Kahani Pyar ki - 17 in Hindi Fiction Stories by Dr Mehta Mansi books and stories PDF | कहानी प्यार कि - 17

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कहानी प्यार कि - 17

किंजल और सौरभ दोनो ही नीचे अनिरूद्ध और संजना को ढूंढ रहे थे.. मेहमान तो सभी सोने के लिए चले गए थे.. और किंजल ने रागिनी जी को कह दिया था कि संजू भी आराम करने के लिए अपने कमरे में चली गई है.. दादी भी यही रुक गई थी .. और सो भी गई थी..

" यार ये सब गए कहा..? " सौरभ ने नीचे सब जगह देख लिया था पर कोई दिखे नहीं..

" मैने ऊपर भी कमरे में देख लिया वहा भी नहीं है " किंजल बोली

" अब तो मुझे लगता है दोनो साथ मे ही है कहीं और पक्का अनिरूद्ध ने सब सच बता दिया होगा " ..

" हा काश एसा ही हो.. अरे ! टेरेस पर तो देखा ही नहीं चलो.. वहा पर ही होंगे.. " किंजल बोली और वो दोनो भी टेरेस पर जाने लगे..

" भाई आप ने तो जरा सी भी भनक नहीं लगने दी कि आप सब जानते हो..."
संजना ने कहा तो मोहित और अनिरूद्ध एक दूसरे के सामने देखकर मुस्कुराने लगे..

" अरे ! ये क्या बात हुई .. आप दोनो एक टीम मे हो गए और मुझे अलग कर दिया ! " संजना जूठा गुस्सा बताती हुई बोली..

"संजू हम एक टीम हुए है तो किसके लिए ? तुम्हारे लिए ना ..! " मोहित संजना के सीर पर प्यार से हाथ फेरता हुआ बोला..

ये सुनकर संजना भी मुस्कुराने लगी..
" मे कितनी लकी हूं कि मुझे प्यार करने वाले इतने अच्छे भाई और .. "

" और क्या ? " अनिरूद्ध जट से बोला..

" और कुछ नहीं..." संजना तुरंत बोली.. ये सुनकर अनिरूद्ध का मुंह उतर गया.. पर मोहित को हसी आ गई..

" चलो ये सब छोड़ो भाई पहले आप बताइए कि अनिरूद्ध के बारे में आपको कैसे पता चला ? "

मोहित ने पहले अनिरूद्ध की तरफ देखा और फिर बताना शुरू किया..

" तुम्हारी सगाई से कुछ दिनों पहले तुम्हे याद है ओब्रॉय फार्मा इंडस्ट्री के साथ हमारी मीटिंग हुई थी और उसका प्रेजेंटेशन तुमने तैयार किया था.."

" हा .. और अनिरूद्ध .. ओह सोरी मि. धी अनिरूद्ध ओब्रॉय हमारे घर आए थे ये बताने के लिए कि वो प्रोजेक्ट हमे मिल गया है .. और हमारे प्रेजेंटेशन की तारीफ भी कर रहे थे .." संजना अनिरूद्ध के सामने देखकर बात पर थोड़ा वजन डालती हुई बोली..

" हा वहीं मीटिंग .." मोहित मुस्कुराता हुआ बोला..और अनिरूद्ध भी मुस्कुराता हुआ अपने सीर पर हाथ फेरने लगा..

" बहुत बढ़िया एक्टिंग कि थी तब आप दोनो ने मिलकर नहीं भाई..! " फिर से संजना अनिरूद्ध की तरफ देखकर बोली.. और ये सुनते ही मोहित और अनिरूद्ध दोनो एक दूसरे के सामने देखने लगे..

" क्या करते..हम .. एक्टिंग करनी पड़ी हमे... उस मीटिंग में अनिरूद्ध नहीं जानते थे कि में भी आने वाला हूं.. उनकी कंपनी मे .. "

" हा मुझे याद है ये बात मैंने अनिरूद्ध को नहीं बताई थी.. बताने वाली थी पर तब अनिरूद्ध का कोई कोल आ गया था और वो चला गया था और बादमें में ही भूल गई थी.."

" अच्छा हुआ तुम भूल गई थी .. अगर तुमने मुझे बता दिया होता तो आज हालात कुछ और होते.."
अनिरूद्ध ने फीकी मुस्कुराहट के साथ कहा..

" तब मीटिंग में जब अनिरूद्ध ओब्रॉय आए तो उन्हें देखकर मुझे इतना गुस्सा आया था पर उस वक्त मेरी हालत कुछ इस तरह थी की ना तो मे कुछ कर सकता था ना ही उनको कुछ पूछ सकता था.. "

" हा और मेरी हालत भी कुछ एसी ही थी मैंने सोचा नहीं था कि मेरी असलियत एसे मोहित के सामने आएगी.. मे उस वक्त उनसे आंखे भी नहीं मिला पा रहा था.. "

" हा फिर मीटिंग के बाद मे तो गुस्से में कंपनी मे से जाने लगा.. और अनिरूद्ध मुझे समझाने मेरे पीछे आ रहे थे.."

" हा मोहित को इतने गुस्से में मैंने कभी नहीं देखा था.. रुक ही नहीं रहे थे .. ना ही मेरी बात सुन रहे थे .."

" और जब मे पार्किंग में पहुंचा तो अनिरूद्ध ने वहा आके मेरा हाथ पकड़ लिया और तुम्हारी कसम दे दी .. मुझे रोकने के लिए"

" हा तब जाके वो रुके और मैंने उनको सारी बात बताई .. "

" फिर क्या मुझे तो उनकी बात माननी ही थी .. जब प्यार सच्चा हो तो उसमे सच्चाई नजर आ ही जाती है और तब से ये सब ड्रामा करना पड़ रहा था " मोहित जैसे ही बोला पीछे से किंजल और सौरभ आ गए..

" कैसा ड्रामा भाई ..? " किंजल के बोलते ही संजना मोहित और अनिरूद्ध तीनो उन दोनों कि तरफ मुड़े..

" मे तुम्हे बताती हूं किंजल कि यहां कितना बड़ा ड्रामा हो रहा था.. " संजना किंजल के पास आती हुई बोली..

" हा बता... "

" ये देख अनिरूद्ध ..."

" हा ये तो मुझे मालूम है पर भाई किस ड्रामे के बात कर रहे है ? " किंजल ने अनिरूद्ध पर ज्यादा गोर नहीं किया...

" क्या तूझे सब मालूम है .. ! "

" हा ...."

" अनिरूद्ध के बारे में भी..."

" हा....."

ये सुनते ही संजना अनिरूद्ध को घूरने लगी और अनिरूद्ध फिर ये देखकर सीर जूकाकर खड़ा हो गया..

" बता ना ये भाई किस ड्रामे कि बात कर रहे है ? "
" यहां आ तूझे सब बताती हूं.." संजना किंजल का कान खिंचते हुए बोली...

" आऊ दुख रहा है संजू... क्या कर रही हो ! "

" तुझे बता रही हूं.. तू सब जानती थी फिर भी तूने मुझे कुछ कहा नहीं..! सब जानते है सिर्फ मेरे अलावा ! भाई भी .. और अब तुम भी ...? " संजना अभी भी किंजल का कान खिंचते हुए बोल रही थी ।

" क्या भाई भी जानते थे ? "

" क्यू तूझे नहीं पता था क्या ? ड्रामेबाज़ कही कि "

" नहीं मुझे सच मे पता नही था.."

" हा संजू किंजल नहीं जानती थी कि में भी इस सब में शामिल हूं " मोहित के इतना कहने से संजना ने किंजल के कान छोड़ दिए..

" किंजल को कल ही पता चला है .. मैंने कल रात कार्ड तुम्हारे कमरे के बार रखा था और तुम्हे टेरेस पर बुलाया था ताकि मे तुम्हे सब सच बता सकू पर कार्ड किंजल ने ले लिया और तुम्हारी जगह वो टेरेस पर आ गई ..." अनिरूद्ध ने संजना को सब एक्सप्लेन किया ।

" ये सब तो ठीक है पर भाई ने तो हमे भनक भी नहीं लगने दी कि वो ये सब जानते थे .." किंजल अभी भी सरप्राइज़ थी..

" छुपाने मे माहिर हूं वो चाहे बात हो या फिर जज़्बात .. " मोहित फीकी हसी के साथ बोला..

" क्या मै कुछ समझी नहीं " किंजल को कुछ समझ नहीं आया पर संजना और अनिरूद्ध दोनो को ही मोहित कि ये बात अजीब लगीं थीं और इस बात के पीछे का सूनापन भी महसूस किया था..

दोनो ही एक दूसरे के सामने देखने लगे...

" अरे कुछ भी नहीं.. एसा तो मैंने और भी बहुत कुछ किया है जिसके बारे में तुम लोगो को कुछ पता ही नहीं है .."

" एसा क्या किया है भाई आपने ..? " संजना मोहित कि आंखो मे देखती हुई बोली..

"मंदिर में पूजा मे रखने वाले कार्ड्स जानबूझ कर गिराने ताकि अनिरूद्ध का हाथ कार्ड पर लग सके जिस कार्ड मे संजना और अनिरूद्ध का नाम लिखा था.. तेरी मेहंदी मे अनिरूद्ध का नाम लिखवाना .. और एसी स्पेशल मेहंदी मंगवाना जिसका रंग पानी से धोने से और भी निखर के आता है... "

" ओह माई गॉड ...! " किंजल के मुंह से निकल गया..

संजना कि आंखे नम हो गई थी.. उसने मोहित को गले लगा लिया...
" थैंक यू भाई ..."
मोहित ने प्यार से संजना के माथे पर हाथ फेरा..

" अरे ! सिर्फ भाई को थैंक यू ..! मैंने जो तुम दोनो को एक दूसरे के हाथो से हल्दी लगवाई उसका क्या ? "

" मुझे लगा ही ये तेरा ही आइडिया होगा.. क्योंकि इतने बकवास आइडिया तुम्हारे पास ही होते है .." संजना थोड़ी मस्ती करती हुई बोली।

" क्या ..! जा तेरे से तो बात ही नहीं करनी ..." किंजल मुंह फुलाकर पीछे मुड़ कर खड़ी हो गई..

" ओह... सोरी .. मेरी गुड़िया... थैंक यू... थैंक यू सो मच किनजू .." संजना किंजल को गले लगाती हुई बोली...

सब इनको देखकर मुस्कुरा रहे थे...

" और एक थैंक यू सौरभ तुम्हे... थैंक यू हमारे लिए इतना करने के लिए.. मे जब नहीं थी अनिरूद्ध के पास .. तब उसका साथ देने के लिए.. " संजना सौरभ के पास आती हुई बोली..

" थैंक यू कि कोई बात नहीं है संजना ये तो मेरा फर्ज था .." सौरभ भी स्माइल करते हुए बोला..

फिर अनिरूद्ध और मोहित ने सब बात संजना को बताई.. अनिरूद्ध और मोहित ने अगले दिन का प्लान सब को समझाया..

" हम इस मिशन का नाम रखेंगे .. ' मिशन बेंड बाजा बारात ' क्या कहते है आप लोग इस बारे में..?." सौरभ प्लान सुनने के बाद तुरंत बोला..

ये सुनकर सब सौरभ को घूरने लगे...
" नहीं अच्छा लगा .. तो कोई बात नहीं कुछ और रख देते है .." सौरभ ने सब के रिएक्शन देखकर कहा

ये सुनते ही सब हसने लगे...
" हम तैयार है मिशन बेंड बाजा बारात को उसके अंजाम तक ले जाने के लिए .." सब साथ मिलकर बोले...
और ये सुनते ही सौरभ भी खुश हो गया..

" कल हमारे लिए बहुत बड़ा दिन है .. सब जैसा डिसाइड किया है वैसे ही करेंगे और कोई भी प्रॉब्लम हो तो तुरंत मुझे या फिर मोहित को बताएंगे ..." अनिरूद्ध सब को समझाते हुए बोला..

" यस बॉस ...! " सौरभ और किंजल साथ मे बोले ...

" चलिए अब सब सो जाते है .. बहुत रात हो चुकी है .. कल हमारे लिए बहुत बड़ा दिन है .. इसीलिए थोड़ी नींद भी जरूरी है " मोहित ने घड़ी देखते हुए कहा..

मोहित के साथ संजना भी नीचे जाने लगी ..सौरभ को भी नींद आ रही थी वो भी जाने लगा.. किंजल जैसे ही जा रही थी अनिरूद्ध ने उसे रोक लिया...

" रुको तुम कहा जा रही हो " अनिरूद्ध किंजल का हाथ खिंचता हुए बोला..

" अरे अब क्या है ? "

" मुझे संजना से मिलना है ..."

" पर अभी तुम मिले तो सही ..."

" इसे मिलना कहते है क्या ..! इतने महीनों बाद हम मिले है और में उसे ठीक से गले भी नहीं लगा पाया .. और नाही प्यार से कुछ बात कर पाया"

" तो तुम्हे किसने मना किया था ..? "

" किसीने नहीं पर मोहित के सामने कैसे ..? "

" ओह....! "

" हा ..तुम कुछ करो ना मुझे संजना से मिलना है .."

" अभी ...? "

" हा अभी ही मिलना है ..."

" तो जाओ ना उसके कमरे में ही होंगी ..."

" क्या कुछ भी कह रही हो ..! मोहित उसके पास वाले कमरे में ही है .. और अभी वो सोए भी नहीं होगें .. तो कैसे जाऊ में ? "

" अच्छा रुक कुछ करती हूं मे ..."


🥰 क्रमशः 🥰