Exploring East India and Bhutan-Chapter- 14
नोवाँ दिन
दोपहर को हम हासीमारा पहुँच गये. ये एक छोटा सा कस्बा है, जो सिल्लीगुरी से140 km, नजदीकी हवाई अड्डे बागडोगरा से150 km, और अलीपुरद्वार रेलवे स्टेशन से45 km की दूरी पर बारोदाब्री गाँव में स्थित है. और मुझे यह जान कर बड़ी हेरानी हुई कि हासीमारा से तीन देशों की सीमा ज्यादा दुर नही है. यहां से बांग्लादेश बॉर्डर की दूरी 80km,भूटान बॉर्डर की 20 km,व् नेपाल बॉर्डर की 150km है.
Barodabri Malangi Lodge
हासीमारा से लगते गाँव बारोदाब्री में मालंगी लॉज स्थित है, इसकी बुकिंग हमने पहले से ही करवा रखी थी, क्योंकि इस लॉज की ओन-स्पॉट बुकिंग नही होती. इसे Barodabri Malangi lodge और Barodabri Nature रिसोर्ट के नाम से भी जाना जाता है.
मालंगी लॉज, ग्रुप व युगल परिवार के रहने के लिए शानदार जगह है. यहाँ सात Twin Double Bed वाले विशाल कमरे है, प्रत्येक कमरे का नाम एक नदी के नाम पर रखा गया है. रूम्स में सफाई का विशेष प्रबंध रखा जाता है, हाउस कीपिंग बढिया है, परन्तु फर्नीचर के स्तर में सुधार की आवश्यकता है. रूम्स में जरुरत की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं.
ब्रेकफास्ट की सुविधा रिसोर्ट में उपलब्ध है व् भोजन का स्तर उतम व् स्वादिष्ट है.
कस्टमर सर्विस अच्छी है. कार पार्किंग फ्री है.
शाम को हम रिसोर्ट के सामने वाली सड़क पर टहलने के लिए निकल लिए. सड़क के एक तरफ Chilapata जंगल लगता है, जोकि पश्चिम बंगाल राज्य के वन विभाग की संपत्ति है, और दुसरी तरफ टोरसा नदी है. लॉज से थोड़ी दूर चल कर सडक के किनारे से हो कर, बायी तरफ एक रास्ता एक आदिवासी बस्ती को जाता है. बस्ती में ज्यादातर कच्चे व् कुछ पक्के मकान बने हैं. यहाँ लगभग 200-300 आदिवासी परिवार रहते हैं, बस्ती में बच्चों के लिए एक स्कूल है व् पूजा पाठ के लिए मंदिर व् चर्च भी है. बस्ती में घुमने पर पता चला, विकास की महक बस्ती तक भी पहुँची है.
यहाँ हमने थोड़ा समय बस्ती के मुखिया व् स्थानीय लोगों के साथ गुजारा. विनीता जल्द ही उन आदिवासी महिलाओं के साथ घुलमिल गई. वह बड़ी उत्सुकता से आदिवासी महिलाओं से उनके परम्परागत पकवानो को बनाने की विधि सीख रही थी, साथ में उनके शादी विवाह में पहनने वाले वस्त्रों की फोटो ले रही थी, उनके बच्चो से बातचीत कर रही थी, कि वे स्कूल जाते है या नही. और यह जानकर वह हेरान थी कि यहाँ नेटवर्क पहुंचने, और मोबाइल की उपलब्धता होने के कारण, बच्चों का समान्य ज्ञान भी बहुत अच्छा था. मानसी बड़ी हेरानी से विनीता के इस नये रूप को देख रही थी, की कितनी सरलता से वह इन लोगों का हिस्सा बन गई थी, और उनका विश्वास जीत लिया था. अब मानसी जान गई थी, उसे इन लोगों से इतना प्यार क्यों मिल रहा है, वह जान गई थी कि, वस्तुत सरलता, निष्कपटता, भोलापन विनीता की प्रक्र्ती में ही था.
शाम ढल चुकी थी और रात ने अपने पाँव पसारने शुरू कर दिए थे, तो तय हुआ वापिस लॉज चला जाए और टोरसा नदी पर सुबह मोर्निंग वाक के लिए चलेंगे.
परन्तु टोरसा नदी पर जाना हमारे नसीब में नही थी, क्योंकि तभी Jaldapara Tourist Louge के मेनेजर की काल आ गई कि, हमे Jaldapara National park में हाथी राइड की कल सुबह की बुकिंग मिल रही है, जो सुबह 5.30 शुरू हो जाती है, बाकी अगले दो दिन हाथी बुक थे, और केवल जीप सफारी ही उपलब्ध थी. तो इसके लिए हमे रात को ही Jaldapara Tourist Louge पहुंचना था जहां हमारी पहले से बुकिंग थी.
और हम रात को ही Barodabri Malangi lodge से चेक आउट कर के, लॉज से 19km की दूरी पर मदारीहाट में ईस्टर्न हिमालय के फूटहिल्स पर टोरसा नदी के किनारे पर स्थित Jaldapara Tourist Louge के लिए निकल लिए, सफ़र मुश्किल से आधे घंटे का था .
Jaldapara Tourist Louge में आ कर हमने लॉज के बाहर लॉन में महफिल जमा ली. हम बेंत से बनी आराम चेयर्स पर बेठे थे. मानसी ने दोनों पाँव टेबल पर पसार रखे थे,तीनो के हाथ में गिलास थे.
“अब तुम्हारा आगे का क्या प्रोग्राम है” विनीता ने मानसी की तरफ नजरें उठाते हुए कहा
“दीदी जंगल में शेर मिल जाए तो जो करना है वो शेर ही करेगा यानी अब जो करना है वो आशु ही करेगा “
“मिस्टर आशुतोष से आशुतोष अब आशु,बढिया है” मेने अपने गिलास को घूरते हुए कहा
विनीता ने मुझे घूर कर व् मानसी ने मुस्करा कर देखा
“आशुतोष ने मुझे ये तो बताया था,मिस्टर भसीन भूटान जा रहे है,पर उससे आगे कोई बात नही हुई”
ठीक तभी मानसी के मोबाइल की घंटी बजने लगी
“उसीका है” मानसी ने खुश होते हुए कहा
“किसका “ विनीता ने जिज्ञासा प्रकट की
“अरे आशु का”
“तो उठा जल्दी “
फिर लगभग दस मिनट दोनों में बातचीत हुई,बातें करते हुए मानसी लॉन में टहलने लगी.
“भैया ये आशुतोष काम की चीज है,मानसी वापिस आ कर चेयर पर बैठते हुए बोली
“लगता है बात बन गई”
“बनी तो नही आगे जरुर चली है,आशुतोष ने बताया है कि उसने मिस्टर भसीन से रिक्वेस्ट की है, की वें मुझे एक और मीटिंग दे दें,शुरू में तो वे नही माने पर आशुतोष के बहुत जोर देने पर और यह कहने पर की एक बार सिर्फ स्टोरी सुन ले माने या न माने, ये उनकी मर्जी है, वे थिम्पू में मीटिंग के लिए मान गये है.“
“तुम कहो औरआशु ना माने ऐसे तो हालात नही” मेने चुटकी ली
“काश ऐसा हो जाए, दुसरा मिस्टर भसीन माने हैं, आशु नही” मानसी ने ठंडी सांस भरी
“पर ये आशुतोष महाशय मिस्टर भसीन के लगते क्या हैं”
“पक्का तो मुझे नही पता,शायद मेनेजर हों, पी.ऐ हों “
“इतनी छोटी उम्र में,मेनेजर, पी.ऐ मुश्किल है”
“शायद नजदीकी रिश्तदार हो,उसकी घर तक पहुंच है”
“कहीं ये जूनियर भसीन तो नही, यानी उनके सुपुत्र तो नही”
“नही ये पक्का है,मेने आशुतोष से पूछा था,तो उसने साफ़ मना कर दिया”
“और तुम ने मान लिया”
“हाँ”
“आशुतोष को झूट बोलने की क्या जरुरत है” विनीता ने मुझे टोका
मुझे जवाब नही सुझा.
“एक उम्मीद काफी है, मंजिल तक पहुचाने के लिए” विनीता ने मुस्करा कर कहा .
“दीदी ना मुझे आशुतोष ना मिस्टर भसीन का सहारा है, सहारा है तो बस तुम्हारी बातों का ” मानसी ने प्यार भरी नजरों से विनीता को देखते हुए कहा
तभी लॉज मेनेजर ने दूर से, मुझे कलाई पर बंधी घड़ी दिखाई,और मेने तुरंत दोनों को उठने का इशारा किया.
“गुड नाईट“ बोलती हुई मानसी अपने कमरे की और दोड़ गई.
कल सुबह हमारा प्रोग्राम जलदापारा नेशनल पार्क देखने का था.