Mahila Purusho me takraav kyo ? - 16 in Hindi Human Science by Captain Dharnidhar books and stories PDF | महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 16 - कजरी की कहानी 02

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महिला पुरूषों मे टकराव क्यों ? - 16 - कजरी की कहानी 02

केतकी की मा संतोष.. कजरी की बातें सुन कर इमोशनल हो रही थी .. उसी समय कजरी मा ने कजरी की पोल खोल दी ..कजरी चुलबुली है यह सब जानते थे किंतु कजरी का यह नया रूप संतोष की समझ से बाहर था .. कजरी रोने की एक्टिंग कर रही थी किन्तु उसकी मम्मी ने पोल खोल दी ..अपनी पोल खुल जाने पर ..केतकी आगे पीछे झुक झुक कर हंसने लगी ..उसे हंसता देख संतोष ने उसकी पीठ पर हथेली से पीटते हुए कहा ..छोरी तुझे मैं ही मिली ..उसी समय बाहर से फिर से आवाजें आने लगी ..अबकी बार लोगों की आवाजे बड़े शोर में बदल गयी थी ..ठीक से समझ नही आ रहा था कि कौन क्या बोल रहा है ?
कजरी की मा तरंत बाहर आई ..उसके पीछे पीछे संतोष उसके पीछे पीछे कजरी भी आ गयी ..चारों तरफ नजर घुमाकर देखने लगी ...वहां पास की गली से आवाज़े चीखने चिल्लाने की आ रही थी.. इतने में ही कजरी जोर से चीखी...सामने बाउंड्रीवाल पर बंदर खड़ा कजरी को घूर रहा था ..बंदर अपने होठों को गोल करके ..कभी आगे की तरफ लपकने की पोजीशन करता तो ..कभी अपने हाथों पर ऊपर नीचे झुक कर दांत निकालकर डरा रहा था ..कजरी का उस समय बुरा हाल था .. डर से चेहरे का रंग उड़ गया था ..समझ नही आ रहा था वह क्या करे.. उसकी सोचने समझने की शक्ति खत्म हो गयी थी ..वह थर थर कांप रही थी ..इतने में ही किसी ने बंदर की गर्दन को पीछे से पकड़कर उठा लिया ..बंदर ची..ची करने लगा .. बंदर खुद को छुड़ाने की वजाय उसके हाथों मे लटक रहा था ..उस बंदर को पकड़ने वाला कोई ओर नही था केतकी का पति अभय था .. अभय मुस्कुराते हुए बंदर को दूर ले गया और एक पेड़ के पास छोड़ दिया .. बंदर डर से भाग कर उस पेड़ पर चढ़ गया ..बंदर अभय को देखकर अलग तरह की आवाज निकाल रहा था और अभय को एक टक देखे जा रहा था ..
जिस स्थान पर अभय ने बंदर को पकड़ा था वहां पर बंदर की डर से सूसू पोटी निकल गयी थी ..अभय ने सबका डर दूर कर दिया था.. संतोष केतकी की मा अपने जवांई को देखकर भौचकी रह गयी .. सिर्फ मुंह से यही निकला ..आप तो ठीक हो ना ? संतोष ने अपनी आंखे बंद करते हुए गहरी सांस लेकर छोड़ी ..शुक्र है आप टाइम पर आगये ..
अब कजरी नोर्मल हो गयी थी उसे जैसे ही पता चला कि ये केतकी के हसबैंड है ..वह मुस्कुराती हुई बोली आइए आइए जीजू आपका ही इंतजार हो रहा था ..
उधर टाटा सूमो से केतकी ..व उसका भाई उतरकर बाहर आ गये ..केतकी मुस्कुराती हुई गेट के अंदर आयी वहां खड़ी अपनी मा से गले मिली ..फिर कजरी की मा से गले मिली ..सबके बाद कजरी से मिली ..कजरी बोली बहुत इंजार करवाया .. दोनो सहेलिया गले लिपटकर एक दूसरे को अपने हाथ से थपकी देने लगी
कजरी की मा बोली हो गया भरत मिलाप.. अब अंदर चलो.. केतकी ने कजरी की मा को देखा और बोली ..हां आंटी ..चलो चलो ...
केतकी के भाई का दोस्त केतकी के दो बैग उठाकर उन्हें लुडकाते हुए अंदर ले आया .. कजरी की मा खुद रसोई में संतोष के साथ चली गयी ..रसोई मे जाकर बोली ..पहले इन्हें पानी पिलाओ फिर चाय नास्ता देना.. अपना मुह केतकी की मा के पास ले जाकर धीरे बोली ..संतोष ! इनका तो एक्सीडेंट हुआ था न ? ..ऐसा लगता तो नही एक्सीडेंट हुआ था..देखा इन्होंने बंदर को कैसे पकड़ लिया था..पक्के फौजी है .. बात काटते हुए संतोष बोली.. तुम केतकी के पापा को फोन करो ..उन्हे बता दो ..केतकी आगयी है जल्दी से आ जायें ..
सभी ने चाय नास्ता किया ..अभय ने ड्राईवर को नास्ता करवाकर विदा कर दिया ..अभय ने अपने पापा को फोन करके कह दिया.. पापा हम पहुंच गये है..

रात हो गयी थी केतकी की सहेली अभय से बाते कर रही है .. कजरी बोली जीजू फौज मे बंदर पकड़ना भी सिखाते है क्या ? अभय बोला फौजी सब सीख जाता है .. आप बताये.. केतकी कह रही थी..मेरी बेस्ट फ्रेंड कजरी एनजीओ चलाती है .. कजरी दायें बायें झांकते हुए बोली ..अरे जीजू कुछ नही ऐसे ही महिलाओं को जागरूक करती हूँ .. अभय बोला.. सुना है आप तो जुडो कराते भी सिखाती हैं ..जीजू मैं नही ..ट्रेनर बुलवाते हैं .. कजरी समझ गयी यदि ,मै यह कह दूंगी कि, मैं भी ट्रेनिंग देती हूँ .. तो ..मेरा मजाक उड़ायेंगे ..कहेंगे बंदर से क्यों डर गयी ..यह सब मेरे बस मे नही है ..मुझे बंदर से डर लगता है ..मै क्या करूं .. कजरी सोच ही रही थी कि केतकी आगयी ..केतकी कजरी के पास ही बैठते हुए बोली .. क्या बात हो रही है जीजा साली में ..कजरी बोली ..क्यों ? बताना जरूरी है क्या ? अभय बोला ..केतकी तुम इनकी बहादुरी की बातें कहती थी ये तो ..बीच मे ही कजरी बोली ..मै बंदर से डर गयी थी इस लिए ये मेरी टांग खैच रहे हैं ..बात को पलटते हुए कजरी बोली ..आप बताओ आपकी जोड़ी तो परफेक्ट है न ? यह सुन अभय केतकी तरफ देखने लगा ...इतने मे केतकी के पापा आ गये ..अभय ने उन्हें प्रणाम किया ..उन्होनें अपने हाथों से आशीर्वाद दिया ..केतकी का पापा बोला भोजन हो गया ..अभय बोला हां पापा हो गया ..ठीक है आप बातें करो ..ऐसा कह वे बाहर चले गये .. कजरी ने फिर वही बात दोहराई ..आपकी गृहस्थी ठीक चल रही है ..?
दोनों ही मौन हो गये ..थोड़ी देर बाद अभय बोला हां ठीक चल रही है .. कजरी दोनों के चेहरों से भांप गयी ..मन ही मन सोच ने लगी कुछ तो गड़बड़ है .. इतने मे केतकी बोली ..सब कुछ ठीक नही चल रहा ..अभय के चेहरे का रंग उतर गया ..वह केतकी को देख रहा है और अचंभित भी है .. यह क्या कह रही है ..केतकी आगे बोली ..हमारे बीच अभी कोई संबंध नही बना है ..कजरी आश्चर्य से दोनों को देखने लगी .. मैने इनसे कुछ मांगा है इन्होने अभी मेरी मांग पूरी नहीं की ..अब अभय भी अपने आपको रोक नहीं पाया और बोलने लगा केतकी ! तुम शादी से पहले अपनी शर्त रखती तो शायद यह शादी नही होती ..अब तुम रिश्ता खराब कर रही हो ।
बीच मे ही कजरी बोल पड़ी ..रूको रूको तुम यूं उत्तेजित होकर बात मत करो ..अंकल सुन लेंगे ..मुझे बताओ क्या बात है ..