The Author Anand Tripathi Follow Current Read गुजर गया वो By Anand Tripathi Hindi Motivational Stories Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books ஒரு தேவதை பார்க்கும் நேரம் இது - 38 விஷால், அனன்யா ஹனிமூன் plan பண்ணியிருந்தனர். ஆனால் இப்போது ப... ஒரு தேவதை பார்க்கும் நேரம் இது - 37 இன்னும் ஒரு வாரத்தில் அனன்யா வரபோகிறாள் என்ற செய்தி கேட்டு ம... ஒரு தேவதை பார்க்கும் நேரம் இது - 36 விஷாலும் சுபாவும் பெங்களூர் போக தயார் ஆயினர். வீடு ரெடி ஆகி... ஒரு தேவதை பார்க்கும் நேரம் இது - 35 சொல்லுங்க ரேவந்த் ம்ம் அனன்யா உங்ககிட்ட எல்லாமே சொல்லி இருப்... ஒரு தேவதை பார்க்கும் நேரம் இது - 34 விஷால் புதிய கார் ஒன்றை வாங்கியிருந்தான். அனன்யா மிகுந்த மகி... Categories Short Stories Spiritual Stories Fiction Stories Motivational Stories Classic Stories Children Stories Comedy stories Magazine Poems Travel stories Women Focused Drama Love Stories Detective stories Moral Stories Adventure Stories Human Science Philosophy Health Biography Cooking Recipe Letter Horror Stories Film Reviews Mythological Stories Book Reviews Thriller Science-Fiction Business Sports Animals Astrology Science Anything Crime Stories Share गुजर गया वो 1.4k 3.8k जमाने में कुछ शाम जमाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। मतलब कुछ करना पड़ता है वो गलत है या सही है ये उस शाम में कुछ पल बैठने पर पता चलता है। लेकिन पछतावा नहीं होता है। की वो शाम गुजर गई अगर वो एक बार आ जाती तो मैं कुछ कर पाता। गुजरना बहुत भयभीत कर देता चाहे वो आदमी हो या कोई दिली ख्वाहिश ख्वाब ,समय और भी बहुत कुछ। हम सब की लाइफ में हर चीज गुजर ही तो रही है। उम्र हो या जवानी या हो कोई गाना या कोई कहानी। बस चल रही है। हम उसे कितना जीते हैं ये एक निर्भरता का विषय है। मैं देखता हूं की समय जिस पर संपूर्ण श्रष्टि का जीविकोपार्जन है वो भाग रहा है गुजर रहा है। लेकिन कुछ लोग इसके विपरीत वही रुके है उनको खबर भी नहीं है की चल क्या रहा है। कहानी इस श्रृष्टि की इतनी सी है की हम दंग रह जाते है और पछतावा होता है सिर्फ इतना कहते देखो ना "गुजर गया वो ! प्रत्येक वस्तु विषय ,काम की अपनी मर्यादा और समय सीमा है। उस मानक या मानदंड को पार करना ही उदंडता है। परंतु सफलता के विषय में या कोई अंक प्राप्त करते समय में इसको विधा के बिलकुल विपरीत जाना होगा तब वह संपूर्ण और ओजस्वी लगेगा। अपितु सब कुछ व्यर्थ है। धर्म एक मध्यम हो सकता है जीवन का परंतु वो आधार बन जाए यह भी गलत होगा। हम चल रहे रास्ता गुजर गया,कोई रोता है रो ले। परंतु व्यक्ति या व्यक्ति विशेष गुजर गया। गुजरने में कोई नीरसता नही है वह तो बहुत स्फूर्ति भरा कार्य है। परीक्षा खत्म होने के बाद सोचना की कुछ पढ़ा लेता या कुछ पढ़ लेता परंतु मुड़ के देखा तो समय तो गया। जो गुजर रहा है उसके साथ हो लेना वह उचित है। आज मैंने एक वाहन को तेज़ी से गुजरते देखा। लेकिन उसकी रफ्तार इतनी प्रबल थी की साथ चलने वाले लोग तो मारे गए लेकिन उसके साथ सड़क पर चलते लोग भी तबाह हो गए। एक चुटकी में सब गायब हो जाता है। और हम सब देखते रह जाते है। सोचते हैं जब गुजर ही जाना था। तो ये सब क्या दर्शन लेस मात्र के लिए बनाया था। किसी क्षण का परिणाम क्या है हम को क्या पता ? इंसान को सब पता चल गया है बाकी इतना है समय उनके हिसाब से हो जाए। और समस्या का पता समय से पहले मिल जाए। परंतु यह संभवतः हो नही सकता है। कौन है जो ट्रेन गुजरने के बाद पकड़ता है। कोई है। कोई नही। गुजर गया वो कौन है। ( जो कभी हाथ नही आया ) वक्त,जीवन,मौका,प्रेम,मौन, और बहुत कुछ। शब्द बोलने के बाद गुजर गए। तो अब वे वापस थोड़ी आ सकते है परंतु उनके गुजरने से पहले इतना वक्त था की काश हम उन्हे कुछ पल को ही सही पर संभाल लेते। कितनी बड़ी विडंबना है की हम गिरने के बाद उठकर कपड़े से धूल तक हटाते और बेहतर करना हुआ तो उसको निरमा से भी धोते है। ताकि उसमे कोई गिरने की बात न रहे। निदान सिर्फ इतना सा है की हमको उसे गुजरने से पहले प्रयोग में लाना होगा। तभी वह सार्थक होगा। अन्यथा तो सब गुजर रहा है गुजर जाएगा। श्रृष्टि कोई अगोचर थोड़ी है। वह भी एक दिन नष्ट होगी। इस ओर से उस ओर हो जायेगी। अभी कोई था (कहा गया और कुछ पल में वो तो गया। नही दोस्त वो मेरे कुछ पैसे उधार था। मुझे भी उससे कुछ बाते करनी थी लेकिन वो तो गया। क्या गुजर गया वो ! Download Our App