(लारा भाग 12)
(भाग 11 में आपको बताया गया था कि किस तरह से सोमा की मां उसे अपनी कसम देकर मजबूर कर देती है)
अब आगे की कहानी भाग 12 में
सोमा अकेली बैठी रो रही थी और यही सोच रही थी कि क्या करूं, क्या फैसला लूँ कुछ समझ नहीं आ रहा। मां को तो छोड़ नहीं सकती, समझाना तो मुझे राम जी को ही पड़ेगा। लेकिन क्या करूं और कैसे कहूं कि जिस लड़की को आपने देवी बनाकर पूछा था आज वही लड़की बार-बार आपके दुखों का कारण बनती जा रही है। एक बार आज फिर वो पत्थर बन गयी है आपका दिल तोड़ने के लिए। क्या कहूं, कैसे कहूं, कहां से लाऊं इतनी हिम्मत जिससे मैं उन्हें फिर खुद से दूर कर सकूँ, कैसे बोलूं वो कड़वा शब्द जो फिर उन्हें उनकी पिछली जिंदगी में धकेल दें।
मुझसे नहीं हो पाएगा, हे राम जी मुझे शक्ति दीजिए जिससे मैं उन्हें समझा सकूं।
रामजी सोमा का इंतजार कर रहे थे क्योंकि सोमा बोल कर गई थी कि जान मैं अभी आ रही हूं।
सोमा 1 घंटे फ्री थी,वो अकेले ही छत पर बैठी रही लेकिन उसने राम जी को फोन नहीं किया।
और रात को भी जल्दी ऑनलाइन नहीं आई।
राम जी सोमा का इंतजार कर रह थे कि सोमा अभी आएगी, घर का काम खत्म करके वो सोने से पहले बात जरूर करेंगी। क्यूंकि दोनों की रोज की आदत बन चुकी थी, जब तक बात नहीं होती थी तब तक दोनों को नींद नहीं आती थी।
लेकिन सोमा जानबूझ कर इग्नोर कर रही थी, वो खुद को फोन में दूसरी जगह अलग उलझा कर रखना चाहती थी क्योंकी वो बात नहीं करना चाहती थी। लेकिन जब रात के 11:00 बज गए तो सोमा से रहा नहीं गया, और उसने सोचा कि मैं बात नहीं करूंगी तो उन्हे नींद नहीं आयेगी और वो सो नहीं पाएंगे। और अगर सोयेंगे नहीं तो सुबह ऑफिस कैसे जाएंगे, आज भले ही सोमा राम जी से दूर होना चाहती है लेकिन उसे राम की परवाह तो आज भी है ना, सोमा का प्यार थोड़ी ना कम हो गया है।
जब वह ऑनलाइन आई तो उसने देखा कि राम जी के बहुत सारे मैसेज पड़े थे। हेलो जान कहां हो क्या कर रहे हो, आ जाओ ना इंतजार कर रहा हूं। मैसेज पढ़ कर सोमा को रोना आ रहा था, कि क्या बताऊं मै राम जी से कि क्यों नहीं आ रही थी। वह राम जी को सब सच बताना चाहती थी। लेकिन कुछ बोल नहीं पाई और हाल-चाल पूछ कर बोली कि राम जी आप थके होंगे, पूरा दिन आप ऑफिस में बैठे रहे हैं, और बहुत देर से आप मेरा इंतजार भी कर रहे हैं। तो नींद आने लगी होगी सो जाइए सुबह बात करेंगे, क्योंकि मुझे भी नींद आ रही है काम बहुत था, थक गई हूं। राम जी इन सब से अनजान थे बोले ठीक है, जान सो जाओ सुबह बात किया जाएगा। उन्हें क्या मालूम था कि यह मुझे सुला कर मेरे खिलाफ साजिश की जा रही है,, मुझे बर्बाद करने की। उन्हें कुछ भी नहीं पता था क्योंकि उन्होंने तो सच्चे दिल से सोमा से मोहब्बत की थी । और इस बार उन्हें यकीन हो गया था कि अब यह मुझे छोड़कर नहीं जाएगी। लेकिन फिर सोमा वही गुनाह करने जा रही थी। लेकिन इस बात का उन्हें जरा सा भी अंदाजा नहीं था । गुड नाईट आई लव यू जानू , बोलकर राम जी सो गए। लेकिन सोमा को नींद नहीं आ रही थी, क्योंकि उसे अपनी बसी-बसाई दुनिया में आग जो लगानी थी। उसे खुद ही बर्बाद होने का प्लान जो बनाना था। रो-रोकर सोमा सो गई सुबह उठकर उसने गुड मॉर्निंग नहीं बोला, बहुत देर तक इंतजार करने के बाद राम जी ने खुद ही मॉर्निंग विश किया क्योंकि हर रोज तो सोमा की आंख खुलते ही सोमा का सबसे पहला काम होता था, राम जी को गुड मॉर्निंग बोलना। लेकिन आज सोमा ने राम जी को मॉर्निंग विश नहीं किया। राम जी को खुद ही करना पड़ा। सोमा पूरा दिन बिजी हूं, यह काम है, वह काम है, अभी बात नहीं कर सकती। अभी मा है, पापा है, कोई आया है, यह बोलकर बहाने बनाती रही लेकिन बात नहीं की ।
शाम को जब सोमा ने फोन किया भी तो उसके बात करने का लहजा एकदम बदला बदला सा था।
सोमा हर बात में राम जी से गुस्सा करने लगती, रामजी की हर बात का उल्टा जवाब देती।
राम जी को शक हो गया था कि जरूर कोई बात है।उन्होंने पूछा कि सोमा क्या बात है, तुम आज बदली- बदली सी क्यों लग रही हो?
और इतना गुस्सा क्यों कर रही हो?
क्या बात है कुछ हुआ है क्या?
किसी ने कुछ कहा है, अगर कोई बात है तो प्लीज बताओ मुझे। इस तरह से नाराज नहीं हुआ करते।
जान क्यों परेशान हो बताओ ना।
किससे नाराज हो मुझसे नाराज हो क्या? मैंने कुछ कहा है क्या ? अगर मुझसे कोई नाराजगी है तो बताओ?
बस फिर क्या था सोमा तो बस बहाने ढूंढ ही रही थी, कि किसी ना किसी तरह से बातें बता कर समझा दूं। कि कैसे भी करके राम जी से वो बात करना बंद कर दे। पहले उसे समझ में ही नहीं आ रहा था, कि कैसे शुरू करें। लेकिन जब राम जी ने खुद ही पूछा तो बस सोमा को मौका मिल गया, और ओ राम जी पर भड़क गई ।और भड़की हुई आग की तरह रामजी पर बरस पड़ी।
सोमा बोली मुझसे नहीं हो पाएगी बातें, परेशान हो गई हूं मैं। हर टाइम मैसेज का इंतजार रहता है आपको, मैसेज के लिए टाइम निकालो, फोन के लिए टाइम निकालो, इधर लोगों के ताने अलग से। कोई कुछ कहता, कोई कुछ कहता, कुछ नहीं हो पा रहा है मुझसे। मैं बात नहीं कर सकती हूं आपसे। और कल मैं बात कर रही थी तो मेरी मां बहुत गुस्सा हो रही थी ।
मेरी छोटी बहन कह रही थी, कि माँ बोल रही थी कि तुम्हारी दीदी तो हमेशा फोन पर ही लगी रहती है। उसे दूसरा कोई काम ही नहीं है, जब देखो तब बात करती रहती है। पता नहीं किससे, पता नहीं कितनी बातें करती है। मेरी छोटी बहन ने मुझे सब बताया है ।
और मां की ये कड़वी बातें मुझे बर्दाश्त नहीं हो रही है। मुझे नहीं पसंद है कि कोई मुझ पर उंगली उठाए। कि यह कुछ ऐसा वैसा काम करती है। इसीलिए मेरा फैसला है यह कि मैं आपसे बात नहीं करूंगी। और प्लीज मुझे अकेला छोड़ दीजिए। मेरे पीछे आप अपना टाइम बर्बाद मत कीजिए,मैं बात नहीं कर पाऊंगी। आज से पहले मेरी मां ने मुझे कभी कुछ नहीं कहा। मेरे मुंह पर कहने की तो बात ही अलग है, माँ ने कभी पीठ पीछे भी कुछ नहीं कहा कि कुछ ऐसा वैसा काम करती है। उन्हें मुझ पर पूरा भरोसा था, लेकिन आज उन्हें मुझ पर शक हुआ तभी तो उन्होंने ऐसी बात बोली, कि दिन भर फोन पर लगी रहती है, हमेशा बात करती रहती है। मेरी छोटी बहन झूठ नहीं बोलेगी। इसलिए राम जी प्लीज मुझे माफ कीजिए, जो कुछ भी मैंने आपसे कहा, जितनी भी बात की है इन सब चीजों के लिए मैं आपसे माफी मांगती हूं। और अगर हो सके तो मुझे माफ कर देना। sorry।
( आगे की स्टोरी भाग 13 में )