The Author vishvnath yadav Follow Current Read बात बिगड़ी है कुछ इस तरह - 2 By vishvnath yadav Hindi Love Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books નિતુ - પ્રકરણ 51 નિતુ : ૫૧ (ધ ગેમ ઇજ ઓન) નિતુ અને કરુણા બીજા દિવસથી જાણે કશું... હું અને મારા અહસાસ - 108 બ્રહ્માંડના હૃદયમાંથી નફરતને નાબૂદ કરતા રહો. ચાલો પ્રેમની જ્... પ્રેમ થાય કે કરાય? ભાગ - 20 પ્રેમડાબે હાથે પહેરેલી સ્માર્ટવોચમાં રહેલા ફીચર એકપછી એક માન... સમસ્યા અને સમાધાન ઘણા સમય પહેલા એક મહાન સિદ્ધપુરુષ હિમાલયની પહાડીઓમાં ખુબ... ભારતીય સિનેમાનાં અમૂલ્ય રત્ન - 3 નંદા : હંમેશા ગુમનામ જ રહી જ્યારે પણ હિન્દી સિનેમાની અભિનેત્... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Novel by vishvnath yadav in Hindi Love Stories Total Episodes : 6 Share बात बिगड़ी है कुछ इस तरह - 2 (2) 2k 4.1k उसके बाद सब लोग शादी में मगन थे । मंडप में शादी का रस्म चल रही थी। और मैं एक कोने में एक कुर्सी पे बैठ के उसका इंतजार कर रहा था और घर के गेट को में बार बार देख रहा था दो से तीन घंटा इंतजार करने के बाद करीब 3 बजे वो मंडप के तरफ आते दिखी । उसको देखते ही समझो मैं ख्वाबों में खो सा गया उसे ही देखते रह गया । उसके बड़ी बड़ी सी आंखे उसके काले सुनहरे बाल। एकदम हुसन के पारी जैसी दिख रही थी। बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। उसे देखते ही मैं सपनो में खो गया था। और मन ही मन में सोच रहा था इसी के लिए में अब तक सिंगल था। और ये भी सोच लिया था अब अपनी पूरी जिंदगी इसके साथ ही बिताना है। वो जो बोलता हैं ना Love at first sight बस वही मेरे साथ होगया था। इतने में उसकी नजर मेरे पे पारी तो वो थोरी सी मुस्कुराई और फिर घर के तरफ चल गई । अब मुझे उसे बात करने का मन कर रहा था। कैसे करू कैसे करू सोचते सोचते मैने उसके नंबर पे कॉल किया कोई नही कॉल उठाया फिर मैने मैसेज किया उसका भी कोई जवाब नही आया । फिर मेरे से रहा नही गया तो मैने पानी पीने के बहाने उसके घर के तरफ जाने लगा 10 से 15 कदम जाने के बाद ही देखा की वो गेट के सीढ़ी पे बैठी थी एक बच्चा को लेके। फिर मैने पीछे से ही उसे देख रहा था फिर उसकी नजर जैसे ही मुझ पे पारी तो वो हंसते हुए घर के अंदर जाने लगी इतने में मैंने उसके गोद से बच्चा को ले लिया और फिर मंडप के पास जाके बैठ गए, कुछ देर बात मुझेे मालूम हुआ वो बच्चा उसका भाई है वो भी मस्त था लग रहा था जैसे मुझे जनता है मेरे साथ खेलने लगा थोड़ा भी नही रोया । करीब एक घंटा बाद वो फिर मंडप के पास आई और चुप चाप से बैठ के शादी देख रही थी और कभी कभी मुझे देख रही थी । फिर सुबह हो गई और तब तक शादी भी खत्म होगई और दुल्हन के बिदागरीर का समय होगया था । लेकिन उस समय भी मैं यही सोच रहा था अब इसके बाद कब मिलुगा उस से पता नही। उसके बाद जब दुल्हन को लेके सब गाड़ी में बैठने जा रहे थे तभी फिर मैं उसको देखा। सबलोग रो रहे थे वो भी थोरी थोरी रो रही थी। उसके बाद हमलोग सब घर आगाये आने के बाद भी में उसके बारे में ही सोच रहा था और अपना मोबाइल बार बार देख रहा था उसका कोई कॉल या मैसेज तो नही आया। ऐसे ही करते करते 3 तीन बीत गया और कोई कॉल या मैसेज नही आया था। चौथे दिन के रात को करीब 10 बजे मेरे नंबर पे कॉल आता है और मेरे भाभी ने कॉल रिसीव कर लिए तो मेरे भाभी पूछने लगे अंजली से तुम इस नंबर पे कॉल की तुमको कैसे पता की विकेश का मोबाइल मेरे पास है तो वो थोड़ा घबरा गई और फिर बोली मम्मी आप से बात करेगी इसीलिए मैंने कॉल किया विकेश जी के नंबर पे। भाभी बोले ठीक है। वोलोग जब बात कर लिए तो मैने भाभी से मोबाइल लिया । और फिर अपने छत पे चला गया और तुरंत उसको मैसेज किया । और उसका जवाब का इंतजार करने लगा 5 मिनट के अंदर उसका जवाब आगया। उस दिन पहली बार हमदोनो ने पूरी रात मैसेज पे बात किया। वो पल मेरे लिए बहुत खुशी का पल था सुबह का 5 बज गया फिर भी हमलोग का बाते खत्म नही हो रही थी 😊😊🤗 ‹ Previous Chapterबात बिगड़ी है कुछ इस तरह - 1 › Next Chapter बात बिगड़ी है कुछ इस तरह - 3 Download Our App