Exploring East india and Bhutan-Chapter -17
ग्यारवाँ दिन
सुबह 10 बजे हमारा हासीमारा से भूटान टूर शुरू हो गया, हमने यहाँ से विनोद को धन्यवाद व् भुगतान दे कर विदा कर दिया. यहाँ से एक इन्नोवा टैक्सी 3500 प्रति दिन के हिसाब से हायर कर ली. हमारे ड्राईवर का नाम रोबी था, यह मुश्किल से बीस वर्ष का पक्के रंग का छरहरे बदन का नोजवान था, और कामचलाऊ हिन्दी समझ लेता था.
हासीमारा से हमे जयगांव हो कर फुंटशोलिंग जाना था . जयगांव तक का सारा रास्ता भीड़ भरा था इसलिए मात्र 20 km की यात्रा हमने एक घंटे में पुरी की.
जयगांव, न्यू जलपाईगुड़ी रेलवे स्टेशन से 157 km की दूरी पर और बागडोगरा हवाई अड्डे से 164 km की दूरी पर इंडिया भूटान सीमा पर टोरसा नदी के तट पर स्थित है, सीमा के एक तरफ जयगांव व् दूसरी तरफ भूटान का फुंटशोलिंग शहर है. यहाँ पर चाय के बागान भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं.
“वरुण एक-एक चाय हो जाए” विनीता ने मेरी और देखा
“यहाँ वैसे भी हमे रुकना ही है, थोड़ी इमीग्रेशन कार्यवाई के बारे में जानकारी लेनी है” मेने बताया
यहाँ हमने महात्मा गांधी रोड पर स्थित होटल पालिका में चाय के साथ स्नैक्स वेगेरा लिए, होटल में ट्रेवल डेस्क है, क्योंकि ये लोग पैकेज टूर का प्रबंध भी करते हैं, यहाँ से हमने भूटान में इमीग्रेशन ऑफिस के बारे में जानकारी ली .
भूटान के पास अपने सभी कस्बों को जोड़ने वाली सड़कें नहीं हैं, इसलिए भूटान Samtse, Gomtu, Nganglam और Samdrup Jongkhar जाने के लिए, जयगांव से होकर गुजरने वाली भारतीय सड़कों का उपयोग करता है. भारतीय और भूटानी उपभोक्ताओं की मांग के कारण जयगांव में एक बाज़ार विकसित हो गया है. जयगांव की आबादी लगभग 86000 है.
यहाँ के भोजन और कपड़ों में भूटान का प्रभाव देखा जा सकता है. बाजार होने के कारण यहाँ अत्यधिक भीड़भाड़ रहती है. बाज़ार में सड़क के एक तरफ शो रूम्स हैं, जिसके ठीक आगे स्थानीय लोगों ने अपने स्टाल लगा रखे हैं, और जरुरर के सभी आइटम्स और मशहूर ब्रांड्स के डुप्लीकेट सस्ते रेट पर मिल जाते हैं, इसलिए इन स्टाल्स पर भीड़ लगी रहती है और शो रूम वाले कस्टमर का इन्तजार करते रहते हैं. जयगांव भूटानी लोगों के लिए खरीदारी केंद्र है.
भूटान यूं तो एक छोटा सा व् गरीब देश है, परन्तु सड़क के उस पार भूटान का शहर फुंटशोलिंग एक साफ़ सुथरा शहर है, ट्रैफिक के नियमों का पुरी तरह पालन करने वाला, जेब्रा क्रासिंग पर हर गाडी पहले पैदल चलने वाले को जाने देती है वहीं सड़क के इस पार भारतीय जयगांव में सारा दिन धुल उडती रहती है, सफाई का बुरा हाल है, ट्रेफिक नियम तो हम जानते ही नहीं, मेरा भारत महान.
होटल पालिका से इमीग्रेशन ऑफिस के बारे में जानकारी ले कर हम भूटान में प्रवेश करने के लिए तेयार हो गये,और प्रवेश के लिए भूटान से गुजरना पड़ता है.
Bhutan Gate, Phuentsholing Bhutan
भूटान गेट: यह फुंटशोलिंग में इंडिया भूटान सीमा पर स्थित है. सीमा के एक भारतीय तरफ जयगांव व् भूटान की तरफ फुंटशोलिंग है, इसलिए इसे भूटान गेट कहते हैं. यहाँ से आप भूटान में प्रवेश करते हैं. यह बागडोगरा एयरपोर्ट से 164km की दूरी पर स्थित है. प्रवेश द्वार लकड़ी से बना हुआ है, और बहुत सुंदर लगता है. यहाँ भारत का पूर्ण वाणिज्य दूतावास (CGI) स्थापित है. भूटान गेट को शशस्त्र सीमा बल (SSB), अर्ध सेनिक बल और भूटान पुलिस द्वारा संचालित किया जाता है.
खुलने का समय: सुबह 7:30 बजे से शाम 8:30 बजे तक
भूटान में प्रवेश करके हम सबसे पहले इमीग्रेशन ऑफिस गये व् इमीग्रेशन की औपचारिकताएं पुरी की.
स्थानीय लोगो ने बताया की फुंटशोलिंग में भारतीय बिना किसी पासपोर्ट के रहते हैं, परन्तु फुंटशोलिंग से आगे टूर पर जाने के लिए आप को भूटान सरकार से परमिट लेना पड़ता है, यह काम एजेंट नही करवा सकता क्योंकि इमीग्रेशन आफिस में आपके फिगर प्रिंट्स व फ़ोटो ली जाती है, गाड़ी व ड्राइवर का परमिट भी बनता हैं.इस सब मे 2 घंटे का समय बड़े आराम से लग जाता है, ध्यान रखें कि शनिवार और रविवार को इमीग्रेशन आफिस की छुटी रहती है. और एक बात का ध्यान रखना बहुत जरुरी है कि हमने थिम्पू व पारो का परमिट लिया था, परंतु बाद में हा वेली (haa valley) जाने का मूड बन गया, तो पता चला कि टूर परमिट बनवाते समय जहां जहां घुमने जाना है, वें स्थान और वहां रुकने की अवधी परमिट में लिखी होती है, वह चेंज नही हो सकती, तो हमे हा वेली घुमने का इरादा छोड़ना पड़ा. आप पूरा टूर पहले से फाइनल कर ले. कुछ परमिट आगे चल कर फिर भी बनवाने पड़ते हैं, इसमें काफी समय बर्बाद होता है, भूटानी लोग बहुत ही धीमी गति से काम करते है.
परमिट वेगेरा बनवाने में दिन के 2 बज गये. फिर जेन रेस्टोरेंट में जा कर लंच के लिए जम गये.
“अब आगे का क्या प्रोग्राम है, दो बज गये है, क्या थिम्पू के लिए चलना ठीक होगा” विनीता ने पूछा
“चल तो सकते हैं, पर प्रोग्राम बड़ा हेक्टिक हो जाएगा “ मेने कहा
“मानसी तुम क्या कहती हो”
“में आप लोगों की शरण में हूँ, गुलाम की क्या राय” मानसी ने सर झुकाते हुए कहा
“तो फाइनल है, आज फुंटशोलिंग में घूमते हैं, और रात को यहीं रुकते हैं”
लंच करने के बाद हमने लोकल दर्शनीय स्थलों का दोरा किया. सबसे पहले हमने टोरसा नदी पर जाना तय किया.
Torsa rever side Bhutan
फुंटशोलिंग से लगभग तीन km की दूरी पर टोरसा नदी है. टोरसा नदी जिसे वृषभ नदी के नाम से भी जानी जाती है. टोरसा नदी तिब्बत की चुम्बी घाटी से निकलती है, जहां इसे माचू के नाम से जाना जाता है और भूटान में इसे अमो चू के नाम से पुकारा जाता है. भूटान से हो कर यह भारत में जाती है जहां इसे टोरसा नदी के नाम से जाना जाता है.
यहाँ आमतोर पर मौसम ठंडा रहता है यहाँ एक रेस्टोरेंट व् बार की सुविधा है. आप यहाँ स्नेक्स वेगेरा ले सकते है. नदी के किनारे टहल कदमी करें, दो चार फोटो मोबाइल कैमरे में कैद करें और आगे चल दें .
टोरसा नदी के बाद हमने करबंदी मोनेस्ट्री का रुख किया.
Karbandi monestary or karbandi gompa phunsholing Bhutan
(Zangto Pelri Lhakhang)
यह भूटान गेट से 1km की दूरी पर स्थित है , यह फुंटशोलिंग का सबसे पुराना और पहला मठ है. इस मठ को करबंदी गोएम्बा के नाम से भी जाना जाता है. यहाँ बौद्ध देवता, शाक्यमुनि बुद्ध, शुभ्रंग न्वांग नामग्याल और गुरु रिनपोछे की चार सुंदर मूर्तियों स्थापित की गई है . गोम्पा में ज्ञान के प्रकाश के महत्व को दर्शाते हुए रोशनी से जगमग दीपकों का एक अलग कमरा बनाया गया है.
करबंदी मठ अपने सुंदर दृश्य शांत वातावरण और पारंपरिक किंवदंती के कारण जाना जाता है, और किवदंती यह है कि एक बार एक भारतीय दंपत्ति इस मठ में पूजा के लिए आये जिनके कोई बच्चा नहीं था. उन्होंने एक बच्चे के लिए मन्नत माँगी और उनकी यह मन्नत पुरी हो गई. उसके बाद इस स्थान पर वे दम्पति आते है जिनकी सन्तान नही होती. वे यहाँ आ कर संतान होने की मन्नत मांगते है. और चमत्कार कहें या संयोग कुछ की मन्नत पुरी भी होती है , इसलिए करबंदी मठ कई बंजर दंपतियों का तीर्थस्थल बन गया है.
खुलने का समय: सुबह 7 से शाम 6 बजे
प्रवेश शुल्क- फ्री
इसके बाद हम नजदीक ही स्थित क्रोकोडायल जू देखने के लिए निकल लिए .
Crocodile Zoo, Phutsholing Bhutan
(Amo Chhu Crocodile Breeding Centre or Norgay Crocodile Breeding Farm)
यह मगर और घड़ियाल प्रजातियों का बहुत ही छोटा सा जू है. Phuentsholing में Norgay Crocodile Breeding Farm को वर्ष 1976 में एक छोटे से तालाब में स्थापित किया गया था. इसका उद्देश्य मगरमच्छों की संख्या में वृद्धि करना और बाद में उन्हें उनके प्राकृतिक वातावरण में छोड़ देना था. यह ब्रीडिंग सेंटर के रूप में कार्य करता है. एंट्री टिकट 200 रूपए के देख कर लगता है यह कोई विशाल जू होगा, पर यह शुरू होने से पहले खत्म हो जाता है, वस्तुत आप एक जगह खड़े हो कर सारे जू को देख सकते हैं. आप यह सोच कर संतोष कर लें की, टिकेट राशी से बेजुबान मगरमच्छों का लालन पालन होता है.
खुलने का समय: सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक.
अब तक शाम ढल चुकी थी, और हमे होटल भी देखना था,हमने वापसी की राह पकड़ी. फिर होटल ट्रॉपिकल सुइट्स में नाईट स्टे किया.