अगली सुबह जब ज़ैन ने आंख खोली तो देखा यह उसका कमरा नही था। उसने बाएँ तरफ देखा तो अहमद बैठा बैठा ही सो चुका था। वो उठ कर अहमद के पास गया और मुस्कुराते हुए अहमद के कंधे पर अपना सिर रख दिया क्योंकि वोह जनता था अहमद की नींद बहोत कच्ची है। और ऐसा ही हुआ जैसे ही अहमद को अपने कंधे पर कुछ अहसास हुआ उस ने अपनी नींद भारी आंखे खोली और मुस्कुराते हुए ज़ैन को देखा।
ज़ैन ने भी बदले में स्माइल पास करदी।
"उठ गया तू ज़ैनु।" अहमद ने अपनी आंखें मसलते हुए उससे पूछा।
"हाँ उठ गया।" ज़ैन ने उसके कंधे से अपना सिर हटाते हुए कहा।
अहमद उठ कर ठीक से बैठ गया।
"हम यहां कैसे आये?" ज़ैन ने पूछा।
"गाड़ी से।" अहमद ने लापरवाही से जवाब दिया।
मेरा मतलब है मैं और तू......क्लब में थे।
अहमद उसकी बात काटते हुये बोला, "मैं फ्रेश होने जा रहा हु।"
"अच्छा तो फिर हम यहां कैसे आये।" ज़ैन भी उलझा हुआ था।
"अच्छा तो जनाब को कुछ भी याद नही की रात को क्या हुआ था, ज़रा कम शराब पीनी थी ना।" अहमद ने ताना मारते हुए कहा।
"सॉरी यार कुछ ज़्यादा ही पी ली थी।" ज़ैन कान पकड़ कर उससे माफी मांगते हुए कहा।
"ज़्यादा नही बहोत ज़्यादा तभी तो जनाब को नैना याद आ रही थी।" अहमद उसे घूरते हुए बोला।
क्या!!!!!!!!!
अहमद की बात सुनकर ज़ैन ज़ोर से चीखा और अहमद ने अपने कानों पर हाथ रख लिए।
"जी हाँ।"
तो क्या..........ज़ैन ने बात अधूरी ही छोड़ दी।
"नही ऐसा कुछ नही हुआ और मेरे होते हुए ऐसा हो भी नही सकता था। लेकिन तेरा पूरा प्लान था कुछ करने का।" अहमद बेड से उठ गया।
ज़ैन बेड से उठने ही वाला था तभी उसकी कमर मद तेज़ दर्द हुआ।
आह!!!!!!!
"क्या हुआ ज़ैनु?" अहमद परेशान होकर बोला।
"यार मेरी कमर में दर्द हो रहा है।" ज़ैन ने दर्द भरी आवाज़ में कहा।
"हाहा....हाहा" ज़ैन की बात सुनकर अहमद ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा।
"तुझे कुछ भी याद नही!" अहमद ने हस्ते हुए कहा।
"नही यार जल्दी भोंक।" ज़ैन ने कमर पर हाथ रखते हुए कहा।
"रात को जनाब का क्लब से आने का दिल नही था, इसीलिए मैं उठा कर तुझे कार में ला कर पटक दिया था इसीलिए तेरी कमर में दर्द हो रहा है।" अहमद ने उसे सारी बात बता दी।
उसकी बात सुनकर ज़ैन तो पहले हैरान हुआ फिर मुस्कुराने लगा।
"अच्छा ज़ैनु तो फ्रेश हो जा तब तक मैं तेरे लिए कुछ खाने के लिए ले कर आता हूं।" अहमद ने कहा।
"ठीक है मेरी जान।" ज़ैन ने मुस्कुराते हुए कहा।
अहमद ने सोफे से कुशन उठा कर ज़ैन को मारा और रूम से बाहर चला गया।
..............
ज़ैनब तैयार हो कर नीचे आयी तो सामने उसकी भाभी खड़ी थी।
"कॉलेज बाद में जाना पहले घर की सफाई करलो, मेरी तबियत ठीक नही है।" भाभी ने ज़ैनब को आर्डर दिया।
"लेकिन भाभी आज मेरा इम्पोर्टेन्ट लेक्चर है मैं आ कर कर दूंगी।" ज़ैनब ने कहा।
"तो क्या तब तक घर गंदा ही रहेगा। एक काम क्या कह दो तुम्हारे बहाने तो खत्म ही नही होते।" भाभी गुस्से से बोली।
नही भाभी ऐसी बात नही है आज मेरा फर्स्ट पीरियड है..........
ठाह........
वोह अभी इतना ही बोल पायी थी कि तभी फुरकान ने ज़ैनब के गाल पर एक थप्पड़ मारा वोह सीधा जा कर ज़मीन पर गिर गयी।
"ज़बान लड़ाती हो अपनी भाभी से जाओ जा कर सफाई करो, नही जाना है आज तुम्हे कॉलेज।" फुरकान ने गुस्से से कहा।
ज़ैनब ज़मीन से उठ कर रोती हुई सीधा अपने कमरे में चली गयी।
.........
ज़ैन जैसे ही बाथरूम से निकला उसका फ़ोन वाइब्रेट होने लगा।
उसने देखा तो कोई अननोन नंबर था वोह फ़ोन उठा कर बोला, "कौन???"
"शाह कैसा है तू?" सामने से आवाज़ आयी।
ज़ैन इस आवाज़ को लाखों में पहचान सकता था।
"कमीने तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझे कॉल करने की।" ज़ैन गुस्से से आगबबूला हो कर बोला।
"कूल डाउन शाह आखिर में तेरे बाप का दोस्त हु।"
"बकवास बंद कर अपनी।" ज़ैन ने गुस्से से चिल्ला कर कहा।
"हाहाहा,,शाह मुझे लगा था तो मुझसे बदला लेगा लेकिन तू तो कायरों की तरह छुप कर बैठ गया है।" वोह आदमी ठहाका लगा कर हस्ते हुए बोला।
उसकी बात सुनकर ज़ैन ज़ोर ज़ोर से हस्ते हुए बोला:"तुझे क्या लगता है ज़ैन शाह डर गया। शेर अभी सोया नही है, बाकी सबके लिए शाह ने अपने अंदर का दरिंदा भले ही सुला दिया हो लेकिन तू शाह को अच्छे से जनता है मैं किसी को माफ नही करता। और तुझे तो मैं ज़िंदा ज़मीन में गडुंगा। तू भी बस मेरे हाथों से मारने का इंतज़ार कर, तेरा वक़्त भी जल्द आएगा।"
ज़ैन की बात सुनकर उन आदमी का रंग बिल्कुल ही फीका पड़ गया ।
"तुम मुझे कभी नही ढूंढ सकते शाह।" वोह आदमी फिर से हस्ते हुए बोला।
"किसे तस्सली दे रहे हो इमरान। यह बात तुम भी जानते हो कि शाह के लिए कुछ भी मुश्किल नही है। चल अब सुन वोह जो तेरी खुफिया डील थी ना जिसे तू साइन करने के बाद सबको बताने वाला था तेरी वोह डील किस ने कैंसिल करवाई थी।" यह कह कर ज़ैन ज़ोर ज़ोर से हँसने लगा।
उसकी बात सुनकर इमरान के अंदर जैसे आग ही लग गयी थी वोह कैसे शाह की दरिंदगी को भूल सकता था।
"शाह क्या यह डील तुमने कैंसिल करवाई थी।"
इमरान की बात सुनकर एक बार फिर से ज़ैन की हसी पूरे कमरे मे गूंज गयी। और फिर वोह गुस्से भारी आवाज़ में बोला: "तेरे तो मैं इतने टुकड़े करूँगा की तेरे घरवाले गिनते गिनते तक जाएंगे।" इतना कह कर उसने फ़ोन कट कर दिया।
इमरान ने गुस्से से फ़ोन को ज़मीन पर फेंक कर तोड़ दिया।
ज़ैन के भी गुस्से की कोई इंतेहा ना थी वोह गुस्से से हर चीज़ को तोड़ फोड़ रहा था। अब उसका गुस्सा सिर्फ एक ही इंसान शांत कर सकता था वो था अहमद।
..............
ज़ैनब अपने कमरे में बैठी अपने माँ बाबा की तस्वीर को देख रही थी।
माँ बाबा आप दोनों मुझे छोड़ कर क्यों चले गए। भाई भाभी बिकुल भी अच्छे नही है।
ज़ैनब के पैरेंट की कार एक्सीडेंट में डेथ हो गयी थी, ज़ैनब के बाबा की पहेली बीवी से फुरकान था। उनकी पहली बीवी की डेथ के बाद उन्होंने ज़ैनब की माँ से शादी करली उस वक़्त फुरकान दो साल का था। ज़ैनब यह बात नही जानती थी की वोह फुरकान की सौतेली बहन है इसीलिए वोह उससे इतनी नफरत करता है। ज़ैनब की माँ उन दोनो से बहोत प्यार करती थी। लेकिन अपने बाबा के दूसरे शादी करने की वजह से फुरकान ज़ैनब और उसकी माँ से बहोत नफरत करता था।
फुरकान के घर औलाद न होने का कुसूर भी वो ज़ैनब को हि समझता था।
ज़ैनब रोते रोते ही सो गई।
.............
ज़ैन शराब पी ही रहा था तभी किसी ने उसे ज़ोरदार थप्पड़ मारा वोह सीधा जा कर ज़मीन पर गिरा। उसने गुस्से से पीछे देखा तो अहमद उसे गुस्से से घूर रहा था।
अहमद की जगह अगर किसी और ने ज़ैन को थप्पड़ मारा होता तो अब तो वोह उस एक थप्पड़ के बदले उसे सैकड़ो थप्पड़ लगा चुका होता।
अहमद ने ज़ैन को कॉलर से पकड़ा और गुस्से से बोला: "यह क्या कर रहा है? और कमरे की क्या हालत करदी है? अपनी भी हालत देख तुझे क्या हुआ है ज़ैन!!!"
अह.....मद उस कु...त्ते का फ़ो...न आ....या था, तू समझ रहा है ना मेरे दिल पर क्या गुज़र रही है। ज़ैन ने टूटे फूटे शब्दो मे कहा।
तू क्या कह रहा किसका फ़ोन आया था!!!!!! अहमद उसकी बात को समझ नही पाया।
इमरान का......। ज़ैन ने गुस्से से कहा।
तो उस कुत्ते का फ़ोन था। उसकी तो..........
लेकिन तूने अपनी ये हालात क्यों बनाई है।
अहमद को भी बहोत गुस्सा आ रहा था।
अह......मद उस..के फ़ो...न कर..ने से सब मेरे दि...माग मे घूम रहा मेरी माँ की हालत और बाबा...
ज़ैन ने शराब की बोटल तोड़ का एक टुकड़ा उठाया ही था कि अहमद कांच के टुकड़ा ले कर उसके मुंह पर एक और ज़ोरदार थप्पड़ मारा। कांच खींच की वजह से अहमद का हाथ कट गया था और उसे खून रसने लगा था।
ज़ैन थप्पसड खाने के बाद दोबारा कांच उठा ही रह था कि अहमद ने उसकी कनपट्टी पर मार कर उसे बेहोश कर दिया।
क्योंकि वोह जनता था अगर वोह ज़ैन को बेहोश न करता तो वोह गुस्से में खुद को ही नुकसान पहोंचा लेता।
उसने ज़ैन को बेड पर बिठाया और पास की चेयर खींच कर उस पर बैठ कर सिगरेट पीने लगा।
........
सानिया ने ज़ैनब कितनी बार फ़ोन कर चुकी थी लेकिन उसने एक बार भी उसकी कॉल का जवाब नही दिया।
एक घंटे बाद उस ने फिर से उसे कॉल की। जब उनका फ़ोन पांचवी बार फिर से बाज तब जा कर ज़ैनब ने फ़ोन उठाया।
"क्या यार जैनी कब से फ़ोन कर रही हु।"
जैनी................ज़ैनब कुछ बोल तो सही।
"हाँ सुन रही हु।" रोने की वजह से ज़ैनब की आवाज़ भारी हो गयी थी।
"यार जैनी तू रोई क्यों है और कॉलेज क्यों नही आई है?" सानिया ने परेशान होते हुए ज़ैनब से पूछा।
"कुछ नही।" ज़ैनब ने कहा।
"चल अब जल्दी बोल कोई बहाना नही,वरना मैं क्या करूँगी तू अच्छे से जानती है।" सानिया ने उसे धमकाते हुए कहा।
अब ज़ैनब ने उसे सब कुछ बता दिया।
सानिया उसे तस्सली देते हुए बोली:"छोड़ जैनी आज तू मेरे घर आने वाली है ना फिर तू कुछ दिन मेरे घर रहेगी तो रिलैक्स रहेगी। शादी में हम दोनों खूब एन्जॉय करेंगे। चल अब रोना नही मैं फ़ोन रखती हु। अल्लाह हाफिज, अपना ख्याल रखना।"
"अल्लाह हाफिज" ज़ैनब ने कहा और फ़ोन रख दिया।
कहानी जारी है........
©"साबरीन"