Secret Admirer - 49 in Hindi Love Stories by Poonam Sharma books and stories PDF | Secret Admirer - Part 49

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Secret Admirer - Part 49

अमायरा इंतजार कर रही थी कबीर का डिनर पर लेकिन उसके आने की बजाय उसका मैसेज आ गया की वोह आज लेट आएगा और उसका इंतजार ना करे बल्कि खाना खा कर सो जाए। कबीर के लिए और अमायरा के लिए यह नॉर्मल था की वोह काम की वजह से अक्सर लेट होता था। अमायरा ने डिनर किया और अपने कमरे में चली गई और लाइट्स ऑफ करदी। जबकि वोह जानती थी की उसे उसके बिना नींद नही आती थी। पर फिर भी वोह थोड़ा आराम करना चाहती थी और वोह तब तक करवट बदलती रही जब तक कबीर नही आ गया। कबीर आधी रात के बाद घर वापिस आया और सीधे बाथरूम में चला गया। वोह कपड़े चेंज करके निकला और बैड पर लेट गया।

"आज बहुत काम था?" अमायरा ने पूछा।

"तुम जागी हुई हो। सोई क्यों नही अभी तक?" कबीर ने पूछा। उसकी आवाज़ भी कुछ अलग सी लग रही थी।

"उउह्ह..... मैं बुक पढ़ रही थी। बस अभी ही फिनिश की थी।" अमायरा ने झूठ बोला। उसे अजीब लग रहा था की कबीर उस से दूरी बना कर लेट गया है। उसने उसे ना ही आज किस करने की कोशिश की, ना ही उसके करीब होकर लेता, ना उसे छुआ जो की वोह रोज़ करता था ऑफिस से आने के बाद। इसलिए अमायरा को कबीर का बरताव कुछ अजीब लगा।

"ठीक है। सो जाओ अब।" कबीर ने बात आगे नहीं बढ़ाना चाही।

"ओके। गुड नाईट।" अमायरा ने कह कर दूसरी करवट बदल ली।

कबीर ने भी दूसरी तरफ करवट लेली और जल्दी ही सो गया। अमायरा तोह हक्की बक्की सी रह गई। उसे नही समझ आ रहा था की कबीर को क्या हुआ है। अगली सुबह कबीर बिलकुल ठीक था। अमायरा ने खुद ही आकर कबीर को गले लगाया और कबीर की खुशी तोह जाने का नाम ही नही ले रही थी। ऑफिस जाने के बाद कबीर उसे लंच टाइम तक काफी मैसेज भेजता रहा उसके बाद मैसेजेस आना बंद हो गए थे। बस शाम को एक मैसेज आया की वोह आज बिज़ी है और उसे अनाथ आश्रम से लेने नही आयेगा। उसके बाद रात को मैसेज आया की आज भी लेट होगा तुम खा कर सो जाना। कुछ तोह हुआ था लंच के बाद, पर वोह नही जानती थी। वोह पूरी रात करवाते बदलती रही पर सो नही पा रही थी। जब आधी रात में कबीर ने नींद में करवट ली और अमायरा के नज़दीक आ गया तब जा अमायरा को नींद आई।

जब अगली सुबह अमायरा सो कर उठी तोह देखा की कबीर आईने के सामने खड़ा तैयार हो रहा है। वोह नहा भी चुका था और उसने एक सोबर सा कुर्ता पायजामा पहना हुआ था। अमायरा बैड से उठी और कबीर को गुडमॉर्निंग विश किया।

"गुड मॉर्निंग," कबीर ने सुस्त सा जवाब दिया।

"मिस्टर मैहरा, क्या सब ठीक है? आप कुछ बुझे बुझे से लग रहे हैं? आज आप ऑफिस नही जा रहें हैं? आपने यह कपड़े क्यों पहने हैं?"

कुछ पल तक अमायरा को बेजान नज़रों से देखने के बाद कबीर ने कहा, "आज महिमा की डैथ एनिवर्सरी है। सिक्स्थ एनिवर्सरी।"

अमायरा ने कदम आगे बढ़ाया और कबीर को अपनी पूरी ताकत से कस कर गले लगा लिया जैसे उसका सारा दर्द खींचना चाहती हो। कबीर ने उसे हल्के हाथ से ही पकड़ा लेकिन अपने आंसू को ज्यादा देर तक रोक न सका। दोनो ही बोलने में इस वक्त असमर्थ थे।

"मैं जानता हूं की आज थर्सडे है, ना की मंडे या फ्राइडे, पर क्या मैं तुमसे कुछ पूछ सकता हूं?" कबीर ने उस से सीधा होते हुए पूछा।

"हां।"

"क्या तुम मेरे साथ आज चल सकती हो? महिमा के घर? उसकी अम्मी और बाबा हर साल आज के दिन प्राथना सभा रखते हैं। मॉम और डैड भी कुछ देर में वहां जायेंगे पर मैं चाहता हूं की तुम भी मेरे साथ वहां रहो।" कबीर ने रिक्वेस्ट करते हुए पूछा।

"हां, बिलकुल चलूंगी। मुझे दस मिनट दीजिए मैं अभी तैयार हो कर आती हूं।" अमायरा ने तुरंत जवाब दिया।

"वोह एक ट्रेडिशनल मुस्लिम फैमिली है। वैसे तो उसके अम्मी और बाबा खुले विचार के हैं। लेकिन वहां उसके परिवार के और भी होंगे। इसलिए अच्छा होगा अगर तुम सलवार सूट पहन लो।" कबीर सजेस्ट किया।

"ठीक है। मैं आई दस मिनट में।"

****

वोह दोनो महिमा के पेरेंट्स से मिलने उनके घर पहुँच चुके थे। उसकी तस्वीर घर में हर जगह थी जिसकी वजह से उसकी मौजूदगी का एहसास हो रहा था। अमायरा तोह ठीक से महिमा को जानती भी नही थी, पर फिर भी उसे बहुत रोना आ रहा था। कबीर का चेहरा बिल्कुल उदासीन था, और चेहरे पर कोई भाव नहीं। कबीर तो महिमा की फैमिली से कई बार मिलता रहता था इसलिए अमायरा को महिमा के परिवार में सब जानते थे जबकि अमायरा उनसे आज पहली बार मिल रही थी। भले ही कबीर की जिंदगी में उनकी बेटी जगह अमायरा ने ले ली थी पर फिर भी महिमा के परिवार वाले अमायरा से मिलकर खुश थे। कबीर और अमायरा पूरी प्राथना सभा के दौरान चुपचाप थे और दुपहर तक दोनो वहां से निकल गए।

कबीर सुबह की तुलना में और ज्यादा शांत लग रहा था। कबीर अमायरा को एक नॉर्थ इंडियन रेस्टोरेंट ले गया जहां से बहुत खूबसूरत समुद्र का नज़ारा दिखता था। कबीर जनता था की अमायरा ने भी सुबह से कुछ नही खाया है। महिमा के पेरेंट्स ने तोह उन दोनो को उन सब के साथ खाना खाने के लिए कहा था लेकिन क्योंकि कितने सारे मेहमान आए हुए थे और वोह महिमा के पेरेंट्स और जबरदस्ती किसी खातिरदारी के लिए परेशान नहीं करना चाहता था। कबीर और अमायरा ने चुपचाप अपना खाना खाया और फिर समुंदर के किनारे वॉक के लिए निकल गए।











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