Tere Ishq me Pagal - 1 in Hindi Love Stories by Sabreen FA books and stories PDF | तेरे इश्क़ में पागल - 1

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तेरे इश्क़ में पागल - 1

मुम्बई के एक पब में जैन शराब के नशे ने धुत हो कर अपने सामने नाचती हुई लड़कियों को देख रहा था, तभी नैना उसके पास आ कर बोली। "हये ज़ैन।"

ज़ैन जो ब्लैक पैंट और शर्ट और बिखरे हुए बालों और अपने हाथ मे कीमती घड़ी पहने लड़कियों को देखने में मगन था, एक दम से उसकी आँखों के गुस्सा भर गया।
वोह गुस्से से बोला। "क्या हुआ है?"

नैना उसके गुस्से को इग्नोर करते हुए बोली। "ऑफकोर्स ज़ैन जानी मैं तुमसे ही मिलने आए हु।"

ज़ैन ने जो शराब का गिलास पकड़ा था अचानक से टेबल पर फेंक कर उठ कर वहां से जाने लगा।

तभी नैना ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा। "कहा जा रही हो ज़ैनु जान।"

ज़ैन अपनी लाल आंखों से उसे घूरते हुए बोला। "जहन्नुम में जा रहा हु, चलोगी।"

नैना बेशर्मी से बोली, तुम्हारे साथ तो मैं कहि भी जाने को तैयार हूं।

वोह अपनी लाल आंखों से उसे घूरते हुए अपना हाथ छुड़ा कर पब से बाहर निकल गया।

नैना गुस्से से उसे जाते हुए देख रही थी।

.....

ज़ैनब जो गहरी नींद में सो रही थी अचानक से फ़ोन की बेल बजने से उसकी नींद टूटी और उसने गुस्से फ़ोन की स्क्रीन पर देखा। स्क्रीन पर सानिया नाम फ़्लैश हो रहा था।

ज़ैनब फ़ोन उठा कर गुस्से से बोली, क्या प्रॉब्लम है तुम मुझे सोने क्यों नही देती हो, तुम ज़रा मेरे हाथ लगो मैं तुम्हारा कीमा बना दूंगी।

उसकी बात को काटते हुए सानिया बोली, मैम आज टेस्ट लेने वाली है तुम अभी तक सो रही हो, पांच मिनट में तुम मुझे कॉलेज के गेट के पास मिलो।

इतना कह उसने फ़ोन कट करदी।

ज़ैनब जैसे उसकी बात सुनकर होश में आ गयी, वोह जल्दी से अपने कपड़े ले कर वाशरूम में चली गयी। और इधर सानिया फ़ोन देख कर मुस्कुराने लगी।

ज़ैनब ने तैयार हो कर एक आखरी नज़र खुद पर डाली,ब्लैक जीन्स और वाइट शर्ट और मेकअप के नाम पर सिर्फ लिप ग्लॉस लगा कर वहां खुद को शीशे में देखने लगी उसकी नीली आंखे हर किसी को अपनी तरफ अट्रैक्ट करने के लिए काफी थी, उसके एक हाथ मे खड़ी और दूसरे हाथ मे बिरिसलेट था। उसके बालोन की उसने पोनीटेल बनाई थी। उसने चेयर से अपनी जैकेट ली और रूम से बाहर निकल गयी।

जैसे ही वोह बाहर आई उसकी भाभी जो सोफे पर बैठी थी, ज़ैनब को देख कर ताना मरते हुए बोली। "अब मेहरबानी करके नाश्ता मत मांगना।" वोह और भी बहोत कुछ कह रही थी। ज़ैनब बस अपना सिर नीचे झुकाये उनकी बातों को सुन रही थी, उसकी आँखों स आंसू निकलने को बेताब थे, वोह हमेशा की तरफ अपने आंसू पी कर घर से बाहर निकल गयी।

.......

ज़ैन जब सो कर उठा तो उसने घड़ी पर नज़र डाली, घड़ी में सुबह के नौ बज रहे थे।

पहले थोड़ी देर वोह अपना सिर थामे बेड पर बैठा रात के बारे सोचता रहा। फिर उठ कर अपने कपड़े ले कर वाशरूम में चला गया, जब वोह वाशरूम से बाहर आया तो उसका फ़ोन वाइब्रेट कर रहा था। स्क्रीन पर मेरी जान नाम फ़्लैश हो रहा था। यह देख कर ज़ैन के चेहरे पर खुद बखुद एक स्माइल आ गयी।

उसके फ़ोन उठाते ही अहमद शुरू हो गया। "क्या प्रॉब्लम है, कब से तेरा फ़ोन ट्राय कर रहा हु, कहा मार गया था।"

उसकी बात सुनकर ज़ैन हँसने लगा।

अहमद को लगा वोह बस पागलों की तरह बोल रहा है। वोह गुस्से से बोला, अब बकवास भी करेगा। या तेरे मुंह पर टेप लगा हुआ है।

ज़ैन मुस्कुराते हुए बोला। अहमद यार अब तू बोलने देगा तो में बोलूंगा ना, तू खुद ही बकवास किये जा रहा है।

अहमद गुस्से से बोला, हाँ,,,हाँ अब तो तुझे मेरी बातें बकवास ही लगेंगी। खैर मैं ने तुझे यह बताने के लिए फ़ोन किया था कि में तुझसे नाराज़ हु।

ज़ैन ज़ोर ज़ोर से हस्ते हुए बोला, अरे मेरी जान तूने यह बताने के लिए ओहोने किया था। तूने तो मेरा ऐसे ही टाइम वेस्ट कर दिया।

ज़ैन की यह बात अहमद को और गुस्सा दिलाने के लिए काफी थी।

तुझे यह बात छोटी लग रही कमीने इंसान। जा अब मैं तुझसे और नाराज़ हो गया अगर मनाना है तो अपनी पुरानी जगह आ जाना। इतना कह कर उसने गुस्से से फ़ोन कट कर दिया।

इधर ज़ैन अभी भी जोर जोर से दस रहा था।

...…......

ज़ैनब कॉलेज पहोंची तो सानिया उसे बेंच पर बैठी नज़र आई। ज़ैनब जा कर उसकी बगल में बैठ गयी और बोली, "सॉरी।"

सानिया जो उसे तंग करने के बारे में सोच ही रही थी ज़ैनब की रुआंसी आवाज़ सुनकर उसकी तरफ देखने लगी।
ज़ैनब की लाल आंखे देख कर वोह परेशान होते हुए बोली, "क्या हुआ जैनी?" क्या भाभी ने आज फिर से कुछ कहा।

उसके सवाल के जवाब में ज़ैनब ने सिर्फ हाँ में सिर हिला दिया।

आह.....अच्छा छोड़ चल हम कैंटीन चलते है, मुझे बहोत भूख लगी है और मुझे पता है तुझे भी भूख लगी है। सानिया ने कहा।

"नही मेरा मूड नही है।" ज़ैनब ने कहा।

"चलो ना जान, मुझे बहोत ज़ोर से भूख लगी है और तुझे तो पता है की मैं अकेले नही खाती हूं।" सानिया ने मिन्नत करते हुए कहा।

इस बार ज़ैनब उसका चेहरा देख कर उसे मना ना कर सकी। और उसके साथ चली गयी।

...................

ज़ैन जब नीचे आया तो शाज़िया (ज़ैन की चाची) उसे देख कर मुस्कुरा कर बोली। "सलाम मेरे बच्चे।"

ज़ैन ने सवाल का जवाब दिया और जाने लगा।

शाज़िया ने कहा, रुक जाओ नाश्ता तो करते जाओ।

नही, चाची जान दिल नही है आफिस में कुछ खा लूंगा। ज़ैन ने कहा।

कुलसुम (ज़ैन की कजिन) ज़ैन के पास आ कर बोली: "भाई जान आप मुझे कॉलेज छोड़ देंगे, ड्राइवर अब्बू के साथ गया है।"

ज़ैन कार की चाभी लेते हुए बोला: ठीक है मैं बाहर इंतेज़ार कर रहा हु।

कुलसुम को कॉलेज छोड़ने के बाद वोह आफिस चला गया।

............

रोल नंबर 429

ज़ैनब हाथ उठा कर बोली, प्रेजेंट मिस।

मैम: ज़ैनब तुम कल कॉलेज क्यों नही आई थी?

मैम के इस तरह पूछने की वजह से ज़ैनब घबरा गई।

ज़ैनब: वोह मैम मुझे........

तेज़ बुखार था। धीरे से सानिया ने कहा।

ज़ैनब जल्दी से बोली: हाँ, मैम मुझे बुखार था।

मैम ज़ैनब को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोली, सीरियसली।

ज़ैनब थोड़ा खांसते हुए मासूम सी शक्ल बना कर बोली, हाँ, मिस।

मैम: ओके सिट डाउन।

लेक्चर खत्म होने के बाद ज़ैनब सानिया से बोली: यार क्या कल सिर्फ मैं ने ही छुट्टी की थी?

नही यार और भी लड़कियों ने की थी। सानिया ने कहा।

तो मैम को सिर्फ मैं ही मिली थी। वोह दोनो बात करते करते कैंटीन में पहोंच गयी।

..............

ज़ैन अपने आफिस में बैठे कुर्सी से सिर टिकाये सिगरेट पी रहा था। तभी उसका असिस्टेंट अंदर आया।

सर आज आपकी मीटिंग है आप आलरेडी आधा घंटा लेट हो गए है। रफ़ीक़ सर आपका मीटिंग रूम में इंतेज़ार कर रहे है।

"इस मीटिंग से किसको फायदा होगा?" ज़ैन ने अपनी आंखें खोल कर सेक्रेटरी की तरफ देख कर उससे पूछा।

सेक्रेटरी ने जवाब दिया:सर, रफ़ीक़ सर को।

ठीक है तो उन्हें आधा घंटा और इंतेज़ार कराओ, आधे घंटे बाद मैं खुद मीटिंग रूम में आ जाऊंगा। अब तुम यहाँ से जाओ।

उसे भेज कर ज़ैन सिगरेट के बड़े बड़े लेने लगा।

आधे घंटे बाद वोह मीटिंग र्रोम में गया। मीटिंग खत्म करने के बाद उसने अहमद को फ़ोन किया।

अहमद जो अपने ऊपर परफ्यूम की बारिश कर रहा था अपना फ़ोन वाइब्रेट होता देख कर वोह टेबल के पास गया और स्क्रीन पर पर जिगर नाम देख कर उसके चेहरे पर एक स्माइल आ गयी। उसने जल्दी से फ़ोन उठाया और बोला: हाँ मेरे जिगर के टुकड़े, बोल।

मेरी जान आधे घण्टे में मुझे अपने फेवरेट होटल में मिल। यह कह कर ज़ैन ने फ़ोन कट कर दिया।

अहमद जल्दी से तैयार हो कर गाड़ी की चाभी ले कर घर से निकल गया।

.................

सानिया यार चल आइस क्रीम पलार चलते है मुझे इस क्रीम खाना है। ज़ैनब तो जैसे आइस क्रीम देख कर पागल ही हो गयी थी।

नही जैनी तूने ठंड देखी है, मुझे आइस क्रीम नही खानी है। ऐसा करते है उसके पास जो होटल है वहा चल कर पिज़्ज़ा कहते है। सानिया ने कहा।

नही सानी.......मुझे इस क्रीम ही खाना है। ज़ैनब ज़िद करते हुए बोली।

नही जैनी। सानिया उसे समझते हुए बोली।

हाँ, ठीक है तुझे तो मेरी कोई फिक्र ही नही है मेरा कुछ खाने के दिल ही और तू मना कर रही है। ज़ैनब ने उसे इमोशनल ब्लैक मेल करते हुए कहा।

.........

अरे बेगैरत इंसान तेरा पेट फूल हो गया या नही या कुछ और आर्डर करूँ। ज़ैन ने अहमद से कहा।

नही यार तुझे क्या मैं इतना पेटू दिखता हु, पूरा एक पिज़्ज़ा खाने के बाद भी मेरा पेट फुल नही होगा। अहमद ने बत्तीसी दिखाते हुए कहा।

जब दोनों होटल से बाहर निकले तभी अहमद का फ़ोन बजने लगा।

"तू कार के पास चल मैं आता हूं।" अहमद ने फ़ोन उठाते हुये ज़ैन से कहा।

ज़ैनब जैसे ही आइस क्रीम ले कर पीछे मुड़ी वोह ज़ैन से टकरा गई और सारी आइस क्रीम ज़ैन के कपड़ो पर गिर गयी।

ओह,,,,,,,,, सॉरी,,,सॉरी मैं ने जान बूझ कर नही की हु प्लीज मुझे माफ़ कर दीजिए। ज़ैनब ज़ैन से माफी मांगते हुए बोली।

ज़ैनब शर्मिंदगी से बार बार माफी मांग रही थी। और ज़ैन की आंखे बस उसके चेहरे पर टिकी थी।

उसका धयान तब टूट जब अहमद ने उसे आवाज़ दे कर कहा, चल यार चलते है।

कहानी जारी है.................

©"साबरीन"