड़ा और बिगाड़ दूँगा।"

उसकी धमकी सुनकर ज़ैन ने जल्दी से खाने की टरे को अपनी तरफ खींच कर खाना खाने लगा।

......

ज़ैनब को इजाज़त तो मिल ही गयी थी। वो जानती थी उसका भाई उसे रोकेगा नही। उसने अपनी पैकिंग की और नीचे आ कर फुरकान को सलाम करते हुए घर से निकल गयी।

"शुक्र है कुछ दिन के लिए इस बला से जान छुटी।"ज़ैनब के जाने के बाद फुरकान ने गुस्से से अपनी बीवी से कहा।

.......

ज़ैन के खाना खाने के बाद अहमद बर्तन हटा कर सोफे पर बैठ कर सीरियस होते हुए बोला: "शाह अब मुझे सब बता।"

अहमद ज़ैन को शाह तभी बोलता था जब वोह बहोत सीरियस होता था।

ज़ैन ने उसे सीरियस देख कर सारि बातें बता दी जो इमरान ने उसे फ़ोन पर कहि थी।

ज़ैन की बात सुनने के बाद अहमद को बहोत गुस्सा आया। लेकिन वोह जनता था अगर उसने खुद को कंट्रोल नही किया तो ज़ैन को कोई भी संभाल नही सकता था।

ज़ैन ने अपने एक आदमी को फ़ोन करके इमरान पर नज़र रखने के लिए कहा।

देखते है कासिम क्या खबर देता है। अब अगला कदम अली की बहन की शादी के बाद उठाएंगे।

"शाह तू ठंडा रहे नही तो इमरान की जगह मैं तेरा बुरा हाल कर दूंगा।" अहमद ने उसे गुस्से से कहा।

उसकी बात सुनकर ज़ैन मुस्कुरा दिया। तभी उसे कुछ याद आया उसने वापस से कासिम को फ़ोन किया और उसे अहमद के घर आने के लिए कहा।

क्योंकि अहमद घर मे अकेला रहता था उसके माँ बाप नही थे।

..........

ज़ैनब जब सानिया के घर पहोंची तो सबने उसका अच्छे से वेलकम किया। सानिया की अम्मी ने उसे ढेरों दुआएँ दी। उसके बाद सानिया उसे अपने कमरे में ले गयी।

"लो जैनी यह मेरा कमरा है तुम फ्रेश हो जाओ मैं खाना ले कर आती हु फिर दोनों साथ मे खाएंगे।" इतना कह कर सानिया वहां से चली गयी।और ज़ैनब भी फ्रेश होने चली गयी।

..…...

ज़ैन के बुलाने पर कासिम आ गया था और अब वोह उसके पास खड़ा था।

"और बताओ कासिम इमरान की कोई खबर है?" ज़ैन ने कासिम से पूछा।

"जी बॉस इमरान लड़कियों की स्मगलिंग हैदराबाद कर रहा है। बस तारीख अभी नही पता वो भी जल्दी ही पता चल जाएगी।" कासिम ने ज़ैन को एक सांस में सारी बात बता दी।

"कब पता करोगे जब वोह लड़कियों को हैदराबाद भेज देगा तब।" ज़ैन ने गरज कर कहा।

उसकी आवाज़ सुनकर मानो कासिम के तो होश ही उड़ गए।

"बॉस आप फिक्र न करे काम जल्दी ही पूरा हो जाएगा।" कासिम ने डरते डरते कहा।

"वोह तो होना ही चाहिए अगर न हुआ तो................…"
ज़ैन ने अपनी बात अदूरी ही छोड़ दी।

कासिम ने मदद भारी नज़रों के साथ अहमद को देखा।
तो अहमद अपनी हंसी कट्रोल करते हुए कासिम से बोला:" जाओ कासिम काम हो जाएगा तो बता देना।"

कासिम सुकून की सांस लेता है वहा से चला गया। उसके जाने के बाद अहमद ज़ैन से बोला: "यार ज़ैनु कम से कम कासिम को तो बख्श दिया कर वोह तो हमारा वफादार आदमी है।"

"इन्ही धमकियों की वजह से वफादार है, और मुझे तेरे इलावा किसी पर यकीन नही है, क्या पता यह भी एक गद्दार हो।" ज़ैन ने सिगरेट के कश भरते हुए अहमद से कहा।

अहमद ने अफसोस से उसकी तरफ देखते हुए कहा: "क्या पता मैं भी गद्दार हो सकता हु।"

उनकी बात सुनकर ज़ैन मुस्कुराया और फिर सीरियस हो कर बोला:"इम्पॉसिबल तू तो मेरी जान है, तु मुझे कभी धोखा नही दे सकता तुझ पर तो मैं अंख बंद करके भी भरोसा कर सकता हु।"

उसकी बात सुनकर अहमद मुस्कुराते हुए बोला: "और अगर निकल गया तो।"

तो.......ज़ैन कुछ सोचते हुए बोला:"तो मैं खुद की ही जान ले लूंगा।"

उसकी बात सुनकर अहमद के तेवर बदल गए, उसने सोफे से कुशन लिया और ज़ैन को मारना शुरू कर दिया।
"तेरी हिमत भी कैसे हुई ऐसा कहने की अगर दोबारा कभी ऐसा सोचा भी तो मैं भी अपनी जान ले लूंगा।"

"यार अहमद तू भी कभी ऐसा मत सोचना मुझे खुद से ज़्यादा तुझ पर यकीन है।" ज़ैन ने उसका सिर सहलाते हुए कहा।

"चल तू अब खड़ा हो जा।" अहमद ने कहा।

उसकी बात को न समझ कर ज़ैन खड़ा हो गया। तो अहमद ने उसे ज़ोर से गले लगा कर बोला:"थैंक्स ज़ैनु इस यक़ीन के लिए, चल इसी बात पर पिज़्ज़ा खाते है।"

"यह तेरा पेट कब फुल होगा!!" ज़ैन ने उसे धक्का देते हुए कहा।

"मेरे मरने के बाद।" अहमद ने अपनी बत्तीसी दिखाते हुए कहा।

"तुझे मरने का इतना ही शौक है तो यह नेक काम मैं अपने हाथों से ही ना कर दूँ।" ज़ैन ने उसे घूरते हुए कहा।

"ज़ैनु जानी आपके हाथों से मारना भी हमें मंज़ूर है।" यह कह कर वोह बाहर की तरफ़ दौड़ने लगा। क्योंकि वोह जानता था की ज़ैन को इस लाइन से सख्त नाफात है। अक्सर नैना भी उसे यही कहती थी।

"अहमद के बच्चे तू ज़रा मेरे हाथ तो लग।" ज़ैन उसके पीछे भागते हुए चिल्ला कर बोला।

"सॉरी ज़ैनु मेरे बच्चे नही है।" अहमद ने हस्ते हुए कहा।

जब दोनों भाग भाग कर थक गए तो खड़े हो कर ज़ोर ज़ोर हसने लगे।

ज़ैन अहमद के कंधे पर हाथ रख कर बोला: "चल यार पिज़्ज़ा खाने चलते है।"

उसके बाद दोनों गाड़ी में बैठ गए। अहमद ने अपना फ़ोन निकाला और किसी को कॉल किया। फ़ोन कनेक्ट होते ही अहमद ने कहा। "कमरे की हालत ठीक करदे और हाँ लिस्ट भेज रहा हु समान ला कर सेट कर देना।" इतना कह कर उसने फ़ोन कट कर दिया।

ज़ैन ने उसकी तरफ न समझी से देखा।

अहमद उसकी नज़रों का मतलब समझते हुए गुस्से से बोला: "अब ऐसे क्या देख रहा जैसे कुछ पता ही नही हो, तूने मेरे घर की जो हालात की है उसे ठीक करवाये बिना मैं कैसे रह सकता हु।"

उसकी बात सुनकर ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला: "चल इसी बहाने ही सही तेरी घर की सफाई भी हो जाएगी।"

अहमद ने उसे घूर कर देखा और बोला: "कमीने इंसान एक तो मेरे प्यारे बैडरूम की तू ने इतनी खराब हालत करदी ऊपर से तू मुझे ही सुना रहा है।"

ज़ैन अपनी भौंवे उचकाते हुए बोला: "मतलब तु मुझसे ज़्यादा प्यार अपने बैडरूम से है।"

"और नही तो क्या, वोह कमरा मैं ने अपनी होने वाली बीवी के लिए अपने हाथों से सजाया था और तूने सब बर्बाद कर दिया।" अहमद ने शरारती अंदाज में कहा।

"अगर तूने यह बात मुझे पहेली बताई होती........."

ज़ैन की बात पूरी होने से पहले ही अहमद बोल पड़ा "तो तू उसकी यह हालत नही करता।"

"नही।"
उसकी बात पूरी होने से पहले ही अहमद फिर से बोला पड़ा:"मुझे पता था तू मेरे साथ कभी भी ऐसा नही करेगा।"

"बल्कि मैं उससे भी बुरी हालत कर देता।" ज़ैन ने अपनी बात पूरी की और ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा।

अहमद ने उसे घूर कर देखा लेकिन इस बार कुछ कहा नही।

पिज़्ज़ा खाने के बाद ज़ैन ने अहमद को उसके घर पर छोड़ा और फिर अपने घर के लिए निकल गया।


कहानी जारी है........
©"साबरीना"