ये सवाल वायरल हो गया।
धीरे- धीरे पूरी दुनिया इसी प्रश्न में उलझ गई कि आख़िर प्यार है क्या, और ये कैसे मापा जाए?
हडसन तट से उठी ये चर्चा पूरे न्यूयॉर्क में फैल गई। इसने उस पार जर्सीसिटी को भी अपनी गिरफ्त में ले लिया। चौबीस घंटे बीतते न बीतते क्या वॉशिंगटन और क्या पेनसिलवेनिया, सब इसी प्रश्न को सुलझाने में व्यस्त हो गए कि प्यार किसे कहें?
आंधियों के न कोई रास्ते होते हैं और न सरहदें। वर्जीनिया हो या एरिजोना, जॉर्जिया हो या मिशिगन देखते- देखते सबको पार करता ये अंधड़ केलिफोर्निया जैसे दूसरे तट तक जा पहुंचा। एलिनॉय के शिकागो में भी परिंदे, इंसान और मशीनें प्रेम की परिभाषा ढूंढने में खो गए।
लो, अब तक हर कोई प्यार- प्यार करता घूम रहा था - सांताक्लॉज को बच्चों से प्यार है, दुनिया भर के एक्टर्स को हॉलीवुड से प्यार है, मॉडल्स और खूबसूरत हसीनाएं मियामी तट के प्रेम में पागल थीं लेकिन अब हर कोई इस बात पर चकित था कि प्यार है क्या?
खलनायकों का गन से प्यार, शिशुओं का दूध से प्यार, व्यापारियों का धन से प्यार सबने देखा था लेकिन ये कोई नहीं जानता था कि प्यार को दिखाया कैसे जाए? मंच पर चढ़ कर कोई लड़का क्या दिखाए कि लोगों को उसका उसके पास खड़ी प्रेमिका के प्रति प्रेम दिखाई दे जाए? एक वृद्धा अपनी औलाद को क्या खिलाए कि उसका बच्चे के प्रति प्यार उजागर हो? एक दोस्त अपने दोस्त के लिए जी - तोड़ याराना कैसे दिखाए? और लाख टके का सवाल तो ये कि इस मोहब्बत को नापा कैसे जाए?
ऐश और रॉकी अरसे से साथ रह रहे थे पर एकाएक ऐश का दिल उस डॉगी पर आ गया जो उसकी गली से कुछ ही दूरी पर रहता था। रॉकी रोज़ ऐश के सपने देखता था मगर अब उस कैटी से शादी रचाने जा रहा था जो पिछवाड़े वाले अपार्टमेंट में चोरी से दूध पीने आती थी।
ऐसे में पेचीदा सवाल ये था कि प्यार को मापा जाए तो कैसे मापा जाए?
प्रश्न पतंगों की तरह आसमान में उड़ते हैं। अगर उन्हें किसी तरह पकड़ कर उनका हल न तलाशा जाए तो वो मुल्कों की सरहदें भी लांघने लग जाते हैं। हडसन नदी के मुहाने से उठा ये सवाल भी नियाग्रा फॉल्स को लांघ कर कैनाडा तक फैलता जा रहा था कि प्यार क्या है? लोग कहने लग पड़े थे कि अगर प्यार अपने देश से होता है तो फिर यहां इतना बड़ा सिख समुदाय कैसे दिख रहा था।
मेक्सिको को लांघता हुआ ये आतताई सा सवाल अब हवा- पानी के रास्ते ब्राज़ील, अर्जेंटिना, वेनेजुएला, चिले, सायप्रस और उरुग्वे में भी दस्तक देने लगा था कि आख़िर प्यार है क्या?
इस सवाल की गर्द उड़ते - उड़ते सागर पार पहुंचने लगी थी। ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और जर्मनी भी इस उबाल से खदबदा रहे थे कि मोहब्बत को कैसे परिभाषित करें?
लोग पूछते थे कि गांधी को हिंदुस्तान से प्यार था या साउथ अफ्रीका और मॉरीशस से? यदि हिंदुस्तान में गांधी की आत्मा अब भी भटक रही हो तो उससे ये पूछा जा सकता है कि प्यार क्या है? मगर कहीं कोई ये बताने वाला भी तो हो कि इसे मापा कैसे जाए?
ये बात बहुत उलझाने वाली थी। यदि गांधी को हिंदुस्तान से प्यार था तो हिंदुस्तान में एक बंदूक की गोली ने उसे मौत की नींद क्यों सुला दिया। क्या इंदिरा को भारत से जो था वो प्यार नहीं था? तब ??? क्या प्यार में गोलियां भी चलती हैं? कैनेडी को गोली लगी या अमेरिका से उनके प्यार को?
देशवासी अपने देश से जो करते हैं अगर वो प्यार है तो रशिया तेरह मुल्कों में क्यों टूट जाता है? हिंदुस्तान का सीना फाड़ कर उसमें से पाकिस्तान और बांग्ला देश कैसे निकल जाते हैं? कोरिया क्यों गरजता है? जर्मनी के दो हिस्से हो जाना प्यार कैसे है? चाइना, वियतनाम, अरब, इज़राइल, ताइवान और तिब्बत क्या प्यार- मोहब्बत की संतानें हैं?
क्या प्यार में गर्मी होती है? तो डेनमार्क, नार्वे और फिनलैंड ठंडे क्यों हैं?
छोड़ो!!!
पर सवाल तो फिलहाल ये है कि प्यार को मापा कैसे जाए?
थोड़ी देर के बाद जब जलजला थमने के आसार दिखे तो ऐश और रॉकी ने अपने तिनकों के नशेमन से झांक कर बाहर देखा!
जिस तरह तूफ़ान के बाद झुके - टूटे पेड़ और उखड़े हुए खंभे दिखाई देते हैं वैसे ही धराशाई होकर उनका सवाल भी हडसन तट पर पड़ा था कि प्यार किसे कहते हैं? इस सवाल की कमर भी लगभग टूट चुकी थी कि प्रेम को मापा कैसे जाए? हल्की - फुल्की धूप निकल आई थी और रॉकी इस उम्मीद में पिछवाड़े की ओर ताक- झांक कर रहा था कि शायद झबरी कैटी किसी अपार्टमेंट में चोरी से दूध पीने आई हो!