Lara - 11 in Hindi Fiction Stories by रामानुज दरिया books and stories PDF | लारा - 11 - (एक प्रेम कहानी )

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लारा - 11 - (एक प्रेम कहानी )

(लारा भाग 11 )
अक्टूबर के भी 15 दिन बीत चुके थे।
एक दिन सोमा राम से शाम को छत पर बात कर रही थी जो की उसकी रोज की आदत बन चुकी थी, घूम घूम कर बात करना। सोमा बात कर ही रही थी कि उसकी छोटी बहन उसके पास आकर बोली कि दीदी जल्दी से नीचे चलो माँ बहुत गुस्सा हो रही हैं।
अभी आपको बहुत डांट पड़ेगी कबसे बात कर रही हो।
सोमा राम जी बोली कि जान अभी आ रहे है माँ बुला रही हैं देखे क्या कह रही हैं। सोमा जल्दी से फोन रख कर नीचे आई। और माँ से पूँछा क्या हुआ तो माँ बोली किससे बात कर रही थी, तो सोमा बोली माँ मेरी दोस्त का फोन था कई दिनों बाद फोन की थी। तो टाइम लग गया बात करने में।
सोमा के इतना बोलते ही उसकी बहन जो सोमा से छोटी है, उसने तुरंत कहा कि तुम झूठ क्यों बोल रही हो। मुझे पता है कि तुम राम जी से बात करती हो, और अभी तुम उन्हीं से बात करके आ रही हो। इतना सुनते ही सोमा के पैरों तले तो जमीन ही खिसक गयी कि अरे इसे कैसे पता चल गया, हम तो हर किसी की नजरों से अपनी जान को छिपा के रखे थे, कभी किसी से उनके बारे में कोई जिक्र भी नहीं किया फिर भी इसे कैसे पता चल गया। लेकिन राम के बारे में जानना उसकी बहन के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी, क्योंकि राम जी उनके रिलेशन के थे। और राम के मैसेज करने पर मैसेनजर और व्हाट्सएप पर राम की प्रोफाइल फोटो भी दिखाई देती थी क्योंकि तब सोमा ने प्रायवेसी नहीं लगा रखा था इसलिए उसकी बहन को सब पता था कि पक्का ये राम जी से ही बात करती है। और 24 के 24 घंटे जिसके साथ रहते हों उसकी नजरों से बचाकर दिन रात कोई काम करते रहना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है, कैसे भी करके तो उसे पता चल ही जाना है।
बस फिर क्या था उसकी बहन की इतनी बातें सुनकर सोमा की माँ उसपर भड़क गयी, और सोमा को बहुत कुछ उल्टा सीधा सुनाने लगी, बोली कि तुम इतनी गिर गई कि तुम्हें अपने रिश्ते का भी लिहाज नहीं रहा कि वो कौन है, क्या हैं, किसके हैं, उम्र क्या है, कुछ भी नही सोचा इतना अंधी हो चुकी हो। जब सबको पता चलेगा तब क्या होगा? सोमा बोली कि नहीं माँ ऐसी कोई बात नहीं है, पहले राम जी से फेसबुक पर कभी कभार बात हो जाया करती थी पर अब नहीं होती है, बिल्कुल भी बात नहीं होती है मां। इतना सुनते ही माँ सोमा का हाथ पकड़ कर अपने सिर पर रख कर बोली की ठीक है मेरी कसम खा कर बोल की तु जो कह रही है वही सच है। बोल कि तुम्हारी कसम माँ राम जी से मेरा कोई लेना देना नहीं है, राम जी के लिए मेरे मन में ऐसा कोई ख्याल नहीं है। सोमा क्या करती वो चुप चाप माँ को देख रही थी कि क्या बोलूँ, क्यों की सोमा ना तो प्यार के लिए माँ को कसम खा कर मार सकती, और ना ही माँ के लिए प्यार को रुसवा कर सकती थी। सोमा तो दो कश्ती के बीच खड़ी थी एक किनारे उसकी मां थी जिसने जिंदगी दी थी, और दूसरे किनारे उसका सच्चा प्यार था जिसने मां की दी हुई जिंदगी को जीना सिखाया था। वह किसी एक को ही ना चुन सकती थी और ना ही छोड़ सकती थी। और मां यही बोलती रही कि तुम्हें मां चाहिए या तुम्हारा प्यार। सोमा के थोड़ी देर कुछ ना बोलने पर मां बोली कि ठीक है अगर ऐसी बात नहीं है तो ठीक है । लेकिन अगर यह बात जरा सा भी सच है कि तुम राम से बात करती हो, कोई फीलिंग है भी तो छोड़ दो उसे। तुम्हें मेरी कसम है और अगर तुम उसे नहीं छोड़ती तो तुम मेरा मरा हुआ मुंह देखो। फैसला तुम्हें करना है। अब सोमा क्या करती वो तो वैसे ही बिना जान के जिस्म हो गई थी, इतना सुनते ही कि तुम राम को छोड़ दो।
मां के सिर से हाथ हटाकर सोमा रोती हुई छत पर वापस चली गई, अब तो कुछ बचा ही नहीं उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या करे, क्योंकि राम के बिना जीना तो पॉसिबल ही नहीं था। राम ही उसका सब कुछ है और आज राम को ही छोड़ देने को बोला जा रहा है। भला कोई जिस्म बिना जान के कैसे जीवित रह सकता है। राम के जैसा प्यार करने वाला इंसान मिलना सोमा के लिए नामुमकिन था।
और मां को भी नहीं गवां सकती थी क्योंकि मां से सिर्फ सोमा की ही नहीं और बहुत सी जिंदगीयां जुड़ी हुई थी। कैसे और क्या करे, यही सोंच कर सोमा फफक फफक कर रो रही थी। कि उसकी छोटी बहन उसके पास गयी, और समझाने लगी कि दीदी रोवो मत और राम जी को छोड़ दो, नहीं तो जिस दिन उनके रिलेशन के लोगों को पता चलेगा उस दिन कहीं मुंह दिखाने के लायक नहीं रहोगी। बहुत बदनामी होगी और अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, अभी आपकी मोहब्बत इतनी भी गहरी नहीं है कि आप छोड़ नहीं सकती हो। और वैसे भी आप दोनों तो बहुत स्ट्रांग हो समझदार हो। सब समझते हो और सब संभाल भी सकते हो, आप ही सोचो जिस दिन उनके ही फैमिली को पता चलेगा उस दिन क्या जवाब दोगी कि तुम्हें दुनियाँ में कोई और नहीं मिला था। जब दुनियाँ इन सब के बारे में आपसे सवाल करेगी तो क्या जवाब दोगी। माँ- पापा आप के उपर आँख बंद करके भरोसा करते हैं,सोचो उन पर उस दिन क्या बीतेगी जब उन्हें इस सच का पता चलेगा।आप से हर किसी का बिस्वास उठ जायेगा।आप कहीं की भी नहीं रह जाओगी।इसलिए दीदी मेरी मानो और राम जी को छोड़ दो अभी भी वक़्त है,आप उस चीज से बाहर निकल कर वापस आ सकती हो। उसकी बातें सोमा को अंदर ही अंदर छलनी करती हुई जा रही थी,क्युकी सोमा को पता था कि ये जो कह रही है सब सच है।लेकिन सोमा क्या कर सकती थी उसे हो गयी मोहब्बत राम जी से बन गए राम जी उसकी ज़िंदगी।छोटी इतना कुछ समझा कर तो चली गई लेकिन उसे क्या पता था कि हम एक दूसरे की जिंदगी बन चुके हैं दो जिस्म एक जान हैं हम ।
(#लारा)
(भाग 12 में देखना दिलचस्प होगा कि क्या होगा सोमा का अगला कदम, क्या फैसला लेती है सोमा)